
17/04/2025
🤌🏻
नौकरियां बुरी नहीं हैं,
वो बस कीमत मांगती है।
हमारा घर, हमारे अपने,
छीन लेती है, दूर कर देती है।
पहले खुशियों के पल,
अब यादों में ढुल गये।
दूर हूँ, पर कॉल पर बात,
अब खलिपन में खोये हैं।
पैसे मिलते हैं, लेकिन समझ नहीं आता,
किस बात की कुर्बानी चाहती है।
नौकरीयां बुरी नहीं,
वो बस कीमत मांगती है।
घर, परिवार, खुशियाँ,
सब कुछ कुर्बानी कर देती है।
लेकिन पैसे तो मिलते हैं,
क्या यह कुर्बानी है?
नौकरियां बुरी नहीं,
वो बस कीमत मांगती है।
हमारा समय, हमारा प्यार,
सब कुछ कुर्बानी कर देती है।
-Hritik Raj🍁
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