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मां दुर्गा: शक्ति, साहस और संरक्षण की दिव्य प्रतीकमां दुर्गा हिंदू धर्म की वह दिव्य शक्ति हैं, जिन्हें अधर्म, अन्याय और ...
18/12/2025

मां दुर्गा: शक्ति, साहस और संरक्षण की दिव्य प्रतीक

मां दुर्गा हिंदू धर्म की वह दिव्य शक्ति हैं, जिन्हें अधर्म, अन्याय और अहंकार के विनाश का प्रतीक माना जाता है। वे केवल देवी नहीं, बल्कि सृष्टि को संतुलन देने वाली शक्ति का स्वरूप हैं। जब-जब संसार में असुरता बढ़ी, तब-तब मां दुर्गा ने अवतार लेकर धर्म की रक्षा की। मां दुर्गा का स्वरूप अत्यंत दिव्य और प्रेरणादायक है। उनके आठ या दस भुजाएं होती हैं, जिनमें वे विभिन्न अस्त्र-शस्त्र धारण करती हैं। प्रत्येक अस्त्र किसी न किसी शक्ति, गुण और संदेश का प्रतीक है। सिंह पर सवार मां दुर्गा यह दर्शाती हैं कि साहस और विवेक के साथ जीवन की हर चुनौती पर विजय पाई जा सकती है।

उनका नाम ही बताता है कि वे “दुर्ग” यानी कठिन से कठिन परिस्थिति से पार लगाने वाली शक्ति हैं। मां दुर्गा का सबसे प्रसिद्ध स्वरूप महिषासुर मर्दिनी का है। महिषासुर अहंकार, अत्याचार और अज्ञान का प्रतीक था। देवताओं की प्रार्थना पर मां दुर्गा ने उसका संहार कर यह संदेश दिया कि शक्ति जब धर्म के साथ होती है, तो कोई भी अन्याय टिक नहीं सकता। यह कथा केवल पौराणिक नहीं, बल्कि जीवन का संदेश है कि अहंकार चाहे कितना भी बड़ा हो, अंततः उसका अंत निश्चित है।

नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना के लिए समर्पित होते हैं। शैलपुत्री से लेकर सिद्धिदात्री तक, हर स्वरूप जीवन के एक विशेष गुण का प्रतिनिधित्व करता है। इन दिनों संयम, साधना और आत्मशुद्धि पर विशेष बल दिया जाता है। नवरात्रि हमें सिखाती है कि बाहरी शक्ति के साथ-साथ आंतरिक शक्ति का जागरण भी आवश्यक है।

मां दुर्गा नारी शक्ति की सबसे सशक्त प्रतीक हैं। वे यह दर्शाती हैं कि नारी केवल करुणा ही नहीं, बल्कि आवश्यकता पड़ने पर संघर्ष और संरक्षण की शक्ति भी रखती है। आज के समाज में मां दुर्गा का संदेश और अधिक प्रासंगिक हो जाता है, जहां नारी सम्मान और आत्मनिर्भरता सबसे बड़ा विषय है।

मां दुर्गा श्रद्धा, शक्ति और संकल्प का संगम हैं। वे हमें यह विश्वास दिलाती हैं कि चाहे संकट कितना भी बड़ा क्यों न हो, यदि आत्मा में साहस और मन में धर्म हो, तो विजय निश्चित है। मां दुर्गा का आशीर्वाद जीवन को भयमुक्त, संतुलित और ऊर्जावान बनाता है।

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18/12/2025

ओवरलोडेड वाहनों से परेशान गढ़ी बीरबल के ग्रामीणों ने हाईवे नंबर 7 पर जाम लगा दिया। प्रशासन को तीन दिन का अल्टीमेटम देकर चेतावनी दी गई है।

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#हरियाणा

भगवान विष्णु: सृष्टि के पालनहार और धर्म के रक्षकभगवान विष्णु को हिंदू धर्म में पालनकर्ता माना गया है। ब्रह्मा सृष्टि के ...
17/12/2025

भगवान विष्णु: सृष्टि के पालनहार और धर्म के रक्षक

भगवान विष्णु को हिंदू धर्म में पालनकर्ता माना गया है। ब्रह्मा सृष्टि के रचयिता हैं और शिव संहारक, वहीं विष्णु इस जगत की व्यवस्था, संतुलन और संरक्षण का कार्य करते हैं। जब-जब धरती पर अधर्म बढ़ा, तब-तब भगवान विष्णु ने अवतार लेकर धर्म की स्थापना की।

भगवान विष्णु का स्वरूप अत्यंत शांत और करुणामय है। वे क्षीरसागर में शेषनाग पर योगनिद्रा में विराजमान रहते हैं। यह अवस्था बताती है कि सृष्टि का संचालन केवल कर्म से नहीं, बल्कि गहन संतुलन और धैर्य से होता है। उनके नाभि कमल से ब्रह्मा का प्रकट होना सृष्टि की उत्पत्ति का प्रतीक है।

भगवान विष्णु केवल एक देवता नहीं, बल्कि धर्म, करुणा और संतुलन का शाश्वत सिद्धांत हैं। उनकी आराधना से मनुष्य अपने जीवन को सही मार्ग पर ले जा सकता है और सच्चे अर्थों में मानवता का पालन कर सकता है।

भगवान विष्णु की चार भुजाएँ चार दिशाओं और चार जीवन मूल्यों का प्रतिनिधित्व करती हैं। शंख धर्म की पुकार है। चक्र अन्याय के विनाश का प्रतीक है।
गदा शक्ति और न्याय को दर्शाती है। कमल पवित्रता और आध्यात्मिक चेतना का संकेत है। इन आयुधों के साथ विष्णु समस्त ब्रह्मांड की रक्षा करते हैं।

भगवान विष्णु ने अधर्म के नाश और भक्तों की रक्षा के लिए दस अवतार लिए—मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि। हर अवतार यह सिखाता है कि परिस्थितियाँ चाहे जैसी हों, धर्म की राह कभी नहीं छोड़नी चाहिए।

लक्ष्मीपति विष्णु और भक्तवत्सलता
माता लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु का स्वरूप यह दर्शाता है कि धन तभी कल्याणकारी होता है जब वह धर्म से जुड़ा हो। विष्णु अपने भक्तों के प्रति अत्यंत कृपालु हैं। प्रह्लाद, ध्रुव और गजेंद्र जैसे भक्तों की कथाएँ उनकी भक्तवत्सलता का जीवंत प्रमाण हैं।

विष्णु भक्ति का आध्यात्मिक महत्व
भगवान विष्णु की भक्ति मन को शांति, जीवन को मर्यादा और कर्म को दिशा देती है। “ॐ नमो नारायणाय” का जाप भय, तनाव और नकारात्मकता को दूर करता है। विष्णु भक्ति से जीवन में स्थिरता, विवेक और संतुलन आता है।

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भगवान गणेश: विघ्नहर्ता, बुद्धि और शुभता के प्रतीकभगवान गणेश को हिंदू धर्म में प्रथम पूज्य देव माना गया है। किसी भी शुभ क...
16/12/2025

भगवान गणेश: विघ्नहर्ता, बुद्धि और शुभता के प्रतीक

भगवान गणेश को हिंदू धर्म में प्रथम पूज्य देव माना गया है। किसी भी शुभ कार्य, पूजा, विवाह या नए आरंभ से पहले गणपति का स्मरण किया जाता है। मान्यता है कि उनके आशीर्वाद से सभी बाधाएं दूर होती हैं और कार्य निर्विघ्न पूर्ण होता है।

गणेश का स्वरूप और उसका अर्थ
भगवान गणेश का स्वरूप अपने आप में गहरा संदेश देता है। उनका बड़ा सिर ज्ञान और विवेक का प्रतीक है। बड़े कान यह सिखाते हैं कि हमें अधिक सुनना और कम बोलना चाहिए। छोटी आंखें एकाग्रता का संकेत देती हैं। सूंड जीवन की जटिलताओं को सरलता से संभालने की क्षमता को दर्शाती है।

मूषक वाहन का महत्व
गणेश जी का वाहन मूषक यानी चूहा है। यह अहंकार, चंचलता और इच्छाओं का प्रतीक माना जाता है। गणेश जी का उस पर विराजमान होना बताता है कि जिसने अपनी इच्छाओं और अहंकार पर नियंत्रण पा लिया, वही सच्ची सफलता प्राप्त करता है।

बुद्धि और विवेक के देवता
भगवान गणेश को बुद्धि, विवेक और ज्ञान का देवता माना जाता है। विद्यार्थी, व्यापारी और विद्वान विशेष रूप से उनकी आराधना करते हैं। मान्यता है कि गणेश की कृपा से निर्णय क्षमता मजबूत होती है और जीवन में सही मार्ग का चुनाव आसान होता है।

विघ्नहर्ता का स्वरूप
गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है, यानी जो जीवन की बाधाओं को दूर करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सच्चे मन से गणेश का स्मरण करने से संकट टल जाते हैं और नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव समाप्त हो जाता है।

गणेश चतुर्थी का धार्मिक महत्व
गणेश चतुर्थी भगवान गणेश का सबसे प्रमुख पर्व है। इस दिन घर-घर गणपति की स्थापना की जाती है और दस दिनों तक विधिवत पूजा-अर्चना होती है। यह पर्व भक्ति, अनुशासन और सामाजिक एकता का संदेश देता है।

जीवन के लिए संदेश
भगवान गणेश का जीवन दर्शन सिखाता है कि धैर्य, बुद्धि और विनम्रता से हर समस्या का समाधान संभव है। वे हमें यह भी सिखाते हैं कि सफलता के लिए ज्ञान के साथ-साथ विनय और संतुलन जरूरी है।

निष्कर्ष
भगवान गणेश केवल एक देवता नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला का प्रतीक हैं। उनका स्मरण मन को शांति देता है, आत्मविश्वास बढ़ाता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। गणपति की कृपा से हर आरंभ शुभ और सफल होता है।

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