11/05/2024
पटना में एक जगह है, अनीसाबाद है। बहुत कम लोगों को ये मालूम है के वो किसके नाम पर है।
तस्वीर में दिख रही महिला अनीस फ़ातिमा हैं, उन्हीं के नाम पर पटना का अनीसाबाद है, जिन्हें लेडी इमाम के नाम से भी जाना जाता है। आप 1937 के चुनाव में चुनी गई बिहार इकलौती मुस्लिम महिला थीं। आज़ादी के बाद भी आप कई टर्म एमएलसी रहीं।
आपने तालीम के फ़ील्ड में कई बड़े काम किए। ख़ुदाबख़्श लाइब्रेरी की मेंबर थीं, बिहार उर्दू लाइब्रेरी की स्थापना में अहम रोल अदा किया। आप अंजुमन तरक़्क़ी ए उर्दू के बिहार चैप्टर की अध्यक्ष रहीं। आपने बिहार से लेकर हैदराबाद तक के कई स्कूल के स्थापना में अहम रोल अदा किया। जिसमे बांकीपुर गर्ल्स स्कूल (पटना), काको गर्ल्स स्कूल (जहानाबाद), सफ़दरिया गर्ल्स स्कूल (हैदराबाद) का नाम अहम है।
आपने अनीसाबाद में बच्चों के लिए एक घर लेडी मरियम इमाम लॉज के नाम से बना रखा था। सन् 1946 में हुए फ़साद में आपने बड़ी संख्या में लोगों को ना सिर्फ़ अपने यहाँ पनाह दी, बल्कि उनके खाने पीने का भी ख़्याल रखा। आज आप ही के मकान “मरियम मंज़िल” में मौलाना आज़ाद इंजीनियरिंग कॉलेज चलता है।
लेडी अनीस फ़ातिमा इमाम के ख़ानदान पर नज़र डालने पर आपको समझ आएगा कि ये हैं कौन -
- आपकी वालिदा निसार कुबरा एक साहिब ए दीवान शायरा थीं।
- आपकी नानी रशीदउन निसा भारत की पहली महिला हैं जिन्होंने किसी भारतीय भाषा में नावेल लिखा।
- आपके परदादा अली करीम थे, जो 1857 क्रांति के सबसे बड़े नायक थे, अंग्रेज़ों ने उनके सर पर 5 हज़ार का इनाम रख दिया था। उन्हें हिंदू लॉ में महारत हासिल थी।
- आपके शौहर सैयद अली इमाम थे। जो बिहार को अलग राज्य बनाने वालों में से थे। सैयद अली इमाम वाइसराय की कौंसिल के सदस्य थे। निज़ाम हैदराबाद के प्रधानमंत्री रहे। लीग ऑफ़ नेशन की पहली असेंबली में भारत की नुमाइंदगी की।
- आपके देवर सैयद हसन इमाम थे। जो पहले बिहारी हैं जिन्होंने 1918 में कांग्रेस की अध्यक्षता की।
- आपके ख़ालू सर अब्दुर रहीम दस साल तक केंद्रीय अस्मेबली के अध्यक्ष रहे।
- आपके भांजे आज़ाद हिन्द फ़ौज के अफ़सर और नेताजी सुभाष के मिलेट्री सेक्रेटरी रहे कर्नल महबूब अहमद थे।
- आपने जिस बच्ची को गोद लिया, वो अज़ीज़ा इमाम थीं, जो कई जर्नल की एडिटर के साथ दो टर्म राजसभा की मेंबर भी रहीं।
चूँकि अनीस फ़ातिमा की अपनी कोई औलाद नहीं थी, इसलिए सौतेले बच्चों के कारनामों को नहीं जोड़ रहा हूँ, अगर उसे जोड़ दिया जाए तो कोई सुप्रीम कोर्ट के जज मिलेंगे, तो कोई पटना हाई कोर्ट के, और एक दामाद तो सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस भी बने। पर मैं यहीं पर रुक जाता हूँ।
- Md Umar Ashraf