26/06/2025
गुस्तखी मॉफ
-तैरता 🏊♂️ भोपाल-
कहां गए हाथ जोड़कर, दुआएं करवा कर खुद को जनता का बेटा भाई बात कर वोट मांगने वाले जन प्रतिनिधि।
भोपाल पुराने शहर में भ्रष्टाचार की पोल खोल भरपूर बरसात,
तो ख़्वातीनो हजरत पैशे खिदमत है भोपाल के पुराने शहर में भ्रष्टाचार की बरसात, अब आप कहेंगे भ्रष्टाचार की बरसात वो कैसे, हां हां बताता हूं बरसात तो आकाश से बरसी मगर भ्रष्टाचार का पानी पुराने शहर की तमाम रोडो और गलियों में नजर आ रहा है, चलिए थोड़ा सा आप लोगों को फ्लैशबैक में ले चलते हैं, वह वक्त भी क्या खूब था जब हाथ जोड़कर जनप्रतिनिधि घर पर आते थे और खुद को सच्चा और अच्छा होने की दुहाइयाँ देते थे,
अरे मामू आपके ही वार्ड का बेटा हूं आप लोगों की नजरों के सामने पला बड़ा हूं एक बार हमें खिदमत का मौका दें आपका बच्चा इस बार पार्षद के चुनाव में खड़ा है, इस बार हमें भी खिदमत का मौका दें आपका और आपके परिवार का महत्वपूर्ण वोट मेरे चुनाव चिन्ह पर ही डलवाए ताकि मैं आपकी खिदमत कर सकूं एक बार मौका जरूर देकर देखिए,
अरे खाला पहचाना मुझे फला फला खाँ का बेटा हूं बचपन में आपके आंगन में ही खेला हूं, खाला इस बार चुनाव में खड़ा हूं अपनी दुआओं में याद रखना और अपना वोट अपने बेटे को ही देना,
और कहा करते थे धोखेबाजों ने खूब धोखा दे लिया अब ऐसा वार्ड में नहीं चलेगा अब हम वार्ड के पार्षद बनकर आप लोगों की खिदमत करेंगे आधी रात को भी आपके लिए एक पैर पर खड़े रहेंगे,
भोली भाली जनता ने चिकनी चौपड़ी बातों में आकर भांजों भतीजों ओर बेटों को जीता दिया जो कि मुंह बोले थे, उसके बाद तो खूब शोरगुल हुआ जीत के पटाखे फोड़े गए सब का हाथ जोड़कर धन्यवाद किया गया मोहल्ले मोहल्ले गली गली जाकर सबको बधाई दी और शुक्रगुजार नजर आए,
चलिए अब इस फ्लैशबैक को खत्म करते हैं और थोड़ा सा हकीकत का भी सामना कर लेते हैं, कल तक जो लोग अपने आप को किसी का भांजा किसी का भतीजा और किसी का बेटा बताते थे आज वह लोग उनके पुरसाने हाल को भी पूछने नहीं पहुंचते, हालत यह है कि पहली बारिश में ही राजधानी की गालियां और मोहल्ले बरसात की सूली पर चढ़ गए, घर-घर में अपनी गली-गली में पानी गंदगी के ढेरों अंबार इन भ्रष्टाचारि जनप्रतिनिधियों की पोल खोल रहे हैं, तंग गलियां सकड़ी नालियां गवाह है उस भ्रष्टाचार की जिसकी आड़ में लाखों करोड़ों रुपए गबन किए जाते हैं,
जब भोली भाली जनता अपने द्वारा चुने गए वार्ड के मुखिया के पास जाती हैं तो उन्हें कई तरह की चीजें सुनने को मिलती हैं,
उदाहरण के तौर पर
क्या तुमने हमें वोट दिया था
अरे अभी बजट पास नहीं हुआ जैसे बजट पास होता है तो सबसे पहले आपके इधर ही काम करवाएंगे,
अरे क्या बताएं हम भी शिकायत कर करके परेशान हैं मगर हमारी सुनवाई ही नहीं हो रही है, क्योंकि हम विपक्ष वाले जो ठहरे,
अभी तो सुनो कुछ के जवाब तो और भी मजेदार होते हैं,
हमारा तो निर्दलीय जितना ही कलंक हो गया ना हम इधर के है और ना ही उधर के हैं ना इधर सुनवाई होती ना उधर सुनवाई होती,
👆
इन सारी बातों को सुनकर मुझे अंग्रेजी का एक शब्द याद आ गया, its called to lollypop 🍭
चलिए बताते हैं क्या हो सकता था और क्या नहीं हुआ 4 महीने सर्दी के और 4 महीने गर्मी के इन 8 महीना में अगर गालियों और नालियों को सही ढंग से दुरुस्त कर दीया जाता और निरंतर तरीके से वार्ड के ठेकेदारों द्वारा खड़े होकर साफ सफाई का ध्यान रखा जाता तो शायद आज राजधानी मैं यह नौबत नहीं आती, हर गली हर मोहल्ला बरसात का मौसम सुखमय तरीके से गुज़ार रहा होता, मगर अपने सुख चैन और ऐश ओर आराम छोड़कर कोई भी वार्ड का ठेकेदार बाहर नहीं आना चाहता अपनी तो तनख्वाह पक रही है साहब भाड़ में जाए जनता अपना काम बनता, अब चाहे आम जनता का घर मकान डूबे टूटे क्या फर्क पड़ता है अपने तो 5 साल मौज मस्ती में बीतेंगे, लोगों का क्या है साढे चार साल चिल्ला चोट करेंगे गली देंगे फिर चुनाव के 6 महीने पहले जाकर हम उन्हें फिर मना लेंगे और कोई ना कोई लॉलीपॉप 🍭देकर तो वोट डलवा ही लेंगे फिर अपने 5 साल पक्के,
❓❓ सवालों की बेला❓❓
क्या वार्ड पार्षद को आम जनता का दुख दर्द नहीं दिखता,❓
क्या आम जनता अपने वार्ड में पार्षद सिर्फ इसलिए चुनती है कि उन्हें अपनी जिंदगी बदहाली में गुजरना पड़े❓
आखिर क्यों वार्डों के पार्षद गैरज़िम्मेदाराना ढंग अपनाए हुए हैं जो आम जनता के लिए दिक्कत का सबक बन गया है❓
पूछती है जनता आखिर क्यों हर बरसात में तैरता है भोपाल❓
एक बार फिर कहता हूं, गुस्तखी मॉफ
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