21/05/2025
सब तुम्हारी ज़िम्मेदारी , याद रखना
धूप , बारिश और क्यारी , याद रखना
आसमां पंछी को कुछ आगाह कर दे
ताक में बैठे शिकारी, याद रखना
छूट जाए आधुनिकता में नहीं वो
सभ्यता की बात सारी , याद रखना
औपचारिक दोस्तों की भीड़ मे तुम
'जा ,बे,जा 'वाली ये यारी,याद रखना
इक तरफ़ दुनिया -जहाँ के हैं समंदर
इक तरफ़ वो अश्क भारी,याद रखना
सूरतों के बीच यूं आला है सूरत
हमने है सीरत संवारी,याद रखना