
25/11/2024
शादी एक की होती है और सेटिंग 10 की हो जाती है....
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#फिल्म्स
किस-किस के पास आया ऐसा नोट
#फिल्म्स के बारे में दस अज्ञात तथ्य
1. 1888 में बनी पहली फिल्म "राउंडय गार्डन सीन" थी, जिसे फ्रेंच आविष्कारक लुइस ले प्रिंस द्वारा निर्देशित किया गया था।
2. 1911 में पहली हॉलीवुड फिल्म "द स्क्व मैन" थी, जिसका निर्देशन ऑस्कर एपफेल और सेसिल बी ने किया था। डेमिल।
3. पहली 3डी फिल्म 1922 में "द पावर ऑफ़ लव" थी, जिसका निर्देशन नट जी ने किया था। डेवरीच और हैरी के. फेयरल।
4. ध्वनि के साथ पहली फिल्म 1927 में "द जैज सिंगर" थी, जिसका निर्देशन एलन क्रॉसलैंड ने किया था।
5. 2016 में बनी सबसे लंबी फिल्म "अम्बियन" थी, एंडर्स वेबर्ग द्वारा निर्देशित, 720 घंटे के रनटाइम के साथ।
6. एंथनी और जो रूसो द्वारा निर्देशित 2019 में अब तक की सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्म "एवेंजर्स: एंडगेम" है।
7. एक ही फिल्म द्वारा जीते गए सबसे अधिक अकादमी पुरस्कार 11 हैं, 1959 में "बेन-हुर" द्वारा, 1997 में "टाइटैनिक" और 2003 में "द लॉर्ड ऑफ द रिंग्स: द रिटर्न ऑफ द किंग" द्वारा प्राप्त किए गए हैं।
8. कंप्यूटर-जनरेटेड इमेज (सीजीआई) को फीचर करने वाली पहली फिल्म 1973 में माइकल क्रिचटन द्वारा निर्देशित "वेस्टवर्ल्ड" थी।
9. गति कैप्चर तकनीक का उपयोग करने वाली पहली फिल्म 2001 में पीटर जैक्सन द्वारा निर्देशित "द लॉर्ड ऑफ द रिंग्स: द फेलोशिप ऑफ द रिंग" थी।
10. "द मैट्रिक्स" त्रयी के लिए $ 250 मिलियन के वेतन के साथ अब तक का सबसे अधिक भुगतान करने वाला अभिनेता कीनू रीव्स है,,🙏🙏 # रेलवे डायरी
जब हम छोटे थे तब कटिहार भी हमारी तरह छोटा ही तो था..! हम बढे तो शहर भी बढ़ता गया...!
अपने टाइम में घूमने के लिए कोई खास जगह की जरुरत नहीं हुआ करती. चार दोस्त दोस्त मिले और फिर एक दूसरे के कंधे में हाथ डाले पैदल निकल पड़े 👬👬
"चलो फ्लाईओवर (ओवरब्रिज) पर चलते हैँ..."
" हाँ - हाँ! चलो 🏃🏻♂️"
हमारे लिए फ्लाईओवर ही मरीन ड्राइव था और टेलीफ़ोन एक्सचेंज और रेलवे का टेलीफ़ोन टावर ही पेरिस के एफील टावर से भी बड़ा टावर 😊 ओ टी पारा हमारे लिए एक अलग दुनिया हुआ करती जहाँ अलग तरह के लोग रहा करते... 😊 लाल रंग के रेलवे के क्वार्टर आज भी उतना ही हमें आकर्षित किया करते हैँ...! 😊
फ्लाईओवर के अंतिम पड़ाव के ठीक पहले बाई ओर रेलवे का एक वाटर रिज़र्वॉयर जिससे लगातार पानी हौ - हौ कर बहता...आज भी बहता है मगर कौन ही झांककर देखता भला 😊
हम चार दोस्त फ्लाईओवर पर घंटों खड़े पानी के उस भण्डार को देखा करते... उसकी आवाज़ को सुना करते... बड़ा कौतुहल और बड़े अचंभित हुआ करते.... 🤔
" पूरी दुनिया में यहीं से पानी जाता है.... "
" पानी का धार कितना तेज है...!"
" कितना गढ्धा ( गहरा ) होगा..? पाताल लोक तक...! "
" अगर यह टूटा तो सब ख़तम...!"
" बहुत मछली होगा...! यहीं से मछली बजार में जाता है... "
" इतना बड़ा - बड़ा पाइप में पानी कैसे ऊपर टंकी में जाता है? पानी टंकी चौक के टंकी में पानी यहीं से जाता है...! "
" कोई डूब गया तो गया...!"
ऐसी हज़ार बातें...! समय की कोई सीमा नहीं... घंटों... न धूप की खबर और न लू की चिंता...! न ठंडा, न गरम...😊
आज भी जब कभी गुजरता हूं वहाँ से तो नजरें एक बार उसी तरफ मुड़ जाती हैँ.. 😊 इस मर्तबा थोड़ा इत्मीनान से रुका और एक फोटा और वीडियो तसल्ली से लिया.... 😊 यकीन मानिये कुछ पलों के लिए लगा नहीं कि हम बड़े और समझदार हो लिए हैँ... 😊 वही रोमांच और वही निशब्द भावनायें... बस एक फर्क था कि हम अकेले थे... अब कोई इतना पगला दोस्त भी नहीं कि जिसके पास इतना फालतू टाइम हो जो साथ उन्हीं गलियों में पैदल भटके जहाँ कई पुरानी चीजें हमारे इंतज़ार में आँखें पसारे बैठी हों 😊
कुछ देर रुका और फिर उस गहरी झील से मुस्कुराते हुए विदा लिया... कुछ पेड़ भी पुराने मिले जिसकी जड़ें उसी झील की अनंत गहराइयों तक जाती हैँ... 😊
हम फिर मिलेंगे फिर उन्हीं गुफ़्तगू के साथ... उसी फ्लाईओवर के पास.... क्या मिलेगा दोबारा वही पुराना फ्लाईओवर.... मिलेगा.... क्यों नहीं मिलेगा.... हम ढूंढ़ लाएंगे अपनी यादों के झारोखों में से.....मैं यादें बाँटता हूँ 😊
©(राजू दत्ता ✍🏻)