25/04/2025
आख़िरी ठिकाना: ग्लोबल वार्मिंग, असमानता और इंसानियत की लड़ाई
धरती पर बचे इंसानों की आखिरी उम्मीद है एक विशाल जहाज “आखिरी ठिकाना”। ग्लोबल वार्मिंग के चलते पिघलते ग्लेशियरों ने धरती को पानी में डुबो दिया है, और यही जहाज बना है जीवन और संघर्ष का प्रतीक। जहां ऊपरी डेक पर अमीर ऐश-ओ-आराम में रहते हैं, वहीं निचली मंजिलों पर मजदूरों को कड़ी मेहनत और अन्याय का दंश सहना पड़ता है।
✨ कहानी की खास बातें:
🌊डूबती दुनिया का दृश्य: एक भविष्य, जहां धरती का अधिकांश हिस्सा समंदर में समा चुका है।
🔴⚡️सामाजिक असमानता का रेखाचित्र: अमीरों की शानदार सुविधाओं और मजदूरों की तेज़-तर्रार जिंदगियों के बीच गहरी खाई।
✊ 🔥 अन्याय के खिलाफ विद्रोह: आना, जेम्स, रिको, सारा और डॉ. लूसिया जैसे किरदारों की बहादुर लड़ाई।
🌊🤝पर्यावरण और मानवता का संदेश: ग्लोबल वार्मिंग, सीमित संसाधनों और न्याय की लड़ाई पर गहरा चिंतन।
आपको यह किताब क्यों पढ़नी चाहिए? 🤷
✅अगर आप डिस्टोपियन फिक्शन और पोस्ट-अपोकैलिप्टिक कहानियाँ पसंद करते हैं, तो यह उपन्यास आपके लिए एकदम सही है।
✅रोमांच, भावनात्मक गहराई और सशक्त पात्रों के साथ एक प्रासंगिक और सोचने पर मजबूर कर देने वाला कथानक।
✅आज के पर्यावरणीय संकट और सामाजिक चुनौतियों पर एक प्रेरणादायक परिप्रेक्ष्य।
🚢 “आखिरी ठिकाना” के साथ इस अनोखी, मार्मिक और रोमांचक यात्रा का हिस्सा बनें।
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#आख़िरी_ठिकाना
लेकिन इस जहाज़ पर सब कुछ शांतिपूर्ण नहीं है। ऊपरी डेक पर, अमीर लोग हर तरह की विलासिता का आनंद लेते हैं, जबकि निचले डेक ...