
23/11/2024
काल भैरव अष्टमी: जीवन के संकट खत्म करें!
काल भैरव अष्टमी भगवान काल भैरव का पूजन व दर्शन का विशेष दिन होता है। इस दिन भगवान काल भैरव, जो शिव जी के उग्र रूप माने जाते हैं, की आराधना की जाती है। काल भैरव अष्टमी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है।
काल भैरव अष्टमी पर दर्शन और पूजा का महत्व
1. पूजा विधि:
प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
भगवान शिव और उनके भैरव स्वरूप की आराधना करें।
काले तिल, सरसों का तेल, लड्डू, इमरती और गुड़ का भोग लगाएं।
काल भैरव को शराब का भोग भी विशेष रूप से लगाया जाता है।
2. दर्शन का समय:
इस दिन विशेष रूप से काल भैरव मंदिरों में भीड़ रहती है।
काल भैरव जी के दर्शन प्रातः और संध्या के समय किए जा सकते हैं।
3. फल:
काल भैरव के दर्शन और पूजा से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं।
शत्रु बाधा, कोर्ट-कचहरी और अन्य समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
काल भैरव मंदिर
यदि आप दर्शन के लिए जा रहे हैं, तो भारत में कुछ प्रमुख काल भैरव मंदिर हैं:
1. काशी (वाराणसी): काल भैरव मंदिर, जिसे काशी का कोतवाल कहा जाता है।
2. उज्जैन: महाकालेश्वर मंदिर के निकट काल भैरव मंदिर।
3. दिल्ली: कालका जी और पुराना किला क्षेत्र के आसपास।
क्या आप किसी विशेष मंदिर के बारे में पूछ रहे हैं या दर्शन यात्रा की योजना बना रहे हैं?
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