Indian Intellect :News & Views, Analysis & Data

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Not just news, what's behind news and an analysis of latest news regarding Indian Muslims.

ज़ोम्बी, इंसान की तरह नहीं होते, एक आम आदमी या औरत जैसी समझ नहीं रखते, उनका दिमाग़ पलट चुका होता है. ये लोग किसी को भी 'पा...
28/07/2025

ज़ोम्बी, इंसान की तरह नहीं होते, एक आम आदमी या औरत जैसी समझ नहीं रखते, उनका दिमाग़ पलट चुका होता है. ये लोग किसी को भी 'पाकिस्तान जाओ' कहते हैं, जैसे इनकी इतनी औक़ात है कि कोई इनकी सुनेगा या इनके कहने से किसी पर रत्ती भर असर पड़ेगा

या इनके पास एजेंसी है किसी एक ही मुल्क में लोगों को बसाने की या इतनी कमज़ोर ज्यॉग्रफी है कि एक मुल्क के सिवा, दूसरे का नाम इनको नहीं पता. क्या इतनी अहमक़ाना बात कहने से इमेज बनती है या कोई फ़र्क़ पड़ता है.

ज़ाहिर है, जवाब में लोग कहते हैं 'कैलासा जाओ' या 'तुम नेपाल जाओ' या कुछ और. ऐसे लोगों में हिम्मत हो तो रियल वर्ल्ड में सामने कहें किसी को. भई, सिटिज़न हो, इंसान हो, उसी तरह रहो, दादागिरी, गुंडागर्दी या गालीगलौच जो करेगा, उसे भी वैसा जवाब मिलेगा.

मगर ये बचपन से अपने घर के माहौल में शायद यही सीख कर बड़े होते हैं और उनको लगता है ये दूसरे धर्म के बारे में सब जानते हैं, और ऐसे ज़ोम्बी तादाद में बहुत बढ़ गए हैं. इसमें भी कोई एतराज़ नहीं. ये समाज का बदलाव है, जिस पर ज़्यादा से ज़्यादा एक सोशल साइंटिस्ट के हिसाब से नज़र रखना चाहिए, बस.

Obsession with just one country & its name. Perhaps, result of indoctrination at home.

Others can reply, 'Go to Kailasa' or 'Go to Nepal'. So? No one has power to dictate. None listens & go! Affects anyone! No person can order or send other. If 'itch' to speak, tell in real life, sitting across table.

ایک ایسا گروپ ہے جسکے پاس صرف دو تین ہی باتیں ہیں، جیسے ہر بات پر 'پاکستان جاؤ'، گویا ان کو دنیا میں ایک ہی ملک پتا ہے، اور اسی ملک کے ٹریول ایجینٹ ہیں، اور انکے کہنے کی اتنی اوقات ہے کہ کوئ چلا جائگا اور ہمت ہو تو سامنے بول کر کھاؤ، سوشل میڈیا پر یہ کہنا تو سب سے بڑی بزدلی ہے۔

जनगणना शुरू होगी, जो आपकी ज़बान है, याद से लिखवाइए. घर वालों को बता दीजियेगा. उत्तर प्रदेश में बड़ा मसला है, कई बार सेंसस ...
25/07/2025

जनगणना शुरू होगी, जो आपकी ज़बान है, याद से लिखवाइए. घर वालों को बता दीजियेगा. उत्तर प्रदेश में बड़ा मसला है, कई बार सेंसस एन्यूमरेटर पूछते ही नहीं थे, तो ध्यान रखियेगा. तादाद से ही बजट, पॉलिसीज़ और हर चीज़ का फैसला होता है, आइडेन्टिटी, कल्चर, लैंग्वेज और हेरिटेज सब कनेक्टेड है.

Census shuroo hoga, ghar mein bata dijiyega ki agar enumerator aaye to mother tongue ke khaane mein Urdu hi likhwaayein. Link is in comment section.

مردم شماری ہونے والی ہے، جب ہوگی ذرا دھیان رکھئگا، اردو اگر آپکی مادری زبان ہے، تو اردو ہی لکھوایئگا اور گھر میں لوگوں کو یاد دلا دیجیئگا، ذرا سنجیدگی سے۔

[*ahbaab, احباب]

We speak up against tyranny and injustice. Always, take stand against oppression.Culture, heritage & and literature are ...
24/07/2025

We speak up against tyranny and injustice. Always, take stand against oppression.

Culture, heritage & and literature are important to us along with human dignity.

Living by a code of conduct--mutual respect, camaraderie and equality.

No to hypocrisy, never compromising on basic values of truth and justice, not discriminating or mocking anyone, absolutely against sycophancy and boastfulness.

We try to live by certain norms and carry the spirit of humanity in the light of Islam.

Modesty, Morality & Mercy are part of our value system. Qorma and the quintessential art of leading life--wazaadaari

टीनेज लड़कियों के साथ आजकल कई तरह के मसाएल हैं, एक तरफ तो बेहतर परफॉर्मेंस और एजुकेशन, करियर की फ़िक्र और मार्क्स या कम्पट...
23/07/2025

टीनेज लड़कियों के साथ आजकल कई तरह के मसाएल हैं, एक तरफ तो बेहतर परफॉर्मेंस और एजुकेशन, करियर की फ़िक्र और मार्क्स या कम्पटीशन के अलावा, सोसाइटी का प्रेशर, दूसरों की और सहेलियों की इंस्टा फीड और फैशन इंडस्ट्री और सोशल मीडिया के दौर में खूबसूरत लगने या न लगने का एक स्ट्रेस जो अनजाने में आ ही जाता है. इसके साथ हिजाब पहनने वाली लड़कियों के साथ कई बार सोसाइटी में, ख़ास तौर पर पब्लिक लाइफ या एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन के दौरान दुश्वारियां होती हैं

'पर्स्पेक्टिवेस ऑन थे मॉडर्न वुमन' प्रोग्राम में शम्स उर रहमान अलवी ने इन ऐस्पेक्टस की निशानदेही की और ये कहा कि इसमें सबसे ज़्यादा दिक़्क़त पैरेंट्स और टीनेजर्स के बीच कम्युनिकेशन गैप की होती है. अभी जो पैरेंट्स हैं, वह कई बार बच्चों की ज़ेहनी हालत और इस दौर के प्रेशर्स नहीं समझ पाते, मॉडर्न वर्ल्ड के तक़ाज़ों के साथ साथ कल्चर, रिलिजन पर अमल और एजुकेशन में एक्सेल करने के प्रेशर्स ख़ास तौर पर उस उम्र में जब हार्मोनल चेंजेज़ हो रहे होते हैं, ये डील करना लड़कियों के लिए कई लेवल पर टफ होता है.

इसलिए पैरेंट्स को टीनेजर्स के साथ जिस तरह का बिहेव्यर करना चाहिए और अपने एक्सपीरिएंस को ही नहीं बल्कि सोसाइटी के प्रेशर्स को समझते हुए, बच्चों को वह हिफाज़त का एहसास देना कि टीनेजर उनसे कोई बात कहने में घबराये या हिचकिचाए नहीं, इसके साथ ही नेक्स्ट जर्नेशन को मोटिवेट करना, बजाये बात बात पर नेगेटिव या टॉन्ट में बात करना, ये इशूज़ समझने की ज़रुरत है

तो ये चैलेंजेस हैं और वाल्दैन को इसके लिए फोकस की ज़रुरत है. तंज़ और मुनफी बातें, कमेंट्स जैसे 'तुमसे क्या होगा' और 'रहने दो', का बड़ा सीवियर डैमेज होता है. लड़कियों ही नहीं, लड़कों की भी साइकी पर इसका लाइफलॉन्ग असर होता है. मोटिवेट करने वाली पॉज़िटिव बातें, तारीख और सोसाइटी, मज़हब के प्वाइंट्स, ये सलीक़े से बताना और तरबियत करना अपने आप में एक मुकम्मल प्रोसेस है. स्ट्रेस, एनज़ाइटी, साइकॉलोजिकल इशूज़, भी होते हैं, और इनका सॉल्यूशन है. घर के माहौल को खुशगवार और बच्चों को क़ुरबत का एहसास देना, भी इस का हिस्सा है.

कॉन्फिडेंस, सेल्फ एस्टीम और एक मुकम्मल तौर पर नॉलेजेबल और ज़हीन यंगस्टर के लिए जो तरबियत की ज़रुरत है, खुद भी पैरेंट्स को सेल्फ अवेयर होना, खुद को भी इम्परूव करना और ज़माने से हमआहंग होना लाज़मी है, तभी नेक्स्ट जनरेशन को वह इमोशनल और ज़हनी सपोर्ट मिलेगा जिसके सहारे वह शाइन कर सकेंगे.

सय्यद फ़ज़्लुल्लाह चिश्ती ने बेहद अहम् लेक्चर दिया और गर्ल्स के सवालात और मसाएल का ऑन स्पॉट जवाब दिया. डॉ तस्नीम ने भी इस मौके पर टीनेजड गर्ल्स के मसाइल पर एक सेरहासिल तक़रीर की और ख़वातीन से खिताब किया.

Regarding issues of teenaged girls, Shams Ur Rehman Alavi talked about the difficulty in balancing societal pressure as well as peer pressure on girls along with the parents' expectations.

Citing multiples examples, he explained how to cope with the pressures and the stress that comes on girls in this age. He stressed on the need to be clear about own vision, keeping own hobbies, maintaining interests in multiple aspects, talking at length about the journey of youngsters evolving with education and taking keen interest in diverse topics, rather than consuming info junk and friends' social media activity, unknowingly taking influence on self.

Others' Insta feed or timeline does not reflect true persona of any friends or influencer in real life. The comparisons often unknowingly bring sadness and depression.

"Rather than needing outside validation from people on virtual world, focus must be on self-improvement, feeling joyous as well as leading own life with contentment while positively working on bettering own capabilities & having the urge to attain more knowledge", said Alavi, who mentioned how media often creates a representation of any group that is not entirely correct and hence real figures and data must be known to counter misconceptions....

The event was held at Islamic Cultural Centre. Dr Syed Fazlullah Chishti gave a thought provoking speech on Hijab, Fashion and Psychology. He responded to queries of students, girls and women, in the session.

'नारंजी दीमकें' फाशिज़म के खिलाफ नज़्मों में से एक है, कि किस तरह फासिस्ट आगे बढ़ते हैं, हर इंस्टीट्यूशन में दाखिल होते हैं...
22/07/2025

'नारंजी दीमकें' फाशिज़म के खिलाफ नज़्मों में से एक है, कि किस तरह फासिस्ट आगे बढ़ते हैं, हर इंस्टीट्यूशन में दाखिल होते हैं, उन्हें कैप्चर करते हैं, अपनी आइडियॉलजी इम्पोज़ करते हैं और आगे बढ़ते जाते हैं चाहे इस सफर में देश और समाज कितना ही तबाह हो जाए, इस नज़्म में उनको दीमकों से तश्बीह दी गयी है, जो बढ़ती हैं, खाती हैं और सब खोखला करती जाती हैं. इस सीरीज़ में 'अख़लाक़' और दूसरी नज़्में और ग़ज़लें भी हैं. जो आप नीचे लिंक में देख सकते हैं.

'Naranji Deemakein' is another in this series. It is against fascism--how fascists creep in, capture institutions, impose ideology, paint all with same colour and how their march continues even if it causes immense suffering to society.

نارجی دیمکیں، دار اصل فاشزم کے خلاف نظم ہے۔ کس طرح فاشسٹ آگے بڑھتے ہیں، ہر اسنٹیتیوشن میں داخل ہوتے ہیں، کیپچر کرتے ہیں، سب کو ایک رنگ میں رنگتے ہیں، اور اسی راہ پر بڑھتے جاتے ہیں، جاہے ملک اور سماج میں کتنی ہی تباہی اور آفت آ جائے۔

http://www.bestghazals.net/2020/07/rise-of-saffron-termites-naranjee.html

[*Yoorish=invasion

**Aiwan= palace, court, used for assemblies now

***Musallat=control, conquer, sudue

*daanishgaah=universities, educational institutions. In earlier version, word, madarsa was used that too means school]

#ٖFascism

This is a verse against atrocities, fascism and majoritarianism. Poet Shams Ur Rehman Alavi has written this Urdu nazm as a protest.

टेनिस प्लेयर राधिका को गोलियां मार कर कत्ल किया गया, पुलिस ने पिता को गिरफ्तार किया, ये चंद दिन में भुलाने वाला वाक्या न...
22/07/2025

टेनिस प्लेयर राधिका को गोलियां मार कर कत्ल किया गया, पुलिस ने पिता को गिरफ्तार किया, ये चंद दिन में भुलाने वाला वाक्या नहीं, समाज में आनर किलिंग और तमाम लोग कुरीतियां मौजूद हैं

Tennis player Radhika was allegedly murdered by her own father, a horrific case that shows how social evils, regressive mindsets, patriarchy and prejudices remain prevalent in the society.

The girl is no more and her father has been arrested, but a life has been lost and such cases show the rot in the society.

ٹینس کھلاڑی رادھایکا یادو کا قتل، ایک ایسا واقعہ ہے جس پر معاشرے کہ سنجیدگی سے غور کرنا چاہیئے۔ یہ اکثریت کے لئے بھی بھلانے والا واقعہ نہیں ہے۔

Tennis player Radhika was allegedly murdered by her own father, a horrific case that shows how social evils, regressive mindsets, patriarchy and prejudices remain prevalent in the society. The girl is no more and her father has been arrested, but a life has been lost and such cases show the rot in the society.

महान स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी बरकतुल्लाह भोपाली, ग़दर पार्टी के बड़े लीडर और पहली निर्वासित सरकार के प्रधान मंत्री...
18/07/2025

महान स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी बरकतुल्लाह भोपाली, ग़दर पार्टी के बड़े लीडर और पहली निर्वासित सरकार के प्रधान मंत्री, जिन्होंने साम्राजवाद के खिलाफ जर्मनी, जापान, अमरीका, से ले कर अलग अलग विचारधाराओं वाले भारत की आज़ादी के दीवानों को एकजुट किया, जिन्होंने इंक़लाब की मशाल जलाई, महात्मा गांधी और मौलाना आज़ाद से पहले की नस्ल के वह फ्रीडम फाइटर जिन्होंने देश की आज़ादी के लिए पूरी ज़िंदगी जद्दोजहद की और एक बेहद जोशीली स्पीच देते वक़्त ही, हार्ट अटैक से उनकी मौत हुई.

Great revolutionary, freedom fighter who established the first Government of India in Exile, kindled the spirit of rebellion against British Raj, brought revolutionaries of different ideologies together, an important leader of the Ghadar Party. Barkatullah belonged to the generation of freedom fighters that was senior to the leaders we read about more often.

جنگ آزادی کے عظیم مجاہد، برکت اللہ بھوپالی جنہوں نے پوری زندگی، انگریزی سامراجواد کے خلاف جنگ میں لگا دی۔ غدر پارٹی کے بڑے لیڈر، جلا وطن سرکار کے وزیر اعظم اور پوری دنیا میں ہر جگہ جگہ ہندوستان کی آزادی کے لئے انقلابیوں کو قریب لانے والے، امریکہ سے جرمنی اور جاپان تک، ہندوستان کی آزادی کی مشعل پہنچانے والے، قوم کے رہنما جن کو بھلایا نہیں جا سکتا۔ گاندھی اور مولانا آزاد سے پہلے کی نسل کے سینئر جنگ آزادی کے مجاہد۔

जब हुकूमतों के नमक-ख्वार ही मज़हब के आलिम बन जाते हैं [बनाये जाते हैं] क्यूंकि हुकूमत को मालुम है, क़ानून की सख्ती के अलाव...
15/07/2025

जब हुकूमतों के नमक-ख्वार ही मज़हब के आलिम बन जाते हैं [बनाये जाते हैं] क्यूंकि हुकूमत को मालुम है, क़ानून की सख्ती के अलावा, मज़हब का लीडर भी एक जरिया है अवाम को काबू में करने का और उसको हुकूमत भी सेफ्टी-वॉल्व की तरह इस्तेमाल करती है. लो पैसा, ऐश से रहो, बस जिस दिन ज़रुरत होगी, तुम्हें इस्तेमाल कर लेंगे, बार बार नहीं करेंगे, साल दो साल में एक बार करेंगे, ताकि क़ौम में भी तुम्हारी वक़त बनी रहे, आखिर तभी तो तुम काम आओगे और ऐसे एक दो नहीं, बहुत सारे तैयार किये जाते हैं

फ़िरक़े पर झगड़ने वाले बदबख्तों, जब फिलिस्तीन में मां बाप अपने बच्चों की जिस्म के टुकड़े ढूंढ कर तकफीन की कोशिश करते हैं तुम बर्रेसग़ीर में वही लानती हरकतें करते हो और आज तुम जिन अस्लाफ का नाम लेते हो, अगर हिम्मत है तो जिस तरह की रकीक हरकतों का मुज़ाहरा कर रहे हो, पहले अपने सारे अहम् सेंटर्स में किसी एक से भी, और टॉप जगहों में से कहीं एक से, इस पर फतवा दिलवा दो, और फतवा तो क्या सिर्फ बयान दे दो. तुम में ये हिम्मत नहीं और फ़िरक़ा परस्ती में डूबे हो

और दरबारी जब जुब्बा ओ दस्तार, इत्र से महकते कपड़े पहन कर बड़ी गाड़ियों से उतरें और उनकी फ़िरक़ापरस्ती हो या दरबारी हुक्म की पासबानी क्यूंकि उनसे मुखालफत जुर्म है. इनके सफ़ेद और शफ़्फ़ाफ़ कपड़ों से गाज़ा के मासूमों का लहू टपक रहा है. न इनमें हिम्मत है और न इस्लाम या किसी शख्सियत से मोहब्बत, ये बस बैठाये गए हैं

ये तब चुप रहते हैं जब एक छोटा सा मुस्लिम मुल्क सूडान में मुस्लिम जेनोसाइड में शामिल होता है, कई कई मुल्कों में वह मुसलमानों का खून बहाता है, ये मज़हब की रूह से ही अवाम को धोका दे कर दूर ले जाते हैं, अहम तरीन फ़रीज़े और अहकाम को चालाकी से ट्रैक चेंज कर अवाम को डायवर्ट करना, और इनके पिछलग्गू का ये हाल है की हमारे इस आदमी से इख्तिलाफ न करना, चाहे वह मक्कार हो क्यूंकि वह 'उलमा' में से है, अच्छा, हक़ कब से आलिम से टकराने लगा?

और मरवानी या दरबारी क्या उम्मत को मज़हब सिखाएंगे? ऐसे ऐसे नक़ाब उतरे हैं और उतर रहे हैं, याद रखियेगा बस, अब वह दौर नहीं रहा कि चुप रहिये, हक़ शिनासी और हक़ गोई और हक़ परस्ती की अहमियत है....

फ़िरक़े पर झगड़ने वाले बदबख्तों, जब फिलिस्तीन में मां बाप अपने बच्चों की जिस्म के टुकड़े ढूंढ कर तकफीन की कोशिश करते हैं तुम बर्रेसग़ीर में वही लानती हरकतें करते हो और आज तुम जिन अस्लाफ का नाम लेते हो
अगर हिम्मत है तो जिस तरह की रकीक हरकतों का मुज़ाहरा कर रहे हो, पहले अपने सारे अहम् सेंटर्स में किसी एक से भी, और तीनों अहम फ़िरक़ों की टॉप जगहों में से कहीं एक से, इस पर फतवा दिलवा दो, और फतवा तो क्या सिर्फ बयान दे दो. तुम में ये हिम्मत नहीं और फ़िरक़ा परस्ती में डूबे हो...
..जिन हाकिमों को अपना समझते हो, वह कमज़ोर नहीं हैं, हर साल करोड़ों डॉलर के हथियार खरीदते हैं, यमन में क़त्ल आम करते हैं तो कभी क़तर का ब्लॉकेड करते हैं, कभी सूडान में मुसलमानों की ही नस्लकुशी में लगे, और कोई आलिम नहीं बोलता, एक छोटा मगर अमीर मुल्क आधा दर्जन मुस्लिम मुल्कों में शोरिशें करवाता है और तुम्हारी जुबां पर रियाल या दिरहम लटक रहे हैं, और न इन हाकिमों का मुहम्मद (स) के इस्लाम से कोई वास्ता नज़र आता है
है हिम्मत तो जवाब दो कि, 'फिलिस्तीन के हैबतनाक क़त्ल आम और तक़रीबन दो साल तक एक लाख मुसलमानों के खून से ज़मीन सुर्ख होने के बाद भी, डिप्लोमेसी और तेल ही नहीं, हर तरह के असरात और ताक़त होने के बावजूद और इतना असर और वसाएल होने के बाद भी कि वह ज़ुल्म रुकवा सकते थे
ज़ुल्म रुकवाने की कोई कोशिश नहीं की, इन फलां और फलां हुक्मरान से बरात करना कैसा है और इन को आम मुसलमान के दुःख और तकलीफ में कोई वाज़ेह एक़दाम न करने पर, उम्मा का इन पर लानत और इनसे दूरी इख्तियार करने और इनके क़ौल और अमल को इस्लाम के उसूलों और हुब्बे ईमानी के ऐन मुनाफि जानते हुए, उम्मत का इन पर शक करना जाएज़ है या नहीं'.

अब जवाब दीजिये, 'हाँ' कहिये या ज़रा गोलमोल सही, एक आवाज़ तो निकालिये, जब कभी आप सब कहते हैं की आप सब के अस्लाफ क़ुर्बानियां देते थे, तो ज़रा अब एक बयान ही दे दो, पूरी इस्लामी दुनिया के जो अहम् तरीन इदारे हैं उनमें कहीं से एक आवाज़ उठे तो शर्मिंदगी, ज़लालत और पब्लिक ओपीनियन की वजह से सही, कुछ करें, वरना खुले तौर पर इस्राईल को मदद हर तरह सप्लाइज जाने देना और कोई ब्लॉकेड न लगाना साबित करता है ये की ये ज़ालिम के साथ हैं.

जब मज़हब को अपने अपने 'मठ' और अपनी अपनी 'पीठ' में बाँट लिया और एक एक मठ या पीठ के चौधरी बने बैठे हो, तो बोलो, फ़िरक़े से मोहब्बत और मज़हब से अदावत, अब तो मुनाफ़िक़ों पर असली फतवा उम्मत ही लगाएगी
अभी एक दिन पहले बच्चों का मिसाइल हमले में क़त्ल, पानी और खाना बांटते वक़्त गोलियां और हमले में मौतें, इस पर भी चुप्पी और ख़ामोशी, तुम्हारा किरदार तो तुम्हारे अमल से आज साबित है, और ये इतना लिखा जाएगा की हर मुनाफ़िक़ के मुंह से उसका मुखौटा उतारने की हिम्मत इस क़ौम में आये, और यहां खबीस बैठे फ़िरके की बात करते हैं, यही करते करते इस्लाम के दायरे के बाहर जा कर भी फ़िरक़ा फ़िरक़ा करते रहना

ایک فتوی چاہیئے کہ جن عرب ممالک کے حاکموں کی اسرائیل کو مدد اور غزہ میں شیر خوار بچوں کے قتل عام، اور ان حالات کی روشنی میں ان سے مسلمان، برات کا اعلان کرنا درست ہے، ابھی پھر میزائل حملے
میں بچے مارے گئے ہیں، ذرا اپنی درسگاہ یا ادارے جو دن رات فتوے دیتے ہیں، ان سے یہھی جواب دلوا دیجیئگا، جنگ آزادی میں ہمت دکھانے والوں کے وارث اگر ایک حاکم پر بھی
ذرا کہہ دیں تو شاید کچھ غیرت ایمانی جاگے اور شرم آئے تو یہ ممالک اتنی طاقت رکھتے ہیں کہ تیل ہو یا ڈپلومیسی ہی نہیں، دوسرے طریقے سے بھی معصوموں کا قتل و خون رکوا سکتے ہیں، مگر وہ تو سپلائیز ہں روکتے، ہمت کرکے بیان ہی دلوا دیجئے، فتوی نہ سہی، کہ مسلمان اب ان کے کردار کی وجہ سے ان سے دوری اختیار کریں۔۔۔۔ویسے میں نا شیعہ ہوں اور نہ آپکا مخالف، مگر یہ ثابت ہے کہ مکر کی جڑیں بہت گہری ہیں، پہلے محمد ص کے لائے مذہب پر عمل کیجئے اور محمد ص کی مانیے، صحابہ کی محبت کے دعوے سب ڈھونگ ہی لگتے ہیں، ایسے حالات میں جو قوم آپسی فرقہ پرستی سے باز نہیں آ رہی، اور خوب چہرے و کردار سامنے آ رہے ہیں۔ کیا پرائریٹیڈ ہونا چاہیئے، اور کس پر بول رہے ہیں آپ۔۔۔

"लीला साहू के गांव में सड़क नहीं है.....कब से अपने गांव में सड़क की मांग कर रही है. बरसात में गांव की कच्ची सड़क कीचड़ म...
15/07/2025

"लीला साहू के गांव में सड़क नहीं है.....कब से अपने गांव में सड़क की मांग कर रही है. बरसात में गांव की कच्ची सड़क कीचड़ में ओझल हो जाती है....सारा विकास दिखाने के लिए बड़े शहरों के लिए है. 200 गांव निगल कर बांध बनेगा, लेकिन पानी गांव को नहीं, पानी का पाइप शहरों की ओर मोड़ दिया जाता है....टोल कमाने के लिए लंबे हाईवे बन रहे हैं लेकिन गांव देहात के लोग आज भी एक सड़क के लिए तरस रहे हैं"--By Kraanti Kumar

Leela demands road and sadly, all development is urban oriented. Highways are built for toll income.

Hamein nahi pata. Udaa dega to udaa de. Uski marzi. Ye sawaal poochha ja raha, abhi lagatar kai posts dekhne mein aayeen...
12/07/2025

Hamein nahi pata. Udaa dega to udaa de. Uski marzi. Ye sawaal poochha ja raha, abhi lagatar kai posts dekhne mein aayeen. Ab aap log bataayein.

ये सिर्फ लड़के की बात नहीं है, वह कैसे ले भागेगा, ये महिला की मर्जी के बगैर ये मुमकिन नहीं, जिस तरह महिलाएं कम उम्र लड़क...
11/07/2025

ये सिर्फ लड़के की बात नहीं है, वह कैसे ले भागेगा, ये महिला की मर्जी के बगैर ये मुमकिन नहीं, जिस तरह महिलाएं कम उम्र लड़कों को बहका रही हैं और उनसे जिस्मानी ताल्लुकात बना रही हैं

जैसे न्यूज़ 24 ने लिखा, वैसे ही आम तौर पर खबर छापती है कि चाची या मामी को ले कर युवक भागा मगर कम उम्र कैसे ले भागेगा, जब तक बालिग औरत की मर्जी नहीं होगी?

ये तेजी से बढ़ती हुई वासना की आग जिसने अपनी चपेट में लोगों को ले लिया है इस पर पूरे समाज ही नहीं, बहुसंख्यक समाज को भी विचार करना होगा कि गौर करे, क्या ये दर्जनों संगठन जिनका काम धर्म बचाना है, कुछ बचा पाएंगे जब समाज में ऐसा पतन होगा?

News 24 shared it as a 17-year-old eloping with the woman. Why not say that the married woman lured and escaped with the boy?

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