The Tejal Media

The Tejal Media पश्चिमी राजस्थान सहित पूरे भारत की सही, सटीक खबरे आप तक पहुंचाना ही हमारा ध्येय !! [email protected]
(5)

18/09/2025

Barmer जिला पुलिस अधीक्षक नरेंद्र सिंह मीणा पहुंचे धरना स्थल, सरणु प्रकरण में परिजनों से की वार्ता..

18/09/2025

Barmer ।। सरणु प्रकरण में मांगो पर बनी सहमति, वरिष्ठ अधिवक्ता डालूराम चौधरी बोले नशे से बढ़ते अपराध की घटना चिंतनीय....

18/09/2025

Barmer ।। हथियारबंद बदमाशों ने की इकलौते भाई की ह* त्या, परिजनों का मोर्चरी के बाहर धरना जारी...

18/09/2025

नशे से ना जाने कितने घर बर्बाद हो गए?, मानवता को शर्मसार करने वाली घटनाएं बढ़ना इस क्षेत्र के लिए चिंता का विषय हैं...

नगर परिषद बाड़मेर का भ्रष्टाचार : जनता का सवाल – कब जाएंगे जेल दोषी?हाल ही में The TEJAL MEDIA ने एक युवा संवाद कार्यक्र...
18/09/2025

नगर परिषद बाड़मेर का भ्रष्टाचार : जनता का सवाल – कब जाएंगे जेल दोषी?

हाल ही में The TEJAL MEDIA ने एक युवा संवाद कार्यक्रम में नगर परिषद के भ्रष्टाचार पर खुलकर आवाज उठाई थी। खबर का असर यह हुआ कि संभागीय आयुक्त ने संज्ञान लिया और बाड़मेर-जैसलमेर सांसद ने चार माह पूर्व सतर्कता समिति में मामला दर्ज कर जांच की मांग उठाई थी। मगर कल स्थानीय भाजपा नेताओं ने संभागीय आयुक्त को शिविर में जानकारी देने के चार घंटे बाद ही शहर कोतवाली में सफेदपोश लोगों और पूर्ववर्ती सरकार के चहेतों के खिलाफ मामला दर्ज करवा दिया।

असल में करोड़ों का घोटाला सिर्फ इंद्रा रसोई में ही नहीं हुआ है, बल्कि पिछले 20 वर्षों में बाड़मेर शहर को जमकर लूटा गया है और कंगाल कर डाला गया है। इन भ्रष्टाचारियों ने नगर परिषद बाड़मेर को बारी-बारी से, सामूहिक प्रयासों से लूट का अड्डा बना रखा था।

एक ही व्यक्ति ने उनके आकाओं को खुली छूट दे रखी थी। खुद ने भ्रष्टाचार से कितना कमाया, इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि उसके पीछे घूमने वाले, झंडे उठाने और नारे लगाने वाले लोग आज अरबपति बन गए। सब कुछ डकार गए — जमीनों से लेकर सभी ठेके उनके पिछलग्गुओं को ही मिले।

आज शहर की जो तस्वीर है, उसके लिए सिर्फ और सिर्फ एक व्यक्ति जिम्मेदार है। वही व्यक्ति जो 5 वर्षों तक नगर पालिका अध्यक्ष रहा और फिर 15 वर्षों तक विधायक। उसका आदेश ही अंतिम आदेश माना जाता था। चेयरमैन सिर्फ नाम के थे, और अब उन्हीं बेचारों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हो रहे हैं। दरअसल, वे उसी व्यक्ति के कुकर्मों की सजा भुगत रहे हैं और जनता विकास को तरस रही है।

अगर 20 वर्षों तक एक ही व्यक्ति ने गड्ढे खोदे हैं तो उन्हें भरने में समय लगेगा। लेकिन जनता बदलाव के बाद चाहती है कि भ्रष्टाचारी जेल कब जाएंगे? जिन्होंने जनता के टैक्स के पैसों से अपने चुनाव लड़े और चहेतों को आबाद किया, जिन्होंने आगे-पीछे घूमने वालों को करोड़पति बना दिया, पेपर बेचने वालों को अरबपति बना दिया, और जो नैतिक पतन व चरित्रहीनता की घटनाओं में सामूहिक रूप से शामिल रहे — वो आज भी कानून को धोखा देकर खुद को निर्दोष बताते फिर रहे हैं।

लेकिन दुनिया ने जो शर्मनाक वीडियो देखे, उन्हें झुठलाया नहीं जा सकता। मगर अगर शर्म ही नहीं बची है तो ये लोग आराम से घरों में परिवार के साथ घूम सकते हैं। आपूर्ति सेना को भी इनके कुकर्म अच्छे लगे क्योंकि इन्हीं शर्तों पर धन-दौलत कमाई गई।

अगर ऐसे लोग भी राजनीतिक दलों में पुनः शामिल हो रहे हैं अथवा करवाए जा रहे हैं तो यह नीचता की हद है। जनता को लगता है कि ये लोग पवित्र आत्मा हैं? तो क्या अब बहिन-बेटियों को ये आशीर्वाद देंगे? मंचों पर सार्वजनिक रूप से जिस पार्टी में भी ये शामिल होंगे, वहां के बुजुर्ग नेता भी उनकी प्रशंसा करने लगेंगे। फिर व्यक्ति दल के बारे में क्यों सोचे?

हालांकि जिनकी आत्मा अभी जिंदा है और गिरवी नहीं रखी गई है, कम से कम उनसे उम्मीद है कि राजनीति की ऐसी गंदगी को घरों से, परिवारों से, शिक्षा के मंदिरों से, देवताओं के मंदिरों से और सामाजिक जाजम से दूर रखा जाएगा। क्योंकि आपके घर-परिवार में भी बहिन-बेटियां हैं, जो आपसे सवाल पूछ सकती हैं।

यदि आपके पास जवाब है तो जरूर, भुलाकर रात्रिभोज करवा सकते हैं – कोई नहीं रोकता। मगर सभी को एक जैसा मानने की भूल मत कीजिए। हमें तो बिना ग्राहक अपनी दुकान बंद करना मंजूर है, लेकिन ऐसे ग्राहक नहीं चाहिए।

राजनीतिक दलों को लगता है कि ऐसे लोगों के बिना पार्टी-संगठन नहीं चल सकता। तो फिर सत्ता प्राप्त करके ये लोग शायद महिला-बाल कल्याण मंत्री बनेंगे और महिला सुरक्षा इनके हाथों में सौंपने की तैयारी होगी।

👉 ऐसे में जनता को नया रास्ता अपनाना होगा।
स्वाभिमान जगाना होगा।
खुद को आगे लाना होगा।
अपनी हिफाजत, इज्जत-आबरू बचानी होगी।

क्योंकि पता नहीं कौन सा नेता कब, किस पार्टी में शामिल हो जाए और हम सुरक्षा का इंतजार करते रह जाएं। गरीब और अमीर – इज्जत सबकी बराबर है। अमीर के पास बहुत कुछ हो सकता है, लेकिन गरीब के पास सिर्फ उसके घर की इज्जत है।

इज्जत बचाओ – कुकर्मियों को दूर भगाओ।
शायद भविष्य में ऐसे नारे सुनाई दे सकते हैं।

आज की ताजा तस्वीर खींवसर नागौर से जहां मंत्री कृष्ण कुमार विश्नोई का भव्य स्वागत किया गया।
17/09/2025

आज की ताजा तस्वीर खींवसर नागौर से जहां मंत्री कृष्ण कुमार विश्नोई का भव्य स्वागत किया गया।

17/09/2025

के करो, केई को करो, बस मौज करो, जीना हुआ हो गया कल्याण, कड़वा है लेकिन सच है.....

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस पर आज पूरे देशभर में रक्तदान शिविर आयोजित हुए।उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने भी स्वय...
17/09/2025

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस पर आज पूरे देशभर में रक्तदान शिविर आयोजित हुए।

उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने भी स्वयं रक्तदान कर सेवा और समर्पण का संदेश दिया।

बाड़मेर NSUI का प्रतिनिधित्व पहुँचा दिल्ली विश्वविद्यालयदिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में इस बार पश्चिमी राजस्थान ...
17/09/2025

बाड़मेर NSUI का प्रतिनिधित्व पहुँचा दिल्ली विश्वविद्यालय
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में इस बार पश्चिमी राजस्थान की युवा शक्ति भी अपना योगदान दे रही है।
NSUI बाड़मेर जिलाध्यक्ष भूपेंद्र मेघवाल राजबेरा अपनी पूरी टीम के साथ लंबे समय से DU में चल रहे चुनावी अभियान में सक्रिय हैं। वे NSUI प्रत्याशी जोसलिन चौधरी और यूनिट 5225 के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं।
बाड़मेर की धरती से निकले ये युवा अब देश की राजधानी में छात्र राजनीति की नई इबारत लिखने में जुटे हैं। यह न केवल साहसी कदम है, बल्कि राजस्थान के युवाओं के बढ़ते राजनीतिक प्रभाव का भी प्रतीक है।

17/09/2025

राजस्थान विश्वविद्यालय: फिजिक्स विभाग में गाइड चेंज और NOC को लेकर छात्रों का प्रदर्शन, विभागाध्यक्ष का घेराव
राजस्थान विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग में शोधार्थियों ने विभागाध्यक्ष (HOD) की कथित मनमानी के खिलाफ शुक्रवार को जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। शोधार्थियों का आरोप है कि उन्हें गाइड बदलने, NOC (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) देने जैसी मूलभूत प्रक्रियाओं में जानबूझकर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है।

प्रदर्शन का नेतृत्व छात्र नेताओं अरविंद नांगल, प्रदीप मांडोता, मनोज खर्रा, राजकुमार ने किया, जिसमें दर्जनों शोधार्थी शामिल रहें। शोधार्थियों ने विभागाध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि यदि शीघ्र समाधान नहीं हुआ तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।

एक शोध छात्र ने बताया कि वह पिछले 8 महीनों से गाइड परिवर्तन के लिए विभाग के चक्कर काट रहा है, लेकिन फाइल जानबूझकर रोकी जा रही है। वहीं, एक अन्य स्कॉलर ने आरोप लगाया कि उसे NOC नहीं दी जा रही, जिससे उसकी फेलोशिप और नौकरी के अवसर बाधित हो रहे हैं।
छात्रों का कहना है कि देश के कई प्रतिष्ठित शोध संस्थानों में मानसिक दबाव के चलते आत्महत्या जैसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं, फिर भी प्रशासन समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाता।

प्रमुख मांगें:
1. गाइड परिवर्तन की प्रक्रिया को पारदर्शी और समयबद्ध किया जाए
2. NOC को अनावश्यक रूप से रोकने पर जवाबदेही तय हो
3. मानसिक उत्पीड़न की एक कमेटी बनाकर स्वतंत्र जांच हो
4. विभाग में जवाबदेह और छात्रहितैषी प्रशासन सुनिश्चित किया जाए

यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से इस विषय में समाचार लिखे जाने तक कोई प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हो सकी है।
छात्रों ने चेतावनी दी है कि यदि समस्या का शीघ्र समाधान नहीं किया गया, तो वे कुलपति कार्यालय का घेराव करेंगे और राज्यपाल से भी हस्तक्षेप की मांग करेंगे।

17/09/2025

हिंदीमय होता बाड़मेर !! जाने रामाराम जी भास्कर से क्या है विशेष?

जाट: सेवा, समर्पण और संकट — एक आत्ममंथनजाट का मतलब है — सेवा, समर्पण, कर्तव्यनिष्ठा; चरित्र का साफ और बेदाग चेहरा; न्याय...
16/09/2025

जाट: सेवा, समर्पण और संकट — एक आत्ममंथन

जाट का मतलब है — सेवा, समर्पण, कर्तव्यनिष्ठा; चरित्र का साफ और बेदाग चेहरा; न्यायप्रियता; सत्य बोलने वाला; और अन्नदाता — जो हर इंसान और प्राणी को देता है। इसलिए जाट को 'जाट देवता' कहा गया।

लेकिन जिस कठिन परिश्रम, मेहनत और लगन से जाट समुदाय ने आर्थिक, शैक्षणिक और राजनीतिक रूप से उन्नति की, उसी प्रगति के साथ कुछ अनियंत्रित प्रवृत्तियाँ भी आईं। जैसे-जैसे जाट कौम मजबूत हुई, वैसे-वैसे कुछ लोग पैसा, पद और पावर का प्रदर्शन करने लगे। एकता, ताकत, और संख्याबल का धीरे-धीरे दुरुपयोग होने लगा। जो भी सामाजिक एकता और सुरक्षा मिली, उनके मिलने पर कुछ लोगों ने अहसान भूलते हुए समाज या अपने स्वार्थ के हिसाब से राजनीतिक लाभ उठाना शुरू कर दिया।

असल जाट की पहचान — राबड़ी, रोटी, रेवान, गाड़ी, गुडाळ की विरासत — पीछे छूटती गई। जो कभी देवता माने जाते थे, वे धीरे-धीरे मांगने वाले बनते गए। लोग समय के साथ अलग-थलग पड़ते गए। इसके बावजूद समाज के नेतृत्वकर्ताओं ने गहराई से कभी चिंता नहीं की, न ही बढ़ती सामाजिक कुरीतियों, असमानताओं, बिखराव और संस्कारहीनता को रोकने के प्रयास किए।

यह बेपरवाहियाँ और अनदेखी जहर उगलने, घोलने, डराने-धमकाने, नशे और चरित्रहीनता जैसी कृतियों तक पहुंच गए। धीरे-धीरे चौधरी से चौधरी, फिर किसान से जाट तक का नाम भी संदेह के घेरे में आ गया। हालाँकि मैं किसी ओहदे पर नहीं हूँ और न ही समाज का अधिकृत प्रवक्ता, पर जाट जाति में जन्म लेने के कारण मेरा अपना फर्ज, नैतिक कर्तव्य और दर्द है — और मैं उसे कलम के माध्यम से व्यक्त करता हूँ।

ऐसे दर्द और भावनाएँ सामाजिक मंचों पर ज़ाहिर होनी चाहिए, मगर मेरे जैसे लोगों को किसी सामाजिक कार्यक्रम या अधिकृत संस्था द्वारा मंच ही नहीं दिया जाता ताकि वे अपनी पीड़ा अपनों के बीच रख सकें। खैर, मेरी व्यक्तिगत स्थिति ठीक रहे भी तो भी समाज के 90 प्रतिशत लोगों की हालत मेरी तरह ही है। युवाओं के दर्द को सुनना तो दूर, उन्हें महसूस तक नहीं किया गया।

यह विसंगति बेहद दुखद है: जिस जाट समाज को छत्तीस बिरादरी का न्यायदेवता कहा जाता था, उसने अपने ही लोगों का गला घोंट दिया। हमने जहर का घूंट पीकर सत्य को दबा दिया; बोलने तक नहीं दिया गया। थक-हारकर लोग सामाजिक ठेकेदारी के सामने हथियार डाल चुके हैं। हालाँकि वर्तमान जाट समाज दिशा और नेतृत्वहीन, बेबस और लाचार नजर आ रहा है — शायद हमारे बुजुर्गों ने कभी ऐसी कल्पना नहीं की होगी कि अगली पीढ़ी इतनी कमजोर हो जाएगी।

राजनीति और निजी स्वार्थ के कारण आज कोई भी किसी की गोद में बैठ कर समाज का सौदा कर सकता है। जिन ताकतों के खिलाफ सदियों से हमारे बुजुर्ग लड़े और अन्याय-सह कर आज़ादी की कीमत चुकाई, वही लोग आज थोड़े लाभ के लिए जाट समाज के कुछ लोग दूसरे के हाथों खेल रहे हैं — और समाज को गाली, नीचा दिखाने और विभाजन की राह पर धकेल रहे हैं।

गुटबाज़ी, बिखराव और संस्कारहीनता के कारण नियंत्रण खत्म हो चुका है। इसलिए जो जाट देवता माने जाते थे, वे अब मांगता नजर आने लगे हैं। सत्य, वचन, बात के धनी, चरित्रवान और न्यायप्रिय लोग — जो सर कटाने का साहस रखते थे — उनका तेज़ फीका पड़ गया है। आज समाज के लोग असामाजिक कृत्यों में लिप्त दिखाई दे रहे हैं।

कुछ लोग जिन्हें जाट की असल परिभाषा पता ही नहीं, वे दिन-रात समाज के प्रवक्ता बनकर दूसरे समाजों को गाली देते हैं और नीचा दिखाने का प्रयास करते हैं, जबकि उन्हें समाज की तरफ से कोई अधिकृत भी नहीं किया गया। सोशल मीडिया पर ऑडियो, वीडियो और फोटो वायरल करके ये कहते रहते हैं कि किसी बाहरी तत्व ने हमारे जाट समाज को बदनाम किया।

सच तो यह है कि अब शांत रहकर समाज की सच्ची सेवा करना और अपना करियर बनाना ही जाट समाज के लिए सबसे बड़ा अहसान होगा। इसी बात का जवाब देने के लिए समाज में जनप्रतिनिधि, प्रशासनिक अधिकारी, सामाजिक संगठन और विभिन्न संस्थाएँ हैं — किन्तु आप लोगों की हरकतें समाज का भला करने के बजाय उसे बदनाम और नुकसान पहुंचा रही हैं।

राजनीतिक दलों से जुड़े अधिकृत नेता, कार्यकर्ता और पार्टियों का समर्थन या विरोध करना व्यक्तिगत अधिकार है, पर हर घटना या दुर्घटना में पूरे समाज को घसीटना और खाई पैदा करना अनुचित है। दूरियाँ पैदा करने का प्रमुख कारण बेलगाम लोग और फालतू टिप्पणियाँ हैं। जिनके पास जिम्मेदारी है, उन्हें अपना कर्तव्य निभाना चाहिए।

जो समाज के मुखिया हैं और जो सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी हैं, वे समाज के नाम पर लाभ उठा रहे हैं — माला और साफा पहन रहे हैं — पर उनमें से कई नैतिक पतन और अन्य घटनाओं की जिम्मेदारी स्वीकार करने को तैयार नहीं। यह आपकी विफलता है कि समाज भटक रहा है। सही दिशा देने और कड़े कदम उठाने की जरूरत है।

सबसे पहले यह देखिए कि समर्थक और विरोधी कौन हैं; जिन्होंने आधे से ज्यादा समाज को ठिकाने लगा दिया है, उन्हें ठिकाने लगाना होगा। यदि गरीब और अमीर दोनों के लिए न्याय अलग-अलग है तो आक्रोश फूटना तय है।

समाज का कोई भी अधिकृत व्यक्ति सिर्फ रजिस्टर करके नहीं बन जाता। खुद को साबित करने के लिए सदस्यता अभियान चलाने चाहिए और ग्राम से लेकर जिला, प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर तक अध्यक्ष और प्रतिनिधियों का चयन सर्व-सहमति और पारदर्शी तरीके से होना चाहिए — तभी समाज उन्हें स्वीकार करेगा और लाभ मिलेगा।

अपराधों पर नजर डालें — हत्या, डकैती, लूट-अपहरण जैसे जघन्य अपराधों में समाज के लोग भी लिप्त हैं। नशे सहित तमाम अवैध कारोबारों में हाथ आज़मा रहे हैं। नैतिक पतन और चरित्रहीनता की सबसे ज्यादा घटनाएँ आज जाट समाज में ही हो रही हैं। आखिर इसका जिम्मेदार कौन है और इसे रोकने की चिंता कौन करेगा?

अब तो इतनी घटनाएँ हो रही हैं कि आने से पहले ही डर बैठता है कि कहीं हमारे समाज का कोई व्यक्ति तो शामिल न हो। दूसरे समाज में कोई घटना होने पर हमारे लोग तुरंत उसे कटघरे में खड़ा कर देते हैं और प्रमाण पत्र बांट देते हैं, पर जब हमारे समाज का व्यक्ति अपराध करता है तो न्याय के देवता का नजरिया बदल जाता है। यही दोहरा रवैया और दोहरा चरित्र हमारी पहचान को धूमिल कर रहा है।

लिखने के लिए बहुत कुछ है और दर्द भी गहरा है क्योंकि दगा तो अपने ही लोगों ने दिया है। फिर भी मैंने यह दर्द सीने में दबा कर रखा — कभी समाज या किसी व्यक्ति के खिलाफ खुलेआम ज़हर नहीं उगला। मेरे जैसे लोगों के साथ अन्याय हुआ तो सहन किया और भूल गये, पर अब देखना मुश्किल हो रहा है कि न्याय का देवता समाज की बाज़ार में बिकता जा रहा है। छत्तीस बिरादरी को न्याय कौन देगा?

आप तो अंधे की भांति परिवार, समाज और जाट जाति को दबाने, कुचलने और ठिकाने लगाने में लगे हुए हैं — केवल बादशाहत कायम रखने के लिए। असली जाट बनना होगा, गौरव लौटाना होगा। गिरते नैतिक स्तर और चरित्र को संभालना होगा। बेलगाम पीढ़ी को कौन रोकेगा और टोकेगा? आखिर जाट को 'न्याय का देवता' ऐसे ही थोड़े ही कहा जाता है।

न्याय, चौधराहट और रुतबा कायम रखने के लिए उठो, जागो — चौधरियों, एक बार फिर कसम खाओ: न्याय होगा, वो भी पूरे समाज और छत्तीस बिरादरी के साथ — पुराना वैभव लौटेगा।

आज शिक्षकों और समाज के युवाओं का सबसे ज्यादा चरित्र गिर रहा है। नैतिक पतन और अवैध कारोबार तथा सामाजिक अपराधों में जाट समाज की हिस्सेदारी चिंताजनक है। जैसे-जैसे हम दूसरे समाजों के अपराधियों पर राय रखते हैं, वैसी ही नज़रिया हमें अपने समाज के अपराधियों पर भी रखना चाहिए — अपराध किसी व्यक्ति विशेष द्वारा होता है, पूरा समाज या बिरादरी शामिल नहीं होती। अपराध सिर्फ अपराध होता है — इस दृष्टिकोण की जरूरत है।

पंच बनने से पहले किसी को यह देखना चाहिए कि उसकी अपनी कमीज कितनी साफ़ है।

Address

Barmer
344001

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when The Tejal Media posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to The Tejal Media:

Share