23/07/2025
उपराष्ट्रपति का पद भारतीय लोकतंत्र का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण संवैधानिक पद है। जब जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, तो अब यह विचार करना आवश्यक हो गया है कि अगला उपराष्ट्रपति कौन होना चाहिए। उपराष्ट्रपति का चयन केवल राजनीतिक योग्यता के आधार पर नहीं होना चाहिए, बल्कि उसमें राष्ट्रभक्ति, निष्पक्षता और सार्वजनिक जीवन में उत्कृष्ट आचरण जैसी विशेषताएं भी जरूरी हैं। वर्तमान समय में देश को ऐसे व्यक्तित्व की आवश्यकता है, जो विभिन्न समुदायों, संस्कृतियों और विचारधाराओं के बीच पुल का कार्य कर सके।
देश में अनेक ऐसे सशक्त नेता एवं बुद्धिजीवी हैं, जो इस पद के योग्य माने जा सकते हैं। हालांकि विभिन्न राजनीतिक दल अपने-अपने पसंदीदा उम्मीदवार का समर्थन कर सकते हैं, लेकिन सबसे अधिक उपयुक्त वही व्यक्ति होगा, जिसे सभी वर्गों का सम्मान प्राप्त हो। उपराष्ट्रपति का महत्वपूर्ण दायित्व राज्यसभा के सभापति का भी होता है, इसलिए उसमें सद्भाव, संवाद कौशल और नेतृत्व क्षमता का होना अतिआवश्यक है। साथ ही, उसे संविधान की गरिमा और मर्यादा का पालन करने वाला भी होना चाहिए।
भारत एक विशाल और विविधताओं वाला देश है। ऐसे में उपराष्ट्रपति का यह दायित्व भी बनता है कि वह हर तबके के साथ संवाद बनाए रखे। उसे युवाओं की अपेक्षाओं, महिलाओं की सुरक्षा, किसानों की समस्याओं एवं समाज के पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए भी सजग रहना चाहिए। उपराष्ट्रपति के रूप में चुने जाने वाले व्यक्ति को न केवल राजनीतिक रूप से बल्कि नैतिक दृष्टि से भी उच्च होना चाहिए।
संविधान की रक्षा, लोकतंत्र की मजबूती और न्यायप्रियता जैसे मूल्यों को समझने एवं आत्मसात करने वाले व्यक्ति को ही मुख्य रूप से इस पद पर बैठना चाहिए। उपराष्ट्रपति देश के सामने आने वाली चुनौतियों का सामना करने में राष्ट्रपति का सहयोगी बनता है। उसे संकट की घड़ी में ठंडे दिमाग से सोचने और सही निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए। किसी भी तरह के दबाव में आए बिना सच्चाई और न्याय के पक्ष में खड़े रहना उपराष्ट्रपति का कर्तव्य है।
आजादी के 77 साल बाद, भारत ने दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है। उपराष्ट्रपति को इस छवि को और मजबूत करने के लिए सतत प्रयासरत रहना चाहिए। उसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का मान-सम्मान बढ़ाने का भी प्रयास करना चाहिए। सांप्रदायिक सौहार्द, सामाजिक न्याय एवं मानवीय मूल्यों को समर्पित व्यक्ति बतौर उपराष्ट्रपति देश का नेतृत्व करे, यही समय की पुकार है।
नए उपराष्ट्रपति के लिए राजनीतिक समर्पण के साथ-साथ शिक्षा, संस्कृति, विज्ञान एवं तकनीक जैसे क्षेत्रों में भी रुचि और जानकारी होनी चाहिए। उसे भारत की सांस्कृतिक विविधता, ऐतिहासिक विरासत और सामाजिक संरचना को समझने वाला होना चाहिए। उपराष्ट्रपति का व्यक्तित्व प्रेरणादायी होना चाहिए, जिससे समाज के सभी वर्गों का विश्वास कायम रह सके।
लोकतंत्र में सबसे बड़ा मूल्य है विश्वसनीयता और पारदर्शिता। अतः नए उपराष्ट्रपति के चयन में यही देखना चाहिए कि उसमें यह गुण विद्यमान है या नहीं। उपराष्ट्रपति का पद केवल सत्ता का नहीं, बल्कि सेवा भावना का प्रतीक है। उसे जनता, संसद और संविधान के प्रति अपनी पूरी निष्ठा रखनी चाहिए।
अंततः, मेरा मानना है कि देश के नए उपराष्ट्रपति के रूप में ऐसे व्यक्ति का चयन होना चाहिए, जो जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्र से ऊपर उठकर पूरे देश का सम्मान बढ़ाए। जो निष्पक्ष, निडर, और दूरदृष्टि से देश का मार्गदर्शन करे। यही सच्चे अर्थों में लोकतंत्र की विजय होगी और आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरणा मिलेगी।