Shakti News Rajasthan

Shakti News Rajasthan आपकी कोई भी न्यूज एवं विज्ञापन के लिए संपर्क करें Shakti News Rajasthan पर इस नम्बर पर सम्पर्क करें = [email protected]
🙏 Thanks You 🙏

आज रविंद्र सिंह भाटी ने बाड़मेर की पावन धरा पर ६वीं राजपूताना राइफल्स के स्थापना दिवस तथा माँ भारती के वीर सपूत, परमवीर ...
17/07/2025

आज रविंद्र सिंह भाटी ने बाड़मेर की पावन धरा पर ६वीं राजपूताना राइफल्स के स्थापना दिवस तथा माँ भारती के वीर सपूत, परमवीर चक्र विजेता श्री पीरु सिंह जी के शहादत दिवस के अवसर पर आयोजित एक गरिमामय समारोह गार्ड ऑफ ऑनर में सम्मिलित होने का सौभाग्य प्राप्त किया। इस पावन अवसर पर, वीर सपूतों की अदम्य शौर्य गाथा को स्मरण कर उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन किया। साथ ही, ६ वीं राजपूताना राइफल्स के समस्त परिवारजनों को इस स्थापना दिवस के गौरवमयी अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएँ प्रेषित कीं। जय हिंद! 🙏🏻💐🌺🎉🌟

चौहान वंश के कर्ण, शरणागतम रक्षक, वचन परायण, 29 वर्ष की आयु में 16 बड़े युद्ध के नायक भारत के महान हिंदू शासक रणथंबोर नर...
17/07/2025

चौहान वंश के कर्ण, शरणागतम रक्षक, वचन परायण, 29 वर्ष की आयु में 16 बड़े युद्ध के नायक भारत के महान हिंदू शासक रणथंबोर नरेश हमीर देव चौहान की जयंती पर सादर नमन !

सिहं गमन सत्यपुरुष वचन , कदली फले एक बार |
त्रियो तेल हठ हमीर चढे़ न दूजी बार ||

#वीर_हम्मीरदेव_चौहान

आज 7 जुलाई को वीर हम्मीर देव चौहान की जयंती है, उनको शत शत नमन।
सिंह सुवन, सत्पुरुष वचन, कदली फलै इक बार, तिरिया तेल हमीर हठ, चढ़ै न दूजी बार...
अर्थात सिंह एक ही बार संतान को जन्म देता है. सज्जन लोग बात को एक ही बार कहते हैं । केला एक ही बार फलता है. स्त्री को एक ही बार तेल एवं उबटन लगाया जाता है अर्थात उसका विवाह एक ही बार होता है. ऐसे ही राव हमीर का हठ है. वह जो ठानते हैं, उस पर दोबारा विचार नहीं करते।

ये वो शासक है जिन्होंने अल्लाउद्दीन खिलजी को तीन बार हराया था ,और अपनी कैद में भी रखा था । इनके नाम के आगे आज भी हठी जोड़ा जाता है

राव हम्मीर देव चौहान रणथम्भौर “रणतभँवर के शासक थे। ये पृथ्वीराज चौहाण के वंशज थे। इनके पिता का नाम जैत्रसिंह था। ये इतिहास में ‘‘हठी हम्मीर के नाम से प्रसिद्ध हुए हैं। जब हम्मीर वि॰सं॰ १३३९ (ई.स. १२८२) में रणथम्भौर (रणतभँवर) के शासक बने तब रणथम्भौर के इतिहास का एक नया अध्याय प्रारम्भ होता है।हम्मीर देव रणथम्भौर के चौहाण वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली एवं महत्वपूर्ण शासक थे। इन्होने अपने बाहुबल से विशाल साम्राज्य स्थापित कर लिया था।

राव हमीर का जन्म सात जुलाई, 1272 को चौहानवंशी राव जैत्रसिंह के तीसरे पुत्र के रूप में अरावली पर्वतमालाओं के मध्य बने रणथम्भौर दुर्ग में हुआ था। बालक हमीर इतना वीर था कि तलवार के एक ही वार से मदमस्त हाथी का सिर काट देता था. उसके मुक्के के प्रहार से बिलबिला कर ऊंट धरती पर लेट जाता था। इस वीरता से प्रभावित होकर राजा जैत्रसिंह ने अपने जीवनकाल में ही 16 दिसम्बर, 1282 को उनका राज्याभिषेक कर दिया। राव हमीर ने अपने शौर्य एवं पराक्रम से चौहान वंश की रणथम्भौर तक सिमटी सीमाओं को कोटा, बूंदी, मालवा तथा ढूंढाढ तक विस्तृत किया। हमीर ने अपने जीवन में 17 युद्ध लड़े, जिसमें से 16 में उन्हें सफलता मिली। 17वां युद्ध उनके विजय अभियान का अंग नहीं था।

हम्मीर देव चौहान के विषय में जुड़ी एतिहासिक जानकारियाँ इस प्रकार हे :-

(1). राव हम्मीर देव चौहान सात जुलाई, 1272 को चौहानवंशी राव जैत्रसिंह के तीसरे पुत्र के रूप में अरावली पर्वतमालाओं के मध्य बने रणथम्भौर दुर्ग में हुआ था।

(2). बालक हम्मीर देव इतना वीर था कि तलवार के एक ही वार से मदमस्त हाथी का सिर काट देता था।

उसके मुक्के के प्रहार से बिलबिला कर ऊंट धरती पर लेट जाता था। इस वीरता से प्रभावित होकर राजा जैत्रसिंह ने अपने जीवनकाल में ही 16 दिसम्बर, 1282 को उनका राज्याभिषेक कर दिया।

(3). राव हमीर ने अपने शौर्य एवं पराक्रम से चौहान वंश की रणथम्भौर तक सिमटी सीमाओं को कोटा, बूंदी, मालवा तथा ढूंढाढ तक विस्तृत किया। हम्मीर देव चौहान ने अपने जीवन में 17 युद्ध लड़े, जिसमें से 16 में उन्हें सफलता मिली। 17वां युद्ध उनके विजय अभियान का अंग नहीं था।

(4). हम्मीर देव चौहान ने गद्दी सभालते ही सबसे पहले भामरस के राजा अर्जुन को हराया, और फिर दक्षिण में परमार शाशक भोज को हराया और फिर बहुत सारी विजयो के उपरांत वह रणथंभोर गया और नो कोटि का यज्ञ कराया। थोड़े समय के उपरांत ही हम्मीर देव ने अपना राज्य शिवपुरी(ग्वालियर),बलबन(कोटा),और शाकम्भरी तक कर लिया।

(5). 1296AD में अलाउद्दीन दिल्ली की गद्दी पर बेठा ,उसने 1299 में गुजरात पर आक्रमण किया और विजय के बाद वापस लोट रही मुस्लिम सेना ने माल बटवारे के लिए मंगोल सैनिको के विद्रोह कर दिया।

जिसमे मुख्य नेता ‘मुहम्मदसाह व् केबरू’ थे,जो इस विद्रोह के अलाउद्दीन सेनापत्यो के दमन के बाद ये Hammir Dev Chauhan की शरण में चले गए।जब अलाउद्दीन ने हम्मीर से इन्हें वापस लौटाने को कहा तो हम्मीर ने मना कर दिया ,जिस कारन अलाउद्दीन खिलजी ने रणथंभोर पर आक्रमण करने का मन क्रर लिया।

(6). 1299AD में अलाउद्दीन खिलजी ने नुसरत ख़ाँ अलप खा और उलगु खा के नेतृत्व में एक बड़ी सेना रणथंभोर पर आक्रमण हेतु भेजी, परंतु नुसरत खा किले से आने वाले गोले के कारण मारा गया और हम्मीर देव ने भीमसिंह व् धर्मसिंह के नेतृत्व में तुर्को का सामना करने के लिए सेना भेजी ,जिसमे तुर्को की पराजय हुई और तुर्कों को जान बचाकर भागना पड़ा
(7). इस हार के कारण अलाउद्दीन खिलजी स्वं एक विशाल सेना लेकर रणथम्भोर आ गया था, परंतु एक साल तक दुर्ग की घेराबंदी के बावजूद भी उसको कुछ हासिल नही हुआ

तब अलाउद्दीन खिलजी ने छल से संधि का प्रस्ताव भेजा जिसको Hammir Dev Chauhan ने भाप लिया और दोनों सेनाओ के बिच घमासान युद्ध हुवा जिसमे खिलजी को हार माननी पड़ी और तुर्कों हौसले पस्त हो गए |

(8). बादशाह खिलजी को हम्मीर देव चौहान ने हराने के बाद तीन माह तक जेल में बंद रखा ।

(9). कुछ समय बाद खिलजी ने दोबारा रणथम्भोर पर आक्रमण किया अब की बार खिलजी की सेना बहुत ज्यादा विशाल थी | मुस्लिम सेना ने रणथम्भोर किले का घेरा कडा करते हुए आक्रमण किया था।

लेकिन दुर्ग रक्षक उन पर पत्थरों, बाणों की बौछार करते, जिससे उनकी सेना का काफी नुकसान होता था। मुस्लिम सेना का इस तरह घेरा बहुत दिनों तक चलता रहा। लेकिन उनका रणथम्भौर पर अधिकार नहीं हो सका।

(10). दुर्ग का धेरा बहुत दिनों से चल रहा था, जिससे दूर्ग में रसद आदि की कमी हो गई। दुर्ग वालों ने अब अन्तिम निर्णायक युद्ध का विचार किया। राजपूतों ने केशरिया वस्त्र धारण करके शाका किया।

राजपूत सेना ने दुर्ग के दरवाजे खोल दिए। भीषण युद्ध करना प्रारम्भ किया। दोनों पक्षों में आमने-सामने का युद्ध था। एक ओर संख्या बल में बहुत कम राजपूत थे तो दूसरी ओर सुल्तान की कई गुणा बडी सेना, जिनके पास पर्येति युद्धादि सामग्री एवं रसद थी।

राजपूतों के पराक्रम के सामने मुसलमान सैनिक टिक नहीं सके वे भाग छूटे भागते हुए मुसलमान सैनिको के झण्डे राजपूतों ने छीन लिए व वापस राजपूत सेना दुर्ग की ओर लौट पड़ी। दुर्ग पर से रानियों ने मुसलमानों के झण्डो को दुर्गे की ओर आते देखकर समझा की राजपूत हार गए अतः उन्होंने जोहर कर अपने आपको अग्नि को समर्पित कर दिया।

किले में प्रवेश करने पर जौहर की लपटों को देखकर हम्मीर देव चौहान को अपनी भूल का ज्ञान हुआ। उसने प्रायश्चित करने हेतु किले में स्थित शिव मन्दिर पर अपना मस्तक काट कर शंकर भगवान के शिवलिंग पर चढा दिया। अलाउद्दीन को जब इस घटना का पता चला तो उसने लौट कर दुर्ग पर कब्जा कर लिया।

बासनपीर का नाम परिवर्तन कर वासणपी करने के लिए भाजपा नेता स्वरूप सिंह खारा ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखा।
16/07/2025

बासनपीर का नाम परिवर्तन कर वासणपी करने के लिए भाजपा नेता स्वरूप सिंह खारा ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखा।

16/07/2025

राजस्थान
में भ्रष्टाचार खत्म हो गया
CM भजनलाल शर्मा ने आज अधिकारीयों को कह दिया भ्रष्टाचार किया तो भगवान माफ़ नहीं करेगा
अब उम्मीद है

16/07/2025

कांग्रेस नेता हरीश चौधरी के जैसलमेर दौरे से पहले बसनपीर में धारा 144 लागू की गई.

क्या है इसके सियासी मायने?

16/07/2025
राजपूताना राइफल्स के स्थापना दिवस पर शहीदों को गार्ड ऑफ ऑनर के साथ किया गया याद
16/07/2025

राजपूताना राइफल्स के स्थापना दिवस पर शहीदों को गार्ड ऑफ ऑनर के साथ किया गया याद

16/07/2025

बासनपीर गाँव जैसलमेर
में 163 लागूं कर दिया है

6वीं राजपूताना राइफल्स स्थापना दिवस एवं परमवीर चक्र पीरुसिंह शहादत दिवस समारोह..
16/07/2025

6वीं राजपूताना राइफल्स स्थापना दिवस एवं परमवीर चक्र पीरुसिंह शहादत दिवस समारोह..

राजपूताना राइफल्स का स्थापना दिवस समारोह
16/07/2025

राजपूताना राइफल्स का स्थापना दिवस समारोह

मोती सिंह जी जोधा को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं 💐
16/07/2025

मोती सिंह जी जोधा को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं 💐

Address

Barmer

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Shakti News Rajasthan posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to Shakti News Rajasthan:

Share