23/03/2024
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ईकाई भरमौर द्वारा मां भारती के वीर सपूतों को श्रद्धांजलि दी गई,
महिंद्र पटियाल
भरमौर 23 मार्च
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद इकाई भरमौर के कार्यकर्ताओं द्वारा मां भारती के सच्चे सपूत वीर भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की शहादत को श्रद्धापूर्वक स्मरण की ।
भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव भारत के वे सच्चे सपूत थे, जिन्होंने अपनी देशभक्ति और देशप्रेम को अपने प्राणों से भी अधिक महत्व दिया और मातृभूमि के लिए प्राण न्यौछावर कर गए। 23 मार्च यानि, देश के लिए लड़ते हुए अपने प्राणों को हंसते-हंसते न्यौछावर करने वाले तीन वीर सपूतों का शहीद दिवस। यह दिवस न केवल देश के प्रति सम्मान और हिंदुस्तानी होने वा गौरव का अनुभव कराता है, बल्कि वीर सपूतों के बलिदान को भीगे मन से श्रृद्धांजलि देता है।
उन अमर क्रांतिकारियों के बारे में आम मनुष्य की वैचारिक टिप्पणी का कोई अर्थ नहीं है। उनके उज्ज्वल चरित्रों को बस याद किया जा सकता है कि ऐसे मानव भी इस दुनिया में हुए हैं, जिनके आचरण किंवदंति हैं। भगतसिंह ने अपने अति संक्षिप्त जीवन में वैचारिक क्रांति की जो मशाल जलाई, उनके बाद अब किसी के लिए संभव न होगी।
'आदमी को मारा जा सकता है उसके विचार को नहीं। बड़े साम्राज्यों का पतन हो जाता है लेकिन विचार हमेशा जीवित रहते हैं और बहरे हो चुके लोगों को सुनाने के लिए ऊंची आवाज जरूरी है।' बम फेंकने के बाद भगतसिंह द्वारा फेंके गए पर्चों में यह लिखा था।
भगतसिंह चाहते थे कि इसमें कोई खून-खराबा न हो तथा अंग्रेजों तक उनकी आवाज पहुंचे। निर्धारित योजना के अनुसार भगतसिंह तथा बटुकेश्वर दत्त ने 8 अप्रैल 1929 को केंद्रीय असेम्बली में एक खाली स्थान पर बम फेंका था। इसके बाद उन्होंने स्वयं गिरफ्तारी देकर अपना संदेश दुनिया के सामने रखा। उनकी गिरफ्तारी के बाद उन पर एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जेपी साण्डर्स की हत्या में भी शामिल होने के कारण देशद्रोह और हत्या का मुकदमा चला।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद इकाई भरमौर की ओर से शहीद दिवस पर देशभर के अपने परिवारजनों की ओर से उन्हें नमन और वंदन
यह जानकारी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद जिला चंबा के संयोजक विवेक चाडक द्वारा दी गई
फोटो कैप्शन,
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ईकाई भरमौर के पदाधिकारी व सदस्य चौरासी प्रांगण में वीर सपूतों को श्रद्धांजलि देते हुए,