05/08/2025
*✽ रचनात्मक आमंत्रण ✽*
ब्रज मकरंद मासिक डिजिटल पत्रिका
अगला अंक: *"स्वामी हरिदास जी महाराज और ब्रज की रसोपासना पर विशेष"*
ब्रजरसिकजन, साधक, साहित्यप्रेमी और कवि-मन
‘ब्रज मकरंद’ के आगामी अंक में हम आपको निमंत्रण देते हैं —
जहाँ सुर और स्वर, राग और अनुराग, भक्ति और ब्रह्म की अद्वितीय चेतना एकरस हो जाती है,
वहाँ प्रकट होते हैं स्वामी हरिदास जी महाराज, रागरक्त भक्ति के ब्रह्म-ऋषि।
*इस विशेषांक का केंद्र है:*
स्वामी हरिदास जी की रस-साधना, वंशी-विलास, सखीभाव, भक्ति-परंपरा और उनके द्वारा सृजित ब्रज की सांस्कृतिक-संगीतमय विरासत।
आपसे निवेदन है कि आप अपनी मौलिक, अप्रकाशित रचनाएँ हमें भेजें, जो या तो प्रत्यक्ष रूप से स्वामी हरिदास जी के जीवन, दर्शन, भजन-संगीत या ब्रज की समग्र रसोपासना से जुड़ी हों, अथवा उस भावभूमि में रची गई हों।
*आमंत्रित विधाएँ:*
ब्रजभाषा/हिंदी कविता (कृपया कम-से-कम 10 पदावली/ कविताएँ भेजें)
• रसपरक या शोधपरक निबंध / आलेख
• स्मरण / नाटक / संवाद / यात्रा-वृत्तांत (विशेषकर हरिदास जी की लीला-स्थलियों पर आधारित)
• संत साहित्य में स्वामी हरिदास एवं उनकी परंपरा पर आधारित रचनाओं का अनुवाद (साथ में मूल रचना एवं रचनाकार का उल्लेख अति आवश्यक है)
*विषयगत संकेत:*
* हरिदास परंपरा का योगदान
* निधिवन की एवं रास एक सतत एवं सांध्य-लीला
* स्वामीजी के पदों का भावार्थ
* ब्रज के संगीत-लोक की गरिमा
* समकालीन परिप्रेक्ष्य में रस-साधना
* रसिक संप्रदायों में हरिदासी संप्रदाय
* ब्रज के प्रमुख संप्रदायों में सखी भाव
📌 रचना के साथ संक्षिप्त परिचय और एक छायाचित्र अवश्य संलग्न करें।
📧 रचनाएँ भेजने हेतु ईमेल: [email protected]
🗓 अंतिम तिथि: 25 अगस्त 2025
भक्ति के इस अमूल्य सुरसागर में अपने शब्दों की वंशी से स्वर जोड़ने के लिए सादर आमंत्रण।
– ब्रज मकरंद सम्पादकीय मंडल
(नोट : देव नागरी में उचित गुणवत्ता प्रधान रचनाओं का भी स्वागत है। )