29/01/2025
कुंभ में मोनालिसा मिल गई है, ऐसा लग रहा है जैसे सबकी मनोकामनाएं पूरी हो गई है। अनेक न्यूज चैनल वाले, यूट्यूबर, सोशल मीडिया प्रेमी, जिसे देखो कुंभ में उसकी एक झलक पाने को बेकरार है, सैफी लेने की होड और रील बनाने की धक्कामुक्की.... ऐसा लगा रहा जैसे कुंभ के आयोजन में मोनालिसा की ही प्रतीक्षा थी। उसकी रील पर आ रहे करोड़ों व्यू मानो सब धर्म प्रेमी उसकी आंखों में डूब गए हो....।
मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक कुंभ नहा लिए लेकिन उनके वीडियो के दर्शक भी मोनालिसा की तरफ मूड गए हैं। आँखें इतनी गहरी कि जिसे देखो आंखों की गहराइयों में छलांग लगाने को आतुर...। कुंभ से ज्यादा फेमस मोनालिसा की आँखें हो गई है।
उमराव जान फिल्म में एक गीत के बोल है "इन आंखों की मस्ती के दीवाने हजारों हैं।" को झुठलाकर मोनालिसा की आंखों के दीवाने करोड़ों है, हो गया है। फिल्म के गीत "लिखा है तेरी आंखों में..." या "गुलाबी आँखें जो तेरी देखी..." से लेकर "तेरी आंखों के सिवाय दुनिया में रखा क्या है..." तक सब गीत जैसे मोनालिसा केलिए लिखे गए हो। आंखों की दीवानगी का आलम रहा कि मोनालिसा को भागना पड़ा।
खैर, एक और मोहतरमा जो साधु बनने की तरफ शायद अग्रसर है, उसकी भक्ति का आलम यह कि उसने मोक्ष प्राप्ति केलिए इंतजार करना उचित नहीं समझा, नकली जटाओं से ही पहुंच गई। अब कब साधु बनें, जताएं बने... रेडिमेट ही सही...कुंभ नहा गई। नहाने के वीडियो इतने वायरल हुए कि क्या ही बताए!!
साधु संतों से मार खाते यूट्यूबर! उफ़ इतनी बेइज्जती के बाद भी, इतने चिमटे खाने के बाद भी मज़ाल है, बेइज्जती महसूस हुई हो। वीडियो, रील बनाने में लगे हुए हैं, कितनी भयंकर श्रद्धा है उनकी कुंभ के प्रति! बोलो।
जिसे देखो कुछ विचित्र या खूबसूरत दिखाना चाहता है, कोई धर्म के वास्तविक स्वरूप को बताने केलिए तैयार नहीं! मोनालिसा गई तो कोई लीला, मीना, मोनिका आयेगी लेकिन चर्चे उनके ही होंगे क्योंकि हम यही देखना चाहते हैं, खूबसूरती और गहरी आँखें....जिनमें डूबकर जीवन के वास्तविक आनंद तक पहुंच सके! नहीं? क्या सच्चा धार्मिक होना यही है? ऐसा लग रहा जैसे कुंभ का आयोजन अपनी अपनी दुकान जमाने केलिए ही हो रहा है। कोई रील बनाकर, कोई वीडियो बनाकर, कोई और तरीके से...सच तो यही है।