03/09/2025
यमुना किनारे फिर मंडराया बाढ़ का खतरा, किसानों की हजारों एकड़ फसल डूबी।
। हथिनीकुंड बैराज से लगातार पानी छोड़े जाने के बाद यमुना नदी उफान पर है। इसका सबसे ज्यादा असर यमुना किनारे बसे गांवों पर पड़ रहा है। इनमें मोहना, छायांसा सहित कई गांव बाढ़ के खतरे से जूझ रहे हैं। स्थानीय किसानों का कहना है कि उनकी हजारों एकड़ जमीन इस समय पूरी तरह जलमग्न हो चुकी है। खेतों में खड़ी धान और अन्य खरीफ फसलें डूबने लगी हैं, जिससे भारी नुकसान का अंदेशा है। वही यमुना नदी में मरा हुआ गोवंश भी तैरते हुए दिखाई दिया। जिसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि यमुना नदी अपने पूरे उफान पर है।
गांव के बुजुर्ग किसानों समयपाल ने बातचीत में बताया कि हालात 2023 जैसी आपदा की ओर इशारा कर रहे हैं। उन्होंने याद दिलाया कि उस समय भी लगातार पानी छोड़े जाने से गांव डूब की स्थिति में आ गए थे। खेत पूरी तरह खराब हो गए थे और ग्रामीणों को घर छोड़कर सुरक्षित जगहों पर पलायन करना पड़ा था। किसान रोहतास कौशिक ने बताया, “इस बार भी खेतों में इतना पानी भर चुका है कि हमारी मेहनत पूरी तरह बर्बाद हो जाएगी। पिछले सालों की तरह हमें घर छोड़कर दूसरी जगह जाना पड़ सकता है।”
प्रशासन ने खतरे को देखते हुए ग्रामीणों को पहले से ही सचेत कर दिया है। गांवों में लाउडस्पीकर से एलान कर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने की अपील की जा रही है। हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि समय रहते बाढ़ रोकथाम की पुख्ता तैयारी नहीं की गई।
खेतों में डूब चुकी हजारों एकड़ जमीन ने किसानों की चिंता और बढ़ा दी है। अधिकांश किसान पहले ही कर्ज में डूबे हुए हैं, ऊपर से इस प्राकृतिक आपदा ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। किसानों ने सरकार और प्रशासन से मांग की है कि उनके नुकसान का सर्वे कर तुरंत मुआवजा दिया जाए, ताकि वे दोबारा अपनी खेती की शुरुआत कर सकें।
फिलहाल यमुना नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और खतरे का निशान छूने लगा है। प्रशासन ने बाढ़ राहत दल तैनात कर दिया है, साथ ही नावों की व्यवस्था भी की जा रही है। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि अगर पानी का स्तर और बढ़ा, तो उन्हें एक बार फिर बड़े पैमाने पर पलायन करना पड़ेगा।