29/06/2025
मेरा नाम मेरी identity है, ये identity मुझे मेरे माता पिता ने दी। ये identity मेरे साथ आजीवन रहेगी, कोई चाह कर भी इसे मुझसे छीन नहीं सकता।
पिछले 15 वर्षों से मेरी एक और identity हो गई थी, वो थी फेसबुक ग्रुप भोपाल सिटी इनफॉर्मेशन पोर्टल के एडमिन की। ये identity फेसबुक ने दी थी और फेसबुक ने ही वापस ले ली। क्यों वापस ले ली, इसका कोई सीधा सीधा जवाब ना मेरे पास है ना ही फेसबुक के पास।
मैं बस इतना समझ पाया की फेसबुक ने कम्युनिटी पोस्ट्स को मॉडरेट करने के लिए कुछ AI bots बनाए, और उन AI बोट्स ने कुछ ऐसे कीवर्ड हमारे ग्रुप में रेड फ्लैग कर दिए जो ना उसने हमे बताए ना हमे पता चले।
जो भी मुझे या ग्रुप से परिचित है उसको पता है कि मॉडरेशन के मामले में हम बिल्कुल फ्लेक्सिबल नहीं थे, अगर पोस्ट अप्रूव नहीं करनी तो नहीं करनी, ऐसे में हम सिर्फ यही मान के चल सकते हैं कि मेटा का ये AI बोट अभी नया है और फाइन ट्यून नहीं हुआ है जिसका खामियाजा हमारे ग्रुप को भुगतना पड़ रहा है।
क्या मुझे फेसबुक के इस निर्णय पर दुख है?
पिछले 4 वर्षों से मैंने ग्रुप पर स्वयं की एक्टिविटी काफी कम कर दी थे, मैं काफी विचार करने के पश्चात इस नतीजे पर पहुंचा था कि मुझे फेसबुक वाली आइडेंटिटी से बाहर आना है, मैं अनकंफर्टेबल होने लगा था। मैं एकबार फिर गुमनामी में जाना चाहता था और इस उद्देश्य पर काफी प्रगति भी कर ली थी। ग्रुप का मॉडरेशन अब एक टीम संभालती थी और मेरे हिसाब से वो अच्छा कार्य कर रहे थे। मेरा तो फेसबुक इस्तेमाल करना भी काफी कम हो गया था। पिछले वर्ष तो एक अनौपचारिक टीम मीटिंग में मैने मॉडरेशन टीम के सामने प्रस्ताव भी रखा था कि ग्रुप को लॉक कर देते हैं। कोई भी नई पोस्ट अब नहीं कर पाए।
मैं ऐसा चाहता था वो एक बात, मुझ पर ऐसा थोप दिया गया वो अलग बात है, अब चूंकि मैं चाहता था इसलिए किसी भी प्रकार का दुख नहीं हुआ। लेकिन चूंकि थोपा गया तो थोड़ा बुरा तो लगा। मॉडरेशन टीम के लिए भी बुरा लगा की उनकी इतने वर्षों की मेहनत एका एक गायब हो गई।
टीम चाहती है, हम स्क्रैच से वापस शुरुआत करें, मुझे लगता है कुछ समय हम सबको ब्रेक लेकर आराम करना चाहिए। थोड़ा समय परिवार के लिए।
फिलहाल तो टीम के दबाव में एक पेज बैकअप के तौर पर खड़ा कर दिया है, उसको आगे बढ़ाना है या नहीं उसपर निर्णय कुछ दिनों में लेंगे।
15 वर्षों से 24x7 हम ग्रुप को कंट्रोल कर रहे थे, कोशिश पूरी थी कि हम नफरत नहीं फैलाएं, फ्रॉड और स्कैम में साथी नहीं बनें। व्यक्तिगत तौर पर हमे संतुष्टि है जब तक ग्रुप चलाया , पूरी जिम्मेदारी और सजगता के साथ चलाया।
एक समय तो ऐसा भी था, हमारे मॉडरेटर दुनिया के 4 अलग अलग टाइम जोन में थे, जिससे कोई न कोई हमेशा एक्टिव रहता था, ऑस्ट्रेलिया, भारत, अफ्रीका और अमरीका। हमारे ग्रुप की मॉडरेशन टीम का सूरज कभी ढलता ही नहीं था।
हमने ग्रुप को साफ सुथरा रखने की पूरी कोशिश की। पूरी कोशिश की राजनीति और धार्मिक उन्माद को ग्रुप से दूर रखने की।
हमारी यादों में सैकड़ों केस हैं जहां हम आम भोपालियों की मदद कर सके। कई बार जीवन रक्षा में मददगार साबित हुए, बुजुर्गों, असहायों, निर्धन, बच्चों के साथ साथ पशुओं तक को सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से मदद की। इस बात का भी गर्व है कि कभी भी अपने किए गए अच्छे कार्यों का प्रचार प्रसार या क्रेडिट नहीं लिया। जितना हो सका उतनी मदद की। शायद हमने अपने कोटे के कार्य पूरे कर लिए होंगे, ईश्वर ने बोला , जाओ अब जी लो जिंदगी। तो अब थोड़ा समय सोशल मीडिया से दूर, परिवार और जिंदगी के नाम।
ये सब कार्य मैं अकेले नहीं कर सकता था, इसमें मुझे बहुतों ने मदद की। सबसे पहले तो ग्रुप के सदस्य, अधिकांश पोस्टों पर कोई ना कोई सदस्य सही सलाह और जानकारी दे ही देता था। आप लोगों की इस मदद के लिए हार्दिक साधुवाद।
मैं मॉडरेशन टीम के तमाम सदस्य जो शुरू से अब तक जुड़े, उन सबको भी हृदय से धन्यवाद देना चाहता हूं, ये मेरे अकेले के बस का कार्य नहीं था।
मैं कितना ही कह लूं कि मैं स्वयं ग्रुप बंद करना चाहता था लेकिन जैसे मैने शुरू में लिखा, ये मेरी एक आइडेंटिटी थी और काफी अहम आइडेंटिटी थी।
मेरी आइडेंटिटी अब चली गई है, कुछ खालीपन तो लगेगा कुछ दिन, बहुत मिस करूंगा इस सबको। लेकिन ज़िंदगी का दूसरा नाम बदलाव ही है, तो अब बदलाव के साथ जीना भी सीखना पड़ेगा।