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अपने घर को दीजिए नई पहचान — प्लास्टर पार्टी के साथ!**  *“जहाँ प्लास्टर नहीं, कला रची जाती है।”*क्या आपकी दीवारें पुरानी,...
01/05/2025

अपने घर को दीजिए नई पहचान — प्लास्टर पार्टी के साथ!**
*“जहाँ प्लास्टर नहीं, कला रची जाती है।”*

क्या आपकी दीवारें पुरानी, उबाऊ और बेजान लग रही हैं? क्या आप अपने घर, दुकान, ऑफिस या होटल को एक प्रीमियम और आकर्षक लुक देना चाहते हैं?
**तो अब इंतज़ार खत्म! — प्लास्टर पार्टी आपकी सेवा में।**

हम आपके सपनों की दीवारों को खूबसूरत डिज़ाइनों और टिकाऊ प्लास्टर वर्क से नया जीवन देते हैं। हमारे साथ पाएं वो नयापन जो हर आने-जाने वाला पूछे — *“यह वॉल डिज़ाइन कहाँ से करवाया?”*

# # # **हमारी स्पेशल सेवाएं:**
🛠️ **सीमेंट प्लास्टर (Cement Plaster)** — दीवारों को मजबूत और चिकना बनाने के लिए आदर्श
🛠️ **POP डेकोरेटिव प्लास्टर (POP Decorative Plaster)** — छतों और दीवारों के लिए बेहतरीन कलाकारी
🛠️ **वॉल आर्ट टेक्सचर (Wall Art Texture)** — होटल, कैफे, रिसॉर्ट, घर के लिए स्टाइलिश डिज़ाइंस
🛠️ **आर्किटेक्चरल प्लास्टर (Architectural Plaster)** — मेहराब, कॉलम, और सजावटी बॉर्डर
🛠️ **वाटरप्रूफिंग वॉल कोटिंग (Waterproofing Wall Coating)** — नमी और सीलन से मुक्ति
🛠️ **रिनोवेशन और री-प्लास्टरिंग (Renovation & Re-plastering)** — पुरानी दीवारें फिर से नई

# # # **प्लास्टर पार्टी को क्यों चुनें?**
✅ 12+ वर्षों का अनुभव
✅ प्रशिक्षित और सर्टिफाइड कारीगरों की टीम
✅ ब्रांडेड मटेरियल और एडवांस्ड तकनीक का उपयोग
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✅ समयबद्ध डिलिवरी और पारदर्शी दरें

# # # **ग्राहक क्या कहते हैं?**
> “हमारे होटल की वॉल्स इतनी सुंदर बनी हैं कि हर गेस्ट तारीफ किए बिना नहीं जाता।”
> — *राहुल शर्मा, उदयपुर*
>
> “प्लास्टर पार्टी की टीम ने वाकई हमारे घर का लुक बदल दिया। क्वालिटी और सर्विस लाजवाब है।”
> — *नेहा चौहान, अहमदाबाद*

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📧 **ईमेल:** [email protected]


**प्लास्टर पार्टी — आपका विश्वास, हमारी जिम्मेदारी।**
*"अब दीवारें भी मुस्कुराएँगी, जब प्लास्टर पार्टी सजाएगी।"*

Massage me
01/05/2025

Massage me

21/04/2025

**दिनांक: 21 अप्रैल 2025**

: मेरी डायरी – पसीने की महक और सुबह की उम्मीद**

**"जिन्होंने अंधेरे में भी चिराग जलाना सीखा हो,
वो सुबह का सूरज खुद बना करते हैं..."**

आज सुबह ठीक 5 बजे नींद खुली। अलार्म की कोई ज़रूरत नहीं पड़ी, क्योंकि दिल और दिमाग दोनों जानते थे कि आज फिर एक नया दिन है, एक नई चुनौती। रूम छोटा है, लेकिन अपनी मेहनत की कमाई से लिया गया है, इसलिए उसमें भी एक अलग ही सुकून है।

**सफाई और सुबह की शुरुआत**

स्नान करके अपने कपड़े धोए – रोज़ की तरह। फिर चाय बनाई, खुद के लिए और दो साथियों के लिए भी जो पास के ही कमरे में रहते हैं। चाय की हर चुस्की में अपने गांव की यादें घुली हुई थीं – माँ के हाथ की अदरक वाली चाय, पापा की अखबार पढ़ते हुए मुस्कुराहट...

**काम की दुनिया – दीवारों के बीच ख्वाबों की ईंटें**

आज का काम थोड़ा अलग था। एक नया साइट मिला, थोड़ा बड़ा प्रोजेक्ट। वहाँ पहुँचकर फिर वही अड़ान बांधना, दीवारों को तैयार करना और प्लास्टर का काम शुरू करना। हर दीवार मुझे अपनी कहानी सुनाती है – कोई नई है, तो कोई टूटी हुई जिसे फिर से गढ़ना है।
मज़दूरी का ये काम दिखने में जितना कठोर है, असल में उतना ही गहरा भी है।

**"हमारे हाथों की लकीरें सीमेंट में ढलकर इमारतें बनती हैं,
और लोग उन्हीं में अपने सपने सजाते हैं।"**

दोपहर तक सूरज सिर पर था, गर्मी तीखी लग रही थी। लेकिन थकावट से ज्यादा जरूरी था वो दिन का काम पूरा करना, क्योंकि काम अधूरा छोड़ना हमारे उसूलों में नहीं। साहब दोपहर में आए, देखा और बोले – "अच्छा चल रहा है, जारी रखो।"

**शाम – जब थकान भी अपनी सी लगती है**

शाम को 6:30 बजे जब काम खत्म करके वापस लौटा, तो कपड़ों पर सीमेंट की परत थी और शरीर पर थकावट की। लेकिन मन में एक संतोष था – “आज का दिन खाली नहीं गया।”

रूम आकर कपड़े उतारे, एक बाल्टी पानी भरकर खुद पर डाला – जैसे पूरे दिन की थकावट एकदम बह गई। फिर वही सादा खाना – दाल, रोटी और थोड़ी सी हरी मिर्च।
खाना खाते हुए सोचा – ये सादगी ही तो असली अमीरी है।

**रात के विचार – कल फिर नई सुबह**

रात के 10 बजे हैं। बाहर चांदनी फैली है, अंदर मन में सुकून। लेटते ही गाँव की यादें आने लगती हैं, माँ-पिता, भाई-बहन... पर ये दूरी भी ज़रूरी है, क्योंकि हर सपना कुछ बलिदान मांगता है।

**"हर रात एक वादा होती है –
कि कल फिर मेहनत करेंगे, फिर सपनों को एक कदम और पास लाएंगे।"**

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**भावनात्मक कोट्स:**

1. *"पसीने की गंध जब उम्मीद से मिलती है, तो ज़िंदगी खुशबू बन जाती है।"*
2. *"हम वो लोग हैं, जो दूसरों के लिए दीवारें बनाते हैं, पर खुद छत का इंतज़ार करते हैं।"*
3. *"सुबह जल्दी उठना एक आदत नहीं, ज़िम्मेदारी है।"*
4. *"जब तुम अपने लिए नहीं, बल्कि अपनों के लिए काम करते हो, तो थकान भी इबादत बन जाती है।"*
5. *"हर शाम को अगर सुकून से सोया जाए, तो समझो दिन सफल रहा।"*

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आज गांव की मिट्टी छोड़कर एक नई ज़मीन पर कदम रखा… हाथ में औज़ार थे, दिल में सपने।रोज़ की थकान है, मगर संतोष भी उतना ही गह...
20/04/2025

आज गांव की मिट्टी छोड़कर एक नई ज़मीन पर कदम रखा… हाथ में औज़ार थे, दिल में सपने।
रोज़ की थकान है, मगर संतोष भी उतना ही गहरा।
ये डायरी है एक मजदूर की — मेहनत, संघर्ष और उम्मीद की कहानी।"

पूरा लेख पढ़ें — एक मजदूर की ज़ुबानी:

# **मेरी डायरी: राजस्थान से गुजरात तक की मेरी मेहनत भरी यात्रा**

**नाम:** मांगीलाल
**गांव:** अकदड़ा, राजस्थान

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# # **एक नई सुबह, एक नई शुरुआत**

"कभी-कभी ज़िन्दगी हमें वहां ले जाती है जहां हमें खुद की असली ताकत का एहसास होता है।"

आज की तारीख हमेशा मेरी यादों में रहेगी। क्योंकि आज मैं अपने गांव अकदड़ा से सैंकड़ों किलोमीटर दूर, एक नए राज्य, एक नए शहर, और एक नए काम के लिए निकला। मेरा नाम मांगीलाल है, और मैं राजस्थान के बाड़मेर ज़िले के छोटे से गांव अकदड़ा से हूं। एक सीधी-सादी ज़िन्दगी, खेत, मिट्टी, और अपनापन—यही सब कुछ था वहां।

लेकिन आज मैं अपने गांव की मिट्टी छोड़कर गुजरात की ओर रवाना हुआ।

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# # **बायतु से गुजरात: बस की खिड़की से झांकती उम्मीदें**

"सपनों की तलाश में निकला हूं… रास्ते लम्बे हैं, पर हौंसला मेरा सबसे बड़ा हमसफ़र है।"

बायतु से बस पकड़ी। दिल में थोड़ी घबराहट थी, थोड़ी उम्मीद भी। बस की खिड़की से बाहर देखते हुए मन में एक ही ख्याल था—क्या मैं वहाँ सफल हो पाऊंगा? क्या सब कुछ संभाल लूंगा?

हर मील मेरे गांव से मुझे थोड़ा दूर कर रहा था… और मेरी ज़िम्मेदारियों के और करीब ला रहा था।

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# # **काम की शुरुआत: अड़ान से लेकर प्लास्टर तक**

"पसीने की खुशबू ही असली इत्र होती है, जब वो मेहनत से निकली हो।"

गुजरात पहुंचते ही मुझे एक साइट पर प्लास्टर का काम मिला। सबसे पहले 'अड़ान' यानी पालक (जाली) बांधनी पड़ी। ये काम आसान नहीं था, लेकिन मैंने कभी किसी काम से पीछे हटना नहीं सीखा।

फिर काम शुरू किया। दीवारों पर सीमेंट-रेत का लेप चढ़ाते-चढ़ाते वक़्त कब बीत गया, पता ही नहीं चला। बीच-बीच में साहब लोग आते, चेकिंग करते, और मैं फिर से उसी मेहनत में जुट जाता।

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# # **शाम की थकान और रात की राहत**

"जब सारा दिन थक जाओ, और रोटी के साथ संतोष मिले… वो सुख अमीरी में भी नहीं मिलता।"

काम खत्म कर मैं लगभग 6 बजे कमरे पर पहुंचा। कमरे में पहुंचते ही स्नान किया, कपड़े धोए, और फिर खुद के लिए खाना बनाया। गैस की धीमी आंच पर रोटियां सेंकते हुए घर की याद बहुत आई।

खाने के बाद थकावट ऐसी थी कि बिस्तर खुद ही गले लगने आ गया। लेकिन मन को सुकून इस बात का था कि मैंने एक और दिन अपनी मेहनत से जिया।

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# # **सुबह की नई उम्मीद**

"सूरज हर दिन नया उगता है… और हर मेहनतकश के लिए वो एक नया मौका लेकर आता है।"

कल फिर सुबह 5 बजे उठना है। काम फिर वही होगा, लेकिन हर दिन खुद को और मजबूत बनाने का एक नया अवसर लेकर आता है। यही ज़िन्दगी है… जहां हर दिन एक संघर्ष है, लेकिन हर संघर्ष में एक उम्मीद भी छुपी होती है।

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# # **मेरी डायरी की कुछ बातें, दिल से निकलीं**

**1.** "जहां पसीना गिरता है, वहीं रोटी खिलती है।"
**2.** "गांव की मिट्टी से निकला हूं, पर ज़मीर आज भी उसी में लिपटा है।"
**3.** "रात की थकान जब संतोष के तकिए पर सिर रखे, तब नींद सच्ची लगती है।"
**4.** "मेहनत करने वालों का भगवान भी साथ देता है।"
**5.** "कमरे में अकेलापन है, पर मन में अपनों की याद से भीड़ लगी रहती है।"

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# # **अंतिम शब्द**

ये डायरी सिर्फ मेरे दिन का लेखा-जोखा नहीं है, ये उन लाखों मज़दूरों की आवाज़ है जो अपने गांव-घर छोड़कर किसी अनजाने शहर में अपने परिवार के लिए, अपने भविष्य के लिए, हर दिन खुद को खपाते हैं।

अगर आपने कभी अपने हाथों से कुछ बनाया है, अगर आपने भी कभी घर से दूर रहकर खुद को मजबूत किया है, तो आप मेरी इस कहानी में खुद को ज़रूर पाएंगे।

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# # **अगर ये डायरी आपको भावुक कर गई हो तो…**

**"एक मजदूर की ज़िन्दगी सिर्फ ईंट और सीमेंट नहीं होती, उसमें सपनों की नींव भी होती है।"**

नीचे कमेंट में लिखिए—
**क्या आपने कभी ऐसी मेहनतभरी यात्रा की है?**

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#मेहनतकीकहानी #राजस्थानसेगुजरात #डायरीऑफअवर्कर

25/03/2025

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