बिहार की शान

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कौन कौन खाये है।
08/07/2025

कौन कौन खाये है।

जय बिहार,
07/07/2025

जय बिहार,

कोई लौटा दे मुझे बीते हुए पल मेरा जन्म अगस्त १९६५ में हुआ था |में आज के दौर और पुराने दौर का प्रत्यक्षदर्शी हूँ |में दमो...
07/07/2025

कोई लौटा दे मुझे बीते हुए पल
मेरा जन्म अगस्त १९६५ में हुआ था |में आज के दौर और पुराने दौर का प्रत्यक्षदर्शी हूँ |में दमोहनाका में रहता था |उस समय छोटे फुहारा रोड पर बहुत सी बैलगाड़ी आती थी जिसमे भूसा और लकडिया रहती थी |मेरे समय गेस का चलन नहीं था |लोग चूल्हे में रोटी बनाते थे |चूल्हा भी सामने से o के नीचे u वाला होता था |मेरे समय कुकर भी नहीं चलते थे |फ्रिज रईस लोग रखते थे |हम लोग बिल्ली के डर से दूध जाफ्री वाली अलमारी में या छिके पर रखते थे |आचार बड़ी पापड़ मेरी माँ बनाया करती थी |साबूदाना के पापड़ पन्नी में करछुली से डालते थे जब वो सूख जाते तो हम लोंगो को उनको बिना टूटे निकालने का टास्क मिलता था |हम लोग गोविन्द गंज की सरकारी स्कुल में पढ़े थे |परीक्षा क्या होती थी हम लोंगो को कभी पता ही नहीं लगा क्योकि परीक्षा के दिन हमको ब्लेक बोर्ड से उत्तर उतारने रहते थे |हम लोंगो की गदेलिया स्कूल से लाल होकर आती थी |हमको खड़ी स्केल गदेलियो में मास्साब मारते थे |मास्साब यदि पिताजी को बुला ले की आपका लड़का पढाई नहीं करता तो हम लोंगो को पिताजी बेल्ट चप्पल और सटक से पिटाई करते थे |वो लगे हाथ एक दो भाई को और निपटा देते थे |घर में कोई भी आये तो हमको बाहर बुलाकर उनका परिचय करवाते थे और पैर पड़ो जैसा कार्य करवाते थे |पिताजी हमको कितना भी मारे पिटे लेकिन जो भी व्यक्ति आये उससे हमारी तारीफ करते थे |मेरे राकेश को तो बहुत से संस्क्रत के श्लोक आते है |उनके कहने पर हम
कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती।
करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम् और हे प्रभु आनद दाता जैसी कविताये सुनाते थे |एकाद बार फ़िल्मी गाने भी गवाते थे उसमे हम पल भर के लिए कोई हमे प्यार कर ले झूठा ही सही गा देते थे |उस समय हमे न पल का पता था और न ही प्यार का |हमारे सामने ही टेप रिकार्डर आया |केलकुलेटर भी हमारे सामने आया |एयर कंडिशनर तो हमने देखा ही नहीं था |गर्मियों की शाम होते ही छत पर पानी डालना और उस पर दरी और गद्दे डालना हम लोंगो का काम था |अक्तूबर महीने में गोविन्दगंज रामलीला का मुकुट पूजन से लेकर भरत मिलाप जो की बड़ा फुहारा में हुआ करता था सभी कुछ देखा |घर में बरुदा की सिगड़ी भरना ,लालटेन के कांच साफ़ करना ,गोबर से घर लीपना जैसे काम हमने किये है |छुई में रुई मिलाकर रोटी रखने की माटिल्लीभी हमने बनायीं है |पापुलर ब्रेड भी गिलास भर चाय के साथ खाई है |डबल रोटी भी खाई है |मेरा चूरन है मतवाला इसको खायेगा दिलवाला भी आग लगने के बाद खाया है |जबलपुर में विक्टोरिया एल्गिन और मेडिकल अस्पताल के आलावा मन्नू लाल अस्पताल और जामदार अस्पताल थी ये भी देखा है |विविध भारती में फौजी भाइयो का कार्यक्रम और बिनाका गीतमाला भी सुनी है |नीम की दातुन और डाबर का काला दंत मंजन भी किया है |पम्पोलस भी देखा है और चीप वाला टायलेट भी देखा है जिसमे राख डालना पड़ती थी |लाईफ बाय साबुन भी देखा है और सपन्ना भी देखा है |बायोस्कोप भी देखा है और सावन के झूले भी देखे है |वलदेव बाग़ में नवीन दूनिया और देशबन्धु अख़बार भी देखा है और उनकी शीट को एक बार प्रिंट होने के बाद दूसरी बार प्रिंट करके फोल्ड करना भी सिखा है |उलटे फांट पढना भी सीखा है |काज बटन लगाना भी सीखा है |टेलीफोन पर ट्रंक काल भी देखा है |छोटी लाइन से ग्वारीघाट जाना भी देखा है |नागपंचमी और भेडाघाट के मेले की अख़बार की छुटिया भी देखी है |संयुक्त परिवार में चाचा ताऊ बुआ फूफाजी मोसा जी मौसी जी के महत्व को भी देखा है |बच्चा होने पर थाली बजाना और घर में चुन्ग्गा लगवाना भी देखा है |लिखे तो पुस्तक बन जाये |ये पोस्ट युवाओ के लिए समझ के परे होगी लेकिन जो 60-70 के दशक में जन्मे है उनकी पुरानी यादे ताजा हो जाएँगी |
यादे ताजा हो गयी

अवकाश प्राप्त वरीय  #अधिकारी के  #कैम्पस मे एक  #अमरूद का  #पेड़ है।बिल्कुल मेरे  #पड़ोस मे ही रहते हैं…..आज उन्हें एक ब...
07/07/2025

अवकाश प्राप्त वरीय #अधिकारी के #कैम्पस मे एक #अमरूद का #पेड़ है।बिल्कुल मेरे #पड़ोस मे ही रहते हैं…..आज उन्हें एक बच्चे को बुरी तरह #डांटते हुए देखा...
उसका #गुनाह सिर्फ इतना था कि उसने एक अमरूद तोड़ लिया...जबकि उनका अमरूद बहुत फल देता है...सुबह मे ज़मीन पर भी बहुत सारे गिरे रहते हैं...बावजूद उनका #दिल ऐसा क्यूं है?...
बहुत पहले मेरे घर के आंगन मे भी एक अमरूद का पेड़ था।वह बारहमासी था...साल मे दो बार फल आते थे...फलों से टहनियां लटक जाती थीं...वह इकलौता पेड़ #मुहल्ले के सभी लोगों का हृदय #तृप्त करता रहा...जो लोग थोड़ी दूर रहते थे उन्हें एक झोले मे कर के दे आता था....बदले मे मुझे मिलती थीं ढ़ेर सारी दुआएं...जो मैं चाहता था वह मिलता रहा...
आज पड़ोसी को डांटते देख मेरा मन आहत हो गया....सोचता हूं अब कुछ लोग इतना #निर्दयी क्यूं होते जा रहे हैं?
क्या दुआओं की ताकत को वह नही जानते?
खैर मेरे इस पोस्ट का एक ही मकसद है...आप लोगों मे से बहुतों के घर मे अमरूद का पौधा होगा....हो सके तो किसी जरूरतमंद के बीच बांट देना क्योंकि सेब और अंगूर हर किसी के नसीब मे नही...बढ़िया अमरूद खा कर ही वह आपको दिल से ध्यन्वाद
इस मौसम मे अमरुद खाने का मजा ही अलग है।

कैंसर कोई खतरनाक बीमारी नहीं है!  डॉ. गुप्ता कहते हैं, लापरवाही के अलावा कैंसर से किसी की मौत नहीं होनी चाहिए। (1). पहला...
06/07/2025

कैंसर कोई खतरनाक बीमारी नहीं है! डॉ. गुप्ता कहते हैं, लापरवाही के अलावा कैंसर से किसी की मौत नहीं होनी चाहिए। (1). पहला कदम चीनी का सेवन बंद करना है। आपके शरीर में चीनी के बिना, कैंसर कोशिकाएं स्वाभाविक रूप से मर जाती हैं। (2). दूसरा कदम यह है कि एक कप गर्म पानी में नींबू का रस मिलाएं और इसे सुबह भोजन से पहले 1-3 महीने तक पिएं और कैंसर खत्म हो जाएगा। मैरीलैंड मेडिकल रिसर्च के अनुसार, गर्म नींबू पानी कीमोथेरेपी से 1000 गुना बेहतर, मजबूत और सुरक्षित है। (3). तीसरा कदम है सुबह और रात को 3 बड़े चम्मच ऑर्गेनिक नारियल तेल पिएं, कैंसर गायब हो जाएगा, आप चीनी से परहेज सहित अन्य दो उपचारों में से कोई भी चुन सकते हैं। अज्ञानता एक बहाना नहीं है। अपने आस-पास के सभी लोगों को बताएं, कैंसर से मरना किसी के लिए भी अपमान है; जीवन बचाने के लिए व्यापक रूप से साझा करें।

06/07/2025

Chirag paswan
बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान

Indian rail
06/07/2025

Indian rail

जामुन खाने आइये ना
06/07/2025

जामुन खाने आइये ना

06/07/2025

हिंदी बोलने से मराठी का अपमान कैसे हो सकता है।

जिला बेगूसराय में बहुत सारे क्रिएटर हैं उसमें से ही एक क्रिएटर हिमांशु जी और उनके भाई भी है उनको सिल्वर प्ले बटन मिला था...
06/07/2025

जिला बेगूसराय में बहुत सारे क्रिएटर हैं उसमें से ही एक क्रिएटर हिमांशु जी और उनके भाई भी है उनको सिल्वर प्ले बटन मिला था कुछ दिन पहले अब गोल्ड प्ले बटन भी मिल गया यूट्यूब से गोल्ड बटन मिलने की खुशी में हिमांशु जी और उनके भाई को बहुत-बहुत बधाई !
Himanshu Singh - Bihar Ashish Raj

01/07/2025

आज से रेल किराया मे बढ़ोतरी

जिन्हें बिहार का विकास देखना हो वो उतरी बिहार जाकर देखें.....नेपाल जाने के क्रम में मैने मधुबनी में काफी वक्त बिताया और ...
30/06/2025

जिन्हें बिहार का विकास देखना हो वो उतरी बिहार जाकर देखें.....
नेपाल जाने के क्रम में मैने मधुबनी में काफी वक्त बिताया और देखा कि अधिकांश लोग दाने दाने को मोहताज हैं न अच्छी सड़क न अच्छी बिजली, न शिक्षा न बेहतर चिकित्सा, न लोगों के पास पक्का का घर , न हीं लोगों के पास रोजगार और ऊपर से भुखमरी कि मार ....
जब मैने लोगों से जानना चाहा तो आपबीती सुनकर मैं अंदर से दहल गया ..... शिक्षा के अभाव में बच्चों का भविष्य कहां जा रहा है किसी को कुछ पता नहीं.... 4 वर्षों से अन्न पैदा न हुई .... आय बस किसी तरह पेट पाल लेते हैं.... इत्यादि...…. इत्यादि..... मतलब सिर्फ कमियां....... हीं कमियां......
और हम सब बोल रहे हैं बिहार आगे बढ़ रहा है........
बिहार आगे बढ़ रहा है तो उतरी बिहार के लोगों कि स्थितियां , परिस्थितियां, सड़कें, शिक्षा, चिकित्सा, इत्यादि क्यों नहीं बदल रही है?????
मैं पूर्णियां गया .... वहां भी वही देखा .... और अब जब मधुबनी गया तो यहां भी वही देखा.....
क्या हीं बताऊं ज्यादा मतलब इन लोगों के पास गरीबी हीं गरीबी है.....
और सरकार ....... सिर्फ फेंकती रहती है.......

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