
21/08/2025
आज पूनम लव मैरिज करके अपने पापा के पास आई और अपने पापा से कहने लगी,
"पापा, मैंने अपने पसंद के लड़के से शादी कर ली है।"
उसके पापा बहुत गुस्से में थे, पर वह बहुत सुलझे हुए शख्स थे। उन्होंने बस अपनी बेटी से इतना ही कहा,
"मेरे घर से निकल जाओ।"
बेटी ने कहा,
"अभी मेरे पति के पास कोई काम नहीं है। हमें रहने दीजिए, हम बाद में चले जाएंगे।"
पर उसके पापा ने एक नहीं सुनी और उसे घर से बाहर कर दिया।
कुछ साल बीत गए। अब पूनम के पापा नहीं रहे और दुर्भाग्यवश जिस लड़के से पूनम ने शादी की थी, वह भी उसे धोखा देकर भाग गया। पूनम की एक लड़की और एक लड़का था। वह खुद का एक रेस्टोरेंट चला रही थी, जिससे उसका जीवन-यापन हो रहा था।
पूनम को जब यह खबर हुई कि उसके पापा नहीं रहे, तो उसने मन में सोचा —
"अच्छा हुआ, मुझे घर से निकाल दिया था, दर-दर की ठोकरें खाने के लिए छोड़ दिया था। मेरे पति के छोड़ जाने के बाद भी मुझे घर नहीं बुलाया। मैं तो नहीं जाऊंगी उनकी अंतिम यात्रा में।"
पर उसके ताऊ जी ने कहा,
"पूनम, जो हुआ, वह जाने वाला शख्स तो चला गया, अब उससे दुश्मनी कैसी?"
उसने पहले इनकार किया, फिर सोचा,
"चलो, देख आऊं कि जिन्होंने मुझे ठुकराया, वह मरने के बाद कैसे सुकून पाते हैं।"
पूनम अपने पापा के घर आई, तो सब उनकी अंतिम यात्रा की तैयारी कर रहे थे। पर पूनम को उनके मरने का कोई दुख नहीं था। बस, वह अपने ताऊ जी के कहने पर आई थी।
अब पूनम के पापा की अंतिम यात्रा शुरू हुई। सब रो रहे थे, पर पूनम दूर खड़ी थी। जैसे-तैसे सब कार्यक्रम निपट गए। आज पूनम के पापा की तेरहवीं थी। उसके ताऊ जी आए और पूनम के हाथों में एक खत देते हुए बोले,
"यह तुम्हारे पापा ने तुम्हें दिया है, हो सके तो इसे एक बार जरूर पढ़ लेना।"
रात हो चुकी थी और सारे मेहमान जा चुके थे। पूनम ने वक्त निकाला और खत पढ़ने लगी।
उस खत में सबसे पहले लिखा था —
"मेरी प्यारी गुड़िया,
मुझे मालूम है कि तुम मुझसे नाराज हो, पर अपने पापा को माफ कर देना। मैं जानता हूं, मैंने तुम्हें घर से निकाल दिया था, तुम्हारे पास रहने की जगह नहीं थी, तुम दर-दर की ठोकरें खा रही थीं, पर मैं भी उदास था। तुम्हें कैसे बताऊं…
याद है तुम्हें, जब तुम 5 साल की थी, तब तुम्हारी मां हमें छोड़कर चली गई थी। तब तुम कितना रोती थी, मेरे बिना सोती नहीं थी, रातों को उठ-उठ कर रोती थी। तब मैं भी सारी रात तुम्हारे साथ जागता था।
जब तुम स्कूल जाने से डरती थी, तब मैं सारा वक्त तुम्हारे स्कूल की खिड़की पर खड़ा रहता था और जैसे ही तुम स्कूल से बाहर आती थी, तुम्हें सीने से लगा लेता था।
वह कच्चा-पक्का खाना याद है जो तुम्हें पसंद नहीं आता था? मैं उसे फेंककर तुम्हारे लिए खाना बनाता था, ताकि तुम भूखी न रहो।
याद है, जब तुम्हें बुखार रहता था, तो मैं सारा दिन तुम्हारे पास बैठा रहता था, मन ही मन रोता था, पर तुमको हंसाता था, ताकि तुम न रोओ, वरना मैं भी रो पड़ता था।
तुम्हारी पहली बार हाईस्कूल की परीक्षा… तुम रात भर पढ़ती थी और मैं सारी रात तुम्हारे लिए चाय बनाकर देता था।
याद है तुम्हारी पहली जींस और छोटे कपड़े? तब पूरी कॉलोनी एक तरफ हो गई थी कि ‘लड़की छोटे कपड़े नहीं पहनेगी’, पर मैं तुम्हारे साथ खड़ा था। किसी को तुम्हारी खुशी में बाधा बनने नहीं दिया।
तुम्हारा देर से घर आना, डिस्को जाना, लड़कों के साथ घूमना—इन सब बातों पर मैंने कभी गौर नहीं किया, क्योंकि तुम जिस उम्र में थी, उस उम्र में यह सब थोड़ा-बहुत होता है।
पर एक दिन तुम ऐसे लड़के से शादी करके घर आई, जिसके बारे में तुम्हें कुछ भी पता नहीं था। तुम्हारा पापा होने के नाते मैंने उस लड़के के बारे में सब पता किया। उसने न जाने वासना और पैसों के लिए कितनी लड़कियों को धोखा दिया था।
पर तुम तो उस वक्त प्रेम में अंधी थी, तुमने मुझसे नहीं पूछा और सीधे शादी करके आ गई।
मेरे कितने अरमान थे कि तुम्हें डोली में बिठाऊं, तुम्हें चांद-सितारों की तरह सजाऊं, और ऐसे धूमधाम से शादी करूं कि लोग बोल उठें — ‘वह देखो, शर्मा जी जिन्होंने अपनी बेटी को इतनी मुश्किलों से अकेले पाला है।’
पर तुमने मेरे सारे सपने तोड़ दिए।
खैर, इन बातों का अब कोई मतलब नहीं है। मैंने तो तुम्हारे लिए यह खत इसलिए छोड़ा है कि तुमसे कुछ बातें कह सकूं।
मेरी गुड़िया, अलमारी में तुम्हारी मां के गहने और मैंने जो तुम्हारी शादी के लिए गहने खरीदे थे, वह सब रखे हैं। तीन-चार घर और कुछ जमीन है, मैंने सब तुम्हारे और तुम्हारे बच्चों के नाम कर दिया है। कुछ पैसे बैंक में हैं, जो तुम जाकर निकाल लेना।
और आखिर में बस इतना ही कहूंगा, मेरी गुड़िया, तुमने मुझे दुश्मन समझा, पर मैं तुम्हारा दुश्मन नहीं था। मैं तुम्हारा पापा था—वह पापा जिसने तुम्हारी मां के मरने के बाद भी दूसरी शादी नहीं की, लोगों के ताने सहे, न जाने कितने रिश्ते ठुकराए, पर तुम्हें मानसिक कष्ट न हो, इसलिए अपनी इच्छाएं मार दीं।
अंत में बस इतना कहूंगा—मेरी गुड़िया, जिस दिन तुम शादी के जोड़े में घर आई थी, न, तुम्हारा बाप पहली बार टूटा था। तुम्हारी मां के मरने के वक्त जितना नहीं रोया, उतना उस दिन रोया, और उस दिन से हर दिन रोया।
इसलिए नहीं कि समाज, जात, परिवार या रिश्तेदार क्या कहेंगे, बल्कि इसलिए कि मेरी नन्ही-सी गुड़िया, जिसने अपनी हर छोटी-बड़ी खुशी में मुझे शामिल किया, उसने शादी का इतना बड़ा फैसला लेते समय मुझे एक बार बताना भी जरूरी नहीं समझा।
गुड़िया, अब तो तुम भी मां हो। औलाद का दर्द और खुशी क्या होती है, और जब दिल तोड़ते हैं तो कैसा लगता है—यह तुम अब महसूस कर सकती हो।
पर मैं ईश्वर से प्रार्थना करूंगा कि तुम्हें कभी यह दर्द न देखना पड़े। एक खराब पिता ही समझकर मुझे माफ कर देना।
तुम्हारा पापा।"
खत के साथ एक ड्राइंग लगी हुई थी, जो बचपन में पूनम ने बनाई थी, और उसमें लिखा था — "I Love You मेरे पापा"।
इतने में उसके ताऊ जी आ गए। उन्होंने रोते-रोते सब बताया और कहा,
"पूनम, वह रेस्टोरेंट खोलने और घर खरीदने के पैसे मैंने नहीं, बल्कि तुम्हारे पिताजी ने मुझसे तुम्हें दिलवाए थे, क्योंकि औलाद चाहे कितनी भी बुरी क्यों न हो, मां-बाप कभी फिक्र करना नहीं छोड़ते। औलाद चाहे मां-बाप को छोड़ दे, मां-बाप मरने के बाद भी बच्चों को दुआ देते हैं।"
दोस्तों, पूनम के पापा को सुकून मिलेगा या नहीं, मुझे नहीं पता, पर उस खत को पढ़ने के बाद शायद पूरी जिंदगी पूनम को सुकून नहीं मिलेगा।
आखिर में बस इतना ही कहूंगा—लव मैरिज करना कोई गलत बात नहीं है, पर यदि इसमें आप अपने माताजी-पिताजी को शामिल कर लें, तो अच्छा रहेगा। पत्थर से पानी निकल जाता है, वह तो मां-बाप हैं, कब तक नहीं मानेंगे?
हर पिता की एक इच्छा होती है—अपनी बेटी को अपने हाथों से डोली में विदा करने की। हो सके, तो उसे एक सपना मत रहने दीजिए और सदैव अपने माता-पिता का आदर करें।
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