Vidyanand Singh

Vidyanand Singh पूज्य गुरुदेव श्रीराम शर्मा आचार्य जी एवं वंदनीय माता जी के विचार कों समस्त संसार में फैलाने हेतु पेज का निर्माण किया है!

(अपनों से अपनी बात)
*विचार क्रांति अभियान*
*हम बदलेंगे,युग बदलेगा,
हम सुधरेंगे,युग सुधरेगा*
!अपना सुधार संसार की सबसे बड़ी सेवा है!

*🙏🌹ॐ सुप्रभात🌹🙏**🌻🌻जीवन चक्र !!🌻🌻*भगवान राम जानते थे कि उनका वैकुंठ गमन का समय हो गया है। *वह जानते थे कि जो जन्म लेता ह...
21/08/2025

*🙏🌹ॐ सुप्रभात🌹🙏*
*🌻🌻जीवन चक्र !!🌻🌻*
भगवान राम जानते थे कि उनका वैकुंठ गमन का समय हो गया है। *वह जानते थे कि जो जन्म लेता है उसे मरना ही पड़ता है। यही जीवन चक्र है और मनुष्य देह की सीमा और विवशता भी यही है।*
उन्होंने कहा- यम को मुझ तक आने दो। बैकुंठ धाम जाने का समय अब आ गया है। मृत्यु के देवता यम स्वयं अयोध्या में घुसने से डरते थे क्योंकि उनको भगवान श्रीराम के परम भक्त और उनके महल के मुख्य प्रहरी हनुमान से भय लगता था। उन्हें पता था कि हनुमान जी के रहते यह सब आसान नहीं।
भगवान श्रीराम इस बात को अच्छी तरह से समझ गए थे कि उनके बैकुंठ गमन को अंजनी पुत्र कभी स्वीकार नहीं कर पाएंगे और वो रौद्र रूप में आ गए तो समस्त धरती काँप उठेगी।उन्होंने सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा से इस विषय मे बात की और अपनी मृत्यु के सत्य से अवगत कराने के लिए भगवान श्रीराम जी ने अपनी अँगूठी को महल के फर्श के एक छेद में से गिरा दिया फिर हनुमान जी से इसे खोजकर लाने के लिए कहा-
हनुमान जी ने स्वयं का स्वरुप छोटा करते हुए बिल्कुल भँवरे जैसा आकार बना लिया और अँगूठी को तलाशने के लिये उस छोटे से छेद में प्रवेश कर गए। वह छेद केवल छेद नहीं था, बल्कि एक सुरंग का रास्ता था, जो पाताल लोक के नाग लोक तक जाता था। हनुमान जी नागों के राजा वासुकी से मिले और अपने आने का कारण बताया।वासुकी हनुमान जी को नाग लोक के मध्य में ले गए जहाँ पर ढेर सारी अँगूठियों का ढेर लगा था। वहाँ पर अँगूठियों का जैसे पहाड़ लगा हुआ था। “यहाँ देखिए !! आपको श्री रामकी अँगूठी अवश्य ही मिल जाएगी।”वासुकी ने कहा।
हनुमानजी सोच में पड़ गए कि वो कैसे उसे ढूंढ पायेंगे? यह भूसे में सुई ढूंढने जैसा था। लेकिन उन्हें श्रीराम जी की आज्ञा का पालन करना ही था। तो श्रीराम जी का नाम लेकर उन्होंने अंगूठी को ढूंढना शुरू किया। सौभाग्य कहें या श्रीराम जी का आशीर्वाद या कहें हनुमान जी की भक्ति,उन्होंने जो पहली अँगूठी उठाई,वो श्रीराम जी की ही अँगूठी थी। उनकी खुशी का ठिकाना ना रहा। वो अँगूठी लेकर जाने को हुए,तब उन्हें सामने दिख रही एक और अँगूठी जानी पहचानी सी लगी।पास जाकर देखा तो वे आश्चर्य से भर गये। दूसरी अँगूठी जो उन्होंने उठाई वो भी प्रभु श्रीराम जी की ही अँगूठी थी। इसके बाद तो वो एक के बाद एक अँगूठियाँ उठाते गए और हर अँगूठी श्रीराम जी की ही निकलती रहीं। उनकी आँखों से अश्रु धारा फूट पड़ी, धीरे से कहा, “वासुकी, यह प्रभु की कैसी माया है? यह क्या हो रहा है? प्रभु क्या चाहते हैं?”
वासुकी मुस्कुराए और बोले- *जिस संसार में हम रहते है,वो सृष्टि व विनाश के चक्र से गुजरती है। जो निश्चित है। जो अवश्यम्भावी है। इस संसार के प्रत्येक सृष्टि चक्र को एक कल्प कहा जाता है। हर कल्प के चार युग या चार भाग होते हैं। हर बार कल्प के दूसरे युग में अर्थात त्रेता युग में,प्रभु श्रीराम अयोध्या में जन्म लेते हैं। एक वानर इस अँगूठी का पीछा करता है,यहाँ आता है और हर बार पृथ्वी पर राम मृत्यु को प्राप्त होते हैं।* इसलिए यह सैकड़ों हजारों कल्पों से चली आ रही अँगूठियों का ढेर है। सभी अँगूठियाँ वास्तविक हैं और सभी श्रीराम की ही है। अँगूठियाँ गिरती रहीं है और इनका ढेर बड़ा होता रहा। भविष्य के रामों की अँगूठियों के लिए भी यहाँ पर्याप्त स्थान है।”
हनुमान जी एकदम शान्त हो गए और तुरन्त समझ गए कि नाग लोक में उनका प्रवेश और अँगूठियों के पर्वत से साक्षात्कार कोई आकस्मिक घटी घटना नहीं थी। बल्कि यह प्रभु श्रीराम का उनको समझाने का मार्ग था कि - *मृत्यु को आने से रोका नहीं जा सकता। राम मृत्यु को प्राप्त होंगे ही पर राम वापिस आयेंगे और यह सब फिर दोहराया जाएगा।यही सृष्टि का नियम है और इस नियम से हम सभी बंधे हैं। संसार समाप्त होगा। लेकिन हमेशा की तरह, संसार पुनः बनता है और राम भी पुनः जन्म लेंगे।*
*🌻अपना सुधार संसार की सबसे बड़ी सेवा है।🌻*
*हम बदलेंगे,युग बदलेगा।*
*हम सुधरेंगे,युग सुधरेगा।।*
*आपका दिन शुभ एवं मंगलमय हो।*

!! सत्य धर्म का पालन !! *मेरा अटल विश्वास है कि जहाँ धर्म है, वहाँ यश है, जहाँ अधर्म है, वह क्षय है। मेरे जिले में कई दै...
20/08/2025

!! सत्य धर्म का पालन !!
*मेरा अटल विश्वास है कि जहाँ धर्म है, वहाँ यश है, जहाँ अधर्म है, वह क्षय है। मेरे जिले में कई दैवी संपत्तियां हैं, जो सत् पर आरुढ़ रह कर अपना वैभव बढ़ा चुके हैं तथा बढ़ा रहे हैं। इसी तरह अधर्म से नाश होता हुआ भी देखता हूँ। मेरी 43 वर्ष की आयु इस संसार में गत हो चुकी है। बचपन से ही सत्संगति में रहा। मैट्रिक में पढ़ता था, तब भी अच्छी संगति थी। मादक द्रव्यों की बात तो दूर, कभी पान, तम्बाकू तक का भी सेवन नहीं करता। प्रातः चार बजे उठना, ईश्वर भजन में लीन हो जाना, सूर्योदय से पूर्व नदी पर स्नान के लिए पहुँचना और आसन, प्राणायाम, हवन, जप आदि से निवृत्त होकर 8 बजे घर आना और गृह कार्यों में लग जाना। दोपहर को आधे घन्टे और शाम को ढाई घंटे फिर भजन करना। रात को सामूहिक प्रार्थना करना, यह मेरा नित्य नियम है। 12 साल से यह कार्यक्रम नियमित रूप से चल रहा है।*

*नियमित धार्मिक कार्यों का अत्युत्तम फल में सदैव अनुभव करता हूँ। आपत्तियाँ, कष्ट और चिन्ताओं से मैं बचा रहता हूँ। सभी कार्य यथाविधि सरलतापूर्वक चलते रहते हैं। चारों ओर दिव्य आनन्द की लहरें दौड़ती दृष्टिगोचर होती है। दुख रूप असत्य का परित्याग कर देने से सुखरूप सत्य शेष रह जाता है। जो सत्य धर्म पर आरुढ़ हैं, ईश्वर उनके लिए सुख−शांति की व्यवस्था करता है। इस सिद्धान्त पर विश्वास करता हुआ मैं उसकी सचाई का पूरी तरह अनुभव करता हूँ।*
*📖 अखण्ड ज्योति सितम्बर 1942*
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मनुष्य को ध्वंस से विरत करके सृजन में लागू होने के लिए सहमत किया जा सके तो बड़े पैमाने पर जो खर्चीली योजनाएँ बन रही हैं ...
20/08/2025

मनुष्य को ध्वंस से विरत करके सृजन में लागू होने के लिए सहमत किया जा सके तो बड़े पैमाने पर जो खर्चीली योजनाएँ बन रही हैं उनमें से एक की भी आवश्यकता न पड़ेगी। जन-जन के बूंद-बूंद प्रयत्नों से इतना कुछ अनायास ही होने लगेगा जिस पर सैकड़ों पंचवर्षीय सृजन योजनाओं को निछावर किया जा सकेगा।*
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*सोचना छोड़, करना शुरू कर।*अगर कोई अभी नहीं बदलता, तो कभी नहीं बदलता।हर दिन ढेरों प्रेरणात्मक बातें पढ़ते हैं, सुनते हैं...
20/08/2025

*सोचना छोड़, करना शुरू कर।*

अगर कोई अभी नहीं बदलता, तो कभी नहीं बदलता।
हर दिन ढेरों प्रेरणात्मक बातें पढ़ते हैं, सुनते हैं, शेयर करते हैं। पर सवाल ये है — क्या हमने खुद पर लागू भी किया?
ज्ञान वही काम का है, जो जीवन में उतरे।
अगर हर मोटिवेशनल लाइन सिर्फ दूसरों के लिए सोचते रहे, तो खुद में कब बदलाव आएगा?
बदलाव बाहर नहीं, भीतर से आता है।
आज नहीं तो कब? अभी नहीं तो कभी नहीं।
जो अभी खुद को सुधारता है, वही कल इतिहास बनाता है।
अब वक्त है सिर्फ पढ़ने का नहीं, खुद को बदलने का।
खुद पर अमल करो — बदलाव खुद चलकर आएगा।
*अब नहीं तो कभी नहीं।*
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Big shout out to my newest top fans! 💎 Prabhu Nath Dubey Dubey, Neelam Rani, Anil Chouhan, Birjita Lakda, Ashok Jha, Vin...
20/08/2025

Big shout out to my newest top fans! 💎 Prabhu Nath Dubey Dubey, Neelam Rani, Anil Chouhan, Birjita Lakda, Ashok Jha, Vinay Ankit, Joginder Sharma, Vineet Gupta, Mahi Namdeo, Madhu Khattri, Sanjeevkumarchaudhary Sanjeevraj, Seema Mathur, Shiv Tilak, ऑलइंडियाओबीसीरेलवेएम्प्लॉइजयूथ फेडरेशन

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20/08/2025

NDA's VP candidate CP Radhakrishnan files nomination papers in presence of PM

* NDA समर्थित उम्मीदवार श्री सी पी राधा कृष्णन जी ने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेद्र माेदी जी उपस्थिति में उपराष्ट्रपति पद के लिए भरा नामांकन


सौजन्य:-संसद टी वी

20/08/2025

* Honourable Home Minister Sri AmitShah moves following 3 Bills to Joint Committee.

*1. The Constitution (One Hundred & Thirtieth Amendment) Bill, 2025.

*2. The Government of Union Territories (Amendment) Bill, 2025.

*3. The Jammu & Kashmir Reorganisation (Amendment) Bill, 2025.
# लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को तीन अहम विधेयक पेश किए। जिसमें सबसे महत्वपूर्ण विधेयक जिसके तहत प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या फिर किसी मंत्री पर 5 साल से अधिक सजा के प्रावधान वाले केस में आरोप लगता है और अगर वह तीस दिनों तक न्यायिक हिरासत में रहते हैं तो उन्हें पद छोड़ना होगा।
अमित शाह जी जब सदन में इस बिल को पेश कर रहे थे तो उस दौरान विपक्षी सांसदों ने जमकर हंगामा किया। इतना ही नहीं विपक्षी नेताओं ने बिल की कॉपी फाड़ कर फेंक दी। अमित शाह ने ये भी कहा कि सरकार इस बिल को जेपीसी को भेजने का प्रस्ताव रखती है।

सौजन्य:- संसद टीवी

*For the first time in the history of South Central Railway, five crucial departments — Commercial, Operating, Finance, ...
20/08/2025

*For the first time in the history of South Central Railway, five crucial departments — Commercial, Operating, Finance, Security & Medical — are being led by Women Officers.*
*A Proud Milestone For Ministry of Railways, Government of India.*

*🙏🌹ॐ सुप्रभात🌹🙏**🌻अर्थोपार्जन और आध्यात्मिकता !!🌻*👉 *कुछ लोगों की ऐसी मान्यता है कि धार्मिक व्यक्ति को धन से "विरक्ति" ह...
19/08/2025

*🙏🌹ॐ सुप्रभात🌹🙏*
*🌻अर्थोपार्जन और आध्यात्मिकता !!🌻*
👉 *कुछ लोगों की ऐसी मान्यता है कि धार्मिक व्यक्ति को धन से "विरक्ति" होनी चाहिए।* जहाँ तक आध्यात्मिक आनंद की प्राप्ति का प्रश्न है,धन के प्रति अत्यधिक लगाव न रखना उचित भी है, *किंत गृहस्थी की सुख-सुविधाओं के लिए, "धार्मिक प्रयोजनों" की पूर्ति के लिए "धन" अत्यधिक आवश्यक है।* धन के बिना न धर्म संभव है न कर्तव्य पालन। *इस दृष्टि से "निर्धनता" अभिशाप है।* हमारे आध्यात्मिक जीवन में धन का उतना ही महत्त्व है,जितना ईश्वर उपासना का। *लक्ष्मी को परमात्मा का वामांग मानते हैं। इसलिए उपासना को तब पूर्ण समझना चाहिए जब लक्ष्मी-नारायण दोनों की प्रतिष्ठा हो।* जहाँ लक्ष्मी नहीं वहाँ का परमात्मा भी बेचैन रहता है। लक्ष्मी रहती है तो परमात्मा की प्राप्ति में सुविधा मिलती है,हमारी मान्यता इस प्रकार की होनी चाहिए।
👉 *आर्थिक दृष्टि से मनुष्य दूसरों का गुलाम बने,यह न तो उपयुक्त ही है और न परमात्मा की ही ऐसी इच्छा है।* उन्होंने अपने प्रत्येक पुत्र को समान साधन दिए हैं,समान क्षमताएँ दी हैं तो उसका एक ही उद्देश्य रहा है कि आत्म-कल्याण और जीवनयापन में प्रत्येक व्यक्ति आत्मनिर्भर रहे। *ईश्वरनिष्ठ को निराश्रित होना उचित भी नहीं,* अपनी आजीविका का प्रबंध उसे स्वयं करना चाहिए।
👉 *"निर्धनता" एक प्रकार की आध्यात्मिक विकृति है।* धन न कमाना त्याग का लक्षण नहीं। यह मनुष्य में दैवी गुणों की कमी का परिचायकहै। *हर व्यक्ति को विशुद्ध धार्मिक भावना से अर्थोपार्जन करना चाहिए।* यह क्रिया आत्म-विकास के अंतर्गत ही आती है। *'पीस,पावर एंड प्लेन्टी*' (शांति, शक्ति और समृद्धि) नामक पुस्तक के रचयिता *श्री ओरिसन मार्डन* ने लिखा है- *जो दरिद्री होते हैं उनमें न आत्म-विश्वास होता है और न श्रद्धा। लोग अपनी स्थिति को बदल सकते हैं पर उन्हें अपनी शक्तियों पर भरोसा करना आना चाहिए। आशा,साहस,उत्साह और कर्मशीलता के द्वारा कोई भी व्यक्ति श्री संपन्न बन सकता है।*
👉 *धन को सुख का साधन मानकर उसे "ईमानदारी और परिश्रम" के द्वारा कमाया जाए तो वह आत्म-विकास में भी सहायक होता है।धन प्राप्ति का एक दोष भी होता है- अनावश्यक "लोभ" ।* वित्तेषणा के कारण लोग अनुचित तरीकों से धन कमाना चाहते हैं। *बेईमानी के द्वारा कमाया हुआ धन मनुष्य को व्यसनों की ओर आकर्षित करता है।* जुआ,सट्टा, लाटरी,नशा, वेश्यावृत्ति में धन का अपव्यय करने वाले प्रायः सभी अनुचित तरीकों से धनार्जन करते हैं। ,*इस प्रकार की कमाई मनुष्य की दुर्गति करती है।* इस प्रकार का धन हेय कहा गया है और *उस "धन" से "निर्धन" होना अच्छा बताया गया है।*
👉 *अर्थोपार्जन में जिन आध्यात्मिक गुणों का समावेश होना चाहिए,शास्त्रकार ने उन्हें बड़े आलंकारिक ढंग से प्रस्तुत किया है।* लक्ष्मी को वे देवी मानते हैं। उन्हें कमल पुष्प पर आसीन,ऊपर से फूलों की वर्षा होती हुई दिखाया गया है। *कमल- "पवित्रता और सौंदर्य" का प्रतीक है। लक्ष्मी पवित्रता और सौंदर्य अर्थात "ईमानदारी और सचाई" पर विराजमान हैं।* उनका वाहन उल्लू है। *उल्लू मूर्खता का प्रतीक है।मूर्खतापूर्ण स्वभाव वाले या अवगुणी व्यक्तियों के लिए यह लक्ष्मी भारस्वरूप,दुःख रूप होती है।* यह दिग्दर्शन उनके चित्र में कराया गया है।
*🌻अपना सुधार संसार की सबसे बड़ी सेवा है।🌻*
*हम बदलेंगे,युग बदलेगा।*
*हम सुधरेंगे,युग सुधरेगा।।*
*आपका दिन शुभ एवं मंगलमय हो।*

*🙏🌹ॐ सुप्रभात🌹🙏**🌻गुरुभक्ति से भव बन्धन पार !!🌻*श्री समर्थ रामदास स्वामी एक दिन अपने शिष्यों के साथ यात्रा पर निकले थे। ...
18/08/2025

*🙏🌹ॐ सुप्रभात🌹🙏*
*🌻गुरुभक्ति से भव बन्धन पार !!🌻*
श्री समर्थ रामदास स्वामी एक दिन अपने शिष्यों के साथ यात्रा पर निकले थे। दोपहर के समय एक बड़े कुएँ के निकट एक सघन वृक्ष की छाया में आसन लगाकर वे विश्राम करने लगे। उन्होंने अपने शिष्यो को निकट बुलाया। वृक्ष की एक शाखा कुए के ऊपर थी। उसकी ओर संकेत करते हुए पूछा- *क्या कोई इस शाखा को काट सकता है?* इस शाखा के पत्ते पतझड़ में गिरकर कुएँ का पानी दूषित करते होंगे। शाखाको उसके मूल स्थान से ही काटना पड़ेगा।’ वहाँ दूसरी कोई शाखा नहीं थी, जिस पर खड़े होकर कोई उस शाखा को काट सके। शाखा को मूल स्थान से काटने का मतलब था कि उसी शाखा पर खड़े होकर उसे काटा जाए। पैरों को टिकाने का कोई स्थान ही न था। *निश्चय ही शाखा काटने वाला कुएँ में गिरेगा। और उसकी मृत्यु भी निश्चित थी।*
जब बहुत समय तक कोई बड़ा गुरुभाई सामने नहीं आया ,तब श्री अम्बादास जी नाम के शिष्य सामने आकर प्रणाम् करके बोले- *यदि आप आज्ञा दें तो गुरुदेव जरूर काट दूँगा।* अम्बादास ने विनम्रता से कहा।गुरुदेव ने कहा-क्या तुम्हे यह ज्ञात है कि डाल काटने पर तुम गिर जाओगे।अम्बादास जी ने कहा- *क्या गुरुदेव की आज्ञा पालन करके आज तक कोई गिरा है?*
समर्थ स्वामी प्रसन्न होकर बोले- ‘तो कुल्हाड़ी लेकर वृक्ष पर चढ़ जाओ और उस शाखा को काट डालो।
सभी शिष्य यह आज्ञा सुनकर श्री समर्थ के मुख की ओर निहारते,कभी अम्बादास की ओर निहारते,अम्बादास की ओर तो कभी उस शाखा की ओर। गुरु की आज्ञा पाते ही उसने अपनी धोती बाँधी और कुल्हाड़ी लेकर वृक्ष पर चढ़ गया। उसी शाखा पर खड़े होकर उसने कुल्हाड़ी चलानी शुरू कर दी।श्री रामदास स्वामी ने फिर परीक्षा लेने हेतु कहा- *सोच समझ कर विचार करना,ऐसे डाल काटने में तो तू कुएँ में चला जाएगा।* परंतु इस बार भी वह नहीं डरा। उसने कहा-
*गुरुदेव !! आपकी महती कृपा मुझे संसार-सागर से पार उतारने में पूर्ण समर्थ है।’ यह कूप किस गणना में है।* मैं तो आपके आशीर्वाद से सदैव सुरक्षित रहा हूँ। ‘यदि इतनी श्रद्धा है तो फिर अपना काम करो।’ श्री समर्थ ने आज्ञा प्रदान कर दी।शाखा आधी से कुछ ज्यादा ही कट पाई थी कि टूटकर अम्बादास के साथ कुएँ में जा गिरी। सभी शिष्य व्याकुल हो उठे,परंतु स्वामी समर्थ रामदास शांत बैठे रहे। *उनमें जिसकी इतनी श्रद्धा है,उसका अमंगल संभव ही न था। अम्बादास जैसे ही कुँए में गिरा तो श्रीरामजी ने उनको धर लिया।अम्बादासजी को कुएँ में अपने इष्ट देव भगवान राम का प्रत्यक्ष दर्शन हुआ।*
शिष्यों के प्रयास से अम्बादास को कुएँ से निकाला गया तो *वह गुरुदेव के चरणों में लेट गया। आपने तो मेरा कल्याण कर दिया। ‘कल्याण तो तेरी श्रद्धा ने कर दिया। तू अब कल्याण रूप हो गया’। श्री समर्थ रामदासजी ने कहा- आज से अम्बादासजी का नाम कल्याण स्वामी हो गया।*
*👉जो गुरु का हो गया वह गुरुमय हो गया।*
*🌻अपना सुधार संसार की सबसे बड़ी सेवा है।🌻*
*हम बदलेंगे,युग बदलेगा।*
*हम सुधरेंगे,युग सुधरेगा।।*
*आपका दिन शुभ एवं मंगलमय हो।*

Address

Barhari, Goradih
Bhagalpur
813105

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