18/08/2025
पूर्व विधायक नरेंद्र कुमार उर्फ बोगो सिंह के राजद में शामिल होने और मटिहानी विधानसभा से चुनाव लड़ने की बात से इस विधानसभा का समीकरण उलट पलट होता दिखाई दे रहा है।आइए देखते हैं मटिहानी विधानसभा का समीकरण
1. इतिहास और जातीय समीकरण
मटिहानी विधानसभा लंबे समय तक वामपंथ (खासकर सीपीआई) का गढ़ रही है।
2020 में यह सीट सीपीएम के खाते में गई और राजेंद्र प्रसाद सिंह ने जीत दर्ज की।
यहाँ भूमिहार मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं, जबकि यादव, दलित और मुस्लिम वोट महागठबंधन के “core support base” हैं।
लेकिन राजद को यहाँ हमेशा भूमिहारों की दूरी झेलनी पड़ी, इसीलिए उनके उम्मीदवार बार-बार हारते रहे।
2. बोगो सिंह का असर
बोगो सिंह स्थानीय स्तर पर प्रभावशाली और पुराने समाजवादी धारा से जुड़े नेता माने जाते हैं।
भूमिहार समाज में उनकी एक पहचान है, और यही राजद के लिए सबसे बड़ी “entry point” हो सकती है।
अगर बोगो सिंह राजद के टिकट पर मैदान में आते हैं तो पहली बार राजद के पास भूमिहार + पारंपरिक महागठबंधन वोट का कॉम्बिनेशन बन सकता है।
यही वह “मिथक तोड़ने” की संभावना है जिसके बारे में आप पूछ रहे हैं।
3. चुनौती और जोखिम
भूमिहार समाज पूरी तरह बोगो सिंह के पीछे एकजुट होगा या नहीं, यह सबसे बड़ा सवाल है।
भाजपा/जदयू अगर भूमिहार बहुल प्रत्याशी उतारते हैं तो वोट फिर बंट सकता है।
सीपीएम अगर अलग उम्मीदवार देती है तो महागठबंधन का समीकरण बिगड़ सकता है और लाभ एनडीए को मिल सकता है।
इस बीच जन सुराज के चुनावी मैदान में आने से पूरे राजनीतिक समीकरण के उथल पुथल होने की संभावना है।चर्चा है कि जन सुराज किसी पिछड़े को मटिहानी के चुनावी दंगल में उतार सकता है।इस विधानसभा से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता और धबौली निवासी कुशेश्वर भगत जन सुराज की उम्मीदवारी के लिए प्रयासरत हैं।सूत्रों की मानें तो जन सुराज के प्रणेता प्रशांत किशोर भी मटिहानी से किसी काबिल पिछड़े उम्मीदवार को उतारना चाहते हैं।
कुशेश्वर भगत पिछड़े समुदाय से आते हैं और एक पढ़े लिखे सफल व्यक्ति हैं।उनके पिता शहर में पान दुकान चलाते हुए अपने बेटे को पढ़ाया,उच्च शिक्षा दिलवाई और आज वे सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हैं।उन्होंने 25 से ज्यादा देशों की यात्राएं की है।यदि गैर भूमिहार मतदाताओं में कुशेश्वर भगत ने अपनी पैठ बनाई तो यह राजद के लिए खतरा होगा।
🔑 बोगो सिंह में “राजद का मिथक तोड़ने” की क्षमता है, लेकिन यह तभी संभव है जब:
1. महागठबंधन एकजुट होकर उन्हें कैंडिडेट बनाए,
2. सीपीएम “सम्मानजनक समझौते” के साथ पीछे हटे,
3. और बोगो सिंह भूमिहारों का भरोसा बनाए रखते हुए यादव-मुस्लिम-दलित वोटों को जोड़ लें।
तभी मटिहानी में राजद पहली बार जीत की स्थिति में आ सकता है।