14/08/2024
EMI पर आईफोन, EMI पर कार समाज को दिखाने भर तक होती है...
36 साल का सौरभ बब्बर और पत्नी मोना बब्बर दोनों हमेशा डिप्रेशन में रहता थे। दोनों खुद को समाप्त कर लिया, लेकिन अपनी बच्चों के लिए कितनी मुसीबत खड़ी कर गया। सोचिए वह फ्लैट में रहता था, अत्याधुनिक सुविधाओं का लाभ उठाता होगा किंतु कर्ज के बोझ तले भी दबा हुआ था।
वो इतना तो कमा ही सकता था तीन लोगो का पेट पाल सके। लेकिन वह जीवन से हार मान गया।
शहर में रहने वाला मध्यमवर्गीय कथित शिक्षित युवा आज के दौर में सबसे अधिक मानसिक तनाव का शिकार है। दिखावे की जिंदगी जीने को लालायित युवा अति महत्वाकांक्षा का इतना शिकार है कि समाज में दिखावे की जिंदगी जीने के लिए, अपने दोस्तों के बीच अपनी झूठी शान दिखाने के लिए कर्ज के बोझ तले दबने लगता है।
क्रेडिट कार्ड और का भ्रमजाल भौतिक सुख सुविधा का दिवा स्वप्न दिखा देते हैं। महानगरों में चंद साल व्यतीत करने पर 0 एडवांस पर महंगे फ्लैट उपलब्ध हैं। बिल्डर अपना पैसा लेकर किनारे हो जाते हैं और बैंक की ईएमआई शुरू हो जाती है। फ्लैट की सजावट सुख सुविधा के लिए सबकुछ ईएमआई पर उपलब्ध है। लेकिन जब किस्त भरने का सिलसिला शुरू हो जाता है तो न फ्लैट का सुख मिलता है और न ही सजावटी सामानों का।
बनावटी जीवन का दिवा स्वप्न सबसे अधिक इन्हीं युवाओं के जीवन को नर्क बनाया है। दिखावे की जिंदगी जीने की चाहत एक ऐसे जाल में फांस लेती है जो #जिंदगी को ही खत्म करने के बारे में सोचती है।
ये दोनों यदि अपने परिवार से, अपने मित्रों से चर्चा करता तो कोई रास्ता निकल सकता था। इनका बच्चा शायद बेसहारा नहीं होती। लेकिन अंदर ही अंदर घुट रहे इनदोनो को जिंदगी को नकार कर मौत चुनना ही आसान लगा।
डिजिटल युग में हम समाज से अलग हो गए।
#परिवार से अलग हो गए। अपनो से विचार विमर्श करना छोड़ दिए। यह एकांकी जीवन आखिर हमें किस ओर ले जा रहा है।