
08/07/2025
एक भक्त ने रामकृष्ण परमहंस जी से पूछा —
"भगवान हमारे जीवन में दुख क्यों देते हैं? क्या ईश्वर को हमारे सुख-दुख की कोई चिंता नहीं?"
रामकृष्ण परमहंस जी का उत्तर:
रामकृष्ण परमहंस जी मुस्कराए और बोले —
"बेटा, जब सोना आग में तपाया जाता है, तभी उसकी अशुद्धियाँ दूर होती हैं और वह खरा बनता है। उसी तरह जब मनुष्य दुखों की अग्नि में तपता है, तब उसका अहंकार, वासनाएँ और मोह धीरे-धीरे जलते हैं। भगवान अपने भक्तों को दुख इसलिए नहीं देते कि उन्हें पीड़ा पहुँचाना है, बल्कि इसलिए कि वे उन्हें शुद्ध और मजबूत बनाना चाहते हैं।
"जिस तरह माँ अपने बच्चे को कड़वी दवा देती है ताकि वह स्वस्थ हो जाए, वैसे ही भगवान भी हमें कभी-कभी कठिनाइयों की दवा देते हैं ताकि हम आत्मिक रूप से विकसित हो सकें।"
भावार्थ:
ईश्वर हमारे दुखों से उदासीन नहीं हैं, बल्कि वे हमारे आत्मिक कल्याण के लिए ही हमें कभी-कभी दुखों की अग्नि में डालते हैं। यदि हम श्रद्धा और धैर्य रखें, तो वही दुख हमें ईश्वर के और करीब ले जाते हैं।
ादेव
ः_शिवाय
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