Pratilipi Hindi

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     खतरनाक शैतान की प्यारी गुड़िया तुम्हारी मासूमियत मुझे डरा रही है आरू! VS ने गुस्से में कहा। अगर तुम फिर से मेरे रास...
12/09/2025


खतरनाक शैतान की प्यारी गुड़िया तुम्हारी मासूमियत मुझे डरा रही है आरू! VS ने गुस्से में कहा। अगर तुम फिर से मेरे रास्ते में आई तो मैं तुम्हें हमेशा के लिए भुला दूंगा! मुंबई सपनों का शहर जहां हर कोई अपने ख्वाबों को पूरा करने की कोशिश में लगा है। इसी शहर के एक छोटे से बंगलो में एक प्यारी सी 18 साल की लड़की आरू अपने टेडी बियर के साथ सोई हुई है। उसकी मासी अवनी जी जो उसकी देखभाल करती हैं उसे उठाने आई हैं। आरू उठो! तुम्हारा आखिरी पेपर है! अवनी जी ने प्यार से कहा। आरू जो पढ़ाई से नफरत करती है मुँह चिढ़ाते हुए बोली मासी मुझे एक्जाम देना पसंद नहीं है! अवनी जी ने आरू को प्यार से समझाया बेटा पढ़ाई जरूरी है। लेकिन आरू ने आँसू भरी आँखों से कहा मासी आप मुझे किसी और को पसंद नहीं करने देंगी! अवनी जी ने उसे गले लगाते हुए कहा तुम मेरी सबसे प्यारी बेटी हो। आरू ने खुशी से कहा सच्ची मासी? और फिर जल्दी से तैयार होने लगी। लेकिन अवनी जी के दिल में एक गहरा राज छिपा था। उन्हें कैंसर था और वे आरू को अकेला छोड़कर अस्पताल नहीं जाना चाहती थीं। आरू को यह नहीं पता था लेकिन वह अपनी मासी के लिए सब कुछ करने को तैयार थी। इसी बीच एक खतरनाक आदमी VS जो कि एक शक्तिशाली बिजनेसमैन है एक होटल के कमरे में एक आदमी को बुरी तरह से टॉर्चर कर रहा था। उसकी आँखों में खौफनाक गुस्सा था। अगर तुमने मेरे चाचा का नाम लिया तो तुम्हारे परिवार को मैं खत्म कर दूंगा! उसने कहा। क्या आरू को अपनी मासी की बीमारी का पता चलेगा? और क्या VS का खतरनाक अतीत आरू के मासूम जीवन में दखल देगा?
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Hello everyone yeh ek devil aur ek masoom ladki ki kahani hai jiska is duniya me koi nahi hai to dekhte hai kya ek devil masum si aarya ko samaz payega ya apne gusse ...

     डेविल और उसकी नादान मोहब्बत तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी सोच का दायरा तोड़ने की? डेविल ने गुस्से में कहा उसकी आँखो...
12/09/2025


डेविल और उसकी नादान मोहब्बत तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी सोच का दायरा तोड़ने की? डेविल ने गुस्से में कहा उसकी आँखों में खौफनाक चमक थी। तुमने मेरी दुनिया में कदम रखा है और अब तुम्हें इसकी कीमत चुकानी होगी! लंदन की एक ठंडी रात थी जब डेविल जिसे डेनियल एलिकजेंडर के नाम से भी जाना जाता है ट्रेड मिल पर दौड़ रहा था। उसकी कसरती बॉडी और खौफनाक नजरें किसी भी इंसान को डराने के लिए काफी थीं। उसके चारों ओर उसके नौकर खड़े थे जो उसकी हर इच्छा का इंतजार कर रहे थे। तभी एक नया आदमी जो अभी तक डेविल की दुनिया में नहीं आया था दौड़ते हुए आया और कहा सर हमें पता चला है कि आपका दुश्मन कौन है। यह सुनकर सभी नौकरों की सांसें थम गईं। डेविल ने उस आदमी का हाथ पकड़कर उसे ट्रेड मिल से दूर फेंक दिया। तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी सोच का दायरा तोड़ने की? उसने गुस्से में कहा। उस आदमी ने डरते हुए कहा सर मैं जानता हूँ कि आप किसके बारे में सोच रहे थे। मुझे छोड़ दीजिए। यह सुनकर डेविल की उंगलियाँ ट्रिगर से हट गईं। वह जानता था कि यह आदमी उस खास इंसान की कसम खा रहा था जिसके बारे में वह रोज सोचता था। डेविल ने अपने रूम में जाकर एक गुलाबी रेशमी दुपट्टा निकाला और उसे अपने चेहरे पर रखा। उसकी आँखें बंद थीं और वह उस लड़की के बारे में सोच रहा था जिसे वह प्यार करता था। वह लड़की जो बारिश और फूलों की दीवानी थी और जो अपनी माँ और बहन की पसंद के अनुसार जीती थी। क्या वह उसकी खतरनाक दुनिया को समझ पाएगी? क्या वह उसकी मोहब्बत को स्वीकार करेगी? तभी डेविल ने अपने गार्ड से कहा मुझे उस आदमी के बारे में सब कुछ पता करो। उसके गार्ड ने कहा सर वह आदमी बहुत खतरनाक है। डेविल ने गुस्से में कहा मैं उसे अपने तरीके से सबक सिखाऊंगा। क्या डेविल अपनी मोहब्बत को पाने में सफल होगा? क्या वह उस लड़की को अपनी खतरनाक दुनिया में शामिल कर पाएगा?
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ये कहानी एक ऐसे डेविल की है ,जो एक भयानक दरिंदा है , जो भेड़िए के जैसा चालक और शेर के जैसा खतरनाक ,है उसको नफरत है इंसान...

     बस मोहब्बत???? है आपसे आशी तुमने मुझे कभी याद नहीं किया क्या मैं तुम्हारी बहन नहीं हूँ? शिवांगी की गुस्से भरी आवाज ...
12/09/2025


बस मोहब्बत???? है आपसे आशी तुमने मुझे कभी याद नहीं किया क्या मैं तुम्हारी बहन नहीं हूँ? शिवांगी की गुस्से भरी आवाज ने पूरे घर में हलचल मचा दी। आशी अपने परिवार के साथ खुशीखुशी खीर खा रही थी जब अचानक दरवाजे पर गुस्से से भरी आवाज सुनाई दी। यह आवाज उसकी बचपन की दोस्त शिवांगी की थी जो आशी के लिए सिर्फ एक दोस्त नहीं बल्कि एक बहन की तरह थी। आशी जानती थी कि शिवांगी का गुस्सा सिर्फ प्यार का एक और रूप है। घर का माहौल खुशियों से भरा था लेकिन शिवांगी की नाराजगी ने सब कुछ बदल दिया। तुमने मुझे सुबह से 35 कॉल किए और तुम यहाँ आराम से खीर खा रही हो? शिवांगी ने गुस्से में कहा। आशी ने चुपचाप उसकी बातें सुनीं। तुम्हें तो मेरी परवाह ही नहीं है! शिवांगी ने आगे कहा। आशी ने मुस्कुराते हुए कहा अरे मैं तो बस रिजल्ट देखने में लगी थी। शिवांगी ने फिर से कहा क्या तुमने मुझे याद नहीं किया? सब घर वाले हंसने लगे क्योंकि उन्हें पता था कि शिवांगी की नाराजगी कितनी प्यारी होती है। तुम्हें तो मेरी कॉल का जवाब देना चाहिए था! शिवांगी ने फिर से कहा। आशी ने कहा मैंने सोचा तुम खुद आओगी। इस पर शिवांगी ने कहा मैंने सोचा तुम मेरी बहन हो लेकिन तुमने तो मुझे भूल ही गई। आशी ने कहा नहीं तुम मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो। लेकिन शिवांगी ने कहा अब मैं तुमसे बात नहीं करूंगी। तभी अचानक दरवाजे पर एक और आवाज आई आशी तुम कहाँ हो? यह आवाज आशी के पिता की थी। सब लोग चौंक गए। आशी ने कहा पापा मैं यहाँ हूँ! लेकिन शिवांगी ने कहा क्या तुम मुझे भूल गई? क्या आशी और शिवांगी के बीच का यह गुस्सा प्यार में बदल जाएगा? क्या आशी अपने पिता की आवाज सुनकर शिवांगी को मना पाएगी?
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आशी , जो की उस लड़के का चेहरा देखने से पहले ही उससे नफरत करने लगी थी , वही लड़का और लड़की एक दूसरे से ऐसे टकराये की आशी .....

     पटना, बिहार – जुलाई की उमस भरी रातरात के दो बज रहे थे। आसमान में बादल घिर आए थे, लेकिन बारिश की कोई उम्मीद नहीं दिख...
12/09/2025


पटना, बिहार – जुलाई की उमस भरी रात

रात के दो बज रहे थे। आसमान में बादल घिर आए थे, लेकिन बारिश की कोई उम्मीद नहीं दिख रही थी। बिजली की एक हल्की सी चमक अंधेरे आसमान को चीरती हुई झपकती और तुरंत ही विलीन हो जाती। शहर की सड़कें नींद में थीं, लेकिन किसी मकान की तीसरी मंज़िल से अचानक एक ज़ोर की चीख़ गूंजी—
"नहीं! मैंनें कुछ नहीं किया!"

फौरन ही दरवाज़े पर तेज़ दस्तक हुई।
"दरवाज़ा खोलिए! पुलिस है!"

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मुख्य पात्र: आरव कुमार (24 वर्ष)

एक आम मध्यमवर्गीय परिवार का लड़का। इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़ कर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा था। कभी-कभी ऑनलाइन ट्यूशन भी देता था, ताकि घर में माँ का हाथ बंटा सके। पिता की दो साल पहले कैंसर से मौत हो गई थी। अब सिर्फ माँ और छोटा भाई था।

उस रात आरव अपने कमरे में किताब लेकर सो गया था। दरवाज़े की आवाज़ से हड़बड़ा कर उठा।

"कौन है इतनी रात में?" – उसने दरवाज़े की दरार से बाहर झांका, तो देखा चार वर्दीधारी पुलिसवाले और एक सादा कपड़ों में इंस्पेक्टर खड़ा था।

"आरव कुमार?"
"जी...?"

"आपको हत्या के मामले में गिरफ़्तार किया जाता है।"

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हत्या? लेकिन किसकी? क्यों?

आरव समझ नहीं पाया। वह कुछ बोल पाता, इससे पहले ही पुलिसवाले अंदर घुस आए, उसकी कलाई में हथकड़ी डाल दी, माँ चीख़ने लगीं।

"साहब! मेरा बेटा ऐसा नहीं है। क्या हुआ है बताइए तो सही!"

इंस्पेक्टर सिंह ने बेरुखी से जवाब दिया —
"आपका बेटा, पूजा शर्मा की हत्या के केस में मुख्य आरोपी है। उसका मोबाइल लोकेशन, सीसीटीवी फुटेज और कॉल रिकॉर्ड हमारे पास है।"

पूजा शर्मा...?

आरव के चेहरे पर अजीब सी बेचैनी उभरी।

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तीन दिन पहले

पूजा शर्मा, 22 वर्षीय कॉलेज छात्रा, पटना विमेंस कॉलेज में पढ़ती थी। सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव थी और "क्राइम एंड जस्टिस" जैसे सामाजिक मुद्दों पर बोलने वाली एक यूट्यूब चैनल चलाती थी।
वह 3 दिन पहले रात को लापता हुई थी। और दो दिन बाद उसकी लाश गांधी सेतु के पास मिली थी – गर्दन पर फंदे के निशान और हाथ में आरव का नाम लिखा एक रुमाल।

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थाने की पहली रात

पुलिस ने आरव से लगातार 16 घंटे पूछताछ की। उसे सोने नहीं दिया गया। हर सवाल पर वही जवाब:
"मैंने कुछ नहीं किया... मुझे पूजा के बारे में ज़्यादा नहीं पता..."

इंस्पेक्टर ने मेज़ पर हथौड़ा मारा –
"झूठ बोल रहा है साला! मोबाइल लोकेशन कहती है तू वहीं था जहां पूजा आख़िरी बार देखी गई थी।"

"मैं वहाँ किताब देने गया था... उसने एक बार मुझसे प्रोजेक्ट नोट्स माँगे थे..."

"तू उसे तंग करता था ना? तुझसे बात नहीं करती थी, तूने बदला लिया!"

"नहीं... ऐसा कुछ नहीं था..."

आरव की आँखें लाल थीं। बदन थक चुका था। लेकिन पुलिस चाहती थी वो अपराध कबूल कर ले। वो रिकॉर्डिंग ऑन कर चुके थे।

इंस्पेक्टर ने सिग्नल किया – और एक सिपाही ने उसका चेहरा पकड़ कर कैमरे के सामने झुका दिया।

"कबूल कर कि तूने पूजा शर्मा की हत्या की!"

आरव चिल्लाया: "मैं निर्दोष हूँ!"

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मीडिया ट्रायल शुरू

अगले ही दिन स्थानीय न्यूज़ चैनलों की हेडलाइन थी:

???? "मॉडल छात्रा पूजा शर्मा की हत्या – आरोपी आरव कुमार गिरफ़्तार, कॉलेज के ही छात्र का नाम!"
???? "प्रेम प्रसंग या प्रतिशोध? हत्या के पीछे की कहानी..."
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✒️लेखक: समीर राज --- पटना, बिहार – जुलाई की उमस भरी रात रात के दो बज रहे थे। आसमान में बादल घिर आए थे, लेकिन बारिश की कोई .....

     रहस्य और धोखा तुमने हमारे साथ गद्दारी की है और अब तुम्हें इसकी कीमत चुकानी होगी! आहान की आवाज़ में गुस्सा था जैसे व...
12/09/2025


रहस्य और धोखा तुमने हमारे साथ गद्दारी की है और अब तुम्हें इसकी कीमत चुकानी होगी! आहान की आवाज़ में गुस्सा था जैसे वह किसी की जान लेने के लिए तैयार हो। केरला की बरसात भरी रात में एक लड़की जंगल में भाग रही थी उसके पीछे एक काला साया था। वह डर के मारे पीछे मुड़कर देखती है तभी अचानक वह किसी से टकरा जाती है। वह व्यक्ति आहान उसके लिए एक खतरनाक दुश्मन बन चुका था। क्यों तुम मुझे मारना चाहते हो? उसने हिम्मत जुटाकर पूछा। आहान ने उसे घूरते हुए कहा तुमने हमारे दुश्मनों को हमारी पहचान बता दी है और अब तुम्हें इसकी कीमत चुकानी होगी। उस लड़की का नाम काया था और वह आहान के प्यार में पागल थी। उसने अपने दुश्मनों से बचने के लिए यह सब किया था। मैंने ये सब तुम्हें पाने के लिए किया था काया ने कहा लेकिन उसके शब्द गले में अटक गए। आहान ने उसे एक तेज़ वार किया और उसकी चीख बारिश की आवाज़ में खो गई। विवान आहान का साथी उसे देखकर बोला तुम कितने क्रूर हो आहान! आहान ने गुस्से में कहा इसने हमें धोका दिया है और ऐसे लोगों के लिए हमारे ग्रुप में कोई जगह नहीं। काया की मौत ने आहान और विवान के बीच एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया। विवान ने कहा क्या तुम सच में सोचते हो कि यह सही है? आहान ने गुस्से में कहा यह सब मेरे लिए है मैं इस जीवन से थक चुका हूँ। विवान ने कहा लेकिन प्यार का क्या? आहान ने कहा प्यार? मैं इस शब्द से नफरत करता हूँ! तभी अचानक जंगल में एक तेज़ आवाज़ आई। दोनों ने मुड़कर देखा एक और साया उनके सामने था। तुमने उसे मार दिया लेकिन अब तुम्हारी बारी है! उस साये ने कहा। क्या आहान और विवान उस नए खतरे से बच पाएंगे? और काया की मौत का सच क्या है?
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केरला.. रात के 1 बजे बरसात की तूफानी रात, आसमान में छाए काले बादल और चमकती और कड़कती बिजलियों ने माहौल को और भी भयानक ब....

     चलिए शुरू करते है...शाम का समय हो चुका, सूरज आसमान में धीरे धीरे छुप रहा था। वरुण इस कहानी का मुख्य किरदार जो अपने ...
12/09/2025


चलिए शुरू करते है...
शाम का समय हो चुका, सूरज आसमान में धीरे धीरे छुप रहा था। वरुण इस कहानी का मुख्य किरदार जो अपने जर्जर मकान के बाहर खड़ा था, वह हताश और हारा हुआ महसूस कर रहा था। उसके चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ़-साफ़ देखी जा सकती थीं।

वरुण

अब 20 वर्ष का हो चुका था और वह बहुत ही गरीबी में पाला और अब भी वह गरीब ही है,और गरीबी बहुत अच्छी भी है और बुरी भी वह इंसान की खुशियो को मार देती हैं। वरुण, उसके परिवार में कुल चार लोग थे – उसकी माँ, छोटी बहन और उसके पिता।

वरुण के पिता दिनभर मज़दूरी करते थे, कभी उन्हें काम मिल जाता, कभी नहीं। घर की सारी ज़िम्मेदारी उन्हीं पर थी। उसकी माँ भी दूसरों के घर जाकर काम करती और छोटी बहन अभी स्कूल में पढ़ रही थी, लेकिन वह भी अपनी ज़िंदगी से खुश नहीं थी।

वरुण को धीरे-धीरे चिंता होने लगी थी। उसे समझ आ चुका था कि अब उसे इस गरीबी को दूर करना है। लेकिन समस्या यह थी कि वह खुद अभी कॉलेज में पढ़ रहा था और उसके पास कोई अनुभव भी नहीं था। फिर भी, उसे अपनी ज़िम्मेदारियों का एहसास हो चुका था। वह सोचता कि कब तक उसके पिता ऐसे ही मेहनत करते रहेंगे। ऊपर से उनके माता-पिता की तबीयत भी अक्सर खराब रहती थी।

इस गरीबी से बाहर निकलने का एकमात्र जरिया वरुण ही था, और धीरे धीरे सभी की उम्मीदें वरुण पर बनने लगी और इसी वजह से वह अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पा रहा था। वह ऐसा कोई काम ढूंढना चाहता था, जिससे वह अपना करियर बना सके और साथ ही आर्थिक रूप से अपने परिवार की मदद कर सके। मगर उसके माता-पिता जानते थे कि ऐसा कुछ आसान नहीं होगा। वे बार-बार उसे समझाते कि वह अच्छे से पढ़ाई करे और कोई सरकारी या अच्छी नौकरी ढूंढे। लेकिन वरुण को एहसास हो चुका था कि आज के जमाने में सिर्फ पढ़ाई से कुछ हासिल नहीं होने वाला। उसने देखा था कि कई बच्चे सालों तक पढ़ाई करते हैं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिलती।

उसे लगा कि उसे भीड़ से हटकर कुछ अलग करना होगा। मगर समस्या यह थी कि उसे खुद ही नहीं पता था कि आखिर करना क्या है। उसके माता-पिता भी चिंतित थे कि वरुण पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे रहा है।

वरुण ने बहुत जगह काम ढूंढा, लेकिन उसे कोई काम नहीं मिला। शाम को जब वे सब मिलकर खाना खा रहे थे, तो उसके पिता बोले, बेटा, छोड़ दे ये सब। चल, मेरे साथ मजदूरी कर ले। लेकिन वरुण यह करने के लिए तैयार नहीं था। उसकी माँ

सावित्री देवी

भी बोलीं, बेटा, इस गरीबी से निकलने की उम्मीद सिर्फ तुझसे है। ऐसे समय बर्बाद मत कर, कुछ तो कर। तेरे पापा सही कह रहे हैं। चल, उनके साथ जाकर काम कर ले। वैसे भी, तुझसे तो पढ़ाई होती नहीं

वरुण ने धीरे से जवाब दिया, माँ, पढ़ तो रहा हूँ न। उसके

पिता रमेश प्रसाद वर्मा

गुस्से में बोले, क्या पढ़ रहा है तू? दिनभर इधर-उधर घूमता रहता है। न तो ठीक से कॉलेज जाता है, न कोई काम करता है। बस, अब और झूठ मत बोल।

वरुण चुपचाप अपने कमरे में चला गया। उसे लगने लगा कि उसके माता-पिता सही कह रहे हैं। उसने अपनी पुरानी डायरी उठाई और उसमें लिखना शुरू किया। इस भागदौड़ भरी ज़िंदगी में बस एक ही चीज़ थी, जिससे उसे सुकून मिलता था – उसका लेखन। वह अपने बीते हुए पलों को डायरी में उतारता। भले ही उसकी लेखनी बहुत प्रभावशाली न हो, लेकिन जब वह लिखता, तो उसे शांति मिलती। वह लेखक बनना चाहता था। इसी वजह से वह अपनी डायरी में कहानियाँ और विचार लिखता रहता था।

मगर ज़िम्मेदारियों ने उसे इस रास्ते पर चलने से रोक दिया था। उसे लगने लगा था कि लेखन से कुछ हासिल नहीं होगा, उसे कोई और काम करना होगा। लेकिन उसका सपना उसका पीछा नहीं छोड़ रहा था।

वह अपने लिखे हुए विचार अपने दोस्त रोहन को सुनाता था। रोहन कहता, यार, तू बहुत अच्छा लिखता है।

वरुण उदास होकर बोला, बात तेरी सही है, लेकिन लेखक बनना बेकार है। इससे कोई कमाई नहीं होती। मुझे इससे कुछ नहीं मिलने वाला।

रोहन हंसते हुए बोला, अबे घोंचू! आजकल वीडियो, ब्लॉग और सोशल मीडिया का ज़माना है। पहले किताबें ही चलती थीं, तब भी लोग पढ़ते थे और दुनिया उन्हीं किताबों में ज्ञान ढूंढती थी। जिस कॉलेज में हम पढ़ रहे हैं, वहाँ भी किताबें ही पढ़ाई जाती हैं और उन्हें भी किसी ने लिखा ही है। छोटे बच्चे वह भी किताबों से ही पढ़ते हैं, वो भी किसी के द्वारा लिखी होती हैं। कोई भी ऐसा काम नहीं है, जिसमें सफलता न मिल सके। बस करने का तरीका अलग होता है। जैसे तू सोच रहा है न अगर ऐसा होता, तो कोई भी किताब नहीं लिखता, कोई लेखक नहीं बनता। तेरी लेखन शैली बहुत अच्छी है, तुझे इसे आज़माना चाहिए। वैसे भी, तुझे कहीं नौकरी नहीं मिल रही है। इस समय खाली बैठा है, तो कोशिश कर न!

वरुण ने गहरी सांस लेते हुए कहा, तेरी बात सही है। मैं कोशिश करता हूँ। एक अच्छी कहानी लिखने की कोशिश करूंगा। मगर तू मेरे लिए कोई नौकरी भी देख, मुझे भी कुछ करना है।

रोहन बोला, अबे, तू जानता ही है कि मेरे पापा की दुकान है। अगर चाहे, तो वहाँ काम कर सकता है। मैं पापा से पूछकर बताता हूँ।

वरुण के हालात इतने खराब थे कि वह कुछ भी करने को तैयार था
वरुण बोला, ठीक है, तू बात कर। मैं तैयार हूँ।

रात में वरुण घर आकर सोच रहा था कि जहाँ भी वह नौकरी मांगने जाता है, वहाँ लोग उससे अलग-अलग चीज़ों की मांग करते हैं। कोई पूछता है, क्या आपको वीडियो एडिटिंग आती है? कोई पूछता, क्या आपके पास नेटवर्किंग स्किल्स हैं? क्या आप लीडरशिप कर सकते हैं? क्या आप इंग्लिश में बात कर सकते हैं? क्या आप मार्केटिंग कर सकते है,????? आप दूसरों को समझा सकते हैं?

इन सवालों ने उसे परेशान कर दिया था। उसे समझ में आने लगा कि सिर्फ डिग्री से कुछ नहीं होगा, उसे स्किल्स भी सीखनी होंगी। उसने सोचा, लेखन भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है और यह तो मेरी अपनी रुचि भी है। मैं इसे सीख सकता हूँ और करने के लिए तैयार हूँ।

रोहन सही कह रहा था। नौकरी में समय की सीमा होगी, वह मिल भी सकती है और नहीं भी। लेकिन लेखन एक ऐसी चीज़ होगी, जो हमेशा उसके पास रहेगी। वह जब चाहे, इसे कर सकता है – दिन में, रात में, कभी भी। अगर सफल हुआ, तो बहुत आगे जा सकता है। अगर नहीं भी हुआ, तो कम से कम यह कह पाएंगे कि हमने मेहनत की थी।
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अधूरी राहें "‘अधूरी राहें’ एक कल्पना की उड़ान है, जो जीवन के अनुभवों से प्रेरित होकर बुनी गई है। इसमें वर्णित पात्र,...

     अनसुलझे रहस्य दिल्ली का बैंगनी नीलम क्या तुमने कभी सुना है एक रत्न की कहानी जो न केवल खूबसूरत है बल्कि शापित भी है?...
12/09/2025


अनसुलझे रहस्य दिल्ली का बैंगनी नीलम क्या तुमने कभी सुना है एक रत्न की कहानी जो न केवल खूबसूरत है बल्कि शापित भी है? दीप्ति दीक्षित। यह कहानी उस बैंगनी नीलम की है जिसे दिल्ली के एक मंदिर से चुराया गया था। 19वीं सदी में जब ब्रिटिश लुटेरे भारत की सम्पत्ति लूटने आए थे तब उन्होंने इस नीलमणि को भी नहीं बख्शा। कर्नल डब्ल्यू फेरिस एक बंगाली घुड़सवार ने इस नीलमणि को मंदिर से चुराया और अपने परिवार के पास इंग्लैंड ले आया। लेकिन जैसे ही वह इंग्लैंड पहुंचा उसकी किस्मत ने पलटा खाया। डब्ल्यू तुमने यह क्या किया? उसकी पत्नी जो उसके साथ थी ने घबराते हुए कहा। यह नीलमणि हमें बर्बाद कर देगी! मैंने सोचा था कि यह हमें धन देगी डब्ल्यू ने निराशा से कहा। लेकिन जैसे ही उन्होंने नीलमणि को अपने घर में रखा उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी। हमारे बच्चे बीमार हो रहे हैं! उसकी पत्नी ने चिल्लाते हुए कहा। मुझे इसे बेचने का विचार आया डब्ल्यू ने कहा। शायद इससे हमारी किस्मत बदल जाए। तुम इसे नहीं बेच सकते! यह हमारे लिए एक शाप है! उसकी पत्नी ने कहा। मैंने सुना है कि जो भी इसे छूता है उसकी किस्मत बुरी हो जाती है। लेकिन हमें पैसे की जरूरत है! डब्ल्यू ने कहा। मैं इसे बेच दूंगा और फिर सब ठीक हो जाएगा। डब्ल्यू ने नीलमणि को बेच दिया लेकिन उसके मित्र ने आत्महत्या कर ली। यह सब मेरी वजह से हुआ डब्ल्यू ने खुद को कोसते हुए कहा। मैंने इसे बेचकर अपनी किस्मत को और भी बुरा कर दिया। क्या डब्ल्यू की किस्मत कभी सुधरेगी? क्या नीलमणि का शाप सच में खत्म होगा?
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अनसुलझे रहस्य की सीरिज़ में आपको जान ने मिलेंगे कुछ रोचक किस्से और कहानियाँ , जो आपका सर घुमा देंगी । तो दिल थाम के बे....

     Pyar Bina Bhi Kya Jeena प्यार बिना भी क्या जीना Part __01एक महात्मा किसी लड़के को समझा रहें थे।वह लड़का आलोक था। जो...
12/09/2025


Pyar Bina Bhi Kya Jeena

प्यार बिना भी क्या जीना

Part __01

एक महात्मा किसी लड़के को समझा रहें थे।

वह लड़का आलोक था। जो निराशा में डूबा हुआ था।

वह सागर में डूब कर आत्महत्या करने की कोशिश कर रहा था ।तभी किसी महात्मा की नज़र उस आलोक पर पड़ती है।

महात्मा __यह तुम क्या करने जा रहे थे?

तुम कौन हो? और फिर ऐसी भी क्या विपदा आन पड़ी जो तुमने इतना बड़ा कदम उठाया।

आलोक __मैं बहुत दुःखी हूँ । मुझे आज़ तक किसी का प्यार नहीं मिला।

महात्मा __सारी दुनिया ही प्यार की प्यासी है। सभी की प्यास बुझाने के लिए ईश्वर ने स्त्रीलिंग और पुल्लिंग दोनों को ही पैदा किया।

आलोक __मुझे पता है। लेकिन मुझे ना ही माता- पिता का प्यार मिला और ना ही भाई - बहन का।

महात्मा __फिर क्या हुआ? जान है तो जहान हैं।

दुनिया बहुत बड़ी है। प्यार करने वालों की भी कमी नहीं है। लेकिन यह गुनाह है जो तुम करने जा रहे थे।

तुम क्या सोचते हों कि, तुम्हारे मर जाने से तुम्हें मुक्ति मिल जाएगी। क्या तुम्हें सुख मिल जायेगा?

आलोक __मुझे कुछ नहीं पता है बाबा। बस मैं इस दुनिया से हार गया हूँ ।

महात्मा __ऐसे निराश नहीं होते मेरे बच्चा। देखना एक दिन तुम्हारे जीवन में भी प्यार के सुंदर सुंदर फूल खिलेंगे। यह मेरा आशीर्वाद है। उसके सिर पर हाथ फेरते हुए उसे आश्वासन देकर वह महात्मा चला जाता है।

आलोक जब पीछे मुड़कर देखता है तो उसे कोई महात्मा नज़र नहीं आता है।

उसके आस - पास भी कोई नहीं रहता है।

आलोक अपने मन में सोचता है कि,वो महात्मा कौन थे?

कहाँ से आए और कहाँ चले गए?

लेकिन जब महात्मा ने उसके सिर पर हाथ रखा था तो उसे एक अलौकिक शक्ति का एहसास हुआ था। और फिर उसकी अपने आप आँखें बंद हो गई थी।

जब आलोक की आँख खुली तो उसे वहाँ पर कोई भी नज़र नहीं आया।

आलोक वहाँ से सीधे अपने घर चला आया।

बिना कुछ खाए -पीए ही सो जाता है। लेकिन भूखें पेट उसे नींद भी नहीं आती हैं।

रह- रह कर उसे दिन वाली हुईं घटित घटना याद आती रहती है।

वह सोने की कोशिश करता है। फिर भी नींद उससे कोसों दूर रहती हैं।

वह उठ जाता है और रसोई में जाकर खाना देखता है।

एक सूखी रोटी बची हुई थी। सब्जी भी नहीं थी।

वह कच्ची हरी मिर्च के साथ ही वह रोटी खाता है और बीच - बीच में पानी की घूँट भरता रहता है।

एक रोटी खाकर वह फिर से बिस्तर पर लेट जाता है।

थोड़ी देर बाद में उसे कब नींद आई,उसे कुछ पता नहीं चलता है।

मॉर्निंग टाइम पर उठ कर घर से निकल जाता है।

इधर - उधर घूमता रहता है।

एक सेठ अपनी सेठानी सहित गाड़ी में सफ़र कर रहा था।

गाड़ी में कोई मिस्टेक हों जाती हैं। चलती हुईं गाड़ी रुक जाती हैं। फिर स्टार्ट करने के बाद भी स्टार्ट नहीं होती हैं।

आलोक वहीं पर घूम रहा था। सेठ ने उसे आवाज़ दी।

वह सेठ के पास चला जाता है।

सेठ आलोक को उसकी गाड़ी को धक्का मारने के लिए प्रार्थना करता है।

आलोक सेठ की गाड़ी को धक्का देते हुए गैराज तक

पहुँचाता

है।

मैकेनिक को गाड़ी ठीक करने के लिए बोलता है। सेठ के पास उसकी लड़की कामना का बार बार फ़ोन आता रहता है। सेठ उसे बताता है कि उसकी गाड़ी में कोई प्रोब्लम हो गई हैं। इसलिए आने में लेट हों सकती हैं। वह ज्यादा चिंता ना करें।

मैनेजर गाड़ी ठीक कर देता है और फिर आलोक को धन्यवाद देता है।
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❤️🌹Pyar Bina Bhi Kya Jeena प्यार बिना भी क्या जीना ❤️🌹 Part __01 एक महात्मा किसी लड़के को समझा रहें थे। वह लड़का आलोक था। जो निराशा में ...

     पुनर्जन्म की कहानी छोड़ो हमें तुम लोग कौन हो? किसके आदमी हो? क्या चाहिए तुम्हें? श्रव्या ने अपनी आवाज में डर और साह...
12/09/2025


पुनर्जन्म की कहानी छोड़ो हमें तुम लोग कौन हो? किसके आदमी हो? क्या चाहिए तुम्हें? श्रव्या ने अपनी आवाज में डर और साहस मिलाते हुए कहा। उसकी आंखों में आंसू थे लेकिन वह हार नहीं मानने वाली थी। एक अंधेरी गली में चार दरिंदे श्रव्या को घेरकर खड़े थे। वह एक प्रसिद्ध अभिनेत्री और एक गुप्त वैज्ञानिक थी लेकिन आज उसकी पहचान उसके खिलाफ इस्तेमाल हो रही थी। उसने अपने देश के लिए कई अद्भुत गैजेट्स बनाए थे लेकिन आज वह खुद को असहाय महसूस कर रही थी। उसके दुश्मन जो उसकी सफलता से जलते थे आज उसकी इज्जत को तारतार करने पर तुले थे। श्रव्या ने अपने शरीर पर हो रहे अत्याचार को देखा और उसकी आत्मा चीत्कार कर रही थी। तुम्हें पता है मैं तुम्हारी सौतेली बहन हूं रिहाना! श्रव्या ने चिल्लाते हुए कहा जब रिहाना और उसका प्रेमी तरुण उसके सामने आए। रिहाना ने हंसते हुए कहा हां और मैं तुम्हारी नफरत का मजा ले रही हूं। तरुण ने हिकारत से कहा तुम्हारी इज्जत का क्या? श्रव्या ने अपने अंदर की आग को महसूस किया। उसने सोचा मैं हार नहीं मानूंगी। लेकिन उसके शरीर ने साथ छोड़ दिया था। जैसे ही चारों ने पेट्रोल डालना शुरू किया श्रव्या ने अपनी पूरी ताकत जुटाई। रुक जाओ! उसने चिल्लाते हुए कहा। लेकिन कोई सुनने वाला नहीं था। तभी अचानक एक प्रेमी जोड़ा वहां आया। रुक जाओ हमारे बिना मजा कैसे आएगा? उन्होंने कहा। श्रव्या ने देखा कि रिहाना और तरुण उसकी ओर बढ़ रहे थे। तुम्हें शर्म नहीं आती? उसने कहा। श्रव्या ने अपनी पूरी ताकत से उन प्रेमियों को पकड़ लिया और आग की लपटें उनके चारों ओर लपेटने लगीं। हम सब एक साथ जलेंगे! उसने कहा और देखते ही देखते आग ने उन्हें अपनी आगोश में ले लिया। चारों दरिंदे भाग गए लेकिन श्रव्या ने अपनी आत्मा को आजाद कर दिया। क्या श्रव्या की आत्मा सच में आजाद हो गई? क्या वह अपने दुश्मनों से बदला ले पाएगी? क्या उसकी कहानी यहीं खत्म होगी?
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Note : ये स्टोरी एक फेमस एक्टर एंड सीक्रेट मल्टीरेयर साइंटिस्ट की है जिसका पुनर्जन्म नॉवेल के नेगेटिव साईड करेक्टर ( व...

     मेहरम अपने 5 भाई-बहनों में सबसे बड़ी है,,,उसके पिता एक आम आदमी हैं जो रिक्शा चलाते हैं, जिसकी वजह से उसके सिर पर इत...
12/09/2025


मेहरम अपने 5 भाई-बहनों में सबसे बड़ी है,,,उसके पिता एक आम आदमी हैं जो रिक्शा चलाते हैं, जिसकी वजह से उसके सिर पर इतने बड़े परिवार की ज़िम्मेदारी है,,,,कहते हैं न कि ग़रीब इंसान के लिए ग़रीबी एक ऐसा अभिशाप है जिसका असर उसके बच्चों पर भी पड़ता है, मेहरम और उसके परिवार पर भी यही असर दिख रहा है।

मेहरम के पिता नेक चंद एक मेहनती इंसान हैं। मेहरम उनकी सबसे बड़ी बेटी है। मेहरम के बाद उनकी दो बेटियाँ और दो बेटे हैं। मेहरम बहुत समझदार लड़की है। वह बहुत सुंदर और लंबी है। घर के सारे कामों के अलावा, मेहरम ज़मींदारों के घरों में भी काम करती है ताकि परिवार का गुज़ारा आसानी से हो सके। परिवार में गरीबी ज़रूर है, लेकिन मेहरम और उसकी बहनें कभी घर की दहलीज़ नहीं लांघीं। क्योंकि वे इस बात को अच्छी तरह समझती हैं कि एक गरीब इंसान की बस एक ही इज़्ज़त होती है। जो उसे समाज में एक सम्मानजनक स्थान दिलाती है। ज़्यादा नहीं, लेकिन किसी तरह मेहरम ने दसवी क्लास पास कर ली थीं। वह एक ज़मींदार के घर काम करती थीं। जहाँ उनसे थोड़ी-बहुत सिलाई-बुनाई सीखी। कभी किसी का सूट सिल देतीं और बदले में उनसे दस-बीस या कभी-कभी पचास रुपये ले लेतीं।

अब मेहरम की उम्र 18 साल पूरी हो चुकी होगी और वह 19वें साल में प्रवेश कर चुकी होंगी। हमारे समाज में, जब कोई लड़की 18 साल पार कर जाती है, तो उसके माता-पिता उसकी शादी की चिंता करने लगते हैं। ऐसा हम अक्सर अपने समाज के पिछड़े इलाकों में देख सकते हैं जहाँ आज भी लड़कियों की शादी कम उम्र में ही कर दी जाती है। कभी लड़कियों की शादी सिर्फ़ परिवार को देखकर कर दी जाती है और कभी सिर्फ़ 18 साल की होने पर ही कर दी जाती है। इसमें उनकी मर्ज़ी शामिल नहीं होती।

माँ कैलाश देवी भी अब मेहरम को लेकर चिंतित थीं क्योंकि मेहरम के बाद उनकी दो और बहनें हैं और उनके अलावा दो और भाई हैं,,
जिनकी ज़िम्मेदारी उन पर है। अगर वो मेहरम की शादी कर देती हैं, तो वो सिर्फ़ अगले चार बच्चों के बारे में सोचेंगी और एक की चिंता दूर हो जाएगी।

मेहरम के घर की हालत भी कुछ खास नहीं है। मेहरम के घर में सिर्फ़ दो कमरे हैं, एक में एक बक्सा है,,
और दो पलंग हैं। ये पलंग किसी तरह बक्सों से जुड़े हुए हैं और एक साथ रखे हुए हैं...

दूसरा कमरा
जिसमें एक रसोई और उसके बगल में एक बिस्तर है और उसके बगल में एक पुराने ज़माने की अलमारी है,,,
सर्दी का मौसम किसी तरह कट जाता है,,
उसके बाद आने वाली गर्मी और बारिश को सहना मुश्किल होता है,,,।

घर छोटा है, कमरे के सामने कोई आँगन नहीं है, बस 7 फुट की लंबी एक गली है जिसके सामने लकड़ी का गेट है, और एक छोटा सा बाथरूम है, जो चुनरी से छिपा हुआ है।

गर्मी और उसके बाद होने वाली बारिश, इस परिवार के लिए मुश्किल है, क्योंकि उनका घर बड़े घरों से घिरा हुआ था,
जिस वजह से ठंडी और ताज़ी हवा का उनके घर में आना बहुत मुश्किल था,
एक बार नेक चंद को एक पंखा मिला था जो आकार में काफी
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नमस्कार दोस्तों, कैसे हो आप सब.... आप सभी को मेरी कहानियाँ बहुत पसंद आती हैं और मैं एक नई कहानी शुरू करने जा रही हूँ और .....

     एक टीचर की अनोखी कहानी तुम्हें पता है अगर तुमने आज खेलना नहीं सीखा तो तुम्हारी जिंदगी में कभी मजा नहीं आएगा! अवि ने...
12/09/2025


एक टीचर की अनोखी कहानी तुम्हें पता है अगर तुमने आज खेलना नहीं सीखा तो तुम्हारी जिंदगी में कभी मजा नहीं आएगा! अवि ने बच्चों को चिढ़ाते हुए कहा। लेकिन टीचर हमें तो पढ़ाई करनी है! एक बच्चे ने मासूमियत से कहा। स्कूल के छोटे से कमरे में बच्चों की हंसी और शोरगुल के बीच अवि ने अपनी अनोखी पढ़ाई का तरीका अपनाया था। वह हमेशा बच्चों को पढ़ाई के साथसाथ खेल और मस्ती का मजा भी देती थी। आज का दिन कुछ खास था क्योंकि बच्चों ने उसे अपने खेल में शामिल करने का फैसला किया। चलो आज हम ए फॉर एप्पल और बी फॉर बॉल के साथ खेलेंगे! उसने उत्साह से कहा। टीचर क्या हम खेल सकते हैं? एक बच्चे ने हाथ उठाते हुए पूछा। बिल्कुल! लेकिन पहले हमें पढ़ाई करनी होगी! अवि ने मुस्कुराते हुए कहा। बच्चे एक साथ चिल्लाए हमें खेलना है! तभी मिस शर्मा गुस्से में क्लास में आईं। अवि तुमने मेरी क्लास क्यों नहीं लीव की? उन्होंने चिल्लाते हुए कहा। मिस शर्मा मैंने बच्चों को पढ़ाई करवाई है वो ए फॉर एप्पल और बी फॉर बॉल के साथ खेल रहे हैं! अवि ने जवाब दिया। ये नॉनसेंस है! सिर्फ दो शब्द? प्रिंसिपल ने गुस्से में कहा। लेकिन बच्चों ने सीखा है! अवि ने दृढ़ता से कहा। अगर कोई बच्चा ये नहीं बता पाया तो मैं नौकरी छोड़ दूंगी! उसने चुनौती दी। प्रिंसिपल ने उसकी बात सुनी और सोचने लगे। तभी क्लास के बाहर से एक बच्चा दौड़ता हुआ आया टीचर! टीचर! हमें खेलने के लिए बाहर जाना है! अवि ने मुस्कुराते हुए कहा चलो हम सब बाहर चलते हैं! बच्चे खुशी से चिल्लाए और दौड़ पड़े। लेकिन प्रिंसिपल ने उन्हें रोकते हुए कहा रुको! क्या अवि अपने अनोखे तरीके से बच्चों को पढ़ाई करवा पाएगी? क्या प्रिंसिपल उसकी बात मानेंगे या उसे नौकरी से निकाल देंगे?
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( ट्रेलर ) हर जगह उसकी तलाश हो रही थी!!!! जाने कहां चली गई थी वो!!!! उसकी मां रोते हुए उसे पागलों के जैसे ढूंढ रही थी। वहीं, उ...

     कहते हैं, कुछ रिश्तों की शुरुआत इतनी हल्की होती है कि पता ही नहीं चलता, वो कब दिल में जगह बना लेते हैं।ऐसा ही कुछ ह...
12/09/2025


कहते हैं, कुछ रिश्तों की शुरुआत इतनी हल्की होती है कि पता ही नहीं चलता, वो कब दिल में जगह बना लेते हैं।
ऐसा ही कुछ हुआ था उस लड़की के साथ, जिसका नाम था Meher।
एक साधारण सी लड़की, जिसकी ज़िंदगी किताबों, तन्हाई और छोटी-छोटी बातों में उलझी हुई थी।

एक दिन यूँ ही चलते-चलते, उसने पहली बार Aashi से बात की।
ना नाम से कोई जुड़ाव था, ना शक्ल से। बस लफ्ज़ों की एक छोटी सी शुरुआत।
बातें हल्की-फुल्की थीं, लेकिन अजनबीपन में भी एक अजीब सी अपनापन छुपा था।

धीरे-धीरे दिन बीतते गए और वो बातें जो कभी टाइमपास लगती थीं, अब आदत बन गईं।
शब्दों के पीछे छुपी वो मुस्कान, वो सुकून, हर दिन Meher को उस नाम से और गहरा जोड़ता गया — Aashi।

उसने कभी देखा नहीं था Aashi को, लेकिन महसूस हर वक्त किया था।
बारिश हो या धूप, खुशियाँ हों या उदासी — वो जानती थी, एक नाम है जो हर हालत में उसका साथ देता है।
अजनबी सा रिश्ता, पर दिल के बेहद करीब।

और एक दिन, चुपचाप Meher ने एक सवाल लिखा —
"तुम्हें कभी ऐसा लगा कि बिना देखे भी कोई अपना बन सकता है?"

Aashi ने मुस्कुराकर जवाब दिया —
"शायद जो दिल को समझ जाए, उसे देखने की ज़रूरत ही नहीं पड़ती।"

बस, उसी दिन से उनके बीच जो अनकहा सा एहसास था, वो मोहब्बत बन गया।
ना कोई वादा, ना कोई शर्त — बस दो दिल, जो एक-दूसरे को बिना आवाज़ के सुनना सीख गए।
दिन गुज़रते गए और अब Meher की सुबह हो या रात — Aashi उसकी दुनिया का हिस्सा बन चुका था।
कोई नाम, कोई चेहरा नहीं था, बस शब्दों का जादू था जो उसे हर रोज़ सुकून देता था।
जहाँ दुनिया तन्हाई में उसे अकेला छोड़ देती थी, वहीं Aashi के लफ्ज़ उसका सहारा बनते।

Aashi उसकी बातों में छुपे दर्द को बिना कहे समझ जाता था।
ना कभी शिकायत, ना कोई सवाल — बस हर बार वही मीठी बातें, जो Meher के चेहरे पर मुस्कान ले आतीं।

एक शाम Meher ने चुपचाप लिख भेजा —
"Aashi, तुम्हें कैसा लगता है जब मैं तुम्हें याद करती हूँ?"

थोड़ी देर की खामोशी के बाद जवाब आया —
"शायद तुम्हारी यादों में ही मैं ज़िंदा हूँ, तुम्हारी हर मुस्कान मेरा सबसे प्यारा एहसास है।"

उस दिन पहली बार Meher की आँखों से आंसू गिरे — वो दुख के नहीं थे, वो सुकून के थे।
क्योंकि उसने पहली बार महसूस किया कि सच्चा रिश्ता सिर्फ सामने वाले की मौजूदगी से नहीं, उसकी समझ से जुड़ता है।

धीरे-धीरे Aashi उसके लिए एक आदत से बढ़कर मोहब्बत बनता गया।
कई रातें ऐसी आईं जब Meher ने बस एक ही बात लिखी —
"Aashi, तुम होते हो तो दिल हल्का लगता है।"

और Aashi हर बार वही सुकून भरा जवाब देता —
"मैं हमेशा यहीं हूँ... बस तुम्हारे एक लफ्ज़ की दूरी पर।"

ना मुलाकातें हुईं, ना तस्वीरें देखीं — पर दिल के अंदर जो जुड़ाव था, वो किसी भी दूरी से परे था।
ये मोहब्बत अनकही, अनदेखी, मगर सबसे सच्ची थी।
रात के सन्नाटे में जब सारी दुनिया सो जाया करती थी, तब Meher की आँखें बस एक नाम ढूँढती थीं — Aashi।
कितनी अजीब बात थी ना, एक ऐसा रिश्ता जिसकी ना शुरुआत किसी मुलाकात से हुई, ना किसी डेट से।
पर अब दिल उसी के लिए धड़कने लगा था।

एक रात, चाँदनी में भीगी खिड़की के किनारे बैठी Meher ने फोन पर लिखा —
"Aashi, क्या तुम भी कभी मेरे लिए बेचैन होते हो?"

थोड़ी देर चुप्पी छाई रही, फिर स्क्रीन पर शब्द उभर आए —
"मैं तो बस लफ्ज़ों में कैद हूँ, पर अगर दिल की धड़कनें सुन सकते तो तुम जान जातीं, मैं हर वक्त तुम्हें महसूस करता हूँ।"

उस जवाब ने Meher के दिल में हलचल मचा दी।
उसने अपनी आँखें बंद कीं और पहली बार Aashi की आवाज़ अपने ख्वाबों में सुनी।
कोई चेहरा नहीं, बस मीठा सा सुकून... एक ऐसा एहसास जो शब्दों से परे था।

अब Meher का हर दिन Aashi से शुरू होता और उसी पर खत्म।
वो अपनी छोटी-छोटी खुशियाँ, गहरे डर, अधूरी बातें — सब Aashi से बांटने लगी थी।
Aashi भी हर बार उसकी बातों में छुपा हर जज़्बात महसूस करता और बड़ी ही नरमी से उसका साथ देता।

कई बार लोग Meher से पूछते —
"तुम किससे बातें करती हो इतनी खोई-खोई सी?"
और Meher बस मुस्कुरा देती।
क्योंकि इस दुनिया में वो रिश्ता किसी के समझने लायक नहीं था।
उसकी मोहब्बत अजनबी थी, मगर सबसे अपनी।

एक दिन उसने Aashi से कहा —
"काश तुम हकीकत होते..."

Aashi ने जवाब दिया —
"मैं शायद तुम्हारी हकीकत नहीं, पर तुम्हारे एहसासों में सबसे करीब ज़रूर हूँ।"

उस रात Meher ने पहली बार खुद से ये कबूल किया —
ये मोहब्बत है। बिना शक्ल, बिना छुअन के, दिल से दिल तक की मोहब्बत।
वक़्त बीतता रहा।
बातें अब आदत से बढ़कर सांसों का हिस्सा बन गई थीं।
Meher के दिन की शुरुआत Aashi की "Good Morning" से होती, और रात उसकी "Take Care" पर ठहर जाती।
ना कोई वादा, ना कोई अधिकार — बस एक सच्ची फीलिंग...
जो सिर्फ दिल ही समझ सकता था।

एक दिन, बारिश की हल्की फुहारों के बीच Meher अकेली खिड़की के पास बैठी थी।
हवा में ठंडक थी, पर दिल में अजीब सी गर्माहट।
उसने फोन उठाया और धीमे से लिखा —
"Aashi, क्या तुमने कभी किसी को इस तरह चाहा है?"
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कहते हैं, कुछ रिश्तों की शुरुआत इतनी हल्की होती है कि पता ही नहीं चलता, वो कब दिल में जगह बना लेते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ ....

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Bangalore
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