30/03/2025
Rebels of Lucknow - छेदा पासी 1944
ब्रिटिश ख़ज़ाने की भयंकर लूट एवं लखनऊ का डकैत
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वह डाकू नही क्रांतिकारी था,अपनों के लिए बलिदानी था ..✍️😢
कपूरथला ( लखनऊ )में लगा ब्रिटिश कालीन शिलापट्ट में क्या लिखा है -
" लखनऊ पुलिस की उस टोली की वीरता का यह स्मारक है जिन्होंने निम्नलिखित अफसरी के नेतृत्व में इस स्थान के निकट दोनों दलों में गोली चलने के बाद 30 मार्च 1944 ईस्वी को नामी डकैत और हत्यारे छेदा पासी और उसके 9 साथियों को जिन्होंने बहुत दिनों से लखनऊ और अवध में हत्या और डकैती के द्वारा आतंक फैला रखा था
परास्त करके गिरफ्तार किया गया।
यमुना प्रसाद त्रिपाठी साहब बहादुर डिप्टी सुपरिटेंडेंट पुलिस शहर लखनऊ , मुंशी एजाज उलनवी खां साहब इंस्पेक्टर सिटी.....
शारदा बक्श सिंह कांस्टेबल थाना हसनगंज "
Story of rebel of Lucknow chheda Pasi
अंग्रेजो के कुशासन से तंग आकर एक नाम जो हमारे बीच में आज गूंज रहा है वह नाम 1940 के आसपास अंग्रेजो के नाक में दम कर रखा था जिसको अंग्रेजो ने लखनऊ का खूंखार डाकू की उपाधि से नवाजा था उसकी तलाश में ब्रिटिश पोलिस की नींद हराम हो गई थी ...... हम बात कर रहे हैं लखनऊ
के................. नामी डकैत छेदा पासी की...।
छेदा पासी का नाम उस समय देश में चल रहे है आज़ादी के आंदोलनो में सक्रिय रहना भी बताया जाता है
आज हम उन्हे डकैत नही उन्हे क्रांतिकारी कहेंगे क्योंकि उसने अंग्रेज़ी शासन की जड़े हिला दी थी वह अंग्रेजो के नज़र में अपराधी या डाकू रहा लेकिन लखनऊ के बाशिंदों के नज़र में वो सरकार था ,वह गरीबों का मसीहा था । उसके नाम से अमीर सामंती कांपते थे वह हमेशा गरीब बेसहारा लोगो का रहनुमा था ।
क्रांतिकारी छेदा पासी 1944 में कपूरथला में संघर्ष के बाद पकड़े गए किदवंती अनुसार उन्हे तोप के आगे बांधकर उड़ा दिया और कुछ के अनुसार उन्हे और उनके 9 साथियों को फांसी दी गई । जिसका शिलापट्ट आज भी कपूर थला में उस ज़माने से स्थापित है जिसकी उक्त पंक्तियां ऊपर में लिख चुका हूं जिसे आप पढ़ चूके होंगे ........
छेदा पासी अंग्रेजो की नज़र में तब चढ़ा जब उसने लखनऊ की सबसे सुरक्षित माने जाने वाले जगह से ब्रिटिश खज़ाने को उड़ा दिया अर्थात् अंग्रेजों के खज़ाने को लूट लिया और उसे गरीबों में बाट दिया....।
दरअसल उस समय छतरमंजिल जो गोमती नदी के पास स्थित था उसमें या उसके आसपास अंग्रेजो का खजाना रखा जाता था जहां सख्त पहरा होता था जहां परिंदा भी पर ना मार पाए ... कहते है उसको कई बार कई लोगो ने लुटने की कोशिश की पर नाकामयाब रहे ..... उस खजाने को लूटने के लिए छेदा पासी ने अंग्रेजो को खुला चैलेंज किया था की वह खज़ाना लूट कर दिखाऊंगा .....
अब उसने लूटा कैसे ...?
क्रांतिकारी छेदा पासी के बारे में कहा जाता है गोमती नदी के इस पार वो और उसके साथियों ने सुरंग खोद कर सुरंग को गोमती नदी के नीचे नीचे से ले जाकर उस पार छतरमंजिल के पास जिस कंपाउंड में खजाना रखा जाता था ठीक उसी के नीचे तक सुरंग बना डाली
कहते है सुरंग बनाने में महीना भर का समय लगा था .... उस खजाने को लूट कर उसने खबर फैला दी की खजाना छेदा पासी के द्वारा लूट लिया गया है
यह घटना अंग्रेजो के लिए चुल्लू भर पानी में डूबकर मर जाने जैसा बेहद शर्मनाक थी की इतना सख्त पहरा होने के बाद भी खजाना कैसे लूट लिया गया ....
यह सिलासिला बिलकुल वैसा ही है जैसे 70 के दशक में अमेठी के डाकू बरसाती पासी जो लूटने से पहले चिठ्ठी भेजता था और लूटने के बाद वह गरीबों में दान कर देता था उस कहानी की याद दिला देती है
छेदा पासी जो कहता उसे करता था.......... जब अवध में बागी डकैतों की बात हो तो पासियों को कैसे भूला जा सकता है.... अंग्रेजो के नज़र में वह डकैत थे, पर वह डकैत नही स्वाधीनता आंदोलन में सक्रिय वफादार थे..।
जो..... करम से डकैत और धरम से आज़ाद थे....
प्रत्येक 30 मार्च को क्रांतिवीर छेदा पासी जी का शहादत दिवस मनाया जाता है उस भारत के लाल को जो देश के लिए न्योछावर हो गया उसके चरणो में नमन है वंदन है हमारा🙏🚩 # #