
28/05/2025
पुस्तक समीक्षा : वीणा की दोहावली
लेखिका : पूनम दुबे 'वीणा'
प्रकाशक : श्री नर्मदा प्रकाशन
"वीणा की दोहावली" पूनम दुबे 'वीणा' द्वारा रचित दोहा संग्रह है, जो उनकी छठी एकल कृति है। यह दोहा संग्रह भारतीय साहित्य की समृद्ध परंपरा को जीवंत करता है, जिसमें जीवन के विभिन्न पहलुओं को भावनात्मक गहराई और नैतिक मूल्यों के साथ प्रस्तुत किया गया है, जो आध्यात्मिकता, प्रेम, प्रकृति, सामाजिक जागरूकता और नैतिकता जैसे विविध विषयों को छूता है।
पुस्तक में दोहों को विभिन्न विषयों जैसे गणपति उत्सव, माता शारदे, प्रेम, योग, पर्यावरण, देश प्रेम, और नारी शक्ति आदि के अंतर्गत व्यवस्थित किया गया है। संग्रह में गणपति, शिव, राम, राधा-कृष्ण, और माता दुर्गा जैसे देवी-देवताओं पर आधारित दोहे भक्ति भाव से परिपूर्ण हैं। कवयित्री ने अपने पति के प्रति गहरे प्रेम और समर्पण को दोहों के माध्यम से व्यक्त किया है। "जीवन साथी" और "मनमीत" जैसे खंडों में प्रेम की स्थायी और पवित्र भावना को उकेरा है। पर्यावरण, जल संरक्षण, और नारी शक्ति जैसे विषयों पर दोहे समाज को जागृत करने का कार्य करते हैं। "नारी नारायणी" जैसे खंडों में नारी की गरिमा और शक्ति को उभारा गया है। प्रकृति के प्रति लेखिका का प्रेम और पर्यावरण संरक्षण का संदेश दोहों में स्पष्ट है।
पूनम दुबे 'वीणा' की लेखनी में सहजता और भावनात्मक गहराई है। दोहे पारंपरिक छंद संरचना में हैं, जो पाठकों को सहज ही बाँध लेते हैं। भाषा में सरलता और प्रवाह है, जो आम पाठक से लेकर साहित्य प्रेमी तक को आकर्षित करती है। दोहों में प्रयुक्त उपमा, रूपक और प्रतीक भारतीय काव्य की समृद्ध परंपरा को जीवंत करते हैं, जो कि रीतिकालीन शैली की याद दिलाता है, साथ ही आधुनिक संदर्भों को भी समेटता है।
"वीणा की दोहावली" साहित्य प्रेमियों, भक्ति रस के पाठकों, और सामाजिक मुद्दों पर विचार करने वालों के लिए एक प्रेरणादायी और आनंददायक अनुभव है। लेखिका को इस अनमोल रचना के लिए हार्दिक बधाई। पुस्तक हिंदी साहित्य में एक महत्वपूर्ण योगदान है और इसे पढ़ना हर साहित्य प्रेमी के लिए एक सुखद अनुभव होगा।
~ सत्यम सिंह बघेल