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  सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल जी का सलवा कला मे भव्य स्वागत "किसान कोहिनूर"Hanuman Beniwal
14/08/2025

सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल जी का सलवा कला मे भव्य स्वागत "किसान कोहिनूर"
Hanuman Beniwal

जब सच्चा नेतृत्व आंखों में आत्मविश्वास और शब्दों में असर लेकर सामने खड़ा हो, तो पद और पार्टी का आकार मायने नहीं रखता। यह...
10/08/2025

जब सच्चा नेतृत्व आंखों में आत्मविश्वास और शब्दों में असर लेकर सामने खड़ा हो, तो पद और पार्टी का आकार मायने नहीं रखता। यह तस्वीर गवाही दे रही है — एक तरफ देश का रेल मंत्री, और दूसरी तरफ बेबाक अंदाज़ में अपने वर्गों की आवाज़ बनकर खड़े Hanuman Beniwal । चेहरे की गंभीरता और हाथों के इशारे बता रहे हैं कि यहाँ सिर्फ औपचारिक बातें नहीं, बल्कि अपने वर्गों के मुद्दों पर सीधी और सटीक बात हो रही है। यही है असली ताकत —जनता की लड़ाई सत्ता के सबसे ऊँचे दरवाज़ों तक पहुँचाना
Hanuman Beniwal

मां बाप बच्चों को इतना चाहते वो आप तस्वीर में देख रहें होंगे.......🤗👍    जयपुर, दौसा, अलवर, गंगापुर, करौली जैसे शहरों मे...
31/07/2025

मां बाप बच्चों को इतना चाहते वो आप तस्वीर में देख रहें होंगे.......🤗👍
जयपुर, दौसा, अलवर, गंगापुर, करौली जैसे शहरों में पढ़ने आए लड़के व लड़कियों को मां बाप .. घर का शुद्ध घी तेल छाछ दूध दही इत्यादि रोज़ाना बसों के जरिए भेजते है ताकि बाजारु महंगाई से बच सके।❤️👍

30/07/2025
अपनायत का परचम थार में लहराएगा,मोहब्बत की दुकान खुलेगी, नफ़रत की हर चिंगारी बुझेगी। #थार_की_अपणायत #मोहब्बत_का_पैग़ाम
19/07/2025

अपनायत का परचम थार में लहराएगा,
मोहब्बत की दुकान खुलेगी, नफ़रत की हर चिंगारी बुझेगी।

#थार_की_अपणायत
#मोहब्बत_का_पैग़ाम

कल नागौर की ऐतिहासिक रैली में जब कनिका बेनीवाल मंच पर आईं, तो वह क्षण सिर्फ एक औपचारिक संबोधन नहीं था — वह एक स्त्री के ...
17/07/2025

कल नागौर की ऐतिहासिक रैली में जब कनिका बेनीवाल मंच पर आईं, तो वह क्षण सिर्फ एक औपचारिक संबोधन नहीं था — वह एक स्त्री के ह्रदय की गहराइयों से निकली हुई पुकार थी, जो हजारों लोगों की भीड़ के बीच एकदम अलग महसूस हुई। मंच की चकाचौंध, नारों की गूंज और कैमरों की चमक के बीच जैसे ही उन्होंने बोलना शुरू किया, पूरा माहौल अचानक शांत हो गया। उनकी आंखों में वर्षों का संघर्ष था, शब्दों में एक अद्भुत संयम और दिल में वो अपार समर्पण, जो केवल एक स्त्री ही निभा सकती है।

जब उन्होंने बेहद सहज, लेकिन भावनाओं से भरे शब्दों में कहा — "हमने अपना पूरा परिवार आपको समर्पित कर दिया है," — तो ऐसा लगा जैसे किसी ने समय को थाम लिया हो। वह वाक्य कोई भाषण नहीं था, वह एक जीवन की कहानी थी। उसमें न कोई आरोप था, न कोई दावा, बस एक नारी की निस्वार्थ भावना थी — जिसने अपने घर-परिवार की शांति, अपने बच्चों का सुकून, और अपने जीवन की स्थिरता तक जनआंदोलन के नाम कर दी।

कनिका बेनीवाल की आवाज़ में कोई शोर नहीं था, फिर भी उसमें इतनी ताकत थी कि हजारों दिलों तक सीधी उतर गई। वह सिर्फ एक नेता की पत्नी नहीं थीं, वह हर उस स्त्री का प्रतिनिधित्व कर रही थीं जो मंच पर तो नहीं होती, लेकिन हर संघर्ष की नींव में चुपचाप खड़ी होती है। उनके चेहरे पर न शिकायत थी, न दिखावा — बस एक शालीन दृढ़ता थी, जिसने यह जता दिया कि हनुमान बेनीवाल अकेले नहीं हैं, बल्कि उनके पीछे एक ऐसा परिवार खड़ा है जिसने हर खुशी, हर आराम को जनसेवा की वेदी पर चढ़ा दिया है।

यह वह क्षण था जब राजनीति मौन हो गई और भावनाएं बोल उठीं। कनिका बेनीवाल ने न नारे लगाए, न भीड़ से तालियां मांगी — लेकिन फिर भी उनके शब्दों ने हर सुनने वाले के मन को झकझोर दिया। उनके शब्दों से अधिक उनका आत्मबल बोला, उनकी नज़रें बोलीं, उनका समर्पण बोला। यह कोई भाषण नहीं था, यह एक इतिहास की रचना थी।

शायद राजनीति में ऐसे पल बहुत कम आते हैं — जब कोई स्त्री मंच पर खड़ी होकर इतनी विनम्रता और गहराई से बोलती है कि पूरा जनसैलाब मौन होकर उसकी भावना में बह जाता है। और कल का वह क्षण, नागौर की धरती पर, वैसा ही एक पल था। जिसे याद रखना, साझा करना और आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना जरूरी है ताकि लोग जान सकें कि त्याग और सच्चे समर्पण की असली परिभाषा क्या होती है।

 #रुतबा राज का नहीं  #किरदार का होता है, अगर किरदार बेहिसाब हो तो राज दफ़न हो जाते है !!BOSS 🔰💪🤘
16/07/2025

#रुतबा राज का नहीं #किरदार का होता है,
अगर किरदार बेहिसाब हो तो राज दफ़न हो जाते है !!
BOSS 🔰💪🤘

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