
14/09/2025
इमरान प्रतापगढ़ी के चाहने वालों में प्रयागराज/इलाहाबाद के करेली के मोहम्मद ज़ाहिद का नाम सबसे आगे लिया जाता है। उन्होंने कई सालों तक इमरान के लिए लोगों की दुश्मनी मोल ली और आए दिन सोशल मीडिया पर लंबी-चौड़ी पोस्ट लिखकर उनकी छवि को बेहतर साबित करने की कोशिश की। मगर इसी कोशिश में वह अक्सर दूसरे अच्छे और सम्मानित लोगों की इज़्ज़त पर भी वार करते रहे।
आज वही मोहम्मद ज़ाहिद पुलिस की गिरफ्त में हैं और करेली थाने में सख़्ती व गालियाँ झेल रहे हैं। बीते 3–4 दिनों से सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ़ आक्रोश चरम पर था और नतीजा आज सबके सामने है।
सबसे दर्दनाक मंज़र यह रहा कि ज़ाहिद का भाई थाने और मोहल्ले में सबके सामने हाथ जोड़े खड़ा रहा “गलती हो गई, माफ़ कर दीजिए, अब दोबारा ऐसा नहीं होगा।” वहीं उनकी पत्नी अपने छोटे-छोटे बच्चों को साथ लेकर थाने पहुंचीं और रोते हुए गुहार लगाती रहीं“छोड़ दीजिए, बख़्श दीजिए।” शायद आज उनके घर चूल्हा भी न जला हो।
लेकिन जिस शख़्स के लिए उन्होंने दुश्मनियाँ मोल लीं, वही इस वक़्त अपने लग्ज़री महल में आराम से बैठा है, सरकारी प्रोटोकॉल और मुर्ग़ मुसल्लम की दावतों के बीच।
अब सवाल यह है कि कांग्रेस अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन और राज्यसभा सांसद, यानी इमरान प्रतापगढ़ी, ने इस पूरे मामले में क्या भूमिका निभाई? क्या उनका अपने इतने क़रीबी चाहने वाले और दोस्त के प्रति यह फ़र्ज़ नहीं था कि समय रहते उसे समझाते, माफ़ी मांगने की नसीहत देते, या कम से कम पुलिस अधिकारियों से बात करके मदद की कोशिश करते?
हक़ीक़त यही है कि ज़ाहिद थाने की ज़िल्लत झेल रहे हैं और इमरान आराम और रसूख़ के साथ महफ़ूज़ बैठे हैं। यही है दोस्ती का असली पैमाना जहां एक दोस्त जेल जैसी हालात में तिलमिलाए और दूसरा आलीशान महफ़िलों में चैन से मुस्कुराए।
सोचिए, दुश्मनी किसी और के लिए लेने का अंजाम आखिर कितना कड़वा हो सकता है..
फ़ैजुन हसन