ABK News

ABK News राष्ट्रीय उद्देश्यों के लिए खबरों को प्रेषित किया जा रहा है।

29/03/2023

किसानों के हक पर डांका डाल रहे प्रेसमड कारोबारी
- नकली कोयला बनाकर ईंट भट्ठों पर सप्लाई कर रहे है प्रेसमड कारोबारी
- नियम कानून को ताक पर रख जेबें भरने में जुटा है गिरोह
बस्ती। जिले में पिछले कुछ वर्षों से प्रेसमड कारोबारी किसानों के हक पर डांका डालने का काम कर रहे हैं, नियम कानून को ताक पर रख ये अपनी जेबें भरने में जुटे हैं, लेकिन जिम्मेदारों की नजर इनपर नहीं पड़ रही है। सूत्रों की मानें तो संबंधित विभागों में ये सेटिंग कर अपने धंधे को खूब चमका रहे हैं।
दरअसल मामले का खुलासा उस समय हुआ जब चार मार्च को तहसील दिवस में प्रेसमड कारोबार को लेकर शिकायत पड़ी, समाज सेवी नितेश कुमार सिंह ने शिकायत के माध्यम से स्थानीय प्रशासन को पूरे प्रकरण से अवगत कराया, जिसकी जांच तहसीलदार रूधौली को सौंपी गई थी। शिकायतकर्ता ने बताया कि पड़िया चौराहे के समीप एक व्यक्ति की ओर से फर्म बनाकर फर्जी ढंग से प्रेसमड व बायोफ्यूल का उत्पादन दिखाया गया है, लेकिन फर्म न तो प्रेसमड बना रही है और न ही बायोफ्यूल का उत्पादन कर रही है। यह भी कहा है कि प्रेसमड किसी प्रकार से कोई फर्म नहीं बना सकती है।
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नकली कोयला बनाकर ईंट भट्ठों पर सप्लाई कर रहे है प्रेसमड कारोबारी
- तहसील दिवस में शिकायतकर्ता ने कहा कि प्रेसमड का प्रयोग खाद बनाकर खेतों में किया जाता है, लेकिन संबंधित फर्म की ओर से खाद न बनाकर इसे ईंट भट्ठों न नकली कोयला बनाकर बेंचा जा रहा है।
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तहसीलदार रूधौली की सुनिए
- प्रकरण को लेकर जब तहसीलदार रूधौली केशरीनंदन त्रिपाठी से जब बात की गई तो उन्होने कहा कि जांच चल रही है, दोषी पाए जाने पर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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27/03/2023

अतीक को ला रही पुलिस वाहन से टकरा कर बछड़े की मौत

27/03/2023

अतीक ने मीडिया से कहा काहे का डर.....

15/12/2022
20/11/2022

बस्ती में भी बालों में दिल # एपीएन कॉलेज के पिछले गेट के समीप . .... बार्बर मैसर अली की शॉप

02/11/2022

पेंशनभोगियों का हो सुविधापूर्ण जीवन: केंद्र की टीम 4 और 5 नवंबर को करेगी लखनऊ का दौरा
एबीके न्यूज
श्रोत: पीआईबी लखनऊ
लखनऊ। पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय, भारत सरकार ने केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों के लिए डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया है। नवंबर 2021 में, माननीय राज्यमंत्री (पीपी) डॉ. जितेंद्र सिंह ने किसी भी एंड्रॉइड मोबाइल फोन के माध्यम से जीवन प्रमाणपत्र जमा करने के लिए फेस ऑथेंटिकेशन तकनीक का शुभारंभ किया था। अब विभाग डिजिटल मोड के माध्यम से जीवन प्रमाणपत्र को बढ़ावा देने के लिए और फेस ऑथेंटिकेशन तकनीक को लोकप्रिय बनाने के लिए विशेष राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू कर रहा है। सभी पंजीकृत पेंशनभोगी संघों, पेंशन संवितरण बैंकों, भारत सरकार के मंत्रालयों और सीजीएचएस वेलनेस केंद्रों को निर्देश दिया गया है कि वे पेंशनभोगियों के श्सुविधापूर्ण जीवनश् के लिए, जीवन प्रमाणपत्र जमा करने हेतु डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र/फेस ऑथेंटिकेशन तकनीक को बढ़ावा देने के लिए विशेष शिविरों का आयोजन करें। इसी क्रम में, श्री संजीव नारायण माथुर, संयुक्त सचिव, पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग के नेतृत्व में केंद्र सरकार का एक दल लखनऊ का दौरा करेगा, जहां 4 और 5 नवंबर, 2022 को केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों के लिए सभागार, प्रत्यक्ष कर भवन, 57, रामतीर्थ मार्ग, लखनऊ, उत्तर प्रदेश-226001 में यह अभियान आयोजित किया जाएगा। सभी पेंशनभोगी डिजिटल माध्यम से अपने जीवन प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने के लिए केंद्र पर जा सकते हैं।

पोस्ट मार्टम हाउस : यहां बेमतलब साबित हो रहे हैं खर्च किए गए 53 लाख रूपए– मीटिंग हॉल में धूल फांक रही हैं कुर्सियां, पीन...
02/11/2022

पोस्ट मार्टम हाउस : यहां बेमतलब साबित हो रहे हैं खर्च किए गए 53 लाख रूपए
– मीटिंग हॉल में धूल फांक रही हैं कुर्सियां, पीने के लिए शुद्ध पानी तक नहीं
– पाईवेट कर्मी डब्लू की सिसकियां भी यहां सुनने वाला कोई नहीं
एबीके न्यूज़
बस्ती। शहर में पुलिस लाइन के समीप लगभग 53 लाख रूपए खर्च कर भले ही अत्याधुनिक पोस्ट मार्टम हाउस का निर्माण करा दिया गया हो, लेकिन ये सारे रूपए यहां बेमतलब साबित हो रहे हैं। इस हाउस की ज्यादातर खिड़कियां व दरवाजे टूटे हुए हैं। लोगों को शुद्ध पेय जल के लिए भी तरसना पड़ता है, जिम्मेदार सिर्फ शासन से पत्राचार किए जाने का हवाला देकर अपना पीछा छुड़ा ले रहे हैं।
तत्कालीन डीएम एस मुथुशालिनी के प्रयास से बना था नया पीएम हाउस– लगभग 9 वर्ष पूर्व पुराने पोस्ट मार्टम हाउस की बदहाली देखते हुए, तत्कालीन डीएम एस मथुशालिनी ने प्रयास किया इसकी जगह पर अत्याधुनिक पोस्ट मार्टम हाउस बने, जो सफल भी रहा। शासन की ओर से नए अत्याधुनिक पोस्ट मार्टम हाउस के लिए 53 लाख रूपए की स्वीकृति दी गई। निर्माण कार्य के लिए कार्यदायी संस्था के रूप में यूपी प्रोजेक्ट्स कॉरपोरेशन लिमिटेड का चयन किया गया। कार्यदायी संस्था की ओर से दो मंजिला पोस्ट मार्टम हाउस बनाया गया, भूतल पर छोटे बड़े सात कमरे और प्रथम तल पर चार कमरे बनाए गए। भूतल पर शव रूम, डाक्टर रूम, पीएम रूम, केमिकल रूम, एक्स-रे रूम, बिसरा रूम बना, जबकि प्रथम तल पर सेमिनार रूम, रिकार्ड रूम, फोटोग्राफी, आफिस और मर्चरी अटेंडेंट रूम बनाया गया। इसके अलावा शव के साथ आने वाले परिजनों के लिए एक अलग रूम भी बना। शुरूआती दिनों में यह पोस्ट मार्टम हाउस अपने उद्देश्यों में सफल रहा, लेकिन मौजूदा समय में अब यह भी बदहाली पर आंशू बहा रहा है।
मीटिंग हॉल में धूल फांक रही हैं कुर्सियां, पीने के लिए शुद्ध पानी तक नहीं
– जिम्मेंदारों की उपेक्षा के चलते मौजूदा समय में यह पोस्ट मार्टम हाउस जीर्ण शीर्ण अवस्था में पहुंचता जा रहा है। मीटिंग हॉल में जहां एक तरफ कुर्सियां धूल फंक रहीं हैं, तो वहीं दूसरी तरफ यहां पीने के लिए शुद्ध पानी भी नहीं है। यहां सिर्फ बिजली के सहारे ही सारा काम किया जा रहा है, हैरानी इस बात की है कि यहां जनरेटर तक नहीं है। शवों का वजन करने के लिए लगा कांटा जंग खाकर खराब हो गया। इसके साथ ही यहां अन्य अव्यवस्थाएं फैली हुई हैं।
प्राईवेट कर्मी डब्लू की सिसकियां भी यहां सुनने वाला कोई नहीं
– यहां मौजूद प्राइवेट कर्मी डब्लू से जब बात की गई, तो उन्होने बताया कि अग्रेजों के जमाने से उनके बाबा यह कार्य करते थे, उनके न रहने के बाद इस कार्य की जिम्मेदारी उनके पिता ने संभाली। जब उनका इंतकाल हो गया, तो उनके भाई ने यहीं पर यह कार्य शुरू कर दिया। बताते हैं कि भाई के इंतकाल हो जाने के बाद अब इस कार्य की जिम्मेदारी वर्ष 2018 से वे खुद संभाले हुए हैं। कहते हैं कि भाई के परिवार की भी जिम्मेदारी इन्हीं के कंधे पर, लेकिन इन्हें इस कार्य के लिए किसी भी तरह का पारिश्रमिक नहीं मिलता है। कहते हैं कि कुछ भले लोग मजबूरी व हालात देखते हुए कुछ पैसे की मदद कर देते हैं, जिसके सहारे उनका गुजर बसर चल रहा है। डब्लू बताते हैं कि उनकी सिसकियां सुनने वाला कोई नहीं है। कहते हैं कि कई बार उच्चाधिकारियों से गुहार लगाई गई, लेकिन सब शून्य रहा।
आप भी सुनिए सीएमओ ने क्या कहा
-’ पोस्ट मार्टम हाउस की बदहाली व प्राईवेट कर्मी डब्लू के बारे में जब सीएमओ डॉ आरके मिश्रा से बात की गई, तो उन्होने बताया कि स्थिति उनके संज्ञान में है। उच्चाधिकारियों को पत्र के माध्यम से अवगत करा दिया गया है, जहां तक रही बात प्राईवेट कर्मी डब्लू की तो पूरा प्रयास है कि उनकी जल्द यहां नियुक्ति करा दी जाए। इसके लिए भी उच्चाधिकारियों से वर्ता हुई है।

28/10/2022

बस्ती यूपी : महिला अस्पताल : यहां शव ढोने वाले वाहन से ढोई जा रही दवाएं
- एनटीपीसी के उद्देश्यों पर जिला महिला अस्पताल में फिर रहा पानी
- एनटीपीसी ने की ओर से जिला महिला अस्पताल को दान में मिला है शव वाहन
स्वदेश संवाद
बस्ती। जिला महिला अस्पताल में एक अनोखा कारनामना उस समय कैमरे में कैद हो गया, जब यहां शव ढोने वाले वाहन से दवाएं ढोई जाती हुई मिलीं। पड़ताल करने पर पता चला कि यह शव वाहन एम्बुलेंस है और इसे पिछले वर्ष एनटीपीसी टांडा की ओर से नैगमिक सामाजिक दायित्व-सामुदायिक विकास के तहत शव वाहन के तौर पर जिला महिला अस्पताल को सौंपा गया है।
मामला बृहस्पतिवार दोपहर 12 बजकर 16 मिनट का है, यहां स्टोर में शव वाहन से दवाएं उतारी जा रही थीं। जब इसके तह में जाने की कोशिश की गई, तो यह भी पता चला कि इसी शव वाहन से बच्चों का ऑक्सीजन सिलेंडर भी लाया और ले जाया जाता है। कुछ ही देर में यह साफ हो गया कि जिस उद्देश्य के लिए जिला महिला अस्पताल को यह एंबुलेंस सौंपा गया था, उन उद्देश्यों पर यहां पानी फिर रहा है।
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सांसद हरीश द्विवेदी थे मुख्य अतिथि व तत्कालीन डीएम सौम्या अग्रवाल थी विशिष्ट अतिथि
- शव वाहन सौंपते समय जिला महिला अस्पताल में कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि सांसद बस्ती हरीश द्विवेदी व विशिष्ट अतिथि जिलाधिकारी सौम्या अग्रवाल, एनटीपीसी के मुख्य महाप्रबंधक संजय कुमार सिंह मौजूद थे। जिला महिला चिकित्सालय बस्ती की तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ सुषमा सिन्हा को शव वाहन हस्तांतरित किया था। सांसद हरीश द्विवेदी ने एनटीपीसी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि था कि यह वाहन जिले की जनता के लिए काफी उपयोगी सिद्ध होंगे। जिलाधिकारी सौम्या अग्रवाल ने धन्यवाद देते हुए कहा था कि एनटीपीसी टांडा का सहयोग अद्वितीय है और इन वाहनों से निर्बल वर्ग के लोगों को काफी राहत मिलेगी।
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जिला महिला अस्पताल के सीएमएस की सुनिए
- शव वाहन से ढोई जा रही दवाओं के बारे में जब जिला महिला अस्पताल के सीएमएस डॉ वीके पांडेय से बात की गई, तो उन्होने बताया कि एनटीपीसी की ओर से शव के लिए वाहन तो मुहैया कराया गया, लेकिन चालक नहीं दिया गया है। चालक न होने के चलते वाहन खड़ा ही रहता है, वाहन खराब न हो इसके लिए कभी-कभी वाहन का प्रयोग दवाओं को लाने के लिए किया जाता है। बताते हैं कि शासन से इसके चालक के लिए मांग की गई है।

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