12/05/2025
पुस्तक समीक्षा : "कलम का स्पर्श"
लेखक : वंदना खरे 'मुक्त'
प्रकाशक : श्री नर्मदा प्रकाशन,
वंदना खरे 'मुक्त' की प्रथम काव्य कृति "कलम का स्पर्श" हिंदी साहित्य के क्षेत्र में एक सशक्त और संवेदनशील प्रयास है। यह काव्य संग्रह, जो साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद, संस्कृति विभाग, भोपाल के सहयोग से प्रकाशित हुआ है, लेखिका की भावनाओं, जीवन के अनुभवों, और सामाजिक चेतना का एक सुंदर चित्रण प्रस्तुत करता है। संग्रह में कुल 83 कविताएँ शामिल हैं, जो विभिन्न विषयों जैसे प्रेम, प्रकृति, समाज, संस्कृति, नारी शक्ति, और अध्यात्म को छूती हैं।
काव्य संग्रह की संरचना :
"कलम का स्पर्श" में कविताएँ गीत, गजल, लोकगीत, और अनुकांत शैली में रची गई हैं। संग्रह की शुरुआत गुरु वंदना से होती है, जो ज्ञान और शिक्षक के प्रति श्रद्धा को दर्शाती है। इसके बाद की कविताएँ विविध भावों को समेटती हैं, जैसे "मैं भारत की नारी हूँ" में नारी सशक्तीकरण, "करवा चौथ पर फेसबुक" में आधुनिकता और परंपरा का हास्यपूर्ण मिश्रण, और "बेटियाँ" में बेटियों के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण। अनुक्रमणिका में प्रत्येक कविता का शीर्षक और पृष्ठ संख्या स्पष्ट रूप से दी गई है, जो पाठकों के लिए सुविधाजनक है।
विषय और भाव :
वंदना खरे की कविताएँ सादगी और गहराई का अनूठा संगम हैं। उनकी रचनाएँ आम जीवन की छोटी-छोटी बातों को बड़े कैनवास पर उकेरती हैं। संग्रह में निम्नलिखित प्रमुख थीम्स उभरकर सामने आती हैं:
1. नारी सशक्तीकरण : "मैं भारत की नारी हूँ" और "बेटियाँ" जैसी कविताएँ नारी की शक्ति, संघर्ष, और सम्मान को रेखांकित करती हैं। लेखिका ने नारी के विभिन्न रूपों—दुर्गा, काली, झाँसी की रानी, और आधुनिक युग की स्वतंत्र नारी—को प्रभावी ढंग से चित्रित किया है।
2. प्रेम और विरह : "ख्याल" और "साजन ले चल" जैसी रचनाएँ प्रेम की कोमलता और विरह की पीड़ा को व्यक्त करती हैं। इनमें भावनात्मक गहराई और सहजता है, जो पाठक के मन को छूती है।
3. सामाजिक चेतना : "जनसंख्या", "जलजला", और "रंग बदलते लोग" जैसी कविताएँ सामाजिक समस्याओं और मानवीय स्वभाव की जटिलताओं पर प्रकाश डालती हैं। लेखिका ने सामाजिक कुरीतियों और बदलते मानवीय मूल्यों पर तीखा व्यंग्य किया है।
4. प्रकृति और उत्सव : "सावन", "बारिश की बूँद", और "आई होली" जैसी कविताएँ प्रकृति के सौंदर्य और भारतीय त्योहारों की उमंग को जीवंत करती हैं। इनमें लोक संस्कृति और परंपराओं का सुंदर चित्रण है।
5. आध्यात्मिक चेतना : "माँ", "शंकर का त्रिशूल", और "रामजन्म" जैसी कविताएँ लेखिका की आध्यात्मिक आस्था को दर्शाती हैं। इनमें भक्ति और श्रद्धा का भाव प्रमुख है।
भाषा और शैली :
वंदना खरे की भाषा सरल, प्रवाहमयी, और आम बोलचाल से प्रेरित है, जो पाठकों को सहज ही अपनी ओर आकर्षित करती है। उनकी रचनाओं में अलंकारों और छंदों का प्रयोग सीमित है, जैसा कि संग्रह की प्रस्तावना में धर्मराज देशराज ने भी उल्लेख किया है। फिर भी, उनकी कविताएँ भावनाओं की सघनता और यथार्थ की अनुभूति के कारण प्रभावशाली हैं। लोकगीतों और गजलों में लेखिका ने पारंपरिक शैली को आधुनिक संदर्भों के साथ जोड़ा है, जो उनकी रचनात्मकता को उजागर करता है।
प्रमुख रचनाएँ :
कुछ कविताएँ अपनी गहराई और संदेश के कारण विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं:
"मैं भारत की नारी हूँ" : यह कविता नारी के सशक्त और स्वाभिमानी रूप को प्रस्तुत करती है। "कमजोर मुझे अब मत समझो, मैं भारत की नारी हूँ" जैसे पंक्तियाँ आत्मविश्वास और गर्व की भावना जगाती हैं।
"बेटियाँ" : बेटियों की कोमलता और उनके सामाजिक महत्व को रेखांकित करती यह कविता संवेदनशील और प्रेरणादायक है।
"करवा चौथ पर फेसबुक" : यह कविता आधुनिक जीवनशैली और परंपराओं के बीच के द्वंद्व को हास्य के साथ प्रस्तुत करती है, जो पाठकों को मुस्कुराने पर मजबूर करती है।
"सावन" : सावन के मौसम और पीहर की यादों को चित्रित करती यह कविता भावनात्मक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध है।
लेखिका का परिचय और योगदान :
पुस्तक के अंत में लेखिका का विस्तृत परिचय दिया गया है, जो उनकी साहित्यिक और सामाजिक सक्रियता को रेखांकित करता है। वंदना खरे एक समाजसेविका, कवयित्री, और विभिन्न साहित्यिक मंचों की संयोजिका हैं। उन्होंने विश्व रिकॉर्ड, सामाजिक कार्यों, और 250 से अधिक सम्मानों के साथ अपनी पहचान बनाई है। उनकी रचनाएँ पत्र-पत्रिकाओं, टीवी चैनलों, और फेसबुक लाइव सत्रों में प्रकाशित और प्रसारित हो चुकी हैं। यह संग्रह उनकी लेखन यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, जो उनके व्यक्तिगत और सामाजिक अनुभवों का प्रतिबिंब है।
निष्कर्ष :
"कलम का स्पर्श" वंदना खरे 'मुक्त' की साहित्यिक प्रतिभा का एक सुंदर उदाहरण है। यह संग्रह न केवल काव्य प्रेमियों के लिए, बल्कि उन सभी के लिए प्रेरणादायक है जो जीवन, समाज, और मानवीय भावनाओं के गहरे अर्थों को समझना चाहते हैं। लेखिका ने अपनी पहली कृति के माध्यम से हिंदी साहित्य में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह पुस्तक निश्चित रूप से पाठकों के बीच अपनी जगह बनाएगी और लेखिका के भविष्य के कार्यों के लिए उत्सुकता जगाएगी।
"कलम का स्पर्श" एक ऐसी पुस्तक है, जो दिल को छूती है और विचारों को प्रेरित करती है। इसे हर साहित्य प्रेमी को अवश्य पढ़ना चाहिए।
~ सत्यम सिंह बघेल