Koushal Kumar YogI

Koushal Kumar YogI राजस्थान नाथ समाज जिला मिडिया प्रभारी बारा एवं गोरक्ष सेना जिला सचिव बारा

09/12/2023

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जब जेब में रुपये💸 हो तो दुनिया आपकी औकात देखती👀 हैऔर जब जेब में रुपये न हो तो दुनिया अपनी औकात दिखाती है🤨
28/11/2023

जब जेब में रुपये💸 हो तो दुनिया आपकी औकात देखती👀 है
और जब जेब में रुपये न हो तो दुनिया अपनी औकात दिखाती है🤨

17/06/2023

पंजाब में भगवा के प्रति यह नफरत देखकर आपको पालघर में साधुओं की हत्या की यादें ताजा हो जाएगी ..

भगवा रंग और साधुओं से इतनी नफरत .. साधु बार-बार कह रहे है कि भगवा वस्त्र पहना उसमें हमारा कसूर है, लेकिन फिर भी लाह भगवा, लह भगवा कहकर पीटते रहे। अंत मे साधुओं के भगवा वस्त्र फाड दिए

यह देश बरबादी की और चल पड़ा है इसको कोई रोकने वाला नहीं है क्योंकि आज साधुओं के साथ किया जा रहा है यह बहुत गलत है
नाथ संप्रदाय इनको कभी माफ नहीं करेगा क्योंकि उन्हें साधु को नहीं मारा एक नाथ संप्रदाय को मारा

सभी से अनुरोध है इस पोस्ट को आगे से आगे शेयर करें ताकि यह पोस्ट नरेंद्र मोदी जी तक पहुंचें और इन हत्यारों को सजा mile

एक पच्चीस वर्ष का युवा कथावाचक बिहार जैसे राज्य में आता है और दूसरे ही दिन आठ से दस लाख की भीड़ उमड़ पड़ती है, तो यह सिद्ध ...
01/06/2023

एक पच्चीस वर्ष का युवा कथावाचक बिहार जैसे राज्य में आता है और दूसरे ही दिन आठ से दस लाख की भीड़ उमड़ पड़ती है, तो यह सिद्ध होता कि अब भी इस देश की सबसे बड़ी शक्ति उसका धर्म है। मैं यह इसलिए भी कह रहा हूँ कि इसी बिहारभूमि पर किसी बड़े राजनेता की रैली में 50 हजार की भीड़ जुटाने के लिए द्वार द्वार पर गाड़ी भेजते और पैसे बांटते हम सब ने देखा है। वैसे समय में कहीं दूर से आये किसी युवक को देखने के लिए पूरा राज्य दौड़ पड़े, तो आश्चर्य होता है। मेरे लिए यही धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का सबसे बड़ा चमत्कार है।

वह दस लाख की भीड़ किसी एक जाति की भीड़ नहीं है, उसमें सभी हैं। बाभन-भुइंहार हैं, तो कोइरी कुर्मी भी... राजपूत हैं तो बनिया भी, यादव भी, हरिजन भी... यह वही बिहार है जहां हर वस्तु को जाति के चश्मे से देखने की ही परम्परा सी बन गयी है। उस टूटे हुए बिहार को एक युवक पहली बार में इतना बांध देता है, तो यह विश्वास दृढ़ होता है कि हमें बांधना असम्भव नहीं। राजनीति हमें कितना भी तोड़े, धर्म हमें जोड़ ही लेगा...

आयातित तर्कों के दम पर कितना भी बवंडर बतिया लें, पर यह सत्य है कि इस देश को केवल और केवल धर्म एक करता है। कश्मीर से कन्याकुमारी के मध्य हजार संस्कृतियां निवास करती हैं। भाषाएं अलग हैं, परंपराएं अलग हैं, विचार अलग हैं, दृष्टि अलग है, भौगोलिक स्थिति अलग है, परिस्थितियां अलग हैं, फिर भी हम एक राष्ट्र हैं तो केवल और केवल धर्म के कारण! धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री उसी धर्म की डोर से सबको बांध रहे हैं।

कुछ लोग उनके चमत्कारी होने को लेकर उनकी आलोचना करते हैं। मैं अपनी कहूँ तो चमत्कारों पर मेरा अविश्वास नहीं। एक महाविपन्न परिवार से निकला व्यक्ति यदि युवा अवस्था में ही देश के सबसे प्रभावशाली लोगों में शामिल हो जाता है, तो इस चमत्कार पर पूरी श्रद्धा है मेरी...

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपने समय के मुद्दों पर स्पष्ट बोलते हैं, यह उनकी शक्ति है। नवजागृत हिन्दू चेतना को अपने संतों से जिस बात का असंतोष था कि वे हमारे विषयों पर बोलते क्यों नहीं, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री उस असन्तोष को शांत कर रहे हैं। यह कम सुखद नहीं...

कुछ लोग धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को रोकने के दावे कर रहे थे। मैं जानता हूँ, उन्हें ईश्वर रोके तो रोके, अब अन्य कोई नहीं रोक सकेगा... धीरेंद्र समय की मांग हैं। यह समय ही धीरेंद्र शास्त्री का है।

मैं स्पष्ट मानता हूँ कि यह भारत के पुनर्जागरण का कालखंड है, अब हर क्षेत्र से योद्धा नायक निकलेंगे। राजनीति, धर्म, अर्थ, विज्ञान, रक्षा... हर क्षेत्र नव-चन्द्रगुप्तों की आभा से जगमगायेगा। देखते जाइये...

Mahakal Baba ki Jai Ho
13/03/2023

Mahakal Baba ki Jai Ho

 #कर्ज_वाली_लक्ष्मीएक 15 साल का भाई अपने पापा से कहा "पापा पापा दीदी के होने वाले ससुर और सास कल आ रहे है" अभी जीजाजी ने...
28/02/2023

#कर्ज_वाली_लक्ष्मी

एक 15 साल का भाई अपने पापा से कहा "पापा पापा दीदी के होने वाले ससुर और सास कल आ रहे है" अभी जीजाजी ने फोन पर बताया।

दीदी मतलब उसकी बड़ी बहन की सगाई कुछ दिन पहले एक अच्छे घर में तय हुई थी।

दीनदयाल जी पहले से ही उदास बैठे थे धीरे से बोले...

हां बेटा.. उनका कल ही फोन आया था कि वो एक दो दिन में #दहेज की बात करने आ रहे हैं.. बोले... ेज के बारे में आप से ज़रूरी बात करनी है..

बड़ी मुश्किल से यह अच्छा लड़का मिला था.. कल को उनकी दहेज की मांग इतनी ज़्यादा हो कि मैं पूरी नही कर पाया तो ?"

कहते कहते उनकी आँखें भर आयीं..

घर के प्रत्येक सदस्य के मन व चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रही थी...लड़की भी उदास हो गयी...

खैर..

अगले दिन समधी समधिन आए.. उनकी खूब आवभगत की गयी..

कुछ देर बैठने के बाद लड़के के पिता ने लड़की के पिता से कहा" दीनदयाल जी अब काम की बात हो जाए..

दीनदयाल जी की धड़कन बढ़ गयी.. बोले.. हां हां.. समधी जी.. जो आप हुकुम करें..

लड़के के पिताजी ने धीरे से अपनी कुर्सी दीनदयाल जी और खिसकाई ओर धीरे से उनके कान में बोले. दीनदयाल जी मुझे *दहेज* के बारे बात करनी है!...

दीनदयाल जी हाथ जोड़ते हुये आँखों में पानी लिए हुए बोले बताईए समधी जी....जो आप को उचित लगे.. मैं पूरी कोशिश करूंगा..

समधी जी ने धीरे से दीनदयाल जी का हाथ अपने हाथों से दबाते हुये बस इतना ही कहा.....

आप कन्यादान में कुछ भी देगें या ना भी देंगे... थोड़ा देंगे या ज़्यादा देंगे.. मुझे सब स्वीकार है... पर कर्ज लेकर आप एक रुपया भी दहेज मत देना.. वो मुझे स्वीकार नहीं..

क्योकि जो बेटी अपने बाप को कर्ज में डुबो दे वैसी "कर्ज वाली लक्ष्मी" मुझे स्वीकार नही...

मुझे बिना कर्ज वाली बहू ही चाहिए.. जो मेरे यहाँ आकर मेरी सम्पति को दो गुना कर देगी..

दीनदयाल जी हैरान हो गए.. उनसे गले मिलकर बोले.. समधी जी बिल्कुल ऐसा ही होगा..

शिक्षा- कर्ज वाली लक्ष्मी ना कोई विदा करें न ही कोई स्वीकार करे..

यह कहानी मेरी नही है, मैं यह भी नहीं जानता की यह किसने और कब लिखी है l मुझे अच्छी लगी तो मैने इसे समाज के साथ साझा करना अपना दायित्व समझा. आपको पसंद आये तो सारी दुआए उनके लिए ही होंगी जिन्होंने यह दिल से कागज पर उतारी है I

🙏🙏🙏

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