Sawai Madhopur News 24×7

Sawai Madhopur News 24×7 Sawai Madhopur News 24×7

30/03/2023
राजस्थान में डॉक्टरों की हड़ताल फिलहाल समाप्त होने के आसार नहीं। प्राइवेट डॉक्टरों के भरोसे नहीं है सरकार-स्वास्थ्य मंत्...
29/03/2023

राजस्थान में डॉक्टरों की हड़ताल फिलहाल समाप्त होने के आसार नहीं।

प्राइवेट डॉक्टरों के भरोसे नहीं है सरकार-स्वास्थ्य मंत्री।

नए जिलों की घोषणाओं को भुनाने के लिए सीएम गहलोत संभाग स्तरीय दौरों पर। वहीं डॉक्टरों ने भी रणनीति बनाई।

डॉ. समित शर्मा का उपयोग क्यों नहीं करते सीएम गहलोत।
=================
27 मार्च को जयपुर में विशाल प्रदर्शन के बाद प्राइवेट डॉक्टरों ने घोषणा की थी कि अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से ही वार्ता की जाएगी। राइट टू हेल्थ बिल का विरोध कर रहे डॉक्टरों की इस घोषणा के बाद सीएम गहलोत ने 28 मार्च को दोबारा से अखबारों में पूरे पृष्ठ का विज्ञापन छपवा कर बिल को जनता के हित में बताया और 28 मार्च को संभाग स्तरीय सम्मेलनों में भाग लेने के लिए जयपुर से रवाना हो गए। तय कार्यक्रम के अनुसार सीएम गहलोत 28 व 29 मार्च को बीकानेर और जोधपुर संभाग के दौरे पर रहेंगे। 30 मार्च को अहमदाबाद जाने और 31 मार्च को अजमेर संभाग स्तरीय सम्मेलन में भाग लेने का प्रोग्राम है। यानी हड़ताली डॉक्टरों से वार्ता करने में सीएम गहलोत की फिलहाल कोई रुचि नहीं है। जानकार सूत्रों के अनुसार विधानसभा में जो नए 19 जिले बनाने की घोषणा की गई, उसे राजनीतिक दृष्टि से भुनाने के लिए ही कांग्रेस की ओर से संभाग स्तरीय सम्मेलन हो रहे हैं। इन सम्मेलनों में सीएम के साथ प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा भी मौजूद रहेंगे। प्राइवेट डॉक्टरों की पूर्ण हड़ताल और सरकारी डॉक्टरों के आंशिक कार्य बहिष्कार की वजह से प्रदेश भर में त्राहि त्राहि मची हुई है। लेकिन सरकार की प्राथमिकता में मरीजों की परेशानी शामिल नहीं है। डॉक्टरों को उम्मीद थी कि 27 मार्च के शक्ति प्रदर्शन से सरकार पर दबाव पड़ेगा, लेकिन सीएम के संभाग स्तरीय दौरे पर जाने से प्रतीत होता है कि डॉक्टरों के शक्ति प्रदर्शन का सरकार पर कोई असर नहीं है। वहीं डॉक्टरों ने भी अब लंबी लड़ाई की रणनीति बना ली है। स्पष्ट कहा गया है कि जब तक सरकार राइट टू हेल्थ बिल को वापस नहीं लेती, तब तक निजी अस्पतालों में तालाबंदी रहेगी। 75 प्रतिशत मरीजों का इलाज निजी क्षेत्र में ही होता है, ऐसे मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि यह बिलज जनता के हित में है, जबकि इस बिल से सरकारी डॉक्टर ही सहमत नहीं है। सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर भी बिल के विरोध में रोजाना दो घंटे का कार्य बहिष्कार कर रहे हैं। सरकारी डॉक्टरों ने अपने घरों पर मरीजों को देखना बंद कर दिया है। प्रदेश में 15 मार्च से ही चिकित्सा सुविधाओं का बुरा हाल है। मरीज चिकित्सा के अभाव में बुरी तरह परेशान है। सरकारी अस्पतालों के बाहर लंबी कतारें हैं, लेकिन किसी भी पक्ष को मरीजों की पीड़ा से कोई सरोकार नहीं है। सरकार तो जिला बनाने के जश्न में ऐसी मस्त है कि वार्ता तक तैयार नहीं है, जबकि डॉक्टरों का कहना है कि राइट टू हेल्थ बिल लागू होता है तो निजी अस्पतालों पर ताले लग जाएंगे।

डॉक्टरों के भरोसे नहीं:
28 मार्च को एक बार फिर प्रदेश के चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने स्पष्ट किया है कि राइट टू हेल्थ बिल किसी भी कीमत पर वापस नहीं होगा। उन्होंने कहा कि सरकार प्राइवेट अस्पतालों के भरोसे नहीं है। सरकार अब अपने अस्पतालों में चिकित्सा सुविधाएं बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं ताकि प्राइवेट अस्पतालों की हड़ताल के दौरान किसी भी मरीज को परेशानी नहीं हो। उन्होंने कहा कि यदि सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर भी कार्य बहिष्कार करते हैं तो उनके विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।

जयपुर प्रदर्शन में सवाल लाख डॉक्टर जुटे:
27 मार्च को जयपुर में डॉक्टरों का जो प्रदर्शन हुआ उसमें प्रदेश भर से करीब सवा लाख डॉक्टर्स जुटे। डॉक्टरों ने इस शक्ति प्रदर्शन को महत्वपूर्ण माना है और कहा है कि सरकार को अब निजी अस्पतालों के कार्य बहिष्कार को गंभीरता से लेना चाहिए। यह पहला अवसर है जब निजी अस्पतालों के डॉक्टर इतनी बड़ी संख्या में एकजुट हुए हैं।

डॉ. समित शर्मा का उपयोग क्यों नहीं:
राज्य के सामाजिक एवं अधिकारिता विभाग के प्रमुख शासन सचिव डॉ. समित शर्मा उन आईएएस में शामिल है, जिनकी वजह से अशोक गहलोत के पिछले कार्यकाल में प्रदेश भर में नि:शुल्क दवा योजना शुरू हुई। प्रदेश के चिकित्सा के क्षेत्र में डॉ. शर्मा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यदि प्राइवेट अस्पतालों के डॉक्टर्स और सरकार के बीच चल रही खींचतान में डॉक्टर शर्मा का उपयोग किया जाए तो सकारात्मक परिणाम सामने आ सकता है। समित शर्मा के पास पीएचडी वाली डॉक्टर की डिग्री नहीं है, बल्कि उनके पास एमबीबीएस की असली डिग्री है। डॉ.शर्मा प्राइवेट डॉक्टरों की समस्याओं से भलीभांति परिचित है। अब जब प्रदेश के लाखों मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, जब डौ. समित शर्मा जैसे डॉक्टर ही मामले को समझा सकते हैं। चिकित्सा मंत्री मीणा के बयान तो डॉक्टरों भडकाने वाले हैं।

22/03/2023

: सवाईमाधोपुर : मध्यप्रदेश के गुना, बीना में मौसम का कोहराम लगभग आधा आधा किलो के ओलें गिर रहे,, _संवाददाता रामकेश बरनाला

22/03/2023

#बालेर #शाखा में महिला #स्वयंसहायता #समूहों का खाता नहीं खोलें

गरीब महिलाओं रोज बैंक ऑफ बड़ौदा का चक्कर लगाने पर #मजबूर हो कर #परेशान।

राजीविका स्वयं सहायता समूह कि गरीब महिलाओं का खाता नहीं खोलने से संगठन की महिला परेशान।

बालेर(राजू माली) उपखंड मुख्यालय #खंडार के बालेर क्षेत्र में एक ही शाखा होने के कारण से बैंक ऑफ बड़ौदा के कर्मचारियों की मनमानी से क्षेत्र में महिलाओं को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है केंद्र सरकार ने महिलाओं को सक्षम व आत्मनिर्भर बनाने के लिए एकत्रित कर शाखा के क्षेत्र में दर्जनों संगठन बनाकर गठन किया है

केंद्र सरकार ने गरीब अति गरीब महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अनेक योजना चला कर पानी की तरह पैसा बहा, जिसका लाभ लेकर महीला स्वयं अपनी आजीविका चला सकती है ग्रामीण क्षेत्र में शासन की योजना योजना का लाभ लेने के लिए महिला स्वयं सहायता समूह बनाकर लाभ ले सकती है किंतु इन महिलाओं को लाभ लेने के लिए एक सामूहिक खाता खुलवाना होता है ग्रामीण क्षेत्र की महिला अपने मासूम बच्चे व बच्ची को गोद में लेकर वाले शाखा के चक्कर लगा रही है और काफी परेशानी हो चुकी है परंतु बैंक ऑफ बड़ौदा बालेर के कर्मचारी व अधिकारी खाता खोलने में आनाकानी कर रहे हैं ग्रामीण क्षेत्र की महिला बैंक की मनमानी से परेशानी उठा रही है

मंगलवार को भी अन्य दिनों की तरह गांव से पैदल चलकर संचालित बैंक ऑफ बड़ौदा बालेर में महिला पहुंची।

लेकिन पूरे समय बैंक में अपनी मासूम बच्ची को गोद में लेकर महिला खड़ी रही पर लेकिन बैंक कर्मचारी ने स्वयं सहायता समूह के खाता नहीं खोलें बाद में देर शाम होने के बाद महिला को अपने गांव लौटाने को कहा सहायता समूह की महिलाओं ने बैंक शाखा प्रबंधक सहित कर्मचारियों से आग्रह किया कि हमारे छोटे-छोटे मासूम बच्चों की और देखकर हमारा खाता खोल दीजिए और हम हमारे खेत में फसल तैयार को छोड़कर खाता खुलवाने के लिए बैंक के बहुत दिनों से चक्कर लगा रहे पर लेकिन बैंक कर्मचारी ने खाता खोलने से स्पष्ट मना कर दिया।

गांव जाने से पहले स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने अपने पर बीती हुई बात पत्रकार व मीडिया को बताइए।

#बैंक कर्मचारी के द्वारा महिलाओं की एक वर्ष पूर्व की केवाईसी की हुई है बैंक के अधिकारी के कहे अनुसार रोज-रोज बैंक में खाता खुलवाने के लिए महिला आती है और महिला स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को बैंक में अन्य कार्य होने को कहकर 5:00 बजे को घर जाने के लिए बोल देते हैं।

वाले बैंक में 1 #वर्ष पहले की केवाईसी का खाता आज तक नहीं खोला

समूह की महिलाओं ने बताया कि हम सभी रोज बैंक ऑफ बड़ौदा बालेर में 1 सप्ताह से अधिक रोज चक्कर लगा रहे हैं और बैंक कर्मचारी हमें रोज नए नियम बता कर खाता नहीं खोल रहे हैंऔर आधार कार्ड में मोबाइल नंबर जुड़ा होने के बाद भी मोबाइल नंबर जुड़ा नहीं होने को कहकर बैंक से बाहर निकाल दिया जाता है।

महिला अध्यक्ष ने बताया कि बैंक में खाता खोलने के लिए हमने राशि एकत्रित की है हम महिला गरीब है पिछड़े हुए क्षेत्र से है बैंक की #कर्मचारी हमको परेशान कर रहे हैं।

स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की #परेशानी देखकर आजीविका मिशन के उच्च अधिकारी बैंक पर पहुंचे शाखा प्रबंधक रामस्वरूप मीणा से बात की शाखा प्रबंधक ने अनदेखा कर दिया।

#आजीविका ब्लॉक अधिकारी ने बताया कि #समूह की महिला का ज्यादा नियमों की आवश्यकता नहीं पड़ती है जबकि बैंक के नियम के अनुसार के फॉर्म में #महिला समूह संगठन की पहचान आईडी देखकर भी #खाता नहीं खोल रहे हैं #बैंक #कर्मचारी #मनमर्जी कर रहे हैं गरीब महिलाओं को परेशान कर रहे हैं

आजीविका अधिकारी जनपद सीईओ को बैंक में खाता नहीं होने की जानकारी दी । तो बैंक कर्मचारी से बात की तो कहा कि स्वयं सहायता समूह की महिलाओं का खाता खोल देंगे जनपद सीओ के कहने पर भी खाता नहीं खोला।

#बैंकऑफबड़ौदा शाखा प्रबंधक से #पत्रकार ने बात की तो खाता खोलने के विषय में स्पष्ट उत्तर नहीं दिया।

22/03/2023

तो अब सचिन पायलट ने राजस्थान में कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाने की मांग की।

क्या सीएम गहलोत, विधायकों की बैठक बुलाने का साहस दिखा पाएंगे?
संजीवनी के पीड़ितों को पैसा वापस मिलता है तो मैं जेल भी जाने को तैयार- सीएम गहलोत।

सुरक्षा कानून को लेकर पत्रकारों का जयपुर में प्रदर्शन।
===============
राजस्थान कांग्रेस में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रतिद्वंदी और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने कहा कि गत 25 सितंबर को कांग्रेस विधायक दल की बैठक करने के लिए तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ने पर्यवेक्षक के तौर पर मल्किार्जुन खडग़े और अजय माकन को जयुपर भेजा था, लेकिन तब इस बैठक को नहीं होने दिया गया। छह माह गुजर जाने के बाद भी विधायक दल की बैठक नहीं हो पा रही है, इस बात को कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं खास कर मौजूदा अध्यक्ष खडग़े को देखना चाहिए। राष्ट्रीय नेतृत्व को यह भी देखना चाहिए कि आखिर गत 25 सितंबर को किसके दबाव में कांगे्रस विधायकों ने अपने इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को सौंपे। पायलट ने ये बातें एक राष्ट्रीय न्यूज चैनल में एक इंटरव्यू के दौरान कही। सीएम गहलोत द्वारा गद्दार, नकारा, मक्कार और कोरोना वायरस तक कहे जाने पर पायलट ने कहा कि ऐसे शब्द सुनकर मुझे भी पीड़ा होती है, लेकिन मेरे संस्कार ऐसे नहीं है कि मैं ऐसे ही शब्दों के जरिए जवाब दूं। कांग्रेस विधायक दल की बैठक की मांग कर पायलट ने एक बार फिर पार्टी की अंतर्कलह को उजागर किया है। यह सही है कि 25 सितंबर को मुख्यमंत्री पद को लेकर ही विधायक दल की बैठक बुलाई थी, लेकिन बैठक नहीं होने दी। गहलोत गुट की ओर से यह दावा किया जाता है कि 106 विधायकों में से 90 विधायक गहलोत के साथ है, लेकिन इन 90 विधायकों के नाम आज तक नहीं बताए गए हैं। ऐसे माहौल में पायलट की विधायक दल की मांग राजनीतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। पायलट का यह सवाल वाजिब है कि राजस्थान में विधायक दल की बैठक क्यों नहीं बुलाई जाती? क्या विधायक की बैठक बुलाने को लेकर कोई घबराहट है? सब जानते हैं कि सचिन पायलट के नेतृत्व में ही 2018 में कांग्रेस को बहुमत मिलता था। अब भले ही सरकार चलाने में पायलट की कोई भूमिका न हो, लेकिन विधानसभा का अगला चुनाव पायलट के समर्थन के बगैर लड़ना कांग्रेस के लिए मुश्किल होगा। एक सीएम गहलोत बजट घोषणाओं को आगे रखकर सरकार के रिपीट होने का दावा कर रहे हैं तो वहीं सचिन पायलट जैसे कद्दावर नेता अभी भी विधायक दल की बैठक बुलाने की मांग कर रहे हैं। 18 व 19 मार्च को सीएम गहलोत दिल्ली में रहे। लेकिन उनकी मुलाकात सोनिया गांधी से नहीं हो सकी। गहलोत की मुलाकात राहुल गांधी से भी इसलिए हुई कि 19 मार्च को दिल्ली पुलिस राहुल गांधी के आवास पर पहुंच गई थी, तब सहानुभूति प्रकट करने के लिए गहलोत भी पहुंच गए। माना जा रहा है कि 25 सितंबर की घटना के बाद गहलोत और गांधी परिवार के बीच संबंध अच्छे नहीं रहे हैं।

जेल भी जाने को तैयार:
21 मार्च को सीएम गहलोत अपने गृह जिले जोधपुर के दौरे पर रहे, गहलोत ने मीडिया से संवाद करते हुए कहा कि संजीवनी क्रेडिट सोसायटी के घोटाले में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के परिवार के सदस्यों के नाम पर भी लेनदेन हुआ है, यदि शेखावत के परिवार के सदस्य शामिल नहीं होते तो हजारों लोग इस सोसायटी में निवेश भी नहीं करते। मैंने जब घोटाले में शेखावत के परिवार के सदस्यों का उल्लेख किया तो मेरे विरुद्ध ही दिल्ली में मानहानि का मुकदमा दर्ज करवा दिया गया। यदि पीड़ित निवेशकों को पैसा वापस मिलता है तो मैं इस मुकदमे में जेल भी जाने को तैयार हंू। उन्होंने कहा कि आवश्यकता होने पर इस मुकदमे में वे अदालत में अपनी उपस्थिति भी दर्ज करवाएंगे। गहलोत ने कहा कि शेखावत को चाहिए कि पीड़ित निवेशकों का पैसा वापस करने में सहयोग करें। सरकार अपने स्तर पर हर निवेशक की मदद कर रही है।

पत्रकारों का प्रदर्शन:
21 मार्च को जयपुर में अपनी सुरक्षा को लेकर प्रदेश भर के पत्रकारों ने विरोध प्रदर्शन किया। आईएफडब्ल्यूजे के बैनर तले सैकड़ों पत्रकारों ने पिंक सिटी प्रेस क्लब से पैदल मार्च कर विधानसभा जाने का प्रयास किया, लेकिन विधानसभा से पहले ही पुलिस ने पत्रकारों को रोक दिया। आईएफडब्ल्यूजे के प्रदेश अध्यक्ष उपेंद्र सिंह राठौड़ और सचिव मनवीर सिंह चुंडावत ने पुलिस की इस कार्यवाही की निंदा की है। उन्होंने कहा कि पत्रकार विधानसभा का घेराव करना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने ऐसा नहीं करने दिया। पत्रकारों की ओर से पत्रकार सुरक्षा कानून को लेकर एक ज्ञापन सरकार को दिया गया। इस ज्ञापन में कहा गया कि आम पत्रकार जोखिम भरी परिस्थितियों में काम करता है इसलिए उसे सुरक्षा मिलनी चाहिए। सरकार ने जिस प्रकार एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट तैयार किया है उसी प्रकार पत्रकार सुरक्षा कानून भी बनाया जाए।

कोटा में भी लगे भूकंप के झटके, दहशत में आए लोगकोटा: कोटा में भी मंगलवार रात भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप का सबसे ज्...
22/03/2023

कोटा में भी लगे भूकंप के झटके, दहशत में आए लोग
कोटा: कोटा में भी मंगलवार रात भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप का सबसे ज्यादा असर स्टेशन क्षेत्र में नजर आया। यहां बहु मंजिली इमारतों के लोग भूकंप के झटके महसूस होते ही घरों से बाहर निकल आए। स्टेशन रोड स्थित गुरु नानक प्लाजा तथा वैष्णव टावर स्थित निवासियों ने बताया कि अचानक घरों के खिड़की, दरवाजे, पंखे और पलंग हिलने लगे। कुछ सेकंड तक तो लोगों को इसका कारण समझ ही नहीं आया। बाद में भूकंप का पता लगते ही दहशत में आए लोगों ने घर के बाहर की तरफ दौड़ लगा दी। देखते ही देखते पूरी बिल्डिंग खाली हो गई। लोग सड़कों पर इकट्ठा हो गए।
दिनेश मीणा ने बताया कि वह सोफे पर बैठे टीवी देख रहे थे। अचानक सोफा और टीवी हिलता नजर आया। पहले तो वह कुछ समझ नहीं पाए। बाद में भूकंप का अहसास होते ही उन्होंने परिवार सहित बाहर दौड़ लगा दी। सीढ़ियों से उतरने के लिए लोगों में अफरा-तफरी मची हुई थी। कुछ ही सेकंड में बिल्डिंग के सभी लोग बाहर निकल आए।
इसी तरह देव सिंह ने बताया कि वह सोने के लिए लेटे ही थे की पंलग जोर-जोर से हिलता नजर आया। देव सिंह ने बताया कि इतनी जोर से पलंग हिलता उसने अपने जीवन में पहली बार देखा। इसके बाद भूकंप का अहसास होते ही वह तुरंत परिवार सहित घर के बाहर निकल आया। कुछ ही देर में बिल्डिंग के सभी लोग नीचे जमा हो गए। भूकंप से दहशत में आए और घबराए लोग काफी देर तक घरों के बाहर ही रहे। बाद में लोग धीरे-धीरे घरों में पहुंचे।
पूरे उत्तर में आया भूकंप
जयपुर मौसम विभाग ने बताया कि यह भूकंप पूरे दिल्ली सहित उत्तर भारत में आया है। इसका केंद्र बिंदु अफगानिस्तान का हिंदूकुश था। रिक्टर स्केल पैमाने पर यहां पर इसकी तीव्रता 6.6 मापी गई है। फिलहाल राजस्थान में इसकी तीव्रता का पता नहीं चला है। केंद्र बिंदु से भूकंप का असर जितना दूर होता जाता है तीव्रता कम होती जाती है। भूकंप का समय रात 10:17 बजे बताया गया है। मौसम विभाग ने बताया कि राजस्थान में जयपुर के अलावा कई जिले में भूकंप के झटके महसूस किए गए।
कोटा में पहले भी आ चुका है भूकंप
उल्लेखनीय है कि यह पहला अवसर नहीं है जब कोटा में भूकंप आया हो। यहां पर इससे पहले भी भूकंप के झटके महसूस किए जाते रहे हैं। तब भी बहुमंजिला इमारतों के लोग सबसे पहले घरों के बाहर निकले थे।

निजी चिकित्सालय के संचालकों-डॉक्टरों द्वारा लंबे आंदोलन और हड़ताल के बावजूद आज राइट टू हेल्थ बिल पासआज राजस्थान विधानसभा...
22/03/2023

निजी चिकित्सालय के संचालकों-डॉक्टरों द्वारा लंबे आंदोलन और हड़ताल के बावजूद आज राइट टू हेल्थ बिल पास

आज राजस्थान विधानसभा में राइट टू हेल्थ (स्वास्थ्य के अधिकार) बिल मंगलवार को पास हो गया। इसी के साथ राजस्थान देश का पहला ऐसा राज्य बना, जहां राइट टू हेल्थ बिल पारित हुआ है। सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटल इलाज से अब मना नहीं कर सकेंगे। यहां के हर व्यक्ति को इलाज की गारंटी मिलेगी।

इमरजेंसी की हालत में प्राइवेट हॉस्पिटल को भी फ्री इलाज करना होगा। प्राइवेट हॉस्पिटल में इमरजेंसी में फ्री इलाज के लिए अलग से फंड बनेगा। ऐसे मामलों में किसी भी तरह की हॉस्पिटल स्तर की लापरवाही के लिए जिला और राज्य स्तर पर प्राधिकरण बनेगा। इसमें सुनवाई होगी। दोषी पाए जाने पर 10 से 25 हजार रुपए जुर्माना लगाया जा सकता है।

इलाज से मना नहीं कर सकेंगे हॉस्पिटल
राइट टू हेल्थ का उल्लंघन करने और इलाज से मना करने पर 10 से 25 हजार तक का जुर्माने का प्रावधान रखा गया है। पहली बार उल्लंघन पर जुर्माना 10 हजार और इसके बाद 25 हजार तक होगा। राइट टू हेल्थ बिल की शिकायतें सुनने और अपील के लिए जिला स्वास्थ्य प्राधिकरण और राज्य स्तर पर राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण बनेगा। प्राधिकरण में ही शिकायतें सुनी जाएंगी। बिल के उल्लंघन से जुड़े मामले में प्राधिकरण के फैसले को किसी सिविल कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकेगी।
जानिए क्या है बिल में

राइट टू हेल्थ में क्या कवर होगा?

राइट टू हेल्थ में बायो-टेरोरिज्म (जैव आतंकवाद), बायो टेक्नोलॉजी, नेचुरल बायोलॉजिकल खराबी पैदा करने वाले या बायोलॉजिकल वेपन, बैक्टीरिया, वायरस, जहरीले तत्व, बायो प्रोडक्ट्स से होने वाले नुकसान भी कवर होंगे।
केमिकल अटैक, नेचुरल हॉरर (प्राकृतिक विभीषिका), परमाणु हमला या दुर्घटना, प्रभावित आबादी की बड़ी तादाद में मौत, जनहानि, प्रभावित आबादी पर लम्बे समय के लिए प्रभाव या गंभीर रूप से अक्षम होने, वायरल या जहरीले तत्वों, गैसों का फैलना और उससे होने वाले जोखिम शामिल किए गए हैं।
एपिडेमिक यानी महामारी के दौरान राइट टू हेल्थ प्रदेश के लोगों के स्वास्थ्य को इलाज का सुरक्षा कवच देगा।
मेडिकल एंड हेल्थ के किसी भी मेथड (पद्धति) में रिप्रोडक्टिव हेल्थ, इमरजेंसी मेडिकल ट्रीटमेंट, डायग्नोसिस, नर्सिंग, रिहेबिलिटेशन, हेल्थ रिकवरी, रिसर्च, जांच, उपचार, प्रोसीजर्स और अन्य सर्विसेज इसमें शामिल हैं।
सभी तरह के गवर्नमेंट और प्राइवेट इंस्टीट्यूट, फैसिलिटी, बिल्डिंग, जगह या उसका पार्ट इसमें शामिल हैं।
इनडोर, आउटडोर यूनिट्स, सरकारी या प्राइवेट स्वामित्व से चलाए जा रहे संस्थान, फंडेड और कंट्रोल्ड इंस्टीट्यूट्स इसमें शामिल होंगे।
हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर में हेल्थ साइंस डॉक्टर्स, नर्स, पैरा मेडिकल स्टाफ, सोशल वर्कर्स, स्पेशियलाइज्ड हेल्थ प्रोवाइडर, नर्सिंग, रिहैब, हेल्थ रिकवरी, ट्रीटमेंट और दूसरी स्वास्थ्य सेवाएं शामिल हैं।
लॉ, पॉलिसी, प्रोग्राम, प्रोजेक्ट, टेक्नोलॉजी, नुकसान पहुंचाने वाली एक्टिविटीज की पहचान करने, प्रीडिक्शन करने, एनालिसिस और इवेल्यूएशन (मूल्यांकन) करना, संभावित प्रभावों को कम करने के लिए प्रोसीजर, मेथड्स और साधनों का कॉर्डिनेशन इसमें शामिल रहेगा।
इलाज के खर्चे, जोखिम, फायदों, विकल्पों को भी इसमें शामिल किया गया है।
राइट टू हेल्थ में लोगों को मिलेंगी ये सुविधाएं

राइट टू हेल्थ में राजस्थान के हर व्यक्ति को बीमारी का डायग्नोसिस, जांच, इलाज, भावी रिजल्ट और संभावित जटिलताओं और एक्सपेक्टेड खर्चों के बारे में अच्छी तरह जानकारी मिल सकेगी।
एक्ट के तहत बनाए गए रूल्स के जरिए आउट डोर पेशेंट्स (OPD), इनडोर भर्ती पेशेंट्स, डॉक्टर को दिखाना और परामर्श, दवाइयां, डायग्नोसिस, इमरजेंसी ट्रांसपोर्टेशन यानी एम्बुलेंस सुविधा, प्रोसीजर और सर्विसेज, इमरजेंसी ट्रीटमेंट मिलेगा।
मरीज को बीमारी की नेचर, कारण, वास्तविक जांच, केयर, इलाज और रिजल्ट, सम्भावित जटिलताओं और एक्सपेक्टेड खर्चों के बारे में पूरी जानकारी मिल सकेगी।
मरीजों को सभी पब्लिक हेल्थ इंस्टीट्यूट्स की ओर से उनके मेडिकल केयर लेवल के अनुसार फ्री ट्रीटमेंट दिया जाएगा।
फीस या चार्ज के एडवांस पेमेंट के बिना इमरजेंसी कंडीशन के दौरान बिना देरी किए प्राइवेट सर्विस प्रोवाइडर जरूरी इमरजेंसी ट्रीटमेंट फैसिलिटी और इंटेंसिव केयर, इमरजेंसी डिलीवरी और ट्रीटमेंट देंगे।
कोई मेडिको-लीगल मामला है, तो हेल्थ केयर प्रोवाइ़डर केवल पुलिस की एनओसी या पुलिस रिपोर्ट मिलने के आधार पर इलाज में देरी नहीं करेगा।
मरीज को डॉक्यूमेंट, जांच रिपोर्ट, इलाज के डिटेल और पार्टिकुलर वाइज बिलों तक पहुंच होगी।
सर्जरी, कीमोथैरेपी की पहले से ही सूचना देकर मरीज या उसके परिजनों से सहमति लेनी होगी।
इलाज के दौरान सीक्रेसी, मानव गरिमा और गोपनीयता का ख्याल रखा जाएगा।
किसी मेल वर्कर की ओर से महिला पेशेंट के फिजिकल टेस्ट के दौरान महिला की उपस्थिति जरूरी होगी।
उपलब्ध ऑप्शनल ट्रीटमेंट मेथड का सलेक्शन मरीज कर सकेगा।
हर तरह की सर्विस और फैसिलिटी की रेट और टैक्स के बारे में सूचना पाने का हक मिलेगा।
ट्रीटमेंट के दौरान दवा लेने और जांच के सोर्सेस का सलेक्शन किया जा सकेगा।
हेल्थ की कंडीशन के बारे में मरीज को एजुकेट किया जाएगा।
सभी गवर्नमेंट और प्राइवेट मेडिकल इंस्टीट्यूट से रेफरल ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा मिलेगी।
डॉक्टर की सलाह के खिलाफ जाकर हॉस्पिटल या ट्रीटमेंट सेंटर छोड़ने वाले मरीज के मामले में इलाज का ब्योरा प्राप्त किया जा सकेगा।
रोड एक्सीडेंट्स में फ्री ट्रांसपोर्टेशन, फ्री ट्रीटमेंट औरर फ्री इंश्योरेंस कवर इस्तेमाल होगा।
सेकेंड ओपिनियन लेने के लिए पहले से ट्रीटमेंट करने वाले हेल्थ प्रोवाइडर से ट्रीटमेंट डिटेल और इन्फॉर्मेशन लेने का अधिकार मिलेगा।
राजस्थान सरकार बाउंड होगी कि राइट टू हेल्थ के लिए बजट में उचित प्रोविजन करे।
सरकार ट्रीटमेंट क्वालिटी और सेफ्टी मेजरमेंट्स और नॉर्म्स शामिल करेगी।
गारंटीड सर्विसेज से कोई भी डायरेक्ट या इनडायरेक्ट तौर पर इनकार नहीं किया जा सकेगा।
पोषण (न्यूट्रिशियन) के लिए पर्याप्त और सुरक्षित खाना देने, सेफ पीने के पानी की व्यवस्था, हाईजीन के लिए सरकारी डिपार्टमेंट्स के बीच कॉर्डिनेशन किया जाएगा।
शिकायत निवारण सिस्टम डेवलप होगा

एक्ट शुरू होने की तारीख से 6 महीने के अंदर सरकार कम्प्लेंट रिड्रेसल सिस्टम क्रिएट करेगी।
वेब पोर्टल, सहायता केंद्र शिकायतों को 24 घंटे के अंदर संबंधित अधिकारी या ऑब्जर्वर को भेजेगा।
संबंधित अधिकारी अगले 24 घंटे के अंदर शिकायत करने वाले को जवाब देगा।
अगर 24 घंटे में शिकायत का सॉल्यूशन अधिकारी नहीं करता है तो वह शिकायत डिस्ट्रिक्ट हेल्थ अथॉरिटी को तुरंत फॉरवर्ड की जाएगी।
डिस्ट्रिक्ट हेल्थ अथॉरिटी शिकायत मिलने के 30 दिन में उचित कार्रवाई करेगी और उसकी रिपोर्ट वेब पोर्टल पर अपलोड करेगी। शिकायतकर्ता को भी सूचना दी जाएगी। शिकायतकर्ता को बुलाकर सॉल्यूशन की कोशिश भी की जाएगी।
डिस्ट्रिक्ट हेल्थ अथॉरिटी की ओर से 30 दिन में सॉल्यूशन नहीं होने पर शिकायत को स्टेट हेल्थ अथॉरिटी को फॉरवर्ड किया जाएगा।
स्टेट हेल्थ अथॉरिटी, हर जिले में डिस्ट्रिक्ट हेल्थ अथॉरिटी बनेगी
राजस्थान में स्टेट हेल्थ अथॉरिटी बनेगी। जिसमें जॉइंट सेक्रेटरी या उससे ऊपर रैंक का आईएएस अधिकारी अध्यक्ष होगा। हेल्थ डायरेक्टर मेंबर सेक्रेटरी होंगे। जबकि मेडिकल एजुकेशन कमिश्नर, राजस्थान स्टेट हेल्थ इंश्योरेंस एजेंसी के जॉइंट सीईओ, आयुर्वेद डायरेक्टर, होम्योपैथी डायरेक्टर, यूनानी डायरेक्टर सदस्य होंगे।

सरकार की ओर से नॉमिनेटेड दो लोग जिन्हें पब्लिक हेल्थ और हॉस्पिटल मैनेजमेंट की नॉलेज हो, वह मेंबर होंगे। पदेन सदस्य के अलावा सभी मेंबर्स की नियुक्ति 3 साल के लिए होगी। 6 महीने में कम से कम एक बार हेल्थ अथॉरिटी की बैठक होगी। साल में 2 बार बैठक करनी होगी।

राजस्थान के सभी जिलों में डिस्ट्रिक्ट हेल्थ अथॉरिटी भी बनाई जाएगी। स्टेट हेल्थ अथॉरिटी बनने की तारीख से 1 महीने के अंदर डिस्ट्रिक्ट हेल्थ अथॉरिटी की ऑटोनॉमस बॉडी बनाई जाएगी। इसमें जिला कलेक्टर पदेन अध्यक्ष होगा। जिला परिषद सीईओ पदेन सह अध्यक्ष होगा।

डिप्टी सीएमएचओ पदेन सदस्य, जिला आयुर्वेद अधिकारी और पीएचईडी के एसई पदेन सदस्य होंगे। राज्य सरकार करी ओर से नॉमिनेटेड दो मेंबर सदस्य होंगे। जिला परिषद का प्रमुख इसका सदस्य होगा। साथ ही पंचायत समितियों के 3 प्रधान सदस्य होंगे। पदेन मेंबर्स के अलावा सभी सदस्यों की नियुक्ति 3 महीने के लिए होगी।

22/03/2023

गंगापुर में जोड़ने की बात निराधार ,यदि ऐसा हुआ तो होगा आंदोलन। सरपंच हो रहे लामबंद।

टोडाभीम उपखंड क्षेत्र के सरपंचों ने एकजुट होकर टोडाभीम तहसील को करौली में यथावत रखने पर जोर दिया और कहा कि यदि टोडाभीम को नवसृजित गंगापुर जिले में जोड़ने का प्रयास किया गया तो हम एक आंदोलन करेंगे यदि आंदोलन के दौरान किसी प्रकार की कोई समस्या होती है तो सरकार की स्वयं की जिम्मेदारी होगी इस दौरान कई ग्राम पंचायतों के सरपंच मौजूद रहे। अब देखना यह होगा कि सरपंच तथा क्षेत्र की आमजनता इस मामले को गंभीरता से लेती है या नहीं।
आपकी जानकारी के लिए अवगत करा दें कि सन 1997 में करौली जिले का दर्जा दिया गया करौली जिले के दर्जे के समय टोडाभीम तहसील करौली में रखी गई थी आपको पूर्व के बारे में भी अवगत करा दें कि इससे पूर्व करौली जिले को सवाई माधोपुर में रखा गया जो कि काफी दूर पड़ता था। करौली जिले की टोडाभीम तहसील जिले की नजदीकी तहसीलों में गिनती होती है तथा टोडाभीम तहसील वासियों को गंगापुर जिले में जाने के लिए काफी दूरी भी पड़ती है तथा अनावश्यक दस्तावेजों में बच्चों से लेकर बुजुर्गों को फेरबदल करने की आवश्यकता पड़ेगी इसलिए क्षेत्र के ग्रामीणों की आवाज है की टोडाभीम तहसील को करौली जिले में यथावत रखा जाए जिससे ग्रामीणों को किसी प्रकार की कोई समस्या उत्पन्न ना हो।
कंजौली ,जगदीशपुरा, कुढावल, मूंडिया, महमदपुर, सिंघनिया तथा अन्य कई ग्राम पंचायतों के सरपंचों ने मुख्यमंत्री के नाम लेटर पैड जारी किया है और सरपंचों का यह भी कहना है कि यदि किसी कारणवश गंगापुर जिले में जोड़ने का प्रयास किया गया तो हम आंदोलन करने पर मजबूर होंगे।

गाँव सलारपुर जिला गगापुर सिटी  फसल खराब होने पर दुखी होते हुए किसान
22/03/2023

गाँव सलारपुर जिला गगापुर सिटी फसल खराब होने पर दुखी होते हुए किसान

22/03/2023

नए जिलों एवं संभागों की घोषणा के अगले दिन ही इनके नाम याद कर सुनाते कक्षा 4 के विद्यार्थी अर्जुन गाडरी का वीडियो वायरल हुआ था।

आज वीडियो कॉल के माध्यम से इस प्यारे बच्चे से बात कर आशीर्वाद दिया।

शोक-संदेशअत्यन्त दुःख के साथ सूचित किया जाता है कि अर्जुनसिंह मीना की पूज्यनीय माताजी एवं स्व. श्री श्रीफूल जी मीना की ध...
21/03/2023

शोक-संदेश

अत्यन्त दुःख के साथ सूचित किया जाता है कि अर्जुनसिंह मीना की पूज्यनीय माताजी एवं स्व. श्री श्रीफूल जी मीना की धर्मपत्नी श्रीमती रामधनी देवी का स्वर्गवास दिनांक 20/03/2023 सोमवार को हो गया है। जिनके तीये की बैठक दिनांक 22/03/2023 को निज निवास जाहिरा मे रखी गई है

Address

Bamanwas

Telephone

+918302262650

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Sawai Madhopur News 24×7 posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to Sawai Madhopur News 24×7:

Share