22/07/2025
|| पूर्ण गुरु श्री करौली शंकर महादेव की जय ||🌸
आजकल दरबार के विरोधियों द्वारा दरबार और दरबार के सेवकों के बारे में बहुत से भ्रामक सूचनाएं facebook और अन्य social मीडिया platform के माध्यम से आप लोगो तक पहुँचाये जा रहे हैं ।
♦️कुछ प्रश्न उठाए जा रहे हैं जिनका उत्तर देना आवश्यक है इसलिए नहीं, की दरबार किसी को कोई स्पष्टता देना चाहता है पर ज़रूरी इसलिए है की जो अध्यात्म के पथ पर ध्यान साधना में आगे बढ़ना चाहता है वह इन सब नकारात्मकता में उलझ कर अपना जीवन इस गुरु द्रोहियों की बातों में आकर नष्ट ना करे !
एक व्यक्ति सभी से यह कहता फिर रहा है, की दरबार द्वारा परम पूजनीय बाबाजी की समाधि पर जाने से इसलिए मना किया जाता है क्यूंकि वहा जाने से उनका वशीकरण टूट जाता है और वह पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाता है, जिस कारण दरबार की दुकान बंद होती है, मैं कहना चाहता हूँ उन हजारों लोगों का क्या ? जिन्हें 2020 की जनवरी की अमावस्या पर परम पूज्य गुरुदेव ने स्वयं से सभी को कहा था कि आप सभी परम पूजनीय बाबा जी की समाधि पर एक बार अवश्य जायें ?
आखिर वहाँ भेजने का उद्देश्य क्या था यदि बाद में मना ही करना था तो ? उस घटना के बाद जब वहा बाबा जी के नाम पर झाड़ फूंक होने लगा और लोगो के पुण्य जाने लगे, हम सभी जानते है की परम पूजनीय बाबा जी को झाड़ फूंक से सख्त नफ़रत थी, और जब उन्ही की अपनी समाधि पर ऐसा होने लगेगा तो वह उसे श्रापित ना करते तो क्या करते ? समाधि श्रापित होने के कारण लोग फिर से अस्वस्थ होने लगे, इन कारणों को जानते हुए पूज्य गुरुदेव ने बाबा जी समाधि पर जाने से सभी को रोका । यह परम पूज्य गुरुदेव की ही जिद्द थी जो वह बाबा के प्रेम वश उनकी समाधि पर जाया करते थे, परम पूजनीय बाबा जी तो उनके अंग संग शुरू से थे ही । परम पूजनीय बाबाजी के अपने परिवार वालों ने कभी उन्हें दिव्य पुरुष नहीं माना इसलिए गुरुदेव का भी विरोध करते रहे इसलिए परम पूजनीय बाबा जी कभी भी नहीं चाहते थे कि गुरुदेव उनकी समाधि पर जायें ।
इन जैसे लोगों के बहकावे में आने से पहले यह जानना चाहिए की कारण कुछ भी बना हो पर पूर्ण गुरुओं ने कभी भी अपनी समाधि की पूजा किसी को कभी भी नहीं करने दी है ।
क्यूंकि वह बाहरी चीज़ों से हमारा ध्यान हटा कर के अंतर्मुखी करते हैं उनका उद्देश्य हमे हमरे भीतर ध्यान की गहराइयों में लेजाकर स्वयं से जोड़ना होता है ना ही बाहर की किसी समाधि या मंदिर से । जिनको यह भ्रम होता हो की वहा जाने से स्वस्थ हो जाएँगे तो वह एक बार वहाँ चले जाएँ और परम पूजनीय बाबा जी के श्राप का स्वाद चख लें । यदि वहाँ जाने से स्वस्थ हो सकते थे तो वह लोग जो वहाँ गए थे वह क्यों तड़पते हुए वापस दरबार में आए और गुरुदेव से चिकित्सा करा कर स्वस्थ हुए? ऐसा क्या हुआ जो उनका वशीकरण वहाँ जा कर नहीं टूटा ?
2. अम्बुबाची पर्व को लेकर आपने जो भ्रामक सूचना फैलाई उसका सत्य यह है की माँ कामाख्या मंदिर के पंडे पुजारी सभी भयानक कष्ट और पीड़ा से गुज़र रहे थे, पूज्य गुरुदेव ने उनकी चिकित्सा की cancer और भयानक पेशी के शिकार थे वह सभी पंडे और पुजारी, माँ की दिन रात सेवा करने पर भी माँ से ही श्रापित क्यूंकि बलि जैसी कुप्रथा का निर्वहन कर रहे थे । उनकी पत्नियाँ भयानक पेशी लेती थी, हमने स्वयं इन आँखो से यह सब होते देखा है, इसे कैसे झुटला दोगे ? यदि वह सभी इतने ही सही होते तो ऐसी दुर्गति को प्राप्त क्यों होते ? पूज्य गुरुदेव ने उस स्थान को इसलिए छोड़ा क्यूंकि वहा बलि प्रथा होती है, ना की इसलिए की किसी ने वहा से निकाला ।
3. आपने कहा की कई लोगो का दरबार ने चश्मा उतार दिया पर दरबार के सेवकों का चश्मा नहीं हटा सके - आप शायद भूल गए जिन परम पूजनीय बाबाजी की समाधि पर जाने के लिए आप सभी को बोल रहे हैं वह स्वयं चश्मा लगाते थे, पूरी दुनिया को जो आँखों की रोशनी दे सकते हैं वह स्वयं चश्मा लगाते थे, शक्ति सभी के लिए होती है स्वयं के लिए नहीं और चश्मा हटाना कोई जादू नहीं है विज्ञान है, आपमें इतनी बुद्धि और विवेक होता तो आप इस अनुसंधान को समझ सकते थे, आँखो का संबंध brain और आँखो की नसों से होता है, चश्मा उतरना या न उतरना आपकी आँखो की नसों के स्थूल हालत पर निर्भर करता है, मैंने देखा है कई लोग जिनकी नसें पूरी damage हो चुकी हैं उन्हें दरबार स्पष्ट मना कर देता है की अब कुछ नहीं हो सकता । यदि यहाँ ठगी होती है तो ऐसा क्यों कह दिया जाता है ?
हरिहर