28/09/2025
मुलाकात...❤️
वो आज भी सज संवरके खुद को तैयार करती तो होगी बैठकर वहीं पीपल की छांव में मेरा इंतजार करती तो होगी
कभी गुलशन में कभी बहते दरिया के जल में वो मुस्कुराके बार बार मुझे देखा करती तो होगी
कभी चबाती होगी चुनरी को कभी घुमाती होगी मुंदरी को वो पैरों की पायलों से झंकार करती तो होगी
खो जाती होगी वो बीते हुए लम्हों की यादों में वो मेरे गले में अपनी बांहों के हार करती तो होगी
बह जाता होगा उसकी आंखों का काजल आंसुओं में वो रोकर तन्हाई में काजल को बेकार करती तो होगी
होगी मुझसे उसकी मुलाकात एक दिन जरूर वो मेरी मुलाकात पे ऐतबार करती तो होगी
माना कि मैं फिलहाल हूं उससे बहुत दूर मगर वो फिर भी मुझसे बेहद प्यार करती तो होगी....💔🥃
इंतजार एक मुलाकात का...❤️