17/08/2025
अय्यंकाली (1863-1941) केरल के एक महान समाज सुधारक और दलित अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले नायक थे। उस समय केरल में छुआछूत और जातिगत भेदभाव अपने चरम पर था। दलितों को सार्वजनिक स्थानों, सड़कों और शिक्षा तक पहुंच से वंचित रखा जाता था। अय्यंकाली ने इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई और दलित समुदाय को संगठित किया।
उनका सबसे प्रसिद्ध संघर्ष 1893 में शुरू हुआ, जब उन्होंने बैलगाड़ी पर सवारी करके तथाकथित "ऊंची जातियों" की सड़कों पर चलने की मनाही को चुनौती दी। यह "विल्लुवंडी यात्रा" दलितों के अधिकारों का प्रतीक बनी। इसके बाद, उन्होंने दलितों के लिए शिक्षा के अधिकार की मांग की और 1904 में पहला दलित स्कूल स्थापित किया।
अय्यंकाली ने "सदन जन परिपालना संगम" की स्थापना की, जिसने दलितों को सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का काम किया। उनके अथक प्रयासों से दलितों को मंदिर प्रवेश और सरकारी नौकरियों में अवसर मिलने लगे। अय्यंकाली का संघर्ष न केवल सामाजिक समानता के लिए था, बल्कि यह मानव गरिमा और आत्मसम्मान का आंदोलन था। उनकी विरासत आज भी दलित सशक्तीकरण और सामाजिक न्याय की प्रेरणा बनी हुई है।