18/09/2025
2005: रामविलास पासवान की मुस्लिम मुख्यमंत्री की जिद और बिहार की सत्ता से बाहर हुए लालू यादव
रामविलास पासवान की चुनौती को लालू यादव ने हल्के में लिया, उनकी पार्टी पिछले 15 साल से सत्ता में थी. लालू को अपने MY समीकरण, अपने हनक और रुतबे पर भरोसा था. उन्होंने पासवान की अकेले लड़ने की चुनौती स्वीकार कर ली. इधर रामविलास पासवान इस चुनाव के लिए किलेबंदी करने लगे.
फरवरी 2005 के चुनाव में आया खंडित जनादेश
समर्थन के लिए पासवान ने रखी मुस्लिम सीएम की शर्त
पासवान के फार्मूले को लालू ने कर दिया खारिज
बिहार चुनाव की दास्तान राजनीति के अनूठे प्रयोगों से भरी है. यहां कुछ भी संभव है. यहां नीतीश के साथ लालू संभव हैं, लालू के साथ पासवान संभव हैं, लालू और बीजेपी का साथ भी मुमकिन है. यहां किसी के लिए रेड कार्पेट बिछाया जाता है तो कुर्सी तक पहुंच चुके किसी के लिए लंगड़ी लगाई जाती है.
साल 2005 ऐसा साल था जब एक वर्ष में बिहार में दो विधानसभा चुनाव हुए. इस चुनाव ने 1990 से बिहार की सत्ता पर काबिज लालू यादव को पाटलिपुत्र से बाहर का रास्ता दिखा दिया. इस चुनाव में बिहार में 15 साल तक सत्ता चला चुके लालू ऐसे बिखरे कि अब तक अपने दम पर बिहार की सत्ता में वापसी नहीं कर सके. उस दौरान लालू को सत्ता से बाहर करने में रामविलास पासवान की अहम भूमिका रही. तब पासवान ने मुस्लिम मुख्यमंत्री का ऐसा कार्ड चला, जिसकी काट लालू के पास नहीं थी. या यूं कहें कि तब लालू ने पासवान के इस ऑफर को तवज्जो नहीं दी.
इससे साफ पता चलता है लालू परिवार मुस्लिम विरोधी है वे कभी नहीं चाहेंगे कि कोई मुस्लिम का अपना दल हो या कोई मुस्लिम नेता बने ।