अध्यात्मिक

अध्यात्मिक आत्मने मोक्छार्थ जगत हिताय च

प्राप्तिवाले महापुरुष समाज के बीच कभी अन्तर नहीं डाल सकते ! यह तो अधकुचलो की देन है जो उस परम का दिग्दर्शन और मूल की स्थ...
12/10/2025

प्राप्तिवाले महापुरुष समाज के बीच कभी अन्तर नहीं डाल सकते ! यह तो अधकुचलो की देन है जो उस परम का दिग्दर्शन और मूल की स्थिति वाला है,जो कण-कण में व्याप्त है,वह समाज में भेद-भाव नहीं डाल सकता ! वह कभी नही कह सकता कि भारत में ही राम है,बाहर नहीं ! यदि कोई ऐसा कुछ कहता है तो सिद्ध है कि वह अभी ईश्वर-तत्व को नहीं जानता ! महापुरुषों के पश्चात् उनके नाम पर अपनी ख्याति अर्जित करनेवाले अथवा उदर-पोषण की प्रवृत्ति लेकर जीने-खाने वाले लोग ही सम्प्रदायवाद ,रुढ़िवाद एवं मानव का विभाजन कर देते है ! 'कबीर "ऐसे लोगों को लक्ष्य करके कहते है .......... कोई सफा न देखा दिल का ! साँचा बना झिलमिल का !!
कोई सफा न देखा दिल का ! काजी देखा मुल्ला देखा,
पण्डित देखा छल का !! औरों को बैकुण्ठ बतावे, आप नरक में सरका !! बिल्ली देखा बगुला देखा ,
सर्प जो देखा बिल का !!
ऊपर-ऊपर बनल सफेदी,
भीतर घोला जहर का !! पढ़े लिखे कुछ वेद शास्त्र , भरे गुमान वरण-जाति का !!
कहत कबीर सुनो भाई साधो, लानत ऐसे तन का !!

12/10/2025

श्री केदारनाथ जी.... यह वही शिला है जो 2013 की आपदा में श्री केदार मंदिर की रक्षा की थी...यही वह शिला है जिसने उस सैलाब ...
11/10/2025

श्री केदारनाथ जी.... यह वही शिला है जो 2013 की आपदा में श्री केदार मंदिर की रक्षा की थी...यही वह शिला है जिसने उस सैलाब को रोककर दो भागों में विभाजित कर दिया और बीच में मन्दिर जस का तस बना अडिग बना रहा.. 🕉 जय श्री केदार 🕉

10/10/2025

Kedarnath Yatra Track...

🕉 हर हर महादेव 🕉 जय श्री केदारनाथ जी 🕉
10/10/2025

🕉 हर हर महादेव 🕉 जय श्री केदारनाथ जी 🕉

जय श्रीराधे !...
08/10/2025

जय श्रीराधे !...

संसार के प्राय: हर देश में,हर काल में अहिंसा के उपदेशक रहे हैं,किन्तु भारत में अहिंसा के जितने अधिक समर्थक और कट्टर पालक...
02/10/2025

संसार के प्राय: हर देश में,हर काल में अहिंसा के उपदेशक रहे हैं,किन्तु भारत में अहिंसा के जितने अधिक समर्थक और कट्टर पालक होते आए हैं! उतना संसार के अन्य किसी देश में नहीं हुए |
आत्मा की भांति अहिंसा की भी अवधारणा भारतीयों की विश्व को महानतम देनों में से एक है, वैसे तो मूसा, ईसा, मुहम्मद साहब, जरथुस्त्र,कनफ़्यूशियस,लाओत्से तथा प्राचीन युनानियों ने बुराई का बदला भलाई से देने को कहा...
सबने प्रेम,शांति,दया,करुणा,और सेवा का संदेश दिया...
किन्तु इन सबके मूल में है भारतीय ऋषियों का चिन्तन,जिसकी परम्परा वेद,उपनिषद,महावीर,बुद्ध और गुरुनानकजी से लेकर अद्यावधि अविच्छिन्न है |
कितना विरोधाभास है कि जो भारत अनादिकाल से चिरंतन प्रश्नों के शोध की स्थली रहा, विश्व के लिए आलोक-स्तंभ रहा,विश्वगुरु कहलाया,वहीं के निवासी गुणों से हीन होते जा रहे हैं और इस पतन के कारणों में अहिंसा का नाम भी जुड़ा हुआ है |
कितनी विडंबना है कि लोग बिच्छू या चींटी मारने से डरते हैं, सांप मारने से डरते हैं, यद्यपि आए दिन सर्पदंश से मरने की घटनाएँ होती रहती है,इसलिए डरते है कि पाप हो जाएगा...
इन भावनाओं ने देश को कायर बनाकर रख दिया,बुजदिल बना दिया!
खेद का विषय है कि लोग मांस-मछली तो खाते है,अपने पड़ोसी का हक भी छीनने का प्रयास करते हैं,किन्तु जब सुरक्षा का प्रश्न आता है तो घरों में घुस जाते हैं!
यह अहिंसा पालन नहीं कायरता है..
किसी भी जीव को न मारने की भावना के पीछे दो कारण है |
एक तो मान्यता है कि जीवन तो दुःखमय है ही किन्तु कदाचित इससे भी दुःखद मृत्यु है, क्योंकि घोर कष्ट पानेवाला भी मरना नहीं चाहता,इसलिए जहाँ तक हो सके मृत्यु से बचना चाहिए- अपना नुकसान उठाकर भी! कितना आश्चर्य है कि भारतीय भी मृत्यु से डरता है, जबकि संसार में भारतीयों को ही मृत्यु से सबसे कम डरना चाहिए,क्योंकि उन्होंने ही तो खोजा था कि आत्मा अमर है!
और मृत्यु क्या है? जीर्ण वस्त्र की तरह नश्वर देह का परिवर्तन मात्र है!
अहिंसा के आत्यंतिक प्रयोग का दूसरा कारण स्मृतियां हैं,जिनमें बताया गया है कि सांप अथवा चूहा मारने पर लोहे की छड़ दान दें,बिल्ली मारने पर सोने की बिल्ली दान दें, नेवला-मेढ़क-कौआ-कुत्ता अथवा शूद्र-इनमें से किसी को मारने पर एक सफेद बैल और दस गाय ब्राम्हण को दान दें! वैश्य और क्षत्रिय को मारने पर बीस गाय तथा ब्राम्हण मारने पर तीस गाय दान करें!
हिंसाजनित पाप की कहानी इतनी प्रचलित हुई कि पानी भरने तक में पाप है,दान दें! चूल्हा जलाने में हिंसा है.....

Hearty greetings to all of you on Vijayadashami, Gandhi Jayanti and Lal Bahadur ji's Jayanti...
02/10/2025

Hearty greetings to all of you on Vijayadashami, Gandhi Jayanti and Lal Bahadur ji's Jayanti...

जो इच्छा करिहहु मन माहीं | हरि प्रसाद कछु दुर्लभ नाहीं ||
01/10/2025

जो इच्छा करिहहु मन माहीं | हरि प्रसाद कछु दुर्लभ नाहीं ||

काल धर्म नहिं ब्यापहिं ताही ! रघुपति चरन प्रीति अति जाही!!
01/10/2025

काल धर्म नहिं ब्यापहिं ताही ! रघुपति चरन प्रीति अति जाही!!

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