
28/08/2025
की ममता (नाटक शैली में – लगभग 1000 शब्द)
---
दृश्य 1 – झोपड़ी के अंदर
(सुबह का समय। एक छोटी-सी झोपड़ी। माँ अपने तीन बच्चों को उठाने की कोशिश कर रही है।)
माँ (धीरे से): बेटा, उठो सूरज निकल आया है। स्कूल का समय हो गया है।
बड़ा बेटा (आँख मलते हुए): माँ, पेट में बहुत भूख लगी है… कल रात भी ठीक से खाना नहीं मिला।
माँ (हाथ फेरते हुए): हाँ रे, माँ जानती है… लेकिन आज तेरे लिए खेत से थोड़ा दूध लाऊँगी।
(माँ पानी से बनी पतली खिचड़ी बच्चों को परोसती है। खुद खाली कटोरी रख देती है।)
छोटी बेटी: माँ, तू क्यों नहीं खा रही?
माँ (मुस्कुराते हुए): अरे, माँ का पेट तो तुम्हें देखते ही भर जाता है।
---
दृश्य 2 – गाँव का चौपाल
*(गाँव वाले बैठे हैं। माँ लकड़ी बीनकर लौटती है।)
गाँववाला 1: अरी बहन, तू इतनी मेहनत क्यों करती है? पति के जाने के बाद अकेली तीन बच्चों को पालना आसान नहीं।
माँ: बच्चों की परवरिश ही मेरी पूजा है। ये ही मेरे जीवन की ताकत हैं।
---
दृश्य 3 – स्कूल का आँगन
(बच्चे स्कूल जाते हैं। अध्यापक उनसे फीस की बात करते हैं।)
अध्यापक: बेटे, अगले महीने से किताबों के पैसे जमा करने होंगे।
बेटा (धीरे से): जी मास्टरजी।
(बच्चा घर आकर माँ को बताता है।)
बेटा: माँ, किताबें चाहिए। मास्टरजी कह रहे थे।
माँ (मन ही मन चिंतित): भगवान… अब कहाँ से लाऊँ पैसे?
(फिर हिम्मत जुटाकर बेटे से कहती है)
बेटा, तू बस पढ़ाई करता रह। तेरी माँ खेतों में और मेहनत करेगी। किताबें ज़रूर आएँगी।
---
दृश्य 4 – बारिश की रात
(तेज़ तूफान और बारिश। झोपड़ी से पानी टपक रहा है। बच्चे डरकर माँ से लिपट जाते हैं।)
बेटी: माँ, छत से पानी गिर रहा है। हम भीग जाएँगे।
माँ (उन्हें बाँहों में कसते हुए): डरो मत, माँ है न। ये आकाश गरजेगा पर माँ की गोद तुम्हें हमेशा सुरक्षित रखेगी।
(माँ बच्चों को अपने आँचल से ढक देती है। खुद भीग जाती है पर बच्चों को सूखा रखने की कोशिश करती है।)
---
दृश्य 5 – त्योहार का दिन
(गाँव में दीपावली की तैयारी। सबके घरों में मिठाई और सजावट है। माँ का घर सूना है।)
बच्चा उदास होकर: माँ, सबके घर दीये जल रहे हैं, मिठाई है… हमारे पास क्यों नहीं?
माँ (प्यार से सिर सहलाते हुए): बेटा, रोशनी सिर्फ दिये से नहीं, दिल की खुशी से होती है। चलो, हम अपना छोटा-सा दिया जलाएँगे और साथ बैठकर गाना गाएँगे।
(तीनों बच्चे माँ के साथ बैठकर दीये की हल्की रोशनी में गाते हैं।)
---
दृश्य 6 – बड़ा बेटा सफल
(सालों बीत जाते हैं। बड़ा बेटा अब पढ़-लिखकर शहर में नौकरी करता है। एक दिन घर लौटता है।)
बेटा (माँ के पैरों में गिरकर): माँ, तेरी ममता ने ही मुझे इस लायक बनाया। अब तुझे किसी चीज़ की कमी नहीं रहने दूँगा।
माँ (आँखों में आँसू लिए): मुझे कुछ नहीं चाहिए बेटा, बस इतना कि तू अपने संस्कार कभी मत भूलना।
---
दृश्य 7 – गाँव का चौपाल (अंतिम दृश्य)
(गाँव वाले फिर इकट्ठा हैं। बेटा माँ के लिए नया घर बनवाने की बात करता है।)
गाँववाला 2: देखो, यही होती है माँ की ममता। जिसने अपना सब सुख त्याग दिया, वही बच्चों की सफलता बन गई।
माँ (धीरे से): ममता कोई सौदा नहीं, ये तो भगवान का आशीर्वाद है। माँ के लिए उसके बच्चे ही सबसे बड़ी दौलत हैं।