Md Azam Alam

Md Azam Alam जिसने जैसा समझा वैसी हूँ मैं, बाकी मेरा रब जानता है कैसा हूँ मैं!

13/11/2025

तू भी क्या याद रखेगा

23/10/2025

कभी सोचता हूँ, तुमसे बात करने से ज़्यादा अच्छा तुम्हें लिखना लगता है।
क्योंकि जब तुम्हें लिखता हूँ, तो तुम मेरी हर बात पूरी सुनती हो बिना टोके, बिना भागे, बस मुस्कुराते हुए।शायद इसलिए मेरी कलम तुम्हारे नाम से ही शुरू होती है,
और तुम्हारी याद पर आकर थम जाती है।
हर बार जब तुम्हारा नाम पन्ने पर उतरता है, तो दिल की धड़कन थोड़ी और नरम हो जाती है जैसे कोई धीमी बारिश खिड़की पर दस्तक दे रही हो।
तुम्हें लिखते हुए लगता है, जैसे तुम्हारे बालों में उँगलियाँ फिरा रहा हूँ,
जैसे तुम्हारी आँखों में ठहर गया हूँ,
जैसे तुम्हारी मुस्कान मेरे लफ़्ज़ों की रौशनी बन गई हो।
कभी-कभी, तुम्हें लिखते हुए मैं खुद भी भूल जाता हूँकि ये कागज़ है या तुम्हारे होंठ जहाँ मैं हर शब्द को चूमता हुआ रख देता हूँ।और फिर सोचता हूँ, अगर तुम ये पढ़ रही हो,तो कहीं तुम्हारे गाल भी हल्के से लाल तो नहीं पड़ गए?
तुम्हें लिखना मुझे इसलिए अच्छा लगता है क्योंकि जब दुनिया चुप हो जाती है,
तो मेरे शब्द तुम्हें पुकारते हैं धीरे से, मोहब्बत से, इबादत की तरह।

कभी तुम मेरी कविताओं में मुस्कुराती हो,
कभी मेरे ख़तों में सिमट जाती हो,कभी सिर्फ़ “तुम” बनकर रह जाती हो,पर हर बार…
तुम वही रहती हो मेरी अधूरी पंक्ति, जिसे पूरा करना मेरी ज़िंदगी का मकसद है।
और हाँ…
जब भी तुम कहो, मैं फिर से लिख दूँगा
वो सब जो अब तक कहा नहीं गया,
वो सब जो सिर्फ़ तुम्हारे नाम से शुरू होता है,और "तुम तक आकर"ख़त्म....
✍️

23/10/2025

मैं कई दिनों से बीमार चल रहा हूं। शरीर अंदर से टूट चुका है। कई दिन हो चुके हैं पेट भर कुछ खा नही पा रहा हूं । इंसान जब बिस्तर पर गिरता है तभी उसे असली दुनिया की पहचान होती है। मैं पहले काफी भ्रम में जीता था, मुझे लगता था मेरे कई सच्चे मित्र हैं। ये भ्रम भी कुछ दिन पहले ही टूटा है। बीमार होने के दो दिन बाद मैने व्हाट्सप पे " फीलिंग इल 🤧" का स्टेटस लगाया था, और उसके बाद एक बड़ी अजीब घटना हुई, हुआ ये कि मेरे स्टेट्स को 100 से भी अधिक लोग देखे, परंतु किसी एक ने भी उस स्टेट्स पे रिप्लाई कर के ये नही पूछा कि "क्या हुआ?"।। मुझे इस बात का दुःख नही कि लोग हमसे मेरा हाल क्यों नही पूछें, परंतु दुख इस बात का है कि सोशल मीडिया अब कितना झूठा हो गया है, इसकी बातों पे कोई विश्वास नही करता। 😓
✍️

23/10/2025

मित्रता कोई स्वार्थ नहीं बल्कि एक विश्वास है, जहाँ सुख में हँसी मजाक से लेकर संकट तक साथ देने की जिम्मेदारी होती है।

23/10/2025

तुम्हारे जाने के बाद, मेरी दुनिया एकदम शांत हो गई है। यह वह शांति नहीं है जो सुकून देती है, बल्कि वह ख़ामोशी है जो अंदर से खाए जा रही है। हर कोने में तुम्हारी यादें हैं, पर अब वहाँ सिर्फ़ एक खोखलापन महसूस होता है।

मैं कुछ भी महसूस नहीं कर पा रहा हूँ – न ख़ुशी, न ग़म, बस एक गहरा, अथाह खालीपन। ऐसा लगता है जैसे मेरे सीने में दिल की जगह एक बड़ा सा शून्य है। मैं रोना भी चाहूँ तो आँसू नहीं आते, बस एक जमा हुआ दर्द है जो साँस लेना मुश्किल कर रहा है।

यह खालीपन तकलीफ़देह है, क्योंकि इसने मेरे 'होने' के एहसास को छीन लिया है। मैं बस ज़िंदा हूँ, पर जी नहीं रहा।

काश! तुम यह समझ पातीं कि तुम्हारे साथ मेरा कितना कुछ चला गया है।
✍️

22/10/2025

माँ बाप का दिल जीत लो कामयाब हो जाओगे,
वरना सारी दुनिया जीत कर भी हार जाओगे
❤️🏆

22/10/2025

मोहब्बत और इबादत दोनों दिल से होती है और दोनों का रिश्ता रूह से जुड़ा होता है, आप ज़बरदस्ती किसी को इन दो कामो के लिए मजबूर नहीँ कर सकते.!

लगाव… इंसान की सबसे बड़ी कमजोरी भी है और सबसे बड़ी मजबूरी भी।चाहे रिश्तों में लगाव हो, इंसान अक्सर अपनी खुशियों और तकलीफ...
07/09/2025

लगाव… इंसान की सबसे बड़ी कमजोरी भी है और सबसे बड़ी मजबूरी भी।

चाहे रिश्तों में लगाव हो, इंसान अक्सर अपनी खुशियों और तकलीफ़ों को किसी और के इर्द-गिर्द बांध देता है। जब वही रिश्ता टूटता है तो इंसान बिखर जाता है।

संपत्ति और धन से लगाव इंसान को लालची बना देता है। जितना मिलता है उतना कम लगता है, और इसी चक्कर में इंसान चैन-सुकून खो देता है।

राजनीतिक लगाव इंसान की सोच और समझ को बाँध देता है। आदमी हक़ और सच की जगह व्यक्ति या पार्टी को पकड़कर बैठ जाता है, फिर चाहे सच उसके सामने ही क्यों न हो।

नशे या बुरी आदतों से लगाव इंसान को बर्बादी की ओर ले जाता है। शरीर, पैसा और इज़्ज़त सब खो जाता है।

यहाँ तक कि अपने विचारों और अहंकार से लगाव भी इंसान को अकेला कर देता है, क्योंकि वह दूसरों की सच्चाई और अच्छाई देखने से इंकार कर देता है।

असल में, लगाव अगर सीमित हो तो प्यार, अपनापन और प्रेरणा बनता है,
लेकिन जब वही लगाव हद से बढ़ जाए तो बर्बादी की जड़ बन जाता है।

इसलिए जरूरी है कि हम मोहब्बत करें, पर मोह में ना फँसें।
संपर्क रखें, पर गुलाम न बनें।
समर्थन करें, पर अंधभक्ति न करें।

लगाव में डूबा इंसान हमेशा हारता है,
और संतुलन में जीने वाला इंसान ही जीतता है।

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