24/10/2024
क्यों टूथपेस्ट ब्रांड्स अपने उत्पादों में छिपी जानवरों से बनी सामग्री का खुलासा नहीं करते?
आज के बाजार में, उपभोक्ता अपने व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों में शामिल सामग्री के प्रति अधिक जागरूक हो रहे हैं, चाहे वह नैतिक, धार्मिक, या स्वास्थ्य कारणों से हो। टूथपेस्ट इसका अपवाद नहीं है, जहां ब्रांड अक्सर नमक, लौंग और चारकोल जैसी सामग्री का प्रचार करते हैं। हालांकि, जब हम कोलगेट, पेप्सोडेंट जैसी लोकप्रिय टूथपेस्ट की संरचना पर गहराई से नजर डालते हैं, तो एक चिंताजनक बात सामने आती है: ग्लिसरीन और रंगों जैसी जानवरों से बनी सामग्री की उपस्थिति, जिनका खुलासा उपभोक्ताओं से अक्सर नहीं किया जाता है।
ग्लिसरीन क्या है और यह कहां से आता है?
ग्लिसरीन एक सामान्य तत्व है जो टूथपेस्ट में उपयोग किया जाता है ताकि पेस्ट सूखे नहीं। अधिकांश लोग नहीं जानते कि ग्लिसरीन दोनों, पौधों और जानवरों से प्राप्त हो सकता है। जब यह जानवरों से प्राप्त होता है, तो इसे अक्सर गाय या सुअर की चर्बी से निकाला जाता है। यह शाकाहारियों, शाकाहनियों, और उन लोगों के लिए एक बड़ी चिंता है जो धार्मिक आहार नियमों (जैसे हलाल और कोषेर) का पालन करते हैं, फिर भी अधिकांश टूथपेस्ट ब्रांड अपने ग्लिसरीन की उत्पत्ति को स्पष्ट रूप से लेबल नहीं करते।
ये सामग्री क्यों नहीं बताई जाती?
जबकि ब्रांड नमक, लौंग, या चारकोल जैसी लोकप्रिय और लाभदायक सामग्री के बारे में बताते हैं, वे जानवरों से बनी विवादास्पद सामग्री की उपस्थिति को शायद ही कभी उजागर करते हैं। यह कई सवाल उठाता है:
क्या उन्हें उपभोक्ताओं की प्रतिक्रिया का डर है?
क्या वे मानते हैं कि उपभोक्ताओं को परवाह नहीं है या वे ध्यान नहीं देंगे?
क्या वे इसे उजागर करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य नहीं हैं?
कई उपभोक्ता शायद कुछ टूथपेस्ट से बचते अगर उन्हें पता होता कि उसमें जानवरों की चर्बी या उप-उत्पादों का उपयोग किया गया है, लेकिन स्पष्ट लेबलिंग की कमी के कारण वे अनजान रह जाते हैं।
रंग एजेंट: एक और छिपी हुई सामग्री
एक और सामग्री जो जानवरों से प्राप्त हो सकती है वह है रंग एजेंट। कुछ टूथपेस्ट ब्रांड कारमाइन का उपयोग करते हैं, जो कुचले हुए कोचीनियल कीड़ों से बनता है। हालांकि सिंथेटिक रंग अब अधिक सामान्य हो गए हैं, फिर भी इस बारे में स्पष्टता की कमी है कि कौन से उत्पाद जानवरों से मुक्त रंग एजेंटों का उपयोग कर रहे हैं।
धार्मिक और नैतिक चिंताएं
उन लोगों के लिए जो हलाल या कोषेर आहार नियमों का पालन करते हैं, साथ ही शाकाहारी और शाकाहनियों के लिए, यह पारदर्शिता की कमी परेशान करने वाली है। जानवरों से बनी सामग्री का सेवन न करना उनके विश्वासों का एक प्रमुख हिस्सा है, फिर भी वे अनजाने में ऐसे टूथपेस्ट का उपयोग कर सकते हैं जिसमें जानवरों से बनी सामग्री होती है।
कई धार्मिक मार्गदर्शिकाएं केवल भोजन तक सीमित नहीं होतीं, बल्कि टूथपेस्ट, साबुन और कॉस्मेटिक उत्पादों को भी कवर करती हैं। इसलिए, यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है कि कंपनियां यह खुलासा करें कि उनके उत्पाद जानवरों से बनी सामग्री से मुक्त हैं या नहीं, ताकि उपभोक्ता सूचित निर्णय ले सकें।
यह चुप्पी क्यों?
कई कारण हो सकते हैं कि बड़े ब्रांड जैसे कोलगेट और पेप्सोडेंट अपने उत्पादों में ग्लिसरीन जैसी सामग्री की उत्पत्ति का खुलासा क्यों नहीं करते:
उपभोक्ता धारणा: यदि उपभोक्ताओं को पता चलता कि जानवरों से प्राप्त सामग्री का उपयोग किया गया है, तो उनमें से कई शायद वैकल्पिक उत्पादों का चयन करेंगे।
लागत और जटिलता: शाकाहारी, हलाल, या कोषेर प्रमाणन प्राप्त करना महंगा हो सकता है और इसके लिए कठोर निरीक्षण की आवश्यकता होती है, इसलिए कुछ कंपनियां इस पारदर्शिता से बचती हैं।
विनियमन की कमी: गैर-खाद्य वस्तुओं जैसे टूथपेस्ट के लेबलिंग पर नियम अक्सर कम सख्त होते हैं। कंपनियों को तब तक विशिष्ट करने की आवश्यकता नहीं होती जब तक वे किसी विशेष दावे (जैसे, शाकाहारी) नहीं कर रही हों।
जवाबदेही की मांग करें
अब समय आ गया है कि उपभोक्ता कठिन सवाल पूछें। टूथपेस्ट ब्रांड्स को अपने उत्पादों में सामग्री की उत्पत्ति के बारे में पारदर्शी होना चाहिए, विशेष रूप से जब जानवरों से बनी सामग्री शामिल हो। लोगों को यह जानने का अधिकार है कि वे अपने मूल्यों के खिलाफ उत्पादों का उपयोग कर रहे हैं या नहीं।
क्या किया जा सकता है?
हम उपभोक्ताओं के रूप में निम्नलिखित कर सकते हैं:
1. सवाल पूछें: सीधे टूथपेस्ट कंपनियों से संपर्क करें और ग्लिसरीन और रंग एजेंटों जैसी सामग्रियों की उत्पत्ति के बारे में पारदर्शिता की मांग करें।
2. प्रमाणन देखें: उन ब्रांड्स का समर्थन करें जो स्वेच्छा से अपने उत्पादों को शाकाहारी, शाकाहारी, या हलाल/कोषेर के रूप में लेबल करते हैं।
3. जागरूकता फैलाएं: इस मुद्दे को उन अन्य लोगों के साथ साझा करें, जो इस बात से अनजान हो सकते हैं कि उनके टूथपेस्ट में छिपी हुई जानवरों से बनी सामग्री हो सकती है।
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यह लेख उपभोक्ताओं को टूथपेस्ट में जानवरों से बनी सामग्रियों के बारे में सवाल उठाने और कंपनियों से पारदर्शिता की मांग करने के लिए प्रेरित करेगा। अगर इसे प्रकाशित या वितरित किया जाता है, तो यह एक महत्वपूर्ण चर्चा को जन्म दे सकता है कि रोज़मर्रा के उत्पादों में ज्यादा पारदर्शिता क्यों नहीं है।