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सेंधा नमक की हकीकत और फायदेक्या आपने कभी सोचा है कि सेंधा नमक समय के साथ कैसे गायब कर दिया गया?और आप यह भी सोच रहे होंगे...
07/10/2025

सेंधा नमक की हकीकत और फायदे

क्या आपने कभी सोचा है कि सेंधा नमक समय के साथ कैसे गायब कर दिया गया?
और आप यह भी सोच रहे होंगे कि सेंधा नमक बनता कैसे है?

आइए आज हम आपको बताते हैं कि नमक मुख्यतः कितने प्रकार का होता है।
एक होता है समुद्री नमक, और दूसरा होता है सेंधा नमक (Rock Salt)।

सेंधा नमक बनाया नहीं जाता, बल्कि प्रकृति में पहले से ही तैयार मिलता है।
उत्तर भारत के पूरे उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को सेंधा नमक, सैन्धव नमक या लाहौरी नमक कहा जाता है।
इसका अर्थ है — “सिंध या सिन्धु क्षेत्र से आया हुआ नमक।”

वहाँ नमक के बड़े-बड़े पहाड़ और सुरंगें हैं, जहाँ से यह नमक निकाला जाता है।
यह मोटे टुकड़ों में पाया जाता है और अब पिसा हुआ रूप भी मिलने लगा है।
यह हृदय के लिए उत्तम, दीपन-पाचक, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य (ठंडी तासीर) वाला और पचने में हल्का होता है।

सेंधा नमक पाचक रसों को बढ़ाता है, इसलिए समुद्री नमक के चक्कर से बाहर निकलिए।
काला नमक और सेंधा नमक का प्रयोग कीजिए — क्योंकि ये प्रकृति के बनाए हुए हैं।

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सेंधा नमक के फायदे

सेंधा नमक रक्तचाप और कई गंभीर बीमारियों को नियंत्रित करने में मदद करता है क्योंकि यह अम्लीय नहीं, बल्कि क्षारीय (Alkaline) होता है।

जब क्षारीय पदार्थ शरीर के अम्ल से मिलते हैं, तो वह न्यूट्रल हो जाता है और रक्त की अम्लता खत्म होती है।

रक्त की अम्लता खत्म होने से शरीर के लगभग 48 रोग स्वतः ठीक हो जाते हैं।

यह नमक पूरी तरह से घुलनशील है।

उपवास या व्रत में हमेशा सेंधा नमक ही प्रयोग किया जाता है।
सोचिए, जो नमक आपके व्रत को अपवित्र कर सकता है, वह आपके शरीर के लिए कैसे लाभकारी हो सकता है?

सेंधा नमक में 97 आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर की कमी को पूरा करते हैं।
इन पोषक तत्वों की कमी से ही लकवे (Paralysis) का खतरा बढ़ जाता है।

आयुर्वेद के अनुसार सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को संतुलित करता है।
यह पाचन में सहायक, हृदय के लिए लाभकारी, तथा पोटैशियम और मैग्नीशियम से भरपूर होता है।
इसी कारण यह लवण भास्कर चूर्ण, पाचन चूर्ण जैसी आयुर्वेदिक औषधियों में भी उपयोग होता है।

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समुद्री नमक के भयंकर नुकसान

आयुर्वेद के अनुसार समुद्री नमक शरीर के लिए हानिकारक माना गया है।
कंपनियाँ इसमें अतिरिक्त आयोडीन मिलाती हैं।

आयोडीन दो प्रकार का होता है —

1. प्राकृतिक (प्रकृति द्वारा बना हुआ)

2. औद्योगिक (Industrial Iodine)

औद्योगिक आयोडीन बहुत खतरनाक होता है।
समुद्री नमक में यही आयोडीन मिलाकर बेचा जाता है, जिससे कई गंभीर बीमारियाँ पैदा होती हैं।

समुद्री नमक अम्लीय (Acidic) होता है, जिससे रक्त की अम्लता बढ़ती है।
रक्त की अम्लता बढ़ने से उच्च रक्तचाप (High BP), मधुमेह (Diabetes) और अन्य 48 तरह की बीमारियाँ हो सकती हैं।

यह नमक शरीर में पूरी तरह नहीं घुलता, इसलिए किडनी में पथरी बनने का कारण भी बनता है।
रिफाइंड नमक में लगभग 98% सोडियम क्लोराइड होता है, जिसे शरीर विजातीय पदार्थ मानता है।

इसमें आयोडीन को बनाए रखने के लिए
Tricalcium Phosphate, Magnesium Carbonate, Sodium Alumino Silicate जैसे रसायन मिलाए जाते हैं —
जो कि सीमेंट बनाने में भी उपयोग होते हैं।

विज्ञान के अनुसार, ये रसायन रक्त वाहिनियों को कठोर बनाते हैं,
जिससे ब्लॉकेज, ऑक्सीजन की कमी, जोड़ों का दर्द, गठिया और प्रोस्टेट संबंधी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।

एक ग्राम नमक अपने से 23 गुना अधिक पानी खींचता है।
इस कारण शरीर की कोशिकाओं का पानी कम हो जाता है और प्यास ज्यादा लगती है।

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निष्कर्ष

इसलिए, अतिरिक्त आयोडीन युक्त समुद्री नमक का सेवन छोड़िए
और उसकी जगह सेंधा नमक को अपनाइए।

सिर्फ “आयोडीन” के चक्कर में समुद्री नमक खाना समझदारी नहीं है —
क्योंकि सेंधा नमक में भी प्राकृतिक आयोडीन होता है।
इसके अलावा, आयोडीन हमें आलू, अरवी, हरी सब्जियों आदि से भी पर्याप्त मात्रा में मिल जाता है।

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06/10/2025

100 साल से ज़्यादा एक मालिक बर्दाश्त नहीं करती ज़मीन 😳

जब यह मकान बनना शुरू हुआ होगा तो घर वालों ने कितने शौक से बनाया होगा, कितनी शिद्दत से इसकी सजावट की होगी।
बीवी कहती होगी – “यहाँ यह डिज़ाइन बनाना है, यहाँ पर यह दरवाज़ा लगाना है और यहाँ पर ऐसी खिड़की रखनी है।”

आह… चले गए ना सब!
यहाँ से सबको जाना है।

ज़मीन और मकान के लिए मत लड़ा करो मालिकों।
ज़मीन 100 साल से ऊपर एक मालिक बर्दाश्त नहीं करती।
मालिक बदलते रहते हैं… इसलिए कमाई की हद तय करो।

जीना सीखो।
एक उम्र के बाद अपनी मर्ज़ी से कहीं जा भी नहीं सकोगे।
आज खुद के लिए वक्त नहीं निकालते,
कल कहीं गिर गए, कहीं खो गए तो—
“नहीं पापा, वहाँ मत जाना… जाकर बीमार पड़ जाओगे।”
बच्चे भी बहाने लगाने लगेंगे।

और अगर गलती से ज़िद करके चले भी गए और कहीं चोट लग गई या बीमार हो गए,
तो वही बच्चे-बहू ताने देंगे—
“हमने तो पहले ही रोका था, अब कौन देखेगा इन्हें? बच्चे देखें या ये?”
अगली बार बहू कह देगी – “अब मैं नहीं करूंगी, जैसा करना है करो।”

इसलिए जब तक जियो, जी भर के जियो।
क्योंकि जिनके लिए जोड़ रहे हो,
कल वही तुम्हें आराम भी नहीं करने देंगे,
उनसे पूछकर ही आराम करना होगा।

यह दुनिया एक नाटक है—
अपना किरदार निभाते चलो।
तुम इस नाटक का सिर्फ़ एक हिस्सा भर हो।

किसी बेतहाशा कमाने वाले से उसके अंतिम दिनों में पूछना—
"क्या मिला जोड़ते-जोड़ते, सपने मारते-मारते जीकर?"

वो कहेगा—
"तजुर्बा यही कहता है,
खुद से पूछ कर करता हूँ तो ‘ना’ मिलती है,
ना पूछ कर कर दूँ तो मानते नहीं…
आप ही का ताना।"

ये बातें आम हो जाती हैं एक उम्र के बाद।
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गाँव की भलाई चाहते हो तो ऐसे कबूतर खाने जैसी ऊँची-ऊँची इमारतें मत खड़ी करो।जो लोग समझते हैं कि यहाँ पक्षी बसेरा करेंगे, ...
06/10/2025

गाँव की भलाई चाहते हो तो ऐसे कबूतर खाने जैसी ऊँची-ऊँची इमारतें मत खड़ी करो।

जो लोग समझते हैं कि यहाँ पक्षी बसेरा करेंगे, वे खुद ही गिन लें कि इसमें कितने परिंदे बैठे नज़र आ रहे हैं। यह महज़ दिखावा है, असल में एक ऐसी प्रजाति को बढ़ावा देता है जो बाकी चिड़ियों और जैव विविधता के लिए बड़ा ख़तरा है।

गाँवों में अंग्रेज़ी बबूल ने जैसे सब नष्ट किया, वैसा ही हाल यह भी करेगा। कबूतरों के कारण गौरैया और अन्य छोटे पक्षी या तो पलायन कर जाएँगे या धीरे-धीरे खत्म हो जाएँगे।

कबूतर की बीट और पंखों से इंसानों में खतरनाक फेफड़ों की बीमारियाँ होती हैं। डॉक्टर तक मरीज़ से पूछते हैं कि कहीं आप कबूतरों को दाना तो नहीं डालते?

याद रखो – कबूतर किसान का मित्र नहीं, बल्कि दुश्मन है। ये कीड़े-मकोड़े नहीं खाते, बल्कि सीधे अनाज पर हाथ साफ करते हैं और खेतों को नुकसान पहुँचाते हैं।

भाइयों, अगर आपके गाँव में ऐसा निर्माण हो गया हो तो उसके आसपास जाने से बचो। यह स्वास्थ्य और पर्यावरण – दोनों के लिए नुकसानदेह है।

राजस्थान वन विभाग Rajasthan Forest Department से निवेदन है कि इस पर कड़ा एक्शन लें और ऐसी जैव विविधता को बिगाड़ने वाली संरचनाओं को हटवाएँ।

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"पश्चिमी राजस्थान की खूबसूरती—पेड़, ऊंट और रेगिस्तान—क्या ये आने वाली पीढ़ियों के लिए सिर्फ तस्वीरों में रह जाएगा?"

ये तस्वीर कल को शायद सिर्फ याद बनकर रह जाए, जब हर ओर बस सोलर पैनल बिछे होंगे।
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