Sanatan Gyan

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🚩 SANATAN GYAN 🚩
यहां पाएं वेद, पुराण, गीता, रामायण, महाभारत, स्तोत्र, मंत्र और भक्ति भरे पोस्ट । हमारा प्रयास है धर्म, ज्ञान और संस्कार से अपना सनातन गौरव फिर से जगायें!
🚩सनातन है तो सत्य है, सनातन है तो शांति है🚩
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22/07/2025

आज का ज्वलंत प्रश्न :

🚩 *आप कहाँ के हिन्दू हैं ?🚩

आपने,

1. चोटियां छोड़ीं
2. पगड़ी छोड़ी,
3. तिलक, चंदन छोड़ा
4. कुर्ता छोड़ा, धोती छोड़ी,
5. यज्ञोपवीत छोड़ा,
6. संध्या वंदन छोड़ा
7. रामायण पाठ, गीता पाठ छोड़ा
8. महिलाओं, लड़कियों ने साड़ी छोड़ी, बिछिया छोड़े, चूड़ी छोड़ी , दुपट्टा, चुनरी छोड़ी, मांग बिन्दी छोड़ी।
9. पैसे के लिये, बच्चे छोड़े (अब आया पालती है)
10. संस्कृत छोड़ी, हिन्दी (भाषा) छोड़ी,
11. श्लोक छोड़े, लोरी छोड़ी
12. बच्चों के सारे संस्कार (बचपन के) छोड़े
13. सुबह शाम मिलने पर राम राम, राधे कृष्ण छोड़ी
14. पांव लागूं, चरण स्पर्श, पैर छूना छोड़े
15. घर परिवार छोड़े (अकेले सुख की चाह में संयुक्त परिवार)

अब कोई रीति या परंपरा बची है आपकी?
ऊपर से नीचे तक गौर करिये, आप कहां पर हिन्दू हैं? भारतीय हैं, सनातनी हैं, ब्राह्मण हैं, क्षत्रिय हैं, वैश्य हैं या शुद्र हैं।

कहीं पर भी उंगली रखकर बता दीजिए कि हमारी परंपरा को मैंने ऐसे जीवित रखा है।

जिस तरह से हम धीरे-धीरे बदल रहे हैं, जल्द ही समाप्त भी हो जाएंगे।

बौद्धों ने कभी सर मुंड़ाना नहीं छोड़ा।

सिक्खों ने भी सदैव पगड़ी का पालन किया!

मुसलमानों ने न दाढ़ी छोड़ी और न ही 5 बार नमाज पढ़ना।

ईसाई भी संडे को चर्च जरूर जाता है।

फिर हिन्दू अपनी पहचान-संस्कारों से क्यों दूर हुआ?
कहाँ लुप्त हो गयी - गुरुकुल की शिक्षा, यज्ञ, शस्त्र-शास्त्र, नित्य मंदिर जाने का संस्कार? क्या कोई भी सरकार इसे रोक सकती थीं?

नहीं, हम स्वयं रुके।

हम अपने संस्कारों से विमुख हुए, इसी कारण हम विलुप्त हो रहे हैं।

अपनी पहचान बनाओ!

अपने मूल-संस्कारों को अपनाओ!!!
यह संदेश मेरे पास आया और मैंने उसे आपको भेजा है।
आप अपने धर्म व संस्कृति को बचाने में सहयोग करें।
आप सभी गंभीरता से विचार करें। अपनी एकता के साथ आप अपना भाईचारा बनाए रखें।
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🙏 *जय श्री राम*🙏🚩 जय सनातन धर्म 🚩

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🚩‼️महाकाल ज्योतिर्लिंग‼️🚩 की सांध्य आरती एवं श्रृंगार दर्शन ⚜️ 🌹🌺 #महाकालेश्वर  #उज्जैन  #ट्रेंडिंग
21/07/2025

🚩‼️महाकाल ज्योतिर्लिंग‼️🚩 की सांध्य आरती एवं श्रृंगार दर्शन ⚜️ 🌹🌺 #महाकालेश्वर #उज्जैन
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*🌴१८ जुलाई  २०२५ शुक्रवार 🌴**🍂श्रावण कृष्णपक्षअष्टमी२०८२ 🍂*➖➖➖➖‼️➖➖➖➖          *‼️ऋषि चिंतन ‼️*➖➖➖➖‼️➖➖➖➖   *❗➖उत्तेजित ...
18/07/2025

*🌴१८ जुलाई २०२५ शुक्रवार 🌴*
*🍂श्रावण कृष्णपक्षअष्टमी२०८२ 🍂*
➖➖➖➖‼️➖➖➖➖
*‼️ऋषि चिंतन ‼️*
➖➖➖➖‼️➖➖➖➖
*❗➖उत्तेजित मत होइए➖ ❗*
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👉 *कहते हैं आदिम जातियों में एक बहुत बड़ी मानसिक कमजोरी रहती है, जिसे "उत्तेजना" कहा जाता है।* आदिम जातियों में नृशंस हत्याओं और मारपीटों का विशेष कारण यही उत्तेजना होता है। *लड़का यदि अपने पिता से क्रुद्ध और "उत्तेजित" हो उठा तो एक ही आवेश में वह पिता की हत्या कर बैठता है।* यही स्थिति पिता अथवा अन्य कुटुंबियों की है। क्रोध पर ये काबू कर नहीं पाते और क्षणिक आवेश में हत्या, मार-पीट, खून-खराबी हो जाती है। छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई-झगड़े चलते रहते हैं। पारस्परिक कटुता की अभिवृद्धि होती रहती है। *एक दूसरे के प्रति बैर, ईर्ष्या, द्वेष, क्रोध, घृणा इत्यादि विषैले मनोविकार पनपते रहते हैं।*
👉 *"उत्तेजना" क्या है? इसका विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है कि यह "उद्वेग" का आधिक्य है।* साधारणतः व्यक्ति दो प्रकार के होते हैं। एक तो वे जिन्हें *"मोटी चमड़ी"* का कह सकते हैं। *इन व्यक्तियों में "भावनाएँ" कम होती हैं।* इन्हें कुछ कह दीजिए इनके मन में कोई प्रभाव न पड़ेगा। गाली-गलौज या मान-हानि से भी वे उत्तेजित न होंगे। *ये "भावना" के आक्रोश में नहीं रहते।* क्रोध, घृणा, ईर्ष्या क्षणिक आवेश का इन पर कोई शीघ्रव्यापी प्रभाव नहीं होता।
दूसरे व्यक्ति *"भावुक"* और *"अति उद्विग्न"* होते हैं, मक्खन की तरह कोमल, छुई मुई के पौधे के समान संवेदनशील, *"भावना" की अधिकता इनकी दुर्बलता है।* *"भावना" अर्थात "क्रोध", "प्रेम", "वात्सल्य", "दया", "ईर्ष्या" इत्यादि मनोविकारों को अत्यधिक गहराई से अनुभव करना और उन्हीं के वश में इतना हो जाना कि स्वयं अपनी विवेकबुद्धि को भी खो डालना।* लाभ-हानि या अंतिम परिणाम का ख्याल न रखना इनकी कमजोरी है। *जो गुण एक कवि में "सौभाग्य" का विषय है, वही मनोविकारों के ऊपर नियंत्रण न कर सकने वाले व्यक्ति के लिए एक "अभिशाप" है। ये अपनी उत्तेजनाओं के ऊपर विवेकबुद्धि का नियंत्रण नहीं कर पाते और स्वयं उनके वशीभूत हो जाते हैं।*
👉 *"उत्तेजना" एक क्षणिक पागलपन है।* यह भावना का तांडव नृत्य है, उद्वेग एक आँधी है, ईर्ष्या, क्रोध, प्रतिशोध का एक भयंकर तूफान है, जिसे निर्बल इच्छाशक्ति वाला व्यक्ति सँभाल नहीं पाता, अपने आपे को खो देता है।
👉 *"उत्तेजना" की आँधी में बुद्धि विवेक शून्य तथा निश्चेष्ट हो जाती है, यह उत्तरोत्तर बढ़कर शरीर पर पूरा अधिकार कर लेती है।* भावना के उद्वेग में नीर-क्षीर विवेक का ज्ञान लुप्त हो जाता है। *उत्तेजक स्वभाव वाला व्यक्ति दूरदर्शिता को खो बैठता है।* कभी-कभी उसे अपनी शक्तियों का ज्ञान तक नहीं रहता। *कमजोर व्यक्ति भी "उत्तेजना" का शिकार होकर मजबूत व्यक्ति से लड़ बैठते हैं।* बातों-बातों में उग्र हो जाते हैं। हाथा-पाई की नौबत आ जाती है, जिससे व्यर्थ की हानि उठानी पड़ती है।
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*‼️मानसिक संतुलन* ‼️
*🍁।। 🚩सत्य सनातन धर्म 🚩।।🍁*
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#ट्रेंडिंग

🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🍁🍁 सु प्रभात 🍁🍁🌹🌹 आपका दिन शुभ हो 🌹🌹🌹🌺 ॐ‌ नमो भगवते वासुदेवाय नमः 🌹🌺🌹🌺 जय श्री हरि विष्णु भगवान की...
17/07/2025

🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️
🍁🍁 सु प्रभात 🍁🍁
🌹🌹 आपका दिन शुभ हो 🌹🌹
🌹🌺 ॐ‌ नमो भगवते वासुदेवाय नमः 🌹🌺
🌹🌺 जय श्री हरि विष्णु भगवान की जय हो 🌺🌹
जय श्रीराम जय सियाराम जय जय सियाराम 🌷🌷
‼️‼️ *भावना विचार एवं क्रियाएं* ‼️‼️
👉 *मन में आंतरिक संघर्ष का क्या कारण है ? दो विरोधी विचार, दो विभिन्न दृष्टिकोण हमारे मानसिक क्षितिज पर उदित होते हैं। हमें इन दोनों के बाबजूद कार्य करना है। संतुलन ही शांति का एक मात्र उपाय है* । 👈
👉 *चोरी करने वाला व्यक्ति वह है जो अपने विचार भावना और अंतरात्मा में पारस्परिक संतुलन नहीं कर पाता। उसकी लालच और मोह की प्रवृत्ति अंतरात्मा को दबा देती है। वह मोह को लंबा छोड़ देता है और स्वयं भी उसमें लिपट जाता है। सत्य और न्याय की पुकार दब जाती है।पापमयी वृत्ति की विजय होती है। शैतान बच्चे, झगड़ालू औरतें, सब इस मानसिक रोग के शिकार होते हैं। वे मानसिक जगत को ठीक तरीके से संचालित और संतुलित नहीं कर पाते हैं* । 👈
🌸🌸 महालक्ष्मी नारायण भगवान की जय हो
जय जय श्रीराम जय सियाराम जय जय सियाराम 🌸🌸
🙏🙏🌷🌹🍁🕉️🍁🌹🌷🙏🙏

#ट्रेंडिंग

16/07/2025

🚩 जय श्री राम 🚩
क्या आप सच में एक सच्चे सनातनी हैं
और सनातन धर्म को मानते हैं
तो करो पेज को लाइक और फ़ॉलो 🚩

*🔱☆卐ॐ हं हनुमते नमः卐☆🔱**`🌹●●•सादर{🙏}प्रणाम•●●🌹`**⛳🚩मंगलमय मंगलवार🚩⛳**जय.सियाराम.जय.जय.सियाराम**जय.सियाराम.जय.जय.सियारा**...
15/07/2025

*🔱☆卐ॐ हं हनुमते नमः卐☆🔱*
*`🌹●●•सादर{🙏}प्रणाम•●●🌹`*

*⛳🚩मंगलमय मंगलवार🚩⛳*

*जय.सियाराम.जय.जय.सियाराम*
*जय.सियाराम.जय.जय.सियारा*
**
*🚩आजके मंगलमय दिन की शुरुआत `"प्रभु हनुमानजी महाराज"` के चरणों मे कोटी कोटी प्रणाम के साथ 🙏*
*🪷 वन्दे.मातृ.पितृ 🪷👏*
*༺◕☆ जय.श्री.राम *☆◕*
*🚩ऊँ.नमो.हनुमते.रूद्रावतारा 🚩👏*
*सर्वशत्रुसंहारणाय.सर्वरोग.हर 🌺🌹
*सर्ववशीकरणाय.रामदूताय.स्वाहा.il 🙏**
*༺꧁◕☆ जय.श्री.राम☆◕꧂༻*⁂❋⁂
🚩 जय जय श्री राम 🚩 जय श्री बजरंग बली 🚩
#श्री_हनुमान_जी_महाराज #ट्रेंडिंग #वायरल #सनातनसंस्कृति

🌹🌺‼️ आज का पंचांग ‼️🌺🌹‼️⚜️ मंगलवार का पंचांग 15 July 2025 ⚜️‼️हनुमान जी का मंत्र : हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ।🌹🌺🌻‼️...
15/07/2025

🌹🌺‼️ आज का पंचांग ‼️🌺🌹

‼️⚜️ मंगलवार का पंचांग 15 July 2025 ⚜️‼️

हनुमान जी का मंत्र : हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ।

🌹🌺🌻‼️आज का दिन मंगलमय हो ‼️🌺🌹🌻

दिन (वार) – मंगलवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से उम्र कम होती है। अत: इस दिन बाल और दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए ।

मंगलवार को हनुमान जी की पूजा और व्रत करने से हनुमान जी प्रसन्न होते है। मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा एवं सुन्दर काण्ड का पाठ करना चाहिए।

मंगलवार को यथासंभव मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करके उन्हें लाल गुलाब, इत्र अर्पित करके बूंदी / लाल पेड़े या गुड़ चने का प्रशाद चढ़ाएं । हनुमान जी की पूजा से भूत-प्रेत, नज़र की बाधा से बचाव होता है, शत्रु परास्त होते है।

मंगलवार के व्रत से सुयोग्‍य संतान की प्राप्ति होती है, बल, साहस और सम्मान में भी वृद्धि होती है।

मंगलवार को धरती पुत्र मंगलदेव की आराधना करने से जातक को मुक़दमे, राजद्वार में सफलता मिलती है, उत्तम भूमि, भवन का सुख मिलता है, मांगलिक दोष दूर होता है।

*विक्रम संवत् 2082,
*शक संवत – 1947
*कलि सम्वत 5127
*अयन – दक्षिणयायन
*ऋतु – ग्रीष्म ऋतु
*मास – सावन माह,
*पक्ष – कृष्ण पक्ष
*चंद्र बल – मेष, वृषभ, सिंह, कन्या, धनु, कुम्भ,

मंगलवार को मंगल की होरा :-

प्रात: 5.32 AM से 6.41 AM तक

दोपहर 01.36 PM से 2.45 PM तक

रात्रि 21.02 PM से 9.53 PM तक

मंगलवार को मंगल की होरा में हाथ की निम्न मंगल पर दो बूंद सरसो का तेल लगा कर उसे हल्के हल्के रगड़ते हुए अधिक से अधिक मंगल देव के मन्त्र का जाप करें ।

कृषि, भूमि, भवन, इंजीनियरिंग, खेलो, साहस, आत्मविश्वास

और भाई के लिए मंगल की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

मंगलवार के दिन मंगल की होरा में मंगल देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में मंगल मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

मंगल देव के मन्त्र

ॐ अं अंगारकाय नम: अथवा

ॐ भौं भौमाय नम:”

तिथि :- पंचमी 22.38 PM तक तत्पश्चात षष्टी

तिथि के स्वामी :- पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता जी और षष्टी तिथि के स्वामी भगवान कार्तिकेय जी है ।

पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता है। पंचमी तिथि को नाग देवता की पूजा करने से काल सर्प दोष दूर होता है, नाग के काटने का भय नहीं रहता है ।

पंचमी तिथि के समय भगवान शिव का पूजन शुभ माना गया है, मान्यता है कि भगवान शिव कैलाश में निवास करते हैं। पंचमी तिथि को शिवलिंग का जिस पर नाग बना हो दूध या पंचामृत से अभिषेक करने से नाग देवता प्रसन्न होते है।

पंचमी जब शनिवार के दिन होती है, तो वह मृत्युदा योग बनाती है। यह अशुभ योग माना गया है।

जब पंचमी तिथि गुरुवार के दिन होती है तो बहुत ही शुभ सिद्धिदा योग बनता है। शास्त्रों के अनुसार सिद्धिदा योग में किए गए कार्य श्रेष्ठ फल प्रदान करते है।

प्रत्येक पंचमी के दिन नागो के अति पवित्र और पुण्यदायक नामो 1. अनंत (शेषनाग ), 2. वासुकि, 3. तक्षक, 4. कर्कोटक, 5. पद्म, 6. महापद्म, 7. शंख, 8. कुलिक, 9. धृतराष्ट्र और 10. कालिया का उच्चारण करने से काल सर्प दोष दूर होता है, कोई भी भय निकट नहीं रहता है, बल और साहस की प्राप्ति होती है ।

पंचमी को नागो के पौराणिक नाम “अनंत, वासुकि, तक्षक, कर्कोटल, पिंगल” का कम से कम 11 बार उच्चारण अवश्य ही करें।

हिन्दू पंचांग के अनुसार पंचमी तिथि को बसंत पंचमी, रंग पंचमी, विवाह पंचमी, नाग पंचमी, ऋषि पंचमी, लाभ पंचमी / सौभाग्य पंचमी आदि कई शुभ पर्व आते है ।

पंचमी तिथि पूर्णा तिथियों की श्रेणी में आती है, इस तिथि में समस्त शुभ कार्य सिद्ध होते हैं, किन्तु पंचमी तिथि को कर्ज नहीं देना चाहिए।

पंचमी को बेल खाना निषेध है, मान्यता है कि पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है।

नक्षत्र (Nakshatra) – शतभिषा 6.26 AM तक तत्पश्चात पूर्वभाद्रपद,
नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी – शतभिषा नक्षत्र के देवता वरुण देव जी और शतभिषा के स्वामी राहु जी है ।
शतभिषा नक्षत्र का स्थान आकाश मंडल के नक्षत्रो में 24 वां है।। ‘शतभिषा’ का अर्थ है ‘सौ चिकित्सक’ अथवा ‘सौ चिकित्सा’। यह एक चक्र, एक बैल गाड़ी जो चिकित्सा का प्रतीक है जैसा प्रतीत होता है। ऐसे जातक पर राहु और शनि का प्रभाव रहता है।

शताभिषा नक्षत्र सितारे का लिंग तटस्थ है। शताभिषा नक्षत्र का आराध्य वृक्ष: कदंब, तथा स्वाभाव चर होता है ।

यदि कुंडली में राहु और शनि का प्रभाव अच्छा है तो जातक दार्शनिक, वैज्ञानिक, अच्छे आचरण वाला, आत्मविश्वास से भरा हुआ, महत्वाकांक्षी, साहसी, सदाचारी, दाता, धार्मिक लेकिन कठोर स्वाभाव वाला होता है।

लेकिन राहु के खराब होने पर जातक तंत्र मन्त्र पर बहुत विश्वास रखने वाला, वहमी, शक्की, पराई स्त्री पर आसक्त रहने वाला, कलह प्रिय, घर से दूर रहने की चाह रखने वाला, घर वालो को दुःख देने वाला होता है ।

अत: शतभिषा नक्षत्र के जातको को राहु को अपने अनुकूल करने का उपाय अवश्य जी करना चाहिए ।

शतभिषा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 4 और 8, भाग्यशाली रंग हरा और नीला, भाग्यशाली दिन शुक्रवार, शनिवार और सोमवार होता है ।

शतभिषा नक्षत्र में जन्मे जातको को नित्य तथा अन्य सभी को आज नक्षत्र देवता नाममंत्र:- “ॐ वरुणाय नमः “ या नक्षत्र नाम मंत्र :- “ॐ शतभिषजे नमः” मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करना चाहिए।

शतभिषा नक्षत्र के जातको को भगवान शंकर जी की उपासना करने से आशातीत सफलता मिलती है ।

योग :- सौभाग्य 14.12 PM तक तत्पश्चात शोभन

योग के स्वामी :- सौभाग्य योग के स्वामी ब्रह्मा जी एवं स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है ।

प्रथम करण : – कौलव 11.21 AM तक

करण के स्वामी, स्वभाव :- कौलव करण के स्वामी मित्र और स्वभाव सौम्य है ।

द्वितीय करण : – तैतिल 22.38 AM बुधवार 16 जुलाई तक

करण के स्वामी, स्वभाव :- तैतिल करण के स्वामी विश्वकर्मा जी और स्वभाव सौम्य है ।

ब्रह्म मुहूर्त : 04.12 AM से 4.52 AM तक

विजय मुहूर्त : 14.45 PM से 15.40 PM तक

गोधूलि मुहूर्त : 19.19 PM से 19.40 PM तक

अमृत काल : 21.59 PM से 23.33 PM तक

दिशाशूल (Dishashool)- मंगलवार को उत्तर दिशा का दिकशूल होता है।

यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से गुड़ खाकर जाएँ ।
गुलिक काल : – दोपहर 12:00 से 01:30 तक है ।

राहुकाल (Rahukaal) दिन – 3:00 से 4:30 तक।

सूर्योदय – प्रातः 05:33

सूर्यास्त – सायं 19:21

विशेष – पंचमी तिथि को बेल का सेवन नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि पंचमी को बेल का सेवन करने से अपयश मिलता है ।

पंचमी तिथि को कर्ज भी नहीं देना चाहिए, पंचमी को कर्ज देने से धन डूब जाता है तथा धन के आगमन में भी रुकावटें आने लगती है ।

पर्व – त्यौहार-

मुहूर्त (Muhurt) –

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
🚩जय जय श्री राम 🚩
🌹🌺🚩 सत्य सनातन धर्म की जय 🚩🌺🌹

#सनातनसंस्कृति #ट्रेंडिंग #श्री_हनुमान_जी_महाराज #वायरल

🌺🌻🌻* #श्री_हनुमान_जी_महाराज जी की प्रातः कालीन शुभ मंगला श्रृंगार आरती दर्शन*🌺 _* #श्री_हनुमानगढ़ी_अयोध्याधामजी।।*_ 🌺🌻 दि...
14/07/2025

🌺🌻🌻
* #श्री_हनुमान_जी_महाराज जी की प्रातः कालीन शुभ मंगला श्रृंगार आरती दर्शन*🌺 _* #श्री_हनुमानगढ़ी_अयोध्याधामजी।।*_ 🌺🌻 दिनांक~ 14/07/2025 🌻 दिन सोमवार🌺 श्री हनुमान जी महाराज सबके सकल मनोरथ सिद्ध करें।
🌺🌻🌺जय बजरंगबली।🌺🌻🌺
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14/07/2025

श्रावण सोमवार पर कैसे करे भगवान शिव की पूजा
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सामान्य मंत्रो से सम्पूर्ण शिवपूजन प्रकार और पद्धति
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देवों के देव भगवान भोले नाथ के भक्तों के लिये श्रावण सोमवार के साथ ही सम्पूर्ण श्रावण मास का व्रत विशेष महत्व रखता हैं। इस दिन का व्रत रखने से भगवान भोले नाथ शीघ्र प्रसन्न होकर, उपवासक की मनोकामना पूरी करते हैं। इस व्रत को सभी स्त्री-पुरुष, बच्चे, युवा, वृद्धों के द्वारा किया जा सकता हैं।

आज के दिन विधिपूर्वक व्रत रखने पर तथा शिवपूजन,रुद्राभिषेक, शिवरात्रि कथा, शिव स्तोत्रों का पाठ व "ॐ नम: शिवाय" का पाठ करते हुए रात्रि जागरण करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल प्राप्त होता हैं। व्रत के दूसरे दिन ब्राह्मण व साधु संत भेख भगवा धारी को यथाशक्ति वस्त्र-क्षीर सहित भोजन, दक्षिणादि प्रदान करके संतुष्ट किया जाता हैं।

त्रोयदशी और चतुर्दशी में जल चढ़ाने का विशेष विधान
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श्रावण सोमवार व्रत में उपवास या फलाहार की मान्यता है। ऐसे में साधकों को पूरी तैयारी पहले ही कर लेनी चाहिए। सूर्योदय से पहले उठे। घर आदि साफ कर स्नान करें और साफ वस्त्र पहने। इसके बाद व्रत का संकल्प लें और भगवान को गंगा जल सहित, दूध, बेलपत्र, घतुरा, भांग और दूव चढ़ाएं। इसके अलावा फल और मिठाई भगवान को अर्पण करें। सोमवार के दिन मान्यता है कि रात में भी जागरण करना चाहिए। इस दौरान 'ऊं नम: शिवाय' का जाप करते रहें। शिव चालीसा, शिव पुराण, रूद्राक्ष माला से महामृत्युंज्य मंत्र का जाप करने से भी भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और साधक का कष्ट दूर करते हैं।

श्रावण मास के मौके पर त्रोयदशी और चतुर्दशी में जल चढ़ाने का विशेष विधान है। ऐसे में त्रोयदशी और चतुर्दशी के संगम काल में अगर जल चढ़ाया जाए तो यह सबसे शुभ होगा।

शिवपूजन में ध्यान रखने की कुछ खास बाते
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(१)👉 स्नान कर के ही पूजा में बेठे
(२)👉 साफ सुथरा वस्त्र धारण कर ( हो शके तो शिलाई बिना का तो बहोत अच्छा )
(३)👉 आसन एक दम स्वच्छ चाहिए ( दर्भासन हो तो उत्तम )
(४)👉 पूर्व या उत्तर दिशा में मुह कर के ही पूजा करे
(५)👉 बिल्व पत्र पर जो चिकनाहट वाला भाग होता हे वाही शिवलिंग पर चढ़ाये ( कृपया खंडित बिल्व पत्र मत चढ़ाये )
(६)👉 संपूर्ण परिक्रमा कभी भी मत करे ( जहा से जल पसार हो रहा हे वहा से वापस आ जाये )
(७)👉 पूजन में चंपा के पुष्प का प्रयोग ना करे
(८)👉 बिल्व पत्र के उपरांत आक के फुल, धतुरा पुष्प या नील कमल का प्रयोग अवश्य कर शकते हे
(९)👉 शिव प्रसाद का कभी भी इंकार मत करे ( ये सब के लिए पवित्र हे )

पूजन सामग्री
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शिव की मूर्ति या शिवलिंगम, अबीर- गुलाल, चन्दन ( सफ़ेद ) अगरबत्ती धुप ( गुग्गुल ) बिलिपत्र बिल्व फल, तुलसी, दूर्वा, चावल, पुष्प, फल,मिठाई, पान-सुपारी,जनेऊ, पंचामृत, आसन, कलश, दीपक, शंख, घंट, आरती यह सब चीजो का होना आवश्यक है।

पूजन विधि
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श्रावण सोमवार के दिन शिव अभिषेक करने के लिये सबसे पहले एक मिट्टी का बर्तन लेकर उसमें पानी भरकर, पानी में बेलपत्र, आक धतूरे के पुष्प, चावल आदि डालकर शिवलिंग को अर्पित किये जाते है। व्रत के दिन शिवपुराण का पाठ सुनना चाहिए और मन में असात्विक विचारों को आने से रोकना चाहिए। सोमवार के अगले दिन अथवा प्रदोष काल के समय सवेरे जौ, तिल, खीर और बेलपत्र का हवन करके व्रत समाप्त किया जाता है।

जो इंसान भगवन शंकर का पूजन करना चाहता हे उसे प्रातः कल जल्दी उठकर प्रातः कर्म पुरे करने के बाद पूर्व दिशा या इशान कोने की और अपना मुख रख कर .. प्रथम आचमन करना चाहिए बाद में खुद के ललाट पर तिलक करना चाहिए बाद में निन्म मंत्र बोल कर शिखा बांधनी चाहिए

शिखा मंत्र👉 ह्रीं उर्ध्वकेशी विरुपाक्षी मस्शोणित भक्षणे। तिष्ठ देवी शिखा मध्ये चामुंडे ह्य पराजिते।।

आचमन मंत्र
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ॐ केशवाय नमः / ॐ नारायणाय नमः / ॐ माधवाय नमः
तीनो बार पानी हाथ में लेकर पीना चाहिए और बाद में ॐ गोविन्दाय नमः बोल हाथ धो लेने चाहिए बाद में बाये हाथ में पानी ले कर दाये हाथ से पानी .. अपने मुह, कर्ण, आँख, नाक, नाभि, ह्रदय और मस्तक पर लगाना चाहिए और बाद में ह्रीं नमो भगवते वासुदेवाय बोल कर खुद के चारो और पानी के छीटे डालने चाहिए

ह्रीं नमो नारायणाय बोल कर प्राणायाम करना चाहिए

स्वयं एवं सामग्री पवित्रीकरण
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'ॐ अपवित्र: पवित्रो व सर्वावस्था गतोपी व।
य: स्मरेत पूंडरीकाक्षम सह: बाह्याभ्यांतर सूचि।।

(बोल कर शरीर एवं पूजन सामग्री पर जल का छिड़काव करे - शुद्धिकरण के लिए )

न्यास👉 निचे दिए गए मंत्र बोल कर बाजु में लिखे गए अंग पर अपना दाया हाथ का स्पर्श करे।
ह्रीं नं पादाभ्याम नमः / ( दोनों पाव पर ),
ह्रीं मों जानुभ्याम नमः / ( दोनों जंघा पर )
ह्रीं भं कटीभ्याम नमः / ( दोनों कमर पर )
ह्रीं गं नाभ्ये नमः / ( नाभि पर )
ह्रीं वं ह्रदयाय नमः / ( ह्रदय पर )
ह्रीं ते बाहुभ्याम नमः / ( दोनों कंधे पर )
ह्रीं वां कंठाय नमः / ( गले पर )
ह्रीं सुं मुखाय नमः / ( मुख पर )
ह्रीं दें नेत्राभ्याम नमः / ( दोनों नेत्रों पर )
ह्रीं वां ललाटाय नमः / ( ललाट पर )
ह्रीं यां मुध्र्ने नमः / ( मस्तक पर )
ह्रीं नमो भगवते वासुदेवाय नमः / ( पुरे शरीर पर )
तत्पश्चात भगवन शंकर की पूजा करे

(पूजन विधि निम्न प्रकार से है)
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तिलक मन्त्र👉 स्वस्ति तेस्तु द्विपदेभ्यश्वतुष्पदेभ्य एवच / स्वस्त्यस्त्व पादकेभ्य श्री सर्वेभ्यः स्वस्ति सर्वदा //

नमस्कार मंत्र👉 हाथ मे अक्षत पुष्प लेकर निम्न मंत्र बोलकर नमस्कार करें।
श्री गणेशाय नमः
इष्ट देवताभ्यो नमः
कुल देवताभ्यो नमः
ग्राम देवताभ्यो नमः
स्थान देवताभ्यो नमः
सर्वेभ्यो देवेभ्यो नमः
गुरुवे नमः
मातृ पितरेभ्यो नमः
ॐ शांति शांति शांति

गणपति स्मरण
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सुमुखश्चैकदंतश्च कपिलो गज कर्णक लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायक।।
धुम्र्केतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजाननः द्वाद्शैतानी नामानी यः पठेच्छुनुयादापी।।
विध्याराम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमेस्त्था। संग्रामे संकटे चैव विघ्नस्तस्य न जायते।।
शुक्लाम्बर्धरम देवं शशिवर्ण चतुर्भुजम। प्रसन्न वदनं ध्यायेत्सर्व विघ्नोपशाताये।।
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि सम प्रभु। निर्विघम कुरु में देव सर्वकार्येशु सर्वदा।।

संकल्प👉
(दाहिने हाथ में जल अक्षत और द्रव्य लेकर निम्न संकल्प मंत्र बोले :)
'ऊँ विष्णु र्विष्णुर्विष्णु : श्रीमद् भगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्त्तमानस्य अद्य श्री ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय परार्धे श्री श्वेत वाराह कल्पै वैवस्वत मन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे युगे कलियुगे कलि प्रथमचरणे भूर्लोके जम्बूद्वीपे भारत वर्षे भरत खंडे आर्यावर्तान्तर्गतैकदेशे ---*--- नगरे ---**--- ग्रामे वा बौद्धावतारे विजय नाम संवत्सरे श्री सूर्ये दक्षिणायने वर्षा ऋतौ महामाँगल्यप्रद मासोत्तमे शुभ भाद्रप्रद मासे शुक्ल पक्षे चतुर्थ्याम्‌ तिथौ भृगुवासरे हस्त नक्षत्रे शुभ योगे गर करणे तुला राशि स्थिते चन्द्रे सिंह राशि स्थिते सूर्य वृष राशि स्थिते देवगुरौ शेषेषु ग्रहेषु च यथा यथा राशि स्थान स्थितेषु सत्सु एवं ग्रह गुणगण विशेषण विशिष्टायाँ चतुर्थ्याम्‌ शुभ पुण्य तिथौ -- +-- गौत्रः --++-- अमुक शर्मा, वर्मा, गुप्ता, दासो ऽहं मम आत्मनः श्रीमन्‌ महागणपति प्रीत्यर्थम्‌ यथालब्धोपचारैस्तदीयं श्रावण सोमवार पूजनं करिष्ये।''

इसके पश्चात्‌ हाथ का जल किसी पात्र में छोड़ देवें।

नोट👉 ------ यहाँ पर अपने नगर का नाम बोलें ------ यहाँ पर अपने ग्राम का नाम बोलें ---- यहाँ पर अपना कुल गौत्र बोलें ---- यहाँ पर अपना नाम बोलकर शर्मा/ वर्मा/ गुप्ता आदि बोलें

द्विग्रक्षण - मंत्र👉 यादातर संस्थितम भूतं स्थानमाश्रित्य सर्वात:/ स्थानं त्यक्त्वा तुं तत्सर्व यत्रस्थं तत्र गछतु //

यह मंत्र बोल कर चावाल को अपनी चारो और डाले।

वरुण पूजन👉
अपाम्पताये वरुणाय नमः।
सक्लोप्चारार्थे गंधाक्षत पुष्पह: समपुज्यामी।
यह बोल कर कलश के जल में चन्दन - पुष्प डाले और कलश में से थोडा जल हाथ में ले कर निन्म मंत्र बोल कर पूजन सामग्री और खुद पर वो जल के छीटे डाले

दीप पूजन👉 दिपस्त्वं देवरूपश्च कर्मसाक्षी जयप्रद:।
साज्यश्च वर्तिसंयुक्तं दीपज्योती नमोस्तुते।।
( बोल कर दीप पर चन्दन और पुष्प अर्पण करे )

शंख पूजन👉 लक्ष्मीसहोदरस्त्वंतु विष्णुना विधृत: करे। निर्मितः सर्वदेवेश्च पांचजन्य नमोस्तुते।।

( बोल कर शंख पर चन्दन और पुष्प चढ़ाये )

घंट पूजन👉 देवानं प्रीतये नित्यं संरक्षासां च विनाशने।
घंट्नादम प्रकुवर्ती ततः घंटा प्रपुज्यत।।

( बोल कर घंट नाद करे और उस पर चन्दन और पुष्प चढ़ाये )

ध्यान मंत्र👉 ध्यायामि दैवतं श्रेष्ठं नित्यं धर्म्यार्थप्राप्तये।
धर्मार्थ काम मोक्षानाम साधनं ते नमो नमः।।

( बोल कर भगवान शंकर का ध्यान करे )

आहवान मंत्र👉 आगच्छ देवेश तेजोराशे जगत्पतये।
पूजां माया कृतां देव गृहाण सुरसतम।।

( बोल कर भगवन शिव को आह्वाहन करने की भावना करे )

आसन मंत्र👉 सर्वकश्ठंयामदिव्यम नानारत्नसमन्वितम। कर्त्स्वरसमायुक्तामासनम प्रतिगृह्यताम।।

( बोल कर शिवजी कोई आसन अर्पण करे )

खाध्य प्रक्षालन👉 उष्णोदकम निर्मलं च सर्व सौगंध संयुत।
पद्प्रक्षलानार्थय दत्तं ते प्रतिगुह्यतम।।

( बोल कर शिवजी के पैरो को पखालने हे )

अर्ध्य मंत्र👉 जलं पुष्पं फलं पत्रं दक्षिणा सहितं तथा। गंधाक्षत युतं दिव्ये अर्ध्य दास्ये प्रसिदामे।।

( बोल कर जल पुष्प फल पात्र का अर्ध्य देना चाहिए )

पंचामृत स्नान👉 पायो दाढ़ी धृतम चैव शर्करा मधुसंयुतम। पंचामृतं मयानीतं गृहाण परमेश्वर।।

( बोल कर पंचामृत से स्नान करावे )

स्नान मंत्र👉 गंगा रेवा तथा क्षिप्रा पयोष्नी सहितास्त्था। स्नानार्थ ते प्रसिद परमेश्वर।।

(बोल कर भगवन शंकर को स्वच्छ जल से स्नान कराये और चन्दन पुष्प चढ़ाये )

संकल्प मन्त्र👉 अनेन स्पन्चामृत पुर्वरदोनोने आराध्य देवता: प्रियत्नाम।

( तत पश्यात शिवजी कोई चढ़ा हुवा पुष्प ले कर अपनी आख से स्पर्श कराकर उत्तर दिशा की और फेक दे ,बाद में हाथ को धो कर फिर से चन्दन पुष्प चढ़ाये )

अभिषेक मंत्र👉 सहस्त्राक्षी शतधारम रुषिभी: पावनं कृत। तेन त्वा मभिशिचामी पवामान्य : पुनन्तु में।।
( बोल कर जल सिरंगी में भर कर शिवलिंगम पर अभिषेक करे ) बाद में शिवलिंग या प्रतिमा को स्वच्छ जल से स्नान कराकर उनको साफ कर के उनके स्थान पर विराजमान करवाए

वस्त्र मंत्र👉 सोवर्ण तन्तुभिर्युकतम रजतं वस्त्र्मुत्तमम। परित्य ददामि ते देवे प्रसिद गुह्यतम।।
( बोल कर वस्त्र अर्पण करने की भावना करे )

जनेऊ मन्त्र👉 नवभिस्तन्तुभिर्युकतम त्रिगुणं देवतामयम। उपवीतं प्रदास्यामि गृह्यताम परमेश्वर।।
( बोल कर जनेऊ अर्पण करने की भावना करे )

चन्दन मंत्र👉 मलयाचम संभूतं देवदारु समन्वितम। विलेपनं सुरश्रेष्ठ चन्दनं प्रति गृह्यताम।।
( बोल कर शिवजी को चन्दन का लेप करे )

अक्षत मंत्र👉 अक्षताश्च सुरश्रेष्ठ कंकुमुकदी सुशोभित।
माया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वर।।
(बोल चावल चढ़ाये )

पुष्प मंत्र👉 नाना सुगंधी पुष्पानी रुतुकलोदभवानी च। मायानितानी प्रीत्यर्थ तदेव प्रसिद में।।
( बोल कर शिवजी को विविध पुष्पों की माला अर्पण करे )

तुलसी मंत्र👉 तुलसी हेमवर्णा च रत्नावर्नाम च मजहीम / प्रीती सम्पद्नार्थय अर्पयामी हरिप्रियाम।।
( बोल कर तुलसी पात्र अर्पण करे )

बिल्वपत्र मन्त्र👉 त्रिदलं त्रिगुणा कारम त्रिनेत्र च त्र्ययुधाम।
त्रिजन्म पाप संहारमेकं बिल्वं शिवार्पणं।।
( बोल कर बिल्वपत्र अर्पण करे )

दूर्वा मन्त्र👉 दुर्वकुरण सुहरीतन अमृतान मंगलप्रदान।
आतितामस्तव पूजार्थं प्रसिद परमेश्वर शंकर :।।
( बोल करे दूर्वा दल अर्पण करे )

सौभाग्य द्रव्य👉 हरिद्राम सिंदूर चैव कुमकुमें समन्वितम।
सौभागयारोग्य प्रीत्यर्थं गृहाण परमेश्वर शंकर :।।
( बोल कर अबिल गुलाल चढ़ाये और होश्के तो अलंकर और आभूषण शिवजी को अर्पण करे )

धुप मन्त्र👉 वनस्पति रसोत्पन्न सुगंधें समन्वित :।
देव प्रितिकारो नित्यं धूपों यं प्रति गृह्यताम।।
( बोल कर सुगन्धित धुप करे )

दीप मन्त्र👉 त्वं ज्योति : सर्व देवानं तेजसं तेज उत्तम :.।
आत्म ज्योति: परम धाम दीपो यं प्रति गृह्यताम।।
( बोल कर भगवन शंकर के सामने दीप प्रज्वलित करे )

नैवेध्य मन्त्र👉 नैवेध्यम गृह्यताम देव भक्तिर्मेह्यचलां कुरु।
इप्सितम च वरं देहि पर च पराम गतिम्।।
( बोल कर नैवेध्य चढ़ाये )

भोजन (नैवेद्य मिष्ठान मंत्र) 👉
ॐ प्राणाय स्वाहा.
ॐ अपानाय स्वाहा.
ॐ समानाय स्वाहा
ॐ उदानाय स्वाहा.
ॐ समानाय स्वाहा
( बोल कर भोजन कराये )

नैवेध्यांते हस्तप्रक्षालानं मुख्प्रक्षालानं आरामनियम च समर्पयामि

निम्न ५ मंत्र से भोजन करवाए और ३ बार जल अर्पण करें और बाद में देव को चन्दन चढ़ाये।

मुखवास मंत्र👉 एलालवंग संयुक्त पुत्रिफल समन्वितम।
नागवल्ली दलम दिव्यं देवेश प्रति गुह्याताम।।
( बोल कर पान सोपारी अर्पण करे )

दक्षिणा मंत्र👉 ह्रीं हेमं वा राजतं वापी पुष्पं वा पत्रमेव च।
दक्षिणाम देवदेवेश गृहाण परमेश्वर शंकर।।
( बोल कर अपनी शक्ति अनुसार दक्षिणा अर्पण करे )

आरती मंत्र👉 सर्व मंगल मंगल्यम देवानं प्रितिदयकम।
निराजन महम कुर्वे प्रसिद परमेश्वर।। ( बोल कर एक बार आरती करे )
बाद में आरती की चारो और जल की धरा करे और आरती पर पुष्प चढ़ाये सभी को आरती दे और खुद भी आरती ले कर हाथ धो ले।

अथवा भगवान गंगाधर की आरती करें

🕉 भगवान् गंगाधर की आरती 🕉

ॐ जय गंगाधर जय हर जय गिरिजाधीशा। त्वं मां पालय नित्यं कृपया जगदीशा॥ हर...॥
कैलासे गिरिशिखरे कल्पद्रमविपिने। गुंजति मधुकरपुंजे कुंजवने गहने॥
कोकिलकूजित खेलत हंसावन ललिता। रचयति कलाकलापं नृत्यति मुदसहिता ॥ हर...॥
तस्मिंल्ललितसुदेशे शाला मणिरचिता। तन्मध्ये हरनिकटे गौरी मुदसहिता॥
क्रीडा रचयति भूषारंचित निजमीशम्‌। इंद्रादिक सुर सेवत नामयते शीशम्‌ ॥ हर...॥
बिबुधबधू बहु नृत्यत नामयते मुदसहिता। किन्नर गायन कुरुते सप्त स्वर सहिता॥
धिनकत थै थै धिनकत मृदंग वादयते। क्वण क्वण ललिता वेणुं मधुरं नाटयते ॥हर...॥
रुण रुण चरणे रचयति नूपुरमुज्ज्वलिता। चक्रावर्ते भ्रमयति कुरुते तां धिक तां॥
तां तां लुप चुप तां तां डमरू वादयते। अंगुष्ठांगुलिनादं लासकतां कुरुते ॥ हर...॥
कपूर्रद्युतिगौरं पंचाननसहितम्‌। त्रिनयनशशिधरमौलिं विषधरकण्ठयुतम्‌॥
सुन्दरजटायकलापं पावकयुतभालम्‌। डमरुत्रिशूलपिनाकं करधृतनृकपालम्‌ ॥ हर...॥
मुण्डै रचयति माला पन्नगमुपवीतम्‌। वामविभागे गिरिजारूपं अतिललितम्‌॥
सुन्दरसकलशरीरे कृतभस्माभरणम्‌। इति वृषभध्वजरूपं तापत्रयहरणं ॥ हर...॥
शंखनिनादं कृत्वा झल्लरि नादयते। नीराजयते ब्रह्मा वेदऋचां पठते॥
अतिमृदुचरणसरोजं हृत्कमले धृत्वा। अवलोकयति महेशं ईशं अभिनत्वा॥ हर...॥
ध्यानं आरति समये हृदये अति कृत्वा। रामस्त्रिजटानाथं ईशं अभिनत्वा॥
संगतिमेवं प्रतिदिन पठनं यः कुरुते। शिवसायुज्यं गच्छति भक्त्या यः श्रृणुते ॥ हर...॥

पुष्पांजलि मंत्र👉 पुष्पांजलि प्रदास्यामि मंत्राक्षर समन्विताम।
तेन त्वं देवदेवेश प्रसिद परमेश्वर।।
( बोल कर पुष्पांजलि अर्पण करे )

प्रदक्षिणा👉 यानी पापानि में देव जन्मान्तर कृतानि च।
तानी सर्वाणी नश्यन्तु प्रदिक्षिने पदे पदे।।
( बोल कर प्रदिक्षिना करे )
बाद में शिवजी के कोई भी मंत्र स्तोत्र या शिव शहस्त्र नाम स्तोत्र का पाठ करे अवश्य शिव कृपा प्राप्त होगी।

पूजा में हुई अशुद्धि के लिये निम्न स्त्रोत्र पाठ से क्षमा याचना करें।

।।देव्पराधक्षमापनस्तोत्रम्।।

न मन्त्रं नो यन्त्रं तदपि च न जाने स्तुतिमहो
न चाह्वानं ध्यानं तदपि च न जाने स्तुतिकथा:।
न जाने मुद्रास्ते तदपि च न जाने विलपनं
परं जाने मातस्त्वदनुसरणं क्लेशहरणम्

विधेरज्ञानेन द्रविणविरहेणालसतया
विधेयाशक्यत्वात्तव चरणयोर्या च्युतिरभूत्।
तदेतत् क्षन्तव्यं जननि सकलोद्धारिणि शिवे
कुपुत्रो जायेत क्व चिदपि कुमाता न भवति

पृथिव्यां पुत्रास्ते जननि बहव: सन्ति सरला:
परं तेषां मध्ये विरलतरलोहं तव सुत:।
मदीयोऽयं त्याग: समुचितमिदं नो तव शिवे
कुपुत्रो जायेत क्व चिदपि कुमाता न भवति

जगन्मातर्मातस्तव चरणसेवा न रचिता
न वा दत्तं देवि द्रविणमपि भूयस्तव मया।
तथापि त्वं स्नेहं मयि निरुपमं यत्प्रकुरुषे
कुपुत्रो जायेत क्व चिदपि कुमाता न भवति

परित्यक्ता देवा विविधविधिसेवाकुलतया
मया पञ्चाशीतेरधिकमपनीते तु वयसि।
इदानीं चेन्मातस्तव यदि कृपा नापि भविता
निरालम्बो लम्बोदरजननि कं यामि शरणम्

श्वपाको जल्पाको भवति मधुपाकोपमगिरा
निरातङ्को रङ्को विहरित चिरं कोटिकनकै:।
तवापर्णे कर्णे विशति मनुवर्णे फलमिदं
जन: को जानीते जननि जपनीयं

चिताभस्मालेपो गरलमशनं दिक्पटधरो
जटाधारी कण्ठे भुजगपतिहारी पशुपति:।
कपाली भूतेशो भजति जगदीशैकपदवीं
भवानि त्वत्पाणिग्रहणपरिपाटीफलमिदम्

न मोक्षस्याकाड्क्षा भवविभववाञ्छापि च न मे
न विज्ञानापेक्षा शशिमुखि सुखेच्छापि न पुन:।
अतस्त्वां संयाचे जननि जननं यातु मम वै
मृडानी रुद्राणी शिव शिव भवानीति जपत:

नाराधितासि विधिना विविधोपचारै:
किं रुक्षचिन्तनपरैर्न कृतं वचोभि:।
श्यामे त्वमेव यदि किञ्चन मय्यनाथे
धत्से कृपामुचितमम्ब परं तवैव

आपत्सु मग्न: स्मरणं त्वदीयं
करोमि दुर्गे करुणार्णवेशि।
नैतच्छठत्वं मम भावयेथा:
क्षुधातृषार्ता जननीं स्मरन्ति

जगदम्ब विचित्रमत्र किं परिपूर्णा करुणास्ति चेन्मयि।
अपराधपरम्परापरं न हि माता समुपेक्षते सुतम्

मत्सम: पातकी नास्ति पापन्घी त्वत्समा न हि।
एवं ज्ञात्वा महादेवि यथा योग्यं तथा कुरु।।

टंकण अशुद्धि के लिए क्षमा प्रार्थी।
🚩‼️हर हर महादेव ‼️ 🚩 जय श्री महाकाल 🚩
🚩 सत्य सनातन धर्म की जय 🚩
#श्रावण_सोमवार #ट्रेंडिंग #वायरल #सनातनसंस्कृति #श्रावणमास

*🙏🌹🔱‼️ॐ नमः शिवाय‼️🔱🌹🙏**🙏💐⚜पवित्र सावन माह के प्रथम  सोमवार की हार्दिक शुभकामनाएं ⚜💐🙏**‼️ॐ मंगलम् ओंकार मंगलम्‼️**‼️शिव ...
14/07/2025

*🙏🌹🔱‼️ॐ नमः शिवाय‼️🔱🌹🙏*

*🙏💐⚜पवित्र सावन माह के प्रथम सोमवार की हार्दिक शुभकामनाएं ⚜💐🙏*

*‼️ॐ मंगलम् ओंकार मंगलम्‼️*
*‼️शिव मंगलम् सोमवार मंगलम्‼️*

*नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय ।*
*नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:॥*

*मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय ।*
*मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे म काराय नम: शिवाय: ॥*

⚜️*ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ।*⚜️
⚜️*ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॥*⚜️

*🙏🌺🙌हर हर महादेव🙌🌺🙏*

*🙏🌺🔔जय बाबा विश्वनाथ🔔🌺🙏*

*आजका दिवस आपको सपरिवार मंगलमय हो... नीलकंठ, गंगाधर, विषपायी, चंद्रशेखर, कामदेव रिपु, भूतनाथ्, त्रिनेत्रधारी, पार्वतीवल्लभ्, उमापति, महादेव, भोलेनाथ भगवान शंकर जी की कृपा दृष्टि बनी रहे... सुख शान्ति व ऐश्वर्य की प्राप्ति के साथ जन जन की मनोभिलाषाएँ पूर्ण हो... सपरिवार हर्ष युक्त दिवसावसान हो... परम पुनीत मंगलमय कामनाओं के साथ सादर यथोचित शुभ प्रणामाशीष*

*🙏🌷🔔जय महाकाल🔔🌷🙏*

*🙏🔔🔱जय भोलेनाथ🔱🔔🙏*

🕉🙏🕉🙏🕉🙏🕉🙏🕉

#श्रावण_सोमवार #श्रावणमास #श्रावण #शिव #महादेव #सनातनसंस्कृति #वायरल #ट्रेंडिंग

*🙏🌺‼शुभ रविवार‼🌺🙏*         *‼️श्री सूर्य स्तुति‼️**सूर्याष्टकं पठेन्नित्यं गृहपीड़ा प्रणाशनम ।**अपुत्रो लभते पुत्रं दरिद...
13/07/2025

*🙏🌺‼शुभ रविवार‼🌺🙏*
*‼️श्री सूर्य स्तुति‼️*

*सूर्याष्टकं पठेन्नित्यं गृहपीड़ा प्रणाशनम ।*
*अपुत्रो लभते पुत्रं दरिद्रो धनवान भवेत ॥*

*अभिषं मधु पानं च य: करोत्तिवेदिने ।*
*सप्तजन्म भवेद्रोगी जन्म-जन्म दरिद्रता ॥*

*स्त्री तेल मधुमां-सा नित्य स्त्यजेन्तु रवेद्रिने ।*
*न व्याधि: शोक दारिद्रयं सूर्यलोकं सगच्छति ॥*

*🙏🌷🚩ॐ श्री सूर्य देवाय नमः🚩🌷🙏*
*👏💐सुप्रभातम्💐👏*

*आजका दिवस आपको सपरिवार मङ्गलमय हो । त्रैलोक्य को प्रकाशित करने वाले आदिदेव भगवान प्रभाकर अपनी रश्मियों को सुख में परिणत कर सपरिवार को सानन्द रखें । पारस्परिक सम्बन्धों में मधुरिम व्यवहार परिलक्षित होकर सुखानुभूति हो । परम् पुनीत मङ्गल कामना के साथ सादरः यथोचित शुभप्रणामाशीष । आपका सपरिवार शुभाकांक्षी*

*🙏🌻🔔ॐ घृणि सूर्याय नमः🔔🌻🙏*
*🚩🙏जय सूर्यदेव 🙏🚩*

*खुशनुमा रविवार में आप सभी का स्वागत है ... जीवन अमूल्य है... हर पल का आनंद लीजिए । सृष्टि का एक नियम हैं.. जो आप बांटेंगे.. वही आपके पास बेहिसाब होगा... फिर वह चाहे ज्ञान हो, धन हो, अन्न हो, सम्मान हो, अपमान हो, नफरत हो या स्नेह ।*

*🙏🌹⚜ॐ श्री भास्कराय नमः⚜🌹🙏*

#सनातनसंस्कृति #ट्रेंडिंग #धार्मिकज्ञान #वायरल #रविवार

🌹🙏‼️जय श्री महाँकाल‼️ 🌹🙏🌹🙏स्वयंभू श्री महाँकालेश्वर् ज्योतिर्लिंग भस्मा आरती आज के श्रृंगार दर्शन दिनांक 12 जुलाई दिन 20...
12/07/2025

🌹🙏‼️जय श्री महाँकाल‼️ 🌹🙏🌹🙏स्वयंभू श्री महाँकालेश्वर् ज्योतिर्लिंग भस्मा आरती आज के श्रृंगार दर्शन दिनांक 12 जुलाई दिन 2025 शनिवार
‼️ 🕉🔱🐂🛕🕉🔱🐂🛕🕉🔱🐂‼️
🚩🚩🚩🚩🚩 सत्य सनातन धर्म 🚩🚩🚩🚩🚩
#महाकाल #सनातनसंस्कृति #ट्रेंडिंग #वायरल #धार्मिकज्ञान #उज्जैन #ज्योतिर्लिंग

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