Pratilipi Hindi

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     ''हाऐ अल्लाह इतना वक्त  हो गया। और सभी सोने में बीजी है।'' ये जो मोहतरमा जल्दी जल्दी ऊपर जा रही है।  वह है इस घर की...
26/07/2025


''हाऐ अल्लाह इतना वक्त हो गया। और सभी सोने में बीजी है।'' ये जो मोहतरमा जल्दी जल्दी ऊपर जा रही है। वह है इस घर की छोटी बहू
हमीदा

बेगम
'' खुदा का कुछ तो खोफ कीजिए
मजिद

सहाब
एक हफ्ते बाद आपकी बेटी की शादी है। इस कदर चैन की नींद गवारा नहीं आपको ......जरा तो खुदा का खोफ कीजिए। चले जल्दी उठें'' हमीदा बैगम उनकी चादर खिंचकर बोली। तो उन्हें उठना ही पडा ।आख़िर बीबी से कोन शख्स नहीं डरता।

''हमीदा बेगम आप इतनी परेशानी का बोझ अपने नाजुक कंधों पर क्यों डाल रही है!!?। जरा आराम कर लीजिए । और हमें भी करने दीजिए ।माजिद सहाब ने प्यार दिखाया।

'ना आराम करना है ना करवाना...!!हमीदा बेगम बहुत तेजी से सपाट लहजे में बोली। आपकी औलाद भी अभी तक चैन और सुकून से सो रही है। उनको भी उठाना है'' वह इतना कहकर कमरे से बाहर निकली और किसी से टकराई। ''देखकर चलो......हमीदा बैगम बिना देखे गुस्से से बोली। सामने वाली लेडी को देखकर वह सटपाटा गई। माफ कीजिए
जंहारा

बाजी
गलती हो गई। '' हकलाते हुए बोली।

जहारा बैगम ,हमीदा बैगम की जेठानी है ।याशिन मंजिल की बड़ी बहू इस घर में सबसे ज्यादा उनकी चलती है। इसी वजह से हमीदा बेगम उनसे चिढ़ती भी है। हमीदा बेगम चाहती थी। के उनको भी इस घर के फैसले लेने का पूरा हक मिले।बैसे उनका चिढ़न जाइज है। आखिर वह भी इस घर की बहू है‌!

''हमीदा चलो जरा तुमसे बात करनी है ।जहांरा बाजी के कहते ही उन्होंने हां में सर हिलाया।

''तभी किसी के चीखने की आवाज आई
''अम्मीईईईईईईईई अम्मीईईईईईईईई.........

ये तो
माहा
की आवाज है ।''हमीदा बेगम घबराकर बोली। माहा उनकी बड़ी बेटी है। जिसकी शादी की सारी तैयारियां जोरों शोरों से चल रही थी। हमीदा बेगम जल्दी से भागती हुई ।एक रूम में पहुंची। वहां आकर वह चोंककर रह गई।

अम्मी देखो ना'' एक लडकी पलटी वाल बल में बंधे हुए थे। आंखों में काजल चेहरे पर रौनक दुपट्टा संभालती वह पलटी और अपनी अम्मी के पास आई। ‌‌ ''अम्मी आप
माहिरा
को समझाएं ना ...वह मेरी शादी को लेकर चिड़ा रही है।' माहिरा उनकी छोटी बेटी है। जो वहुत शोतान है।

''माहिरा क्यों परेशान कर रही हो माहा को!!?।अम्मी की जगह ताई अम्मी( हजारा बैगम) ने ले ली थी। ओर सवाल किया।

''अरे बाप रे ताई अम्मी'' माहिरा बिना पलटे मन मे बोली। अभी तक उल्टी खड़ी थी।

माहिरा इधर देखो ...........ताई अम्मी ने जोर देते हुए कहा। महिरा धीरे-धीरे पलटी ग्रीन कलर का सलवार सूट पहने वह लड़की भी काफी अच्छी लग रही थी। ताई अम्मी ने जोर डाला तो वह पलटी थी।

त...त.........ताई अम्मी मैने कुछ नहीं कहा। महिरा अटक अटक कर बोली ।

हमने पूछा तुमने माहा से क्या कहा!!?।जहारा बैगम सख्त लहजे मे पूछ रही थी।

माहिरा ने एक नजर माहा पर डाली जो उसे चिढ़ाती नजरों से कह रही थी। अब तुम्हारी खैर नहीं .........!!

ताई अम्मी ने फिर पूछा । तो वह बताने लगी।", मैने कहा था आपकी शादी के बाद इस कमरे को कचरा बना दूंगी। बस यह कहा था। वह एक सांस में डरते हुए बोली।

''ताई अम्मी ने एक नजर उस पर डाली ओर बहुत जोर से कहकहा लगाकर हंस पड़ी ।उनको हंसता देख माहा और माहिरा हैरान थी। साथ में हामिदा बेगम भी हैरान थी।

''बस इतनी सी बात पर तुम चीखी थी। माहा तुमने तो डरा ही दिया था।'' वह हंसी रोकते हुए बोली।
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हेलो दोस्तों,ये कहानी है| {तेरे साथ रहकर मोहब्बत हो जाएगी }यह कहानी मेरी जिंदगी की पहली कहानी है|जब मुझे लिखना भी नही....

     ये कहानी है, दो बहनों की- आरोही और आराध्या,  जिन में सर्व शक्तिशाली दिव्य रतन की आधी -आधी शक्तियां थीं जिनका जन्म ह...
26/07/2025


ये कहानी है, दो बहनों की- आरोही और आराध्या, जिन में सर्व शक्तिशाली दिव्य रतन की आधी -आधी शक्तियां थीं जिनका जन्म हि रत्न की रक्षा करने के लिए हुआ था।

लेकिन एक अत्यंत शक्तिशाली बुरी शक्ति जिसकी मनसा दुनिया पर राज करना थी वो इस रत्न को हासिल करना चाहती थी वो आराध्या को अपने साथ ले जाती हैं पर उसे आरोही का पता नहीं चलता।

आरोही हिमाचल के एक कॉलेज में एडमिशन लेती हैं वहां पहले दिन ही आरोही का पंगा वहां के एक पॉवर फुल बिजनेसमैन के इकलौते बेटे विवान सिंघानिया से हो जाता हैं
जो कि बहुत ही बिगड़ैल और बतमीज लड़का है।

जो पूरे हिमाचल पर राज करता है वो चाहे तो किसी को भी दो सेकंड में कॉलेज से बाहर निकलवा सकता है।

आरोही को जब बाद में उसकी दोस्त बतातीं है कि उसका
पंगा विवान सिंघानिया से हुआ है तो वो थोड़ा घबरा जाती हैं।
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ये कहानी है, दो बहनों की- आरोही और आराध्या, जिन में सर्व शक्तिशाली दिव्य रतन की आधी -आधी शक्तियां थीं जिनका जन्म हि रत...

     हल्की धुंध भरी सुबह ओर बैंगलोर शहर में आसमान में सूरज निकलने की तैयारी में था।"पांच बजे थे लेकिन अभी भी अंधेरें ने ...
26/07/2025


हल्की धुंध भरी सुबह ओर बैंगलोर शहर में आसमान में सूरज निकलने की तैयारी में था।"पांच बजे थे लेकिन अभी भी अंधेरें ने उसे यूं जकड़ रखा था जैसे उसे अपनी बाहों में भर लिया है।"सर्दियों का समय था कोहरा छाया था। शहरवासी गहरी नींद में सो रहे थे लेकिन कोई था जिसकी आंख में नींद का कतरा तक नहीं था।वो अफसोस भरी सांसे छोड़ यूं बेचैन था जैसे यहां आना किसी जंग से कम नहीं था।

5:10 हुई और बादलों के पीछे से उसे चीरते हुए एक हेलीकॉप्टर उड़ता हुआ इंडिया की धरती पर लैंड हुआ कि उसकी तेज हवा से पत्ते और मिट्टी का बड़ा सा गुबार उठ।

हेलिकॉप्टर लैंड होते ही काले कपड़े पहने हुए एक साथ 10 बॉडीगार्ड प्लेन में से उतरे और चारों ओर फैल गए वो एक वीआईपी आदमी था।

प्लेन का दरवाजा खुला और उसमें से एक इंसान बाहर निकाल रॉब से चलता हुआ वह वहां से अपने जूते की टकटक करता हुआ पर्सनल पार्किंग के पास जाकर रुका।

उसकी आंखों में एक अलग ही सर्द भाव महसूस हो रहे थे चेहरे पर गुस्से की लालीमां सजा रखी थी। वो कृष दीवान था!.. उम्र तकरीबन 28 साल! गोरा रंग और लंबाई साढे पांच फ़ीट सीना चौड़ा ओर चपटा पेट तेज चाल ओर आत्मविश्वासी,उसकी बोड़ी किसी फिल्मी हीरो से कम नहीं थी।

5 मिनट उसे खड़े होते हुए बीते थे कि एक गाड़ी उसके पास आकर रुकी और कृष उसमें जाकर बैठ गया। अंदर जाते ही शीशे बंद कर दिए और ब्लैक फिल्म लगाकर आंखें बंद की कि जैसे अतीत में गोते लगाकर आ गया हो।

अतीत जिसे उसके सीने पर इतने घाव दिए थे कि ना कभी वह रो पाया और ना ही कभी हंस पाया! उसके सीने पर वह अतीत नासूर सा चुभ रहा था!

तकरीबन 2 घंटे बाद कार अपने गंतव्य स्थान पर पहुंच चुकी थी और सुबह भी खिल चूंकि थी।

उसे आंख बंद किया हुआ देखकर ड्राइवर की भी हिम्मत नहीं हुई कि उसे कह सके कि "सर मेंशन आ गया"वो खामोश रहा।

लेकिन अचानक से गाड़ी रुकने से कृष की नींद खुली उसने सामने देखा तो वाइट कलर में पुता हुआ एक मेंशन सामने दिखा। बाहर नेम प्लेट लगी थी "हैप्पी होम"जिसे देखते ही उसके चेहरे पर गुस्से की लकीरें उबर आई! फिर से कुछ ताज़ा हो गया।

बहुत ही आलीशान मेंशन था जिसे देखने से ही लग रहा था कि बनाने वाले ने बहुत ही दिल से बनाया हो। चारों ओर ग्रीनरी और दूर-दूर तक सिर्फ सन्नाटा था। चारों ओर गार्डन था बीच में एक बड़ा सा फाउंटेन था।

एक तरफ स्विमिंग पूल और सबसे अंत में वह बड़ा सा आलीशान मेंशन था जो वाइट और ब्राउन रंग में रंगा हुआ था बड़ी सी छत और लंबे-लंबे पिलर उसकी शोभा बड़ा रहे थे।लग रहा था कि वो कोई एकांत प्रिय इन्सान है।

गाड़ी में से उतरा और वह लंबे डाक भरता हुआ अंदर और जाने लगा मास्टर की से दरवाजा खोला और अंदर गया तो पूरा मेंशन डार्क रंग में रंगा हुआ था।

ग् यह मेंशन उसे इंसान की मां स्थिति अच्छी तरह से बयां कर रहा था उसकी जिंदगी भी कुछ ऐसे ही थी। ना पूरी सफेद ना पूरी काली बल्कि ग्रे शेड में बिखेर चुकी थी।

पिछे बहुत बड़ा गार्डन था लेकिन अजीब बात यह थी कि पूरे गार्डन में एक भी फूल नहीं था यह अपने आप में एक ताजुब की बातें की अगर फूल खिलेंगे तो होंगे ही लेकिन शायद इस व्यक्ति को फूल पसंद नहीं थे। इसलिए गार्डन में एक भी फूल नहीं था।

एक नजर पर नीचे देखने के बाद उसने अपने कदम ऊपर के एक कमरे की ओर मोड़ लिए लेकिन जैसे ही दरवाजा खोला उसके चेहरे पर शैतानी मुस्कान ने जगह ले ली। हाव-भाव परिवर्तन हो गए और आंखें सख्त!

बिस्तर के ऊपर कोई सो रहा था जिसे देखकर मन को ठंडक भी मिली और सीने में जलन भी हुई! जैसे उसका सोना या होना कुछ तो ग्वारा नहीं था!"धीरे-धीरे चलता उसके पास आया और उसके चेहरे को गौर से देखने लगा छोटी-छोटी सी मासूम आंखें जो इस वक्त गहरी नींद में भरी हुई थी!
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हल्की धुंध भरी सुबह ओर बैंगलोर शहर में आसमान में सूरज निकलने की तैयारी में था।"पांच बजे थे लेकिन अभी भी अंधेरें ने उ...

     एक लड़की जो हड़बड़ी में तैयार हो रही थी। वो अपने कमरे में इधर उधर हो रही थी जैसे कुछ खोज रही हो। तभी एक बूढ़ी औरत व...
26/07/2025


एक लड़की जो हड़बड़ी में तैयार हो रही थी। वो अपने कमरे में इधर उधर हो रही थी जैसे कुछ खोज रही हो। तभी एक बूढ़ी औरत वहाँ पर धीरे धीरे चलती हुई आती हैं। वो लड़की को इधर उधर होते हुए देख वो अपने सर पर हाथ रखते हुए बोलते हैं- इस लड़की का कुछ भी नहीं हो सकता है। जब देखो काम में लगी रहती है और जब अदालत में जाने का वक्त होता है तभी इसे सब कुछ खोजना होता है। थोड़ा पहले से तैयार होगी तो इन सबका झमेला ही नहीं रहेगा।

औरत ये सब अपने मन में बोल रही थी। इस बीच लड़की की नजर उनके ऊपर पड़ती है। वो उन्हें देखते हुए बोलती है- मम्मी आप यहाँ खड़े हो पर मुझे मेरी घड़ी खोज कर देने को नहीं हो रहा है।

औरत- क्यूं दूँ मैं? तू मेरी बात मानती है? हमेशा से मैं बोलती हूँ कि अदालत जाने के लिए थोड़ा पहले तैयार हो जा पर नहीं। तुझे तो एम वक्त पर हड़बड़ी में ही जाना होता है।

लड़की(औरत के गले लगते हुए)- मम्मी अगर तुम ऐसे बोलोगी तो मेरा क्या होगा? दुनिया कुछ भी करे मुझे फर्क नहीं पड़ता है पर तुम क्या कर रही हो क्या नहीं मुझे फर्क पड़ता है। अब तुम ऐसे रुठोगी तो मैं क्या करूँगी बताओ?

औरत- अब इतना मस्खा मत लगा। तेरा ये हमेशा का है। पहले गलती करेगी और फिर मुझे लाड़ दिखा कर पटा लेगी।

लड़की- ओहो मम्मी तुम भी ना। मैं तुम्हारे साथ ये नौटंकी नहीं करूँगी तो किसके साथ करूँगी? अब बता भी दो मेरी घड़ी कहाँ पर है?

औरत- कहाँ पर होगा क्या बाहर के बॉथरूम में होगा। तू घर आते साथ ही फ्रेश होने के लिए गयी होगी तो वहीं पर ही मिलेगा।

लड़की- अरे हाँ मम्मी सही कहा आपने। मुझे अभी याद आया। सच में पता नहीं मम्मी लोगों के पास ऐसी कौन सी शक्ति होती है कि उन्हें सब कुछ पता चल जाता है।

औरत- पता कैसे नहीं होगा। तू मेरी बेटी जो है। अब बातें छोड़ और खाना खा ले। मुझे पता है तू जल्दी जल्दी में खाना नहीं खायेगी और चली जायेगी। इसलिए मुझे खाना यहीं पर लेकर आना पड़ेगा।

लड़की- मम्मी अभी मुझे बहत देर हो चुकी है। मैं कोर्ट में ही कुछ खा लूँगी।

औरत- मेरे होते हुए तू बाहर का खाना खायेगी। बाहर का खाना कैसा होगा क्या पता। तू दो मिनट रूक और खाकर जा। तू नहीं खायेगी तो मुझे ठीक नहीं लगेगा। दिन भर मेरा दिमाग खराब होता रहेगा।

लड़की- मम्मी ऐसी कोई बात नहीं है। वहाँ पर अच्छा खाना मिलता है और अच्छे से खाना बनाया भी जाता है। एक दिन खाने से मुझे कुछ नहीं होगा। अब मैं चलती हूँ बाय।

औरत- प्रिया रूक तो बेटा। बस दो मिनट की बात है। प्रिया... प्रिया...

इस पुकार से एक लड़की नींद से जगती हुई चिल्ला कर मम्मी बोलती है। उसने अपने चारों तरफ देखा तो वो अपने बिस्तर पर थी। कमरे में एसी चल रहा था फिर भी वो पसीने से तर थी। वो अपने पास कुछ खोजने लगती है। दरअसल वो अपना फोन खोज रही थी। फोन में वक्त देखा तो सुबह के सात बज रहे थे। वो अपने आपसे बड़बड़ाते हुए बोलती है- ओह सात बज गये और मैं अब उठ रही हूँ। आज उस केस की पहली सुनवाई है। मुझे जल्द से अदालत में पहुँच कर केस के कागजात भी तैयार करने हैं। मेरा ये सपना रोज का हो गया है। आज भी वही सपना। इस सपने में मेरी मम्मी हैं तो मैं ये भी नहीं कह सकती कि ये सपना आना बंद हो जाए। सपना ही सही आखिर मैं उस पल को अपनी मम्मी के साथ तो जी पा रही हूँ। असलियत में वो कहाँ मेरे साथ हैं। (एक गहरी साँस लेते हुए)अब इन सबके बारे में सोचना छोड़ मुझे निकलना चाहिए।

प्रिया तुरंत बिस्तर से उठ कर फ्रेश होने के लिए जाती है। नहाने के बाद वो अपने लिए
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सूचना👉🏻 आज एक नयी कहानी शुरू करने जा रही हूँ। ये कहानी भी बिलकुल काल्पनिक है। इसे बस मनोरंजन के लिए लिखा गया है। अग....

     प्रथा अभी भी अपने बचपन की यादों में खोई  हुई थी कि उसका phone  बजने लगा ।       दूसरी ओर उसका अरबपति हसबैंड यशवर्धन...
26/07/2025


प्रथा अभी भी अपने बचपन की यादों में खोई हुई थी कि उसका phone बजने लगा ।

दूसरी ओर उसका अरबपति हसबैंड यशवर्धन था' ।

“हेलो !”

“ प्रथा , मुझे देर हो जा एगी ।”

“ठी क है।”

“7 बजे तक घर पहुँच जा ना ।”

“लेकि न...”

“क्या ?”

“मुझे एक friend से मि लना है, उसकी शा दी टूटी है और उसे सहारे की ज़रूरत हो गी "

“वो एक divorcei औरत है, ऐसे लोगों से तुम्हें संबंध नहीं रखना चा हि ए, ऐसे लो गों का

Life पर ख़राब असर पड़ता है।”

“ठी क!” प्रथा ने ठंडी साँ स ली ।

प्रथा एक meddle class family se belong करती थी ।



उसका शुरुआती जीवन अनुशासन में बीता था ।

उसके parents , दो नों ही नौकरी करते थे । वह अपने भाई-बहनों के साथ दादा दादी के संरक्षण में बड़ी हुई थी । बचपन से उसे ऐसा माहौल दिया गया था ,

जहाँ भावनाओं की अहमियत पैसे से कहीं ज़्यादा थी । उसका परिवार संपन्न था । लेकिन उन्हों नें यह सुनिश्चित किया था कि उनके बच्चे भौतिकता में में ख़ुशियाँ न ढूँढ़ ढूढ़े, बल्कि इंसानियत और रिश्तों की respect करें ।



प्रथा ट्रेनिं ग पर एक नई परि यो जना शुरू करने वा ली थी । उसका मन अतीत में ही उलझा हुआ था । यह पहली बार नहीं था जब उसे किसी से मिलने के लिए रोका गया हो ।

प्रथा की शादी को 5 साल हो चुके थे उसकी 2 प्यारी बेटियाँ थी । वो आज भी वों दिन याद
करती
है जब
उसने यश को अपने परिवार से मिलवाया था ।

"पापा ये "यश "है..."

"तुम यहाँ यश को लेकर आई हों बेटा तो जरूर कुछ बात होगी"

"Hello uncle"

"Hello Yesh तुम से मिलकर अच्छा लगा"

"प्रथा मुझें तुमसे अकेले में बात करनी है"

"जी पापा....."

"तुम उसे किसी Reason सें घर लेकर आई हो ना.."

"बोलों बेटा"

"पापा.."

"Sorry मुझे इसे घर लेकर आने से पहले आप सें बात करनी चाहिए थी"

"पापा Yash ने दीदी के लिए एक रिश्ता देखा है और वों शादी के लिए तैयार है"

"क्या पर Yash ये सब कुछ क्यूं कर रहा है.…"

"शायद पापा ये सचमुच मुझे चाहता है तभी हमारी help कर रहा है या कोई और Reason भी हो सकता है पर
अभी ये सब जरुरी नहीं पापा...."

"कैसे जरूरी नहीं ...ठीक है रिया मेरी बेटी हैं पर तुम भी तो मेरी बेटी हो.."

रिया प्रथा की बड़ी बहन है जो उससे उम्र में 5 साल बड़ी हैं पर सांवली होने के कारण उससे कोई शादी नहीं करना चाहता । अगर कोई लड़का शादी के लिए हाँ कर दे तो प्रथा को देखकर मन बदल लें । इसलिए रिया और प्रथा के रिश्ते में खटास आ गई थी । हालांकि रिया ये जानती थी कि इसमें प्रथा का कोई दोष नहीं है पर फिर भी वह अपने मन को शांत करने के लिए हर बुरी चीज़ जो उसके साथ होती उसका जिम्मेवार वह प्रथा को ठहराती.. और फिर खुद को कोसती अपनी छोटी बहन के साथ ऐसा दुर्व्यवहार करने के लिए। पर वह totally frustrate हो चुकी थी अपनी Life से ।

" जैसे मेरी उसके प्रति जिम्मेदारी है तुम्हारे प्रति भी तो है"

"मैं अपनी दोनों बेटियो की शादी उनकी मर्जी से धूम धाम से करूंगा"

"हाँ पापा पर..."

"क्या पापा पर भरोसा नहीं है ....."

"ऐसा कुछ नहीं है पापा मुझे आप पर हमेशा यकिन था और यकिन रहेगा"

"पर पापा जो रिश्ता आया है वो गौरव के घर से हैं और आप तो जानते हो कि गौरव और दी एक दूसरे को चाहते हैं
भले ही दी कुछ ना कहे पर हमें तो सच पता है ना..."

"मैम आपकी evening tea"

" इधर रख दो"
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प्रथा अपने बचपन की यादों में खोई हुई थी कि उसका phone 📱 बजने लगा । दूसरी ओर उसका अरबपति हसबैंड यशवर्धन था' । “हेलो !” “ प्....

     वह कुदाल से ज़ोर से मिट्टी खोद रहा था। धूप की किरणें खंडहरों के दरारों से अंदर घुस रही थीं जिसमे धूल के कण मानों ना...
26/07/2025


वह कुदाल से ज़ोर से मिट्टी खोद रहा था। धूप की किरणें खंडहरों के दरारों से अंदर घुस रही थीं जिसमे धूल के कण मानों नाचते हुए लग रही थीं। हवा में अजीब सा रहस्य का मिश्रण मौजूद था। अचानक, उसे ज़मीन के अंदर कुछ चमकता हुआ दिखाई दिया। उत्सुकतावश उसने उस जगह को खोदना शुरू किया। थोड़ी देर बाद, उसे ज़मीन के अंदर एक छोटा सा गुफा जैसा स्थान मिला। गुफा के अंदर प्रवेश करते ही उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं। गुफा की दीवारों पर अजीबोगरीब चित्र बने हुए थे। इन चित्रों में ऐसे जीव दिखाई दे रहे थे जिन्हें उसने कभी नहीं देखा था। गुफा के बीच में एक बड़ा सा पत्थर का ताबूत रखा हुआ था। ताबूत को खोलने की हिम्मत किसी में नहीं हो रही थी। लेकिन अंत में, उसने हिम्मत करके ताबूत का ढक्कन हटाया। ताबूत के अंदर एक छोटा सा बक्सा रखा हुआ था। बक्से को खोलने पर उसे एक चमकदार पत्थर मिला। यह पत्थर बिल्कुल आम पत्थरों जैसा नहीं था। इसमें एक अजीब सी चमक थी और यह ठंडा भी था। उसे लगा कि यह कोई साधारण पत्थर नहीं है|
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प्रोमो .... वह कुदाल से ज़ोर से मिट्टी खोद रहा था। धूप की किरणें खंडहरों के दरारों से अंदर घुस रही थीं जिसमे धूल के कण म...

     "हमारी पार्टी में स्वागत है आप दोनों का । आप दोनों के बगैर तो किसी पार्टी में रंग ही नहीं आता।"दीपक ने आगे बढ़कर आन...
26/07/2025


"हमारी पार्टी में स्वागत है आप दोनों का । आप दोनों के बगैर तो किसी पार्टी में रंग ही नहीं आता।"दीपक ने आगे बढ़कर आनंद और अंजलि का स्वागत करते हुए कहा।

"कुछ भी कहिए !..जोड़ी हो तो आप दोनों के जैसी!... आप दोनों को साथ देखकर ऐसा लगता है मानो राम और सीता की जोड़ी हो!"... मिस्टर महेश ने मुस्कुराते हुए कहा।

"बस बस भाई ,अब आप हमारी इतनी भी तारीफ मत कीजिए।"... आनंद ने कहा तो उसके कंधे पर अंजलि के हाथों की पकड़ और ज्यादा मजबूत हो गई।

आज मिस्टर दास के घर पार्टी थी जहां आनंद अपनी पत्नी अंजलि को लेकर पहुंचा था।

उन दोनों पति-पत्नी की अंडरस्टैंडिंग और प्यार देखकर सभी लोग उनके तारीफ करते थे।

उन दोनों ने अपने घर वालों के खिलाफ जाकर लव मैरिज की थी। लोगों ने कहा भी की यह शादी कितने दिन टिकेगी। लेकिन उन दोनों के आपसे प्यार और सामंजस्य से धीरे-धीरे सभी लोग उनके रिश्ते के कायल हो गए।

लेकिन क्या यही सच था?

आनंद और अंजलि की शादीशुदा जिंदगी एक सुंदर से बगीचे की तरह थी। जिसे बाहर से देखने पर हर फूल खिले हुए लगते थे। हर पौधा हरा भरा लगता था।

सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीर एकदम परफेक्ट कपल की तरह थी। वह हमेशा साथ में हंसते खेलते नजर आते।

उनके पास अपना एक शानदार घर था लग्जरी कार थी। और एक ऐसा करियर था जिसकी हर कोई तारीफ करता था । बाहर से देखने वाला हर कोई उसकी जिंदगी को देखकर उन दोनों से ईर्ष्या करता था।

अंजलि के परिवार वाले भी अब अपनी बेटी की खुशहाल जिंदगी से बहुत खुश थे। लेकिन इन सब के पीछे का सच कोई नहीं जानता था।

इन दोनों की जिंदगी में एक अजीब सा खालीपन था।

आनंद अक्सर रातों को बिस्तर पर लेटा सोचता था कि क्या वाकई वह खुश है ?.… क्या यही वो सब कुछ है, जिसे पाने के लिए वह पागल था!... उसके पास जो कुछ भी है और जिस जिंदगी को वो जी रहा है , क्या उसमें खुशियां है ?

क्या यही वह जिंदगी है जिसके लिए उसने हजारों सपने देखे थे।

अंजलि भी कुछ ऐसा ही सोचती !

वह एक प्रतिष्ठित कॉलेज में प्रोफेसर होने के साथ-साथ एक परफेक्ट पत्नी और गृहणी होने की भी भूमिका निभा रही थी।

वह दिन भर वह कॉलेज में पढ़ाती उसके बाद शाम को घर के कामों में व्यस्त रहती थी ।और फिर रात को थकान के मारे बिस्तर पर गिर जाती थी।

आनंद और अंजलि की जिंदगी जो दूसरों को बिल्कुल सही लगती थी इस खूबसूरत प्यार भरी बगीचे में भी कुछ कीड़े लग चुके थे।

आनंद एक सफल बिजनेस होने के नाते हमेशा और अधिक सफल होना चाहता था।

दिन रात इसी टेंशन में रहता है कि मैं अपने बिजनेस को और आगे कैसे बढ़ाऊं।

दोनों पति-पत्नी दिनभर बाहर काम करने के बाद जब शाम को घर आते तो उस वक्त भी उनके दिमाग में काम के ही बातें घूमती रहती थी।

दिन भर काम करने के बाद वे दोनों सिर्फ खाना खाने और सोने के लिए ही मिलते थे। उनके बीच बातचीत भी अब बहुत कम हो गई थी ।

पहले वह घंटों एक दूसरे से बातें करते थे ।.. छोटी से छोटी बातें भी एक दूसरे को बताएं बिना उन्हें चैन नहीं आता था।

लेकिन आप धीरे-धीरे काम के बढ़ते प्रेशर के कारण उनके पास एक दूसरे के लिए बिल्कुल भी समय नहीं था
धीरे-धीरे उनके बीच की दूरी बढ़ती जा रही थी ।आनंद अपने काम में इतना व्यस्त हो गया था कि अंजलि को पर्याप्त समय नहीं दे पता था ।

अंजलि भी अपने काम और घर के कामों में इतना व्यस्त हो गई थी कि आनंद की भावनाओं का ख्याल नहीं रख पाती थी।

दूसरी तरफ आनंद की भी कमोवेश यही स्थिति थी ।

वह अपने काम में इतना व्यस्त रहता था कि उसके पास खुद के लिए भी समय नहीं रहता था । सुबह जल्दी उठना देर रात तक काम करना ।

मीटिंग, कॉल्स, ट्रैवलिंग यह सब उसके जीवन का हिस्सा बन चुके थे ।आनंद को ऐसा लगता था वह कभी भी अपने बिजनेस को ऊंचाइयों पर नहीं ले जा पाएगा

उसे हमेशा इस बात का डर सताता रहता था की कोई दूसरा बिजनेसमैन उससे आगे ना निकल जाए ।वह अपने प्रतिद्वंदियों के साथ लगातार अपनी तुलना करता था और खुद को साबित करने के लिए हर संभव प्रयास भी करता था ।

इसी दबाव ने उसे अंदर से खोखला कर दिया था।

अंजलि कॉलेज में प्रोफेसर होने के साथ-साथ एक परफेक्ट पत्नी और ग्रहणी होने की भूमिका तो निभा ही रही थी उसे पर से समाज और परिवार की उम्मीदें भी उसके ऊपर थी उसे एक आदर्श बहू आदर्श पत्नी और एक आदर्श शिक्षिका बनना था

अंजलि की जिंदगी भी घर के काम और कॉलेज के काम में ही गुजरती थी सुबह जल्दी उठकर घर का काम करना ,कॉलेज जाना लेक्चर देना फिर से घर लौट कर घर के काम देखना।

आनंद और अंजलि की शादीशुदा जिंदगी की शुरुआत एक खूबसूरत सपने की तरह हुई थी । प्यार रोमांस और एक दूसरे के लिए समर्पण से भरी हुई ।

लेकिन धीरे-धीरे इस खूबसूरत बगीचे में भी कीड़े लग चुके थे । दिखावे का पर्दा धीरे-धीरे उठने लगा था और असलियत सामने आ रही थी।
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"हमारी पार्टी में स्वागत है आप दोनों का । आप दोनों के बगैर तो किसी पार्टी में रंग ही नहीं आता।"दीपक ने आगे बढ़कर आनंद ...

     राजस्थान के जैसलमेर में स्थित विशाल महल "सूर्यगढ़" का मालिक था "उदय सिंह राठौड" शाही ठाठ-बाठ और अपनी शान-शौकत के लि...
26/07/2025


राजस्थान के जैसलमेर में स्थित विशाल महल "सूर्यगढ़" का मालिक था "उदय सिंह राठौड" शाही ठाठ-बाठ और अपनी शान-शौकत के लिए मशहूर, उदय सिंह को ज़िंदगी में सब कुछ हासिल था,,,, पर एक खालीपन उसे हमेशा सताता था। उसे लगता था कि उसके दिल को अभी तक किसी ने छुआ ही नहीं।

इसी बीच, एक दिन उसकी मुलाकात बनारस की एक साधारण, लेकिन बेहद खास लड़की रिद्धि से हुई। हुआ यूँ कि उदय सिंह अपनी माँ के कहने पर गंगा आरती देखने बनारस आया था। वहाँ, घाटों पर गूंजती मंत्रों की ध्वनि और जलते हुए दीयों की रौशनी के बीच उसकी नज़र उस लड़की पर पड़ी। रिद्धि आरती में डूबी हुई थी, उसके चेहरे पर एक अजीब-सी शांति और चमक थी।

उदय सिंह, जिसने अब तक अपने जीवन में केवल राजसी महिलाओं को देखा था, पहली बार किसी साधारण लेकिन आत्मा से सुंदर लड़की से प्रभावित हुआ। रिद्धि गंगा के किनारे दीपदान कर रही थी, और उदय सिंह बस उसे देखता ही रह गया।
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**कहानी की शुरुआत** राजस्थान के जैसलमेर में स्थित विशाल महल "सूर्यगढ़" का मालिक था "उदय सिंह राठौड" शाही ठाठ-बाठ और अपन....

     मुंबई,एक बड़ा सा मेंशन,जिसके बाहर बहुत ही खूबसूरत शब्दो मे लिखा हुआ था, "सुकून मेंशन!"वहां पर पास में ही एक गार्डन ...
26/07/2025


मुंबई,

एक बड़ा सा मेंशन,

जिसके बाहर बहुत ही खूबसूरत शब्दो मे लिखा हुआ था, "सुकून मेंशन!"

वहां पर पास में ही एक गार्डन था, जिसमे बहुत सुंदर सुंदर फूल खिले हुए थे, ओर उसके साइड में ही एक बहुत बड़ा स्विमिंग पूल था, बाहर का इंटीरियर डिजाइन उस मेंशन को बहुत खूबसूरत बना रही थी।

वो पूरा मेंशन दिखने में जितना बाहर से खूबसूरत लग रहा था, उतना ही भयानक वो अंदर से दिख रहा था। हर जगह बस ब्लैक और ग्रे कलर की थीम, जो उस मेंशन को किसी भूतिया बंगले की तरह बना रही थी।

उसी मेंशन के अंदर हॉल में एक लड़का, जिसने ब्लैक कलर का बिजनेस सूट पहना हुआ था, वो डर से अपनी जगह पर खड़ा हुआ कांप रहा था।

उसके ठीक सामने ही सोफे पर किंग को तरह बैठा हुआ एक 27 साल का लड़का अपनी जलती निगाहों से उसे घूर रहा था। उसकी उस काली आंखो में बहुत ही ज्यादा गहराई नजर आ रही थी।

हाईट 6 फीट 2 इंच, गौरा रंग, जेल से सेट किए हुए बाल, उसकी वो काली आंखे, पतले होठ, शार्प jawline, ओर बॉडी पर्सनेलिटी एक दम कड़क, जिसे देख कर हर लड़की दीवानी हो जाए।

उसके एक हाथ में गन थी और दूसरे हाथ को उसने सोफे पर टीका रखा था।

वो लड़का सामने खड़े लड़के की ओर देख कर अपनी गुस्से भरी आवाज में बोला "मैने मना किया था ना तुम्हे, कि अगर तुमने इस मेंशन में अपना कदम भी रखा तो मैं जान ले लूंगा तुम्हारी, मेरे मना करने के बावजूद भी तुम्हारी इतनी हिम्मत कि तुम यहां चले आए।"

वो लड़का डरते हुए बोला "स.. सर मैं तो अपनी ड्यूटी…

उसकी बात पूरी होती उससे पहले ही वो लड़का अपनी रौबदार आवाज में बोला "तुम्हारी ड्यूटी my foot…

वो लड़का अब जल्दी से अपने घुटनो के बल बैठ गया और गिड़गिड़ाते हुए बोला "स.. सर प्लीज मुझे माफ कर दीजिए, मुझे तो आपकी मॉम ने यहां पर आपकी प्रोटेक्शन के लिए भेजा था, उन्होंने ही मुझे आपका बॉडीगार्ड हायर किया था..

वो लड़का एक तिरछी स्माइल के साथ बोला "तू मेरी मॉम को बेवकूफ बना सकता है लेकिन मुझे नही…मुझे बहुत अच्छे से पता है तू किस का भेजा हुआ कुत्ता है!"

ये सुनते ही सामने घुटनो के बल बैठे बॉडीगार्ड की आंखे हैरानी से बड़ी हो गई, ओर वो उस लड़के की ओर देखने लगा।

सामने बैठे लड़के ने अब बिना एक पल गवाएं उसकी सामने गन कर दी, ओर ट्रिगर दबा कर गोली चला दी, जिससे गन से गोली निकल कर सीधा उस बॉडीगार्ड के माथे के बीचों बीच लगती है, ओर वो उसी वक्त पीछे की ओर गिर जाता है, ओर पल भर में ही उसकी सांसे थम जाती है।

तभी वहां पर एक लड़का भागते हुए आता है और उसकी ir देख कर कहता है "श्रेष्ठ आज फिर से एक बॉडीगार्ड की जान ले ली तूने, यार पिछले एक हफ्ते में आंटी ने तेरे लिए 10 बॉडीगार्ड्स भेजे थे और तूने उन सब को मार दिया…

आंटी ने उन सब के टैस्ट लिए थे, सब टैस्ट में पास भी हो गए थे। सब को कितना अच्छा अच्छा खाना बनाना आता था, मैने खुद टैस्टिंग के टाइम उनके हाथ का खाना टेस्ट किया था।"

सामने बैठा शख्स ओर कोई नही बल्कि कहानी के हीरो श्रेष्ठ सिंह राठौड़ है, जिन्हे कब गुस्सा आ जाए पता ही नही चलता, इन्हे अकेले रहना पसंद है, इसीलिए ये अपने अलग मेंशन में रहते है, वो भी बिना किसी सिक्योरिटी के..

जो बात इनकी मॉम को बिलकुल पसंद नहीं आती। इसीलिए वो हर दिन एक नए बॉडीगार्ड को इनके लिए हायर करती है और मेंशन में भेज देती है, जो आते तो जिंदा है लेकिन जाते मुर्दा है…

श्रेष्ठ गुस्से से उसकी ओर देख कर बोला "शिवांश मुझे अपनी प्रोटेक्शन के लिए कोई बॉडीगार्ड्स नही चाहिए मैं खुद को बहुत अच्छे से प्रोटेक्ट कर सकता हूं!"

सामने खड़ा शिवांश, श्रेष्ठ का फ्रेंड और साथ ही उसका बिजनेस पार्टनर है, उसकी उमर भी 27 साल की है, दिखने में हैंडसम, ओर शख्सियत से खुश मिजाज, उन्हे गुस्सा बहुत ही कम आता है, लेकिन जब आता है तो कयामत लेकर आता है।"

शिवांश अब सीरियस होकर बोला "आंटी ने तुझे मेंशन बुलाया है, अगर तू आज उनसे मिलने घर नही गया तो उन्होंने कहा है कि वो अनाथ आश्रम में रहने के लिए चली जाएगी"

जैसे ही श्रेष्ठ ने ये सुना उसके हाथ की मुट्ठियां कस गई और वो खुद से बोला "मॉम कभी मुझे ब्लैकमेल करना नही छोड़ सकती…

कहते हुए श्रेष्ठ सोफे से उठा ओर शिवांश की ओर देख कर बोला "इस कचरे को मेरे मैंशन से जल्दी साफ करवाओ, ओर सर्वेंट को बुला कर पूरे मेंशन की फिर से अच्छे से सफाई करवाओ..

शिवांश उसकी ओर देख कर बोला "हां करवाता हूं, अगर खुद ही इस भूतिया महल में सर्वेंट रख लेते तो मुझे एक्स्ट्रा काम करने की जरूरत नही पड़ती।

श्रेष्ठ उसे इग्नोर कर अब बाहर की और बढ़ गया, शिवांश ने अपनी जेब से अपना फोन निकाला ओर किसी को टैक्स्ट मैसेज भेज दिया और फिर उसने उस बॉडीगार्ड की लाश की ओर देखा।

उसे देख कर वो अपने कदम जल्दी से बाहर की ओर बढ़ाते हुए खुद में बड़बड़ाता है "हार्टलेस इंसान बनता जा रहा है!"

वो जैसे ही बाहर आया उसने देखा कि श्रेष्ठ पैसेंजर सीट पर बैठा हुआ अपना फोन चला रहा है, ये देख कर वो जल्दी से अपनी कार के पास आया ओर ड्राइविंग सीट पर आकर बैठ गया और कार स्टार्ट करके वहां से चल दिए।

कुछ ही देर बाद उनकी कार राठौड़ मेंशन के सामने आकर रूकी…

जहां सुकून मेंशन में एक भी बॉडीगार्ड नही था, यहां पर बॉडीगार्ड की फौज तैनात खड़ी थी, मेंशन के बाहर हर एक कोने में बॉडीगार्ड्स खड़े थे, जैसे ही श्रेष्ठ कार से बाहर निकला सब बॉडीगार्ड ने अपना सिर झुका लिया।

श्रेष्ठ अपने लंबे कदम रखते हुए मेंशन के अंदर चला गया, उसके पीछे पीछे ही शिवांश भी चला गया।

जैसे ही श्रेष्ठ अंदर की ओर गया, उसने देखा कि एक 40 से 45 साल की औरत सामने सोफे पर बैठी हुई है, जिस तरह से उन्होंने बॉडी मेंटेन की हुई थी, ऐसा लगता है वो अभी 30 से 35 साल की हो। उस औरत का नाम वंदना सिंह राठौड़ है।

श्रेष्ठ उनके सामने आया ओर उनके पैर छू कर उनकी ओर देख कर कहा "मॉम कैसी है आप?"

ये कहते हुए श्रेष्ठ की आवाज बहुत ही सॉफ्ट थी, ये सुन कर पीछे खड़ा शिवांश अपने मन में बोला "मैं कोन सा कड़वा करेला हूं, जो मुझसे गुस्से से बात करता है, गिरगिट कहीं का हुंह…

कहते हुए शिवांश वंदना जी के पास बैठ जाता है और उनकी ओर देख कर कहता है "आंटी जी उसने नए बॉडीगार्ड को भी मेंशन से भगा दिया।

वंदना जी उसे अपनी तिरछी नजरों से देखते हुए धीमे से बोली *भगा दिया या मार दिया?"

शिवांश जैसे ही ये सुनता है उसकी आंखे हैरानी से बड़ी हो जाती है और वो उनकी ओर देख कर कहता है "आपको कैसे पता?"

वंदना जी उसे घूरते हुए बोली "भले ही उस मेंशन में कोई न रहता हो लेकिन मेरी नजरे उसी मेंशन पर रहती है!"

शिवांश हैरानी से बोला "वाह आंटी जी आपकी आंखे तो दूरबीन का काम करती है, आपको 5km दूर वो मेंशन दिखाई देता है।"

श्रेष्ठ उसकी बात सुन कर सोफे पर बैठता हुआ बोला "दिखाई तो देगा ही, वहां पर कैमरा जो लगवाए है इन्होंने…
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कहते है ऑब्सेशन जब हद से पार हो जाए तो जीना मुश्किल हो जाता है लेकिन एक ऑब्सेशन ऐसा भी होता है जो जीना सिखाता है श्रे....

     " हेलना साहस मत  खोना, यह प्रतियोगिता तुम्हारे जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है , इस साक्षी को हराना बहुत  मुश्किल है...
26/07/2025


" हेलना साहस मत खोना, यह प्रतियोगिता तुम्हारे जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है , इस साक्षी को हराना बहुत मुश्किल है । इसने महागुरू वल्काश से शिक्षा ली है , वल्काश से सीखे हुए व्यक्ति को हराना असम्भव जैसा है ।यदि यह हारी नही तो फिर तुम अपने पद से बेदखल हो जाओगी । पद खोने का अर्थ तुम मुझसे बेहतर जानती हो यदि तुम्हारा पद गया तो राजा जाहूर के राज्य से हमारा हस्तक्षेप समाप्त हो जायेगा , इस साक्षी को इस प्रतियोगिता के लिए कौन लाया है यह मुझे पता करना होगा । अब प्रतियोगी सूची मे उपस्थित है इसलिए इसको किसी भी तरह बेदखल नही कर सकते । मेरी समझ मे नही आ रहा की मै ऐसा क्या करूँ जिससे तुम इस साक्षी से जीत जाओ। यही एक ऐसी प्रतिव्दन्दी है जो तुम्हे मात कर सकती है । मेरा जादू भी इस जगह नही चलेगा , इस खेल वलय मे कोई भी मायावी शक्ति काम नही करती । यदि हम चाहे तब भी नयी , इसके पीछे इनकी एक ही मंशा होती है की प्रतियोगिता निष्पक्ष हो । प्रतियोगी अपनी क्षमताओं के आधार पर अपनी जीत दर्ज करे ," ब्रह्मास ने हेलना से कहा ।

ब्रह्मास जहूर का एक सिपहसलार था बस केवल , वह अपने छल-बल से राजा जहूर की जगह खुद राजा बनना चाहता था । वह अतिमहत्वाकांक्षी व्यक्ति था । उसने अपने बचपन से कायरा राज्य पर अपना अधिपत्य स्थापित करने का सपना बुना था । वह अपनी इस महत्वाकांक्षा मे काफी सफल हुआ, उसने एक साधारण व्यक्ति से सिपहसलार तक की यात्रा करके यह सिध्द कर दिया था की वह अपने भीतर राजा बनने की कूव्वत रखता है ।उसने जादूगर बालोतरा के पास रहकर बहुत सी जादुई विद्या सीखी थी । उसकी वो विद्यायें उसके सफलता के मार्ग मे बहुत सहायक हुई थी । जहूर सालाना एक प्रतियोगिता करवाता है , उस प्रतियोगिता मे वह तो वर्ग बनाता है , एक स्त्रियों का और दूसरा पुरूषों का । इन दोनों प्रतियोगिताओं मे जो सफल रहता उसे वह अपना अंग रक्षक नियुक्त करता है । ब्रह्मास ने अपनी खुद की बहन को महिला की प्रतियोगिता के लिए तैयार किया था वह साम,दाम , दण्ड और भेद कोई भी नीति लगाकर अपनी बहन को जिताना चाहता है । एक बार उसकी बहन जीत गयी तो वह राजा जहूर की अंग रक्षक बन जायेगी , उसे अपने आप पर भरोसा था की पुरूषो की प्रतियोगिता वही जीतेगा । उसने पहले कभी इस प्रतियोगिता मे हिस्सा नही लिया था , वह पहली बार इस प्रतियोगिता मे प्रवेश हुआ था । उसे अपने आप पर पूरा था , वह पुरूषो वाली प्रतियोगिता निश्चित ही सफल होगा । उसने इस प्रतियोगिता के बहुत अभ्यास किया था , उसने अपनी बहन के जीतने पर भी पूरा भरोसा था पर जब उसने प्रतियोगी सूची मे साक्षी का नाम देखा तो वो चौंक उठा । वह एक सशक्त योध्दा थी जिस गुरू के पास वह सीख रही थी वह गुरू किसी को तभी अपना शिष्य बनाता था जब उसे इस बात की संतुष्टि मिल जाती थी की वह मानवीय सेवा करेगा या करेगी । वह बाकी किसी को भी नही सिखाता था ।

साक्षी की शक्तियों से वह भली प्रकार परिचित था। उसे पता था की हेलना केवल अपनी शक्तियों के बल पर साक्षी को नही हरा सकती थी इसलिए उसकी किसी भी तरह सहायता करनी जरूरी थी । वह उसकी सहायता कैसे करे यह वह समझ नहीं पा रहा था । अभी प्रतियोगिता शुरू होने मे दो घड़ी का समय बचा हुआ था । इन दो घड़ी के मध्य ही उसे कुछ ऐसा करना था जो हेलना को विजय दिला सके ।वह बड़े सोच -विचार मे लगा हुआ था तभी एक अधेङ स्त्री उसके करीब आकर खङी हो गयी । उसको देखकर उसके चेहरे पर एक बङी कुटिल मुस्कान उभर आई ।

" नूरियां ! क्या हुआ? ब्रह्मस ने उससे पूछा ।

" मैने अपना काम कर दिया है , मैने उसके शर्बत मे एक ऐसी औषधि मिला दी है जो उसे शक्तिहीन कर देगी , जब वह शक्तिहीन रहेगी तो कैसे प्रतियोगिता जीतेगी ? नूरियां नाम की उस महिला के मुंह पर एक बड़ी छल भरी मुस्कान उभर आई ।

" शाबास नूरिया! इस काम के लिए तुझे इतना बड़ा पारतोषिक मिलेगा तू और तेरी सात पुस्ते बिना कमाये अपनी जिन्दगी मस्ती मे काट सकेंगे। तुमने यह जो शानदार काम किया इसने हेलना की जीत पक्की कर दी है , अब तू एक पल भी मेरे करीब मत ठहर वरना लोगों को
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" हेलना साहस मत खोना, यह प्रतियोगिता तुम्हारे जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है , इस साक्षी को हराना बहुत मुश्किल है । इ....

     छोटे से शहर का छोटा सा प्ले स्कूल मुस्कान प्ले स्कूल जिसमें एक-एक करके बच्चे अपने माता-पिता के साथ अपने पीछे छोटे-छ...
26/07/2025


छोटे से शहर का छोटा सा प्ले स्कूल मुस्कान प्ले स्कूल जिसमें एक-एक करके बच्चे अपने माता-पिता के साथ अपने पीछे छोटे-छोटे प्यारे-प्यारे टॉयज वाले बैग कंधे पर लटकाए स्कूल में प्रवेश कर रह हैं ठुमकते ठुमकते. कुछ बच्चों के मुख पर प्रसन्नता है स्कूल आने की तो एक बच्चा ऐसा भी है जो स्कूल नहीं आना चाहता इसीलिए वह बुरी तरह रो कर अपने माता-पिता को छोड़ नहीं रहा है ऐसे बच्चों के लिए इस स्कूल के गेट पर खड़ी है एक छोटी सी प्यारी सी लड़की, वह है तो अध्यापिका पर उनके साथ पढ़ने वाली लड़की लगती है क्योंकि उसकी उम्र है यही कोई 16- 17 वर्ष परंतु उसके आई कार्ड जो कि उसके गले में लटका हुआ है उस पर उसका नाम लिखा हुआ हैॢ मंजू सक्सेना और उम्र लिखी हुई थी 19 वर्ष हां जी यह झूठ था पर यह झूठ लिखना मजबूरी थी जो कि आपको बाद में पता चल जाएगा।

"अरे बेटा आप क्यों रो रहे हो हम आपको बहुत सारे टॉयज देंगे और बहुत सारे गेम्स खिलाएंगे अपनी मम्मी को मुस्कुरा कर बाय बोलो" वह एक रोते हुए बच्चे को चुप कराने की कोशिश कर रही थी जो कि अपनी मम्मी को कस के पकड़े हुए था और उन्हें छोड़ नहीं रहा था बस रोए जा रहा था मंजू ने उस बच्चों को अपनी गोद में लिया और अंदर स्कूल में लेकर चली गई।

यह स्कूल इस स्कूल की संचालिका ने अपने घर में ही बनाया हुआ है जिनका नाम स्वराज जिंदल है। जो की 35 वर्ष की ऊंचे कद की महिला है वह अपने यहां काम करने वाली अध्यापिकाओं सहायिकाओं और बच्चों के साथ बड़ा ही प्रेम पूर्वक व्यवहार करती थी उन्हीं के कारण इस स्कूल में बच्चों की अच्छी खासी संख्या थी। वह मंजू पर बहुत अधिक विश्वास करती थी एक तरह से कह सकते हैं कि वह उनके अनुपस्थिति में उस स्कूल की सहसंचालिका थी। आज मंजू के चेहरे पर जो खुशी है वह अपनी संचालिका मैडम के कारण ही है क्योंकि एक समय ऐसा था जब उसके लिए बहुत कठिन समय आ गया था उसके पिता के देहांत के बाद उसकी मां और उसके छोटे भाई सहित वह बिल्कुल अनाथ हो गई थी उसकी मां कम पढ़ी-लिखी होने के कारण कोई कार्य नहीं कर पाती थी और ऊपर से अपने पति के जाने के गम में अर्ध विक्षिप्त हो गई थी इस कारण परिवार का सारा भार मंजू के नाजुक कंधों पर आ गया तब स्वराज मैडम ही थी जिन्होंने उसे अपने स्कूल में कार्य दिया उसकी उम्र बहुत कम थी इसी कारण उन्हें उसके नाम के आई कार्ड पर 19 वर्ष झूठी उम्र लिखवानी पड़ी क्योंकि 16 -17 साल की बच्ची से कोई भी माता-पिता अपने बच्चों को नहीं पढ़वाना चाहेगा।

"क्या हुआ मंजू प्रार्थना का समय हो गया अभी तक प्रार्थना प्रारंभ क्यों नहीं की" स्वराज मैडम ने मंजू से पूछा क्योंकि वह समय की बहुत पक्की थी उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं था स्कूल का समय जरा भी ऊपर नीचे हो।

"मैम बच्चे तो आ गए हैं और प्रार्थना शुरू भी होने वाली है परंतु एक बच्चा है जो बहुत अधिक रोए जा रहा है उसे चुप कराने के सारे प्रयत्न विफल हो गए हैं" मंजू ने प्रार्थना ना शुरु करने की विवशता बताई।
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(राधे राधे मित्रों मेरी इस कहानी को पढ़कर भी अपना भरपूर साथ दे) छोटे से शहर का छोटा सा प्ले स्कूल मुस्कान प्ले स्कूल ....

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