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03/09/2025



‘Made in India’ Chips 🇮🇳

03/09/2025

प्रधानमंत्री को पहली स्वदेशी चिप विक्रम 32-बिट प्रोसेसर भेंट किए जाने पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने किया अभिनंदन

मुख्यमंत्री Dr Mohan Yadav ने मंगलवार को सेमीकॉन इंडिया-2025 में प्रधानमंत्री श्री Narendra Modi को देश की पहली स्वदेशी चिप विक्रम 32- बिट प्रोसेसर भेंट किए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस उपलब्धि में शामिल सभी व्यक्तियों का अभिनंदन किया है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी को भेंट की गई यह चिप आत्मनिर्भर भारत की गगनचुंबी उड़ान का जीवंत प्रमाण है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि नए भारत में सेमीकंडक्टर क्रांति और डिजिटल इंडिया को गति प्रदान करने वाली अद्वितीय प्रतिभाओं पर सभी को गर्व है। इस तकनीक में आत्मनिर्भरता का नया युग है। साथ ही स्वदेशी को बढ़ावा देने की दिशा में यह महत्वपूर्ण उपलब्धि है। प्रधानमंत्री का संपूर्ण मध्यप्रदेशवासियों की ओर से हार्दिक अभिनंदन है। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने मंगलवार को नई दिल्ली में सेमीकॉन इंडिया- 2025 का उद्घाटन किया।

CM Madhya Pradesh Jansampark Madhya Pradesh

01/09/2025
01/09/2025
27/08/2025

Power of 🇮🇳

📍 Maruti Suzuki plant, Gujarat

27/08/2025

देश का सबसे बड़ा टमाटर उत्पादक राज्य बना मध्यप्रदेश

Dr Mohan Yadav CM Madhya Pradesh Department of Horticulture, Madhya Pradesh


15/08/2025

23/07/2025
17/07/2025

#प्रतिदिन_विचार
निर्विवाद मातृभाषा ही श्रेष्ठ!
जनाधार खोते दल और राजनेता नई शिक्षा नीति के तीन भाषा फॉर्मूले का विरोध अपनी राजनीति चमकाने के लिये कर रहे हों, लेकिन इस दिशा में किए गए नये प्रयोग आशा की नई किरण भी जगा रहे हैं। यह निर्विवाद सत्य है कि बच्चा अपनी मातृभाषा में जितनी आसानी और सहजता से सीख सकता है, उतना किसी थोपी गई भाषा में नहीं। तमाम शिक्षाविद् और भाषाविज्ञानी मानते रहे हैं कि दैनिक जीवन में उपयोग किए जाने वाले शब्दों व परिवेशगत ज्ञान विद्यार्थियों को जल्दी सीखने में मददगार हो सकता है।
देश में 121 से अधिक भाषाएं बोली जाती हैं। वहीं मातृभाषाओं की संख्या सोलह से अधिक है। इतनी अधिक भाषायी विविधता वाले देश में, जब बच्चे अपने आसपास जो देखते और महसूस करते हैं, वो उनकी स्मृतियों में स्थायी बस जाते हैं। जब ये बातें उनके शैक्षिक पाठ्यक्रम का हिस्सा बनती हैं, तो वे इसका आसानी से अंगीकार कर लेते हैं। कई शिक्षा आयोगों ने भी इसी बात की वकालत की है। इसी सोच के चलते देश के विभिन्न भागों में तीन भाषा फॉर्मूले को लेकर कई प्रयोग हो रहे हैं। इस रचनात्मक पहल के सकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं। जिसके निष्कर्ष बताते हैं कि मातृभाषा में पढ़ाई करने से बच्चों की सीखने की गति तेज हुई है। इससे साक्षरता की दर में सकारात्मक बदलाव आया है। इतना ही नहीं इससे जहां छात्र-छात्राओं में आत्मविश्वास बढ़ा है, वहीं उनकी कक्षा में सहभागिता भी बढ़ी है। सही मायनों में नई शिक्षा नीति में तीन भाषा फॉर्मूले का मकसद भी यही रहा है।
विगत के अनुभव बताते हैं कि जब छात्र-छात्राओं को उनकी मातृभाषा से इतर अन्य भाषा में पढ़ाया जाता रहा है तो इसका असर उनकी सीखने की प्रक्रिया पर पड़ता है। ऐसे में दूर-दराज के गांव-देहात या आदिवासी इलाकों से आने वाले विद्यार्थी अन्य शहरी बच्चों का मुकाबले करने में असफल हो जाते हैं। जिससे उनके स्कूल छोड़ने के प्रतिशत में भी वृद्धि होती है।
मौजूदा स्थितियों में तीन भाषा फॉर्मूले को लेकर किए जा रहे नये प्रयोग नई उम्मीद जगा रहे हैं। लैंग्वेज एंड लर्निंग फाउडेंशन ने छत्तीसगढ़, झारखंड, राजस्थान और ओडिशा के 13 जिलों में बच्चों को उनकी राज्यभाषा और अंग्रेजी के साथ-साथ मातृभाषा में पढ़ाने के लिये राज्य सरकारों के साथ मिलकर बहुभाषी शिक्षा कार्यक्रम शुरू किया। इससे न केवल चयनित जिलों में बच्चों की साक्षरता दर में सुधार हुआ, बल्कि उनमें अन्य भाषा को सीखने की अभिरुचि भी बढ़ी है। एक महत्वपूर्ण प्रयोग के रूप में प्रारंभिक कक्षाओं में स्थानीय भाषा, सांस्कृतिक परंपराओं व परंपरागता ज्ञान को शामिल करने के लिये स्थानीय समुदायों की मदद भी ली गई। जिसमें स्थानीय परिवेश में उपजी लोककथाओं, स्थानीय संस्कृति आधारित कहानियां तथा कई पीढ़ियों से हासिल पारंपरिक ज्ञान को भी शामिल किया गया। बच्चों की पढ़ाई में रुचि बनी रहे, इसके लिये रचनाधर्मिता का सहारा भी लिया गया। जिसमें मौखिक शिक्षा प्रणाली का भी उपयोग किया गया। ऐसी शिक्षण सामग्री तैयार की गई जिससे बच्चे आसानी व रुचि के साथ आसानी से सीख सकें। मसलन कविता पोस्टर, कहानी के पात्रों के चित्र, वार्तालाप दर्शाने वाले चार्ट, शब्द कार्ड, वर्ण मात्रा कार्ड तथा चित्रों के जरिये कहानी बताने वाली किताबें इसमें शामिल की गईं। जिसने छात्रों में शिक्षा के प्रति रुचि जगायी और वे आसानी से सीखने लगे। उदाहरण के लिये छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके में जहां पचास फीसदी बच्चे हल्बी बोलते थे, वहां हिंदी में पढ़ाई करने से शिक्षण के सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आ रहे थे। इस क्षेत्र में प्रारंभिक कक्षाओं में हल्बी को हिंदी के साथ जोड़कर पढ़ाया गया। इस शैक्षिक कार्यक्रम को क्रियान्वित करने के बाद सर्वे में यह सामने आया कि बस्तर में औसतन साक्षरता की दर में इकतीस फीसदी की, संख्या ज्ञान में पच्चीस फीसदी और वर्ण-अक्षर पहचान में छब्बीस फीसदी का सुधार हुआ। इसके अलावा मौखिक पाठन में चौदह फीसदी का सुधार आया। निश्चित रूप से इस अभिनव पहल ने देश को संदेश दिया कि मातृभाषा में शिक्षण से साक्षरता व शिक्षा की गुणवत्ता में आशातीत बदलाव लाया जा सकता है।

- राकेश दुबे
17 07 2025

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10/07/2025

07/07/2025

सर्पदंश में बरतें सुरक्षा के उपाय
सही प्रतिक्रिया से जीवन का करें बचाव
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सर्पदंश के बाद इन बातों का रखें विशेष ध्यान....

➡️शांत रहें और घबराएँ नहीं
➡️घबराने से हृदय की गति बढ़ जाती है, जिससे विष का फैलाव शरीर में तेजी से हो सकता है
➡️जितना संभव हो उतना कम हिलें
➡️सर्पदंश स्थल को हृदय के नीचे रखें और स्थिर रखें...

Dr Mohan Yadav CM Madhya Pradesh Panchayat, Rural Development and Social Welfare Department of Madhya Pradesh Home Department of Madhya Pradesh Department Of Revenue, Madhya Pradesh Directorate of Health Services, Madhya Pradesh

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