04/04/2025
इतिहास और आज का आईना: हाथियों की फौज से वक्फ बिल तक
अब्रहा ने काबा को ढहाने का फैसला किया और अपनी सेना के साथ मक्का की ओर बढ़ा। उसकी सेना में "महमूद" नाम का एक विशाल हाथी भी शामिल था। मक्का के निकट "मुग़म्मस" नामक स्थान पर उसने पड़ाव डाला। फिर उसने काबा के संरक्षक हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के दादा अब्दुल मुत्तलिब से मुलाकात की और धमकी दी:
"मैं काबा को ढहा दूँगा!"
अब्दुल मुत्तलिब ने शांत भाव से उत्तर दिया:
"काबा का मालिक अल्लाह है, वही इसकी हिफाजत करेगा।"
उन्होंने केवल अपने ऊँटों की वापसी की माँग की और वापस लौट गए। जब अब्रहा की सेना काबा पर हमला करने आगे बढ़ी, तो अल्लाह ने अबाबील (छोटे परिंदों) के झुंड भेजे, जिन्होंने सिज्जील (पकी हुई मिट्टी के पत्थर) बरसाए। ये पत्थर जिस पर भी गिरे, वह नष्ट हो गया। अब्रहा की पूरी सेना तबाह हो गई, और वह स्वयं भी मारा गया।
कुरान (सूरह अल-फील) में अल्लाह फरमाता है:
"क्या तुमने नहीं देखा कि तुम्हारे रब ने हाथी वालों के साथ क्या किया? उसने उनकी चाल को नाकामयाब कर दिया और उन पर झुंड के झुंड परिंदे भेजे, जो उन पर पक्की मिट्टी के पत्थर मारते थे।" (कुरान 105:1-5)
यह घटना अल्लाह की ताकत और तकब्बुर (अहंकार) के खात्मे की सबसे बड़ी मिसाल है।
मौजूदा दौर और वक्फ बिल
आज के दौर में वक्फ बिल पास हो चुका है, जिससे लोग असमंजस और बेचैनी का शिकार हैं। कई सवाल कौम के सामने हैं, लेकिन उनके विरोध को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया। इस्लाम के अनुसार, वक्फ अल्लाह की संपत्ति होती है और वही उसका असली मालिक है।
जिस तरह "काबा का मालिक अल्लाह है, वही इसकी हिफाजत करेगा," उसी तरह अल्लाह अपने बंदों की भी हिफाजत करेगा।
फिर चिंता कैसी? ग़म किस बात का? अल्लाह जिससे चाहता है, काम ले लेता है!
आबिद मोहम्मद खान✍🏻
कशाना टाइम्स, भोपाल