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17/09/2025

प्रधानमंत्री श्री Narendra Modi ने मध्य प्रदेश के धार में विभिन्न योजनाओं का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि ‘स्वस्थ नारी - सशक्त परिवार’ अभियान माताओं-बहनों को समर्पित है।

PMO India Narendra Modi Prataprao Jadhav MyGovIndia Press Information Bureau - PIB, Government of India Ministry of Women & Child Development, Government of India Ministry of Health and Family Welfare, Government of India

17/09/2025

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17/09/2025

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➡ 4 months – Laughs out loud
➡ 6 months – Monosyllables
➡ 9 months – Bisyllables
➡ 12 months – 1–2 meaningful words
➡ 18 months – 8–10 word vocabulary
➡ 2 years – 2–3 word sentences using "I, Me, You"
➡ 3 years – Ask questions, know full name & gender
➡ 4 years – Say songs or poems, tell stories
➡ 5 years – Ask the meaning of words

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16/09/2025
आयुर्वेद अनुसार सोरायसिस(Psoriasis)आयुर्वेद में सोरायसिस नाम से रोग वर्णित नहीं है, परन्तु इसके लक्षण कुष्ठ रोग के कुछ प...
16/09/2025

आयुर्वेद अनुसार सोरायसिस(Psoriasis)

आयुर्वेद में सोरायसिस नाम से रोग वर्णित नहीं है, परन्तु इसके लक्षण कुष्ठ रोग के कुछ प्रकारों जैसे –

एककुष्ठ (Eka-Kushtha)

किटिभकुष्ठ (Kitibha Kushtha)

सिद्मकुष्ठ (Sidma Kushtha)

से बहुत मिलते हैं।

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दोष और धातु की भूमिका

वात दोष → शुष्कता, परतदार पपड़ी (scaling), फटाव

कफ दोष → मोटापन, खुजली, चिकनाहट

पित्त दोष → लालिमा, जलन, सूजन

👉 इसलिए इसे अधिकतर त्रिदोषज कुष्ठ माना जाता है, जिसमें रक्त धातु और मांस धातु भी दूषित हो जाते हैं।

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रोग उत्पत्ति (संप्राप्ति)

अनुचित आहार (खट्टा, नमकीन, तैलीय, मांस, मछली, शराब, दही आदि)

अग्नि मंद्य (पाचन दोष) → आम (विषद्रव्य) का निर्माण

दोष + आम = रक्त व त्वचा में जाकर चिरकालिक त्वचा रोग उत्पन्न करते हैं।

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आयुर्वेदिक चिकित्सा

1. शोधन चिकित्सा (Panchakarma – शरीर शुद्धि)

वमन – कफ प्रधान अवस्था में

विरेचन – पित्त प्रधान अवस्था में (लालिमा, जलन)

रक्तमोक्षण (जौंक/सिरा वेध) – स्थानीय खुजली या मोटे दाग में

बस्ती (औषधि एनिमा) – वात प्रधान व चिरकालिक अवस्था में

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2. शमन चिकित्सा (औषधियां)

महामंजिष्ठादि क्वाथ – रक्तशुद्धि

पंचतिक्त घृत गुग्गुलु – पुराने त्वचा रोग

खदिरारिष्ट – खुजली व फुंसी

आरोग्यवर्धिनी वटी – पाचन सुधारे, आम नाशक

गंधक रसायण – खुजली व रोग प्रतिरोधक

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3. स्थानीय प्रयोग (Lepa / Taila)

निम्ब तेल, करंज तेल, महातिक्त घृत – सूखी, परतदार त्वचा पर

जट्यादि तेल – फटी हुई त्वचा पर

हल्दी + एलोवेरा लेप – जलन व लालिमा में

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4. पथ्य–अपथ्य (Diet & Lifestyle)

✅ पथ्य (खाने योग्य)

पुराना चावल, जौ, मूंग दाल, घी

नीम, करेला, मेथी, हरित सब्जियाँ

हल्का व सुपाच्य भोजन

योग, ध्यान, तनाव नियंत्रण

❌ अपथ्य (बचने योग्य)

खट्टा, नमकीन, मसालेदार भोजन

दही, अचार, मांस, मछली, शराब

दूध + मछली, दूध + नमक (विरुद्ध आहार)

तैलीय, फास्टफूड, धूम्रपान

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संक्षेप में

सोरायसिस आयुर्वेद में त्रिदोषज कुष्ठ के रूप में वर्णित है। इसकी चिकित्सा में –

पंचकर्म द्वारा शोधन,

रक्तशुद्धि एवं त्वचा-रक्षक औषधियां,

तेल व लेप का बाह्य प्रयोग,

तथा आहार-विहार का विशेष पालन
मुख्य भूमिका निभाते हैं।

आयुर्वेद में नस्य कर्म पंचकर्म का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। इसे आयुर्वेदिक शिरोविरेचन भी कहा जाता है। इसमें औषध द्रव्य (ते...
16/09/2025

आयुर्वेद में नस्य कर्म पंचकर्म का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। इसे आयुर्वेदिक शिरोविरेचन भी कहा जाता है। इसमें औषध द्रव्य (तेल, घृत, स्वरस, चूर्ण आदि) को नासा मार्ग से प्रविष्ट कराया जाता है।

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आयुर्वेदिक परिभाषा

चरक संहिता, सूत्रस्थान 5/56

> नासा हि शिरसो द्वारं तेन तद्ध्रुवमाचरेत्।

👉 "नासा शिर का द्वार है, इसलिए नस्य कर्म से शिरो रोगों की चिकित्सा करनी चाहिए।"

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नस्य के प्रकार (आचार्य सुश्रुत, आ.हृ.)

1. विरेचन नस्य – शुद्धिकरण हेतु (कफ दोष का शोधन)।

2. शमन नस्य – दोष शमन हेतु (औषध घृत/तेल द्वारा)।

3. बृहण नस्य – दुर्बलता व शोष में पोषण के लिए।

4. शोधन नस्य – सिर व गले में जमा कफ व विषद्रव्य निकालने हेतु।

5. स्नेह नस्य – घृत/तैल द्वारा स्निग्धता व पोषण हेतु।

6. प्रतिमर्श नस्य – अल्प मात्रा में (2 बूँद) नित्य प्रयोग हेतु, इसे daily health regimen में माना गया है।

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नस्य द्रव्य

स्नेह द्रव्य – तैल, घृत (अनुतैल, त्रिफला घृत, कर्पूरादि तैल आदि)

कषाय, स्वरस – शिरोरोग व नेत्ररोग में

चूर्ण – धूम्रनस्य व शुद्धिकरण हेतु

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नस्य के लाभ (आयुर्वेद अनुसार)

1. शिरो रोग निवारण – सिरदर्द, माइग्रेन, साइनसाइटिस।

2. दृष्टि वृद्धि – नेत्रज्योति की रक्षा।

3. कर्ण व मुख स्वास्थ्य – कान-नाक-गला रोगों से रक्षा।

4. कान्ति व वर्ण सुधार।

5. स्मृति व मनःशक्ति वृद्धि – मस्तिष्क को पोषण।

6. वृद्धावस्था विलंबन – झुर्रियाँ, केशपतन, अकालपक्वता की रोकथाम।

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प्रतिमर्श नस्य (नित्यचर्या में)

अष्टाङ्गहृदय सूत्रस्थान 20/25

> दिने दिने प्रयोक्तव्यं क्षीरेणाज्येन वा पुनः।
नस्यं वाता बलं वर्चः सुरतं दृष्टिमृद्वीकरोति।

👉 प्रतिदिन नस्य (घृत/तैल की 2–2 बूँद) लेने से

वायु दोष का शमन,

बल, वर्ण, स्मृति, नेत्रज्योति तथा शरीर की कोमलता बढ़ती है।

आयुर्वेद के अनुसार तो ब्रह्ममुहूर्त का महत्व शास्त्रीय श्लोकों से स्पष्ट है, लेकिन यदि हम इसे आधुनिक विज्ञान (Modern con...
16/09/2025

आयुर्वेद के अनुसार तो ब्रह्ममुहूर्त का महत्व शास्त्रीय श्लोकों से स्पष्ट है, लेकिन यदि हम इसे आधुनिक विज्ञान (Modern concept) से देखें तो भी इसके लाभ प्रमाणित हैं।

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ब्रह्ममुहूर्त – आधुनिक दृष्टिकोण

1. बायोलॉजिकल क्लॉक (Circadian Rhythm):

रात को लगभग 3–4 बजे के बीच शरीर का मेलाटोनिन हार्मोन (नींद का हार्मोन) धीरे-धीरे कम होने लगता है।

सूर्योदय से पहले कॉर्टिसोल हार्मोन (energy hormone) बढ़ने लगता है, जिससे जागने पर शरीर तरोताज़ा और ऊर्जावान होता है।

2. मस्तिष्क की सक्रियता:

सुबह के इस समय ब्रेन वेव्स (alpha waves) प्रमुख रहती हैं, जो ध्यान, स्मरण शक्ति और सीखने के लिए सर्वोत्तम अवस्था है।

इसी कारण इस समय पढ़ाई, ध्यान और जप सबसे प्रभावी माने जाते हैं।

3. फेफड़ों की कार्यक्षमता:

सुबह का वातावरण ऑक्सीजन से समृद्ध और प्रदूषण रहित होता है।

गहरी श्वास से शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती है, जिससे रक्त शुद्ध होता है और मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ती है।

4. मानसिक स्वास्थ्य:

इस समय ध्यान और प्राणायाम करने से सेरोटोनिन और डोपामिन का स्तर संतुलित होता है।

इससे तनाव, चिंता और अवसाद (Depression) का खतरा कम होता है।

5. शारीरिक स्वास्थ्य:

सुबह जल्दी उठने से डायबिटीज़, मोटापा और हृदयरोग का खतरा घटता है।

ब्रह्ममुहूर्त में व्यायाम करने से metabolism तेज़ होता है और दिनभर ऊर्जा बनी रहती है।
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✅ निष्कर्ष (Ayurveda + Modern Science):

आयुर्वेद ने जो "आयुष रक्षण" और "मनःशुद्धि" की बात की है, वही आज आधुनिक विज्ञान hormonal balance, brain activity, metabolism और mental well-being के रूप में प्रमाणित करता है।

आयुर्वेद में ब्रह्ममुहूर्त को अत्यंत शुभ और स्वास्थ्य के लिए हितकारी माना गया है। यह सूर्योदय से लगभग 1 घण्टा 30 मिनट (ल...
16/09/2025

आयुर्वेद में ब्रह्ममुहूर्त को अत्यंत शुभ और स्वास्थ्य के लिए हितकारी माना गया है। यह सूर्योदय से लगभग 1 घण्टा 30 मिनट (लगभग 48 मिनट से 96 मिनट) पूर्व का समय होता है। इस समय जागरण करने से शरीर, मन और आत्मा को विशेष बल प्राप्त होता है।

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आयुर्वेद शास्त्र में ब्रह्ममुहूर्त का उल्लेख

अष्टाङ्गहृदय सूत्रस्थान (अ.हृ. सू. 2/1):

> ब्रह्मे मुहूर्त उत्तिष्ठेत् स्वस्थो रक्षार्थमायुषः।

भावार्थ –
स्वस्थ व्यक्ति को अपने आयुष्य की रक्षा (स्वास्थ्य संरक्षण) के लिए ब्रह्ममुहूर्त में उठना चाहिए।

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ब्रह्ममुहूर्त में जागरण के लाभ (आयुर्वेद अनुसार)

1. स्वास्थ्य रक्षण – रोगों से बचाव और दीर्घायु।

2. मनःशुद्धि – इस समय मन शान्त व पवित्र होता है।

3. अध्ययन एवं ध्यान के लिए श्रेष्ठ – स्मरण शक्ति तीव्र होती है।

4. प्रकृति के अनुकूल – वात का प्रबल समय, जिससे शरीर की शुद्धि व लघुता अनुभव होती है।

5. आत्मिक उन्नति – ध्यान, जप, साधना के लिए उपयुक्त समय।

16/09/2025

आयुर्वेद दिवस 2025 – बाइक रैली 🌿

थीम: जन और धरती के लिए आयुर्वेद 🌍💚

अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, नई दिल्ली इस आयुर्वेद दिवस के अवसर पर बाइक रैली आयोजित कर रहा है। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य, कल्याण और पर्यावरण संरक्षण में आयुर्वेद के योगदान के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।

यह रैली डॉ. प्रदीप कुमार प्रजापति, निदेशक, अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, नई दिल्ली द्वारा प्रारंभ की जाएगी, जो इस कार्यक्रम को स्वास्थ्य, सामंजस्य और हमारी धरती के संरक्षण के संदेश के साथ शुभारंभ करेंगे।

प्रतिभागी मिलकर आयुर्वेद की समग्र समझ का उत्सव मनाएंगे, स्वस्थ और रोगमुक्त जीवनशैली को बढ़ावा देंगे और हमारे ग्रह की सुरक्षा का संदेश देंगे।

📅 तारीख: 17 सितंबर 2025
⏰ समय: सुबह 6:30 बजे से
📍 मार्ग: AIIA कैंपस, नई दिल्ली ➡ मंत्रालय आयुष

Ministry of Ayush, Government of India Prataprao Jadhav Ministry of Ayush Secretary AIIA Goa Press Information Bureau - PIB, Government of India PMO India




16/09/2025

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