Ankit Kumar Advocate

  • Home
  • Ankit Kumar Advocate

Ankit Kumar Advocate शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो ।

       😋😋😋  बावर्ची रेस्टोरेंट बिजनौर ......😋😋😋
25/07/2025

😋😋😋
बावर्ची रेस्टोरेंट बिजनौर ......😋😋😋

 ♥️🙏        💥🔥✌️  😎
17/07/2025

♥️🙏
💥🔥✌️
😎

13/07/2025

I've received 1,000 reactions to my posts in the past 30 days. Thanks for your support. 🙏🤗🎉

 #वृक्षारोपण  #सोशलवर्क  ❤️  ❤️❤️
09/07/2025

#वृक्षारोपण #सोशलवर्क ❤️
❤️❤️

2 N 3D TRIP .....
19/10/2024

2 N 3D TRIP .....

03/09/2024

रिश्तों मे नफा नुकशान नही देखा जाता।

विनोद हाईवे पर गाड़ी चला रहा था।
सड़क के किनारे उसे एक 12-13 साल की लड़की तरबूज बेचती दिखाई दी। विनोद ने गाड़ी रोक कर पूछा "तरबूज की क्या रेट है बेटा? " लड़की बोली " 50 रुपये का एक तरबूज है साहब।"

पीछे की सीट पर बैठी विनोद की पत्नी बोली " इतना महंगा तरबूज नही लेना जी। चलो यहाँ से। "विनोद बोला "महंगा कहाँ है इसके पास जितने तरबूज है कोई भी पांच किलो के कम का नही होगा। 50 रुपये का एक दे रही है तो 10 रुपये किलो पड़ेगा हमें। बाजार से तो तू बीस रुपये किलो भी ले आती है। "

विनोद की पत्नी ने कहा तुम रुको मुझे मोल भाव करने दो।” फिर वह लड़की से बोली "30 रुपये का एक देना है तो दो वरना रहने दो। " लड़की बोली " 40 रुपये का एक तरबूज तो मै खरीद कर लाती हूँ आंटी। आप 45 रुपये का एक ले लो। इससे सस्ता मै नही दे पाऊँगी।"

विनोद की पत्नी बोली" झूठ मत बोलो बेटा। सही रेट लगाओ देखो ये तुम्हारा छोटा भाई है न? इसी के लिए थोड़ा सस्ता कर दो।" उसने खिड़की से झाँक रहे अपने चार वर्षीय बेटे की तरफ इशारा करते हुए कहा।

सुंदर से बच्चे को देख कर लड़की एक तरबूज हाथों मे उठाते हुए गाड़ी के करीब आ गई। फिर लड़के के गालों पर हाथ फेर कर बोली " सचमुच मेरा भाई तो बहुत सुंदर है आँटी।" विनोद की पत्नी बच्चे से बोली "दीदी को नमस्ते बोलो बेटा। " बच्चा प्यार से बोला "नमस्ते दीदी। लड़की ने गाड़ी की खिड़की खोल कर बच्चे को बाहर निकाल लिया फिर बोली " "तुम्हारा नाम क्या भैया? "

लड़का बोला " मेरा नाम गोलू है दीदी। " बेटे को बाहर निकालने के कारण विनोद की पत्नी कुछ असहज हो गई। तुरंत बोली "अरे बेटा इसे वापस अंदर भेजो। इसे डस्ट से एलर्जी है।"लड़की उसकी आवाज पर ध्यान न देते हुए लड़के से बोली "तु तो सचमुच गोल मटोल है रे भाई। तरबूज खाएगा? "लड़के ने हाँ मे गर्दन हिलाई तो लड़की ने तरबूज उसके हाथों मे थमा दिया।

पाँच किलो का तरबूज गोलू नही संभाल पाया। तरबूज फिसल कर उसके हाथ से नीचे गिर गया और फूट कर तीन चार टुकड़ों मे बंट गया। तरबूज के गिर कर फुट जाने से लड़का रोने लगा।

लड़की उसे पुचकारते हुए बोली अरे भाई रो मत। मै दूसरा लाती हूँ। फिर वह दौड़कर गई और एक और बड़ा सा तरबूज उठा लाई।

जब तक वह तरबूज उठा कर लाई इतनी देर मे विनोद की पत्नी ने बच्चे को अंदर गाड़ी मे खींच कर खिड़की बन्द कर ली। लड़की खुले हुए शीशे से तरबूज अंदर देते हुए बोली "ले भाई ये बहुत मिठा निकलेगा।” विनोद चुपचाप बैठा लड़की की हरकतें देख रहा था।

विनोद की पत्नी बोली "जो तरबूज फूटा है मै उसके पैसे नही दूँगी। वह तुम्हारी गलती से फूटा है। "लड़की मुस्कराते हुए बोली "उसको छोड़ो आंटी। आप इस तरबूज के पैसे भी मत देना। ये मैने अपने भाई के लिए दिया है। "
इतना सुनते ही विनोद और उसकी पत्नी दोनों एक साथ चौंक पड़े। विनोद बोला " नही बिटिया तुम अपने दोनों तरबूज के पैसे लो।" फिर सौ का नोट उस लड़की की तरफ बढ़ा दिया। लड़की हाथ के इशारे से मना करते हुए वहाँ से हट गई। औ अपने बाकी बचे तरबुजों के पास जाकर खड़ी हो गई।

विनोद भी गाड़ी से निकल कर वहाँ आ गया था। आते ही बोला "पैसे ले लो बेटा वरना तुम्हारा बहुत बड़ा नुकसान हो जाएगा।" लड़की बोली "माँ कहती है जब बात रिश्तों की हो तो नफा नुकसान नही देखा जाता। आपने गोलू को मेरा भाई बताया मुझे बहुत अच्छा लगा। मेरा भी एक छोटा सा भाई था मगर.."

विनोद बोला "क्या हुआ तुम्हारे भाई को? "
वह बोली "जब वह दो साल का था तब उसे रात मे बुखार हुआ था। सुबह माँ हॉस्पिटल मे ले जा पाती उससे पहले ही उसने दम तौड़ दिया था। मुझे मेरे भाई की बहुत याद आती है। उससे एक साल पहले पापा भी ऐसे ही हमे छोड़ कर गुजर गए थे।

विनोद की पत्नी बोली "ले बिटिया अपने पैसे ले ले। " लड़की बोली "पैसे नही लुंगी आंटी।"
विनोद की पत्नी गाड़ी मे गई फिर अपने बैग से एक पाजेब की जोड़ी निकाली। जो उसने अपनी आठ वर्षीय बेटी के लिए आज ही तीन हजार मे खरीदी थी। लड़की को देते हुए बोली। तुमने गोलू को भाई माना तो मै तुम्हारी माँ जैसी हुई ना। अब तू ये लेने से मना नही कर सकती।

लड़की ने हाथ नही बढ़ाया तो उसने जबरदस्ती लड़की की गोद मे पाजेब रखते हुए कहा "रख ले। जब भी पहनेगी तुझे हम सब की याद आयेगी। "इतना कहकर वह वापस गाड़ी मे जाकर बैठ गई।

फिर विनोद ने गाड़ी स्टार्ट की और लड़की को बाय बोलते हुए वे चले पड़े। विनोद गाड़ी चलाते हुए सोच रहा था कि भावुकता भी क्या चीज है। कुछ देर पहले उसकी पत्नी दस बीस रुपये बचाने के लिए हथकण्डे अपना रही थी।कुछ देर मे ही इतनी बदल गई जो तीन हजार की
पाजेब दे आई।

फिर अचानक विनोद को लड़की की एक बात याद आई "रिश्तों मे नफा नुकसान नही देखा जाता।"

विनोद का प्रॉपर्टी के विवाद को लेकर अपने ही बड़े भाई से कोर्ट मे मुकदमा चल रहा था।।
उसने तुरंत अपने बड़े भाई को फोन मिलाया। फोन उठाते ही बोला " भैया मै विनोद बोल रहा हूँ। "

भाई बोला "फोन क्यों किया? " विनोद बोला "भैया आप वो मैन मार्केट वाली दुकान ले लो। मेरे लिए मंडी वाली छोड़ दो। और वो बड़े वाला प्लॉट भी आप ले लो। मै छोटे वाला ले लूंगा। मै कल ही मुकदमा वापस ले रहा हूँ। " सामने से काफी देर तक आवाज नही आई।

फिर उसके बड़े भाई ने कहा "इससे तो तुम्हे बहुत नुकसान हो जाएगा छोटे? "विनोद बोला " भैया आज मुझे समझ मे आ गया है रिश्तों मे नफ़ा-नुकसान नही देखा जाता। एक दूसरे की खुशी देखी जाती है। उधर से फिर खानोशी छा गई। फिर विनोद को बड़े भाई की रोने की आवाज सुनाई दी।

विनोद बोला "रो रहे हो क्या भैया?" बड़ा भाई बोला " इतने प्यार से पहले बात करता तो सब कुछ मै तुझे दे देता रे। अब घर आ जा। दोनों प्रेम से बैठ कर बंटवारा करेंगे। इतनी बड़ी कड़वाहट कुछ मीठे बोल बोलते ही न जाने कहाँ चली गई थी। कल जो एक एक इंच जमीन के लिए लड़ रहे थे वे आज भाई को सब कुछ देने के लिए तैयार हो गए थे।

कहानी का मोरल:-
त्याग की भावना रखिये। अगर हमेशा देने को तत्पर रहोगे तो लेने वाले का भी हृदय परिवर्तन हो जाएगा।
याद रखे रिश्तों मे नफा-नुकसान नही देखा जाता।
अपनो को करीब रखने के लिए अपना हक भी छोड़ना पड़ता है

🐄🐄🚩🚩🙏🙏

एक रेस्टोरेंट में कई बार देखा गया  कि, एक व्यक्ति (भिखारी) आता है और भीड़ का लाभ उठाकर नाश्ता कर चुपके से बिना पैसे, दिए...
02/07/2024

एक रेस्टोरेंट में कई बार देखा गया कि, एक व्यक्ति (भिखारी) आता है और भीड़ का लाभ उठाकर नाश्ता कर चुपके से बिना पैसे, दिए निकल जाता है। एक दिन जब वह खा रहा था तो एक आदमी ने चुपके से दुकान के मालिक को बताया कि यह भाई भीड़ का लाभ उठाएगा और बिना बिल चुकाए निकल जाएगा।

उसकी बात सुनकर रेस्टोरेंट का मालिक मुस्कराते हुए बोला – उसे बिना कुछ कहे जाने दो, हम इसके बारे में बाद में बात करेंगे। हमेशा की तरह भाई ने नाश्ता करके इधर-उधर देखा और भीड़ का लाभ उठाकर चुपचाप चला गया। उसके जाने के बाद, उसने रेस्टोरेंट के मालिक से पूछा कि मुझे बताओ कि आपने उस व्यक्ति को क्यों जाने दिया।

रेस्टोरेंट के मालिक ने कहा आप अकेले नहीं हो, कई भाइयों ने उसे देखा है और मुझे उसके बारे में बताया है। वह रेस्टोरेंट के सामने बैठता है और जब देखता है कि भीड़ है, तो वह चुपके से खाना खा लेता है। मैंने हमेशा इसे नज़रअंदाज़ किया और कभी उसे रोका नहीं, उसे कभी पकड़ा नहीं और ना ही कभी उसका अपमान करने की कोशिश की.. क्योंकि मुझे लगता है कि मेरी दुकान में भीड़ इस भाई की प्रार्थना की वजह से है

वह मेरे रेस्टोरेंट के सामने बैठे हुए प्रार्थना करता है कि, जल्दी इस रेस्टोरेंट में भीड़ हो तो मैं जल्दी से अंदर जा सकूँ, खा सकूँ और निकल सकूँ। और निश्चित रूप से जब वह अंदर आता है तो हमेशा भीड़ होती है। तो ये भीड़ भी शायद उसकी "प्रार्थना" से है

शायद इसीलिए कहते है कि मत करो घमंड इतना कि मैं किसी को खिला रहा हूँ.. क्या पता की हम खुद ही किसके भाग्य से खा रहे हैँ
✍️

28/05/2024

राधिका और नवीन को आज तलाक के कागज मिल गए थे। दोनो साथ ही कोर्ट से बाहर निकले। दोनो के परिजन साथ थे और उनके चेहरे पर विजय...
16/05/2024

राधिका और नवीन को आज तलाक के कागज मिल गए थे। दोनो साथ ही कोर्ट से बाहर निकले। दोनो के परिजन साथ थे और उनके चेहरे पर विजय और सुकून के निशान साफ झलक रहे थे। चार साल की लंबी लड़ाई के बाद आज फैसला हो गया था।
दस साल हो गए थे शादी को मग़र साथ मे छः साल ही रह पाए थे।
चार साल तो तलाक की कार्यवाही में लग गए।
राधिका के हाथ मे दहेज के समान की लिस्ट थी जो अभी नवीन के घर से लेना था और नवीन के हाथ मे गहनों की लिस्ट थी जो राधिका से लेने थे।

साथ मे कोर्ट का यह आदेश भी था कि नवीन दस लाख रुपये की राशि एकमुश्त राधिका को चुकाएगा।

राधिका और नवीन दोनो एक ही टेम्पो में बैठकर नवीन के घर पहुंचे। दहेज में दिए समान की निशानदेही राधिका को करनी थी।
इसलिए चार वर्ष बाद ससुराल जा रही थी। आखरी बार बस उसके बाद कभी नही आना था उधर।

सभी परिजन अपने अपने घर जा चुके थे। बस तीन प्राणी बचे थे।नवीन, राधिका और राधिका की माता जी।

नवीन घर मे अकेला ही रहता था। मां-बाप और भाई आज भी गांव में ही रहते हैं।

राधिका और नवीन का इकलौता बेटा जो अभी सात वर्ष का है कोर्ट के फैसले के अनुसार बालिग होने तक वह राधिका के पास ही रहेगा। नवीन महीने में एक बार उससे मिल सकता है।
घर मे परिवेश करते ही पुरानी यादें ताज़ी हो गई। कितनी मेहनत से सजाया था इसको राधिका ने। एक एक चीज में उसकी जान बसी थी। सब कुछ उसकी आँखों के सामने बना था।एक एक ईंट से धीरे धीरे बनते घरोंदे को पूरा होते देखा था उसने।
सपनो का घर था उसका। कितनी शिद्दत से नवीन ने उसके सपने को पूरा किया था।
नवीन थकाहारा सा सोफे पर पसर गया। बोला "ले लो जो कुछ भी चाहिए मैं तुझे नही रोकूंगा"
राधिका ने अब गौर से नवीन को देखा। चार साल में कितना बदल गया है। बालों में सफेदी झांकने लगी है। शरीर पहले से आधा रह गया है। चार साल में चेहरे की रौनक गायब हो गई।

वह स्टोर रूम की तरफ बढ़ी जहाँ उसके दहेज का अधिकतर समान पड़ा था। सामान ओल्ड फैशन का था इसलिए कबाड़ की तरह स्टोर रूम में डाल दिया था। मिला भी कितना था उसको दहेज। प्रेम विवाह था दोनो का। घर वाले तो मजबूरी में साथ हुए थे।
प्रेम विवाह था तभी तो नजर लग गई किसी की। क्योंकि प्रेमी जोड़ी को हर कोई टूटता हुआ देखना चाहता है।
बस एक बार पीकर बहक गया था नवीन। हाथ उठा बैठा था उसपर। बस वो गुस्से में मायके चली गई थी।
फिर चला था लगाने सिखाने का दौर । इधर नवीन के भाई भाभी और उधर राधिका की माँ। नोबत कोर्ट तक जा पहुंची और तलाक हो गया।

न राधिका लोटी और न नवीन लाने गया।

राधिका की माँ बोली" कहाँ है तेरा सामान? इधर तो नही दिखता। बेच दिया होगा इस शराबी ने ?"

"चुप रहो माँ"
राधिका को न जाने क्यों नवीन को उसके मुँह पर शराबी कहना अच्छा नही लगा।

फिर स्टोर रूम में पड़े सामान को एक एक कर लिस्ट में मिलाया गया।
बाकी कमरों से भी लिस्ट का सामान उठा लिया गया।
राधिका ने सिर्फ अपना सामान लिया नवीन के समान को छुवा भी नही। फिर राधिका ने नवीन को गहनों से भरा बैग पकड़ा दिया।
नवीन ने बैग वापस राधिका को दे दिया " रखलो, मुझे नही चाहिए काम आएगें तेरे मुसीबत में ।"

गहनों की किम्मत 15 लाख से कम नही थी।
"क्यूँ, कोर्ट में तो तुम्हरा वकील कितनी दफा गहने-गहने चिल्ला रहा था"
"कोर्ट की बात कोर्ट में खत्म हो गई, राधिका। वहाँ तो मुझे भी दुनिया का सबसे बुरा जानवर और शराबी साबित किया गया है।"
सुनकर राधिका की माँ ने नाक भों चढ़ाई।

"नही चाहिए।
वो दस लाख भी नही चाहिए"

"क्यूँ?" कहकर नवीन सोफे से खड़ा हो गया।

"बस यूँ ही" राधिका ने मुँह फेर लिया।

"इतनी बड़ी जिंदगी पड़ी है कैसे काटोगी? ले जाओ,,, काम आएगें।"

इतना कह कर नवीन ने भी मुंह फेर लिया और दूसरे कमरे में चला गया। शायद आंखों में कुछ उमड़ा होगा जिसे छुपाना भी जरूरी था।

राधिका की माता जी गाड़ी वाले को फोन करने में व्यस्त थी।

राधिका को मौका मिल गया। वो नवीन के पीछे उस कमरे में चली गई।

वो रो रहा था। अजीब सा मुँह बना कर। जैसे भीतर के सैलाब को दबाने दबाने की जद्दोजहद कर रहा हो। राधिका ने उसे कभी रोते हुए नही देखा था। आज पहली बार देखा न जाने क्यों दिल को कुछ सुकून सा मिला।

मग़र ज्यादा भावुक नही हुई।

सधे अंदाज में बोली "इतनी फिक्र थी तो क्यों दिया तलाक?"

"मैंने नही तलाक तुमने दिया"

"दस्तखत तो तुमने भी किए"

"माफी नही माँग सकते थे?"

"मौका कब दिया तुम्हारे घर वालों ने। जब भी फोन किया काट दिया।"

"घर भी आ सकते थे"?

"हिम्मत नही थी?"

राधिका की माँ आ गई। वो उसका हाथ पकड़ कर बाहर ले गई। "अब क्यों मुँह लग रही है इसके? अब तो रिश्ता भी खत्म हो गया"

मां-बेटी बाहर बरामदे में सोफे पर बैठकर गाड़ी का इंतजार करने लगी।
राधिका के भीतर भी कुछ टूट रहा था। दिल बैठा जा रहा था। वो सुन्न सी पड़ती जा रही थी। जिस सोफे पर बैठी थी उसे गौर से देखने लगी। कैसे कैसे बचत कर के उसने और नवीन ने वो सोफा खरीदा था। पूरे शहर में घूमी तब यह पसन्द आया था।"

फिर उसकी नजर सामने तुलसी के सूखे पौधे पर गई। कितनी शिद्दत से देखभाल किया करती थी। उसके साथ तुलसी भी घर छोड़ गई।

घबराहट और बढ़ी तो वह फिर से उठ कर भीतर चली गई। माँ ने पीछे से पुकारा मग़र उसने अनसुना कर दिया। नवीन बेड पर उल्टे मुंह पड़ा था। एक बार तो उसे दया आई उस पर। मग़र वह जानती थी कि अब तो सब कुछ खत्म हो चुका है इसलिए उसे भावुक नही होना है।

उसने सरसरी नजर से कमरे को देखा। अस्त व्यस्त हो गया है पूरा कमरा। कहीं कंही तो मकड़ी के जाले झूल रहे हैं।

कितनी नफरत थी उसे मकड़ी के जालों से?

फिर उसकी नजर चारों और लगी उन फोटो पर गई जिनमे वो नवीन से लिपट कर मुस्करा रही थी।
कितने सुनहरे दिन थे वो।

इतने में माँ फिर आ गई। हाथ पकड़ कर फिर उसे बाहर ले गई।

बाहर गाड़ी आ गई थी। सामान गाड़ी में डाला जा रहा था। राधिका सुन सी बैठी थी। नवीन गाड़ी की आवाज सुनकर बाहर आ गया।
अचानक नवीन कान पकड़ कर घुटनो के बल बैठ गया।
बोला--" मत जाओ,,, माफ कर दो"
शायद यही वो शब्द थे जिन्हें सुनने के लिए चार साल से तड़प रही थी। सब्र के सारे बांध एक साथ टूट गए। राधिका ने कोर्ट के फैसले का कागज निकाला और फाड़ दिया ।
और मां कुछ कहती उससे पहले ही लिपट गई नवीन से। साथ मे दोनो बुरी तरह रोते जा रहे थे।
दूर खड़ी राधिका की माँ समझ गई कि
कोर्ट का आदेश दिलों के सामने कागज से ज्यादा कुछ नही।
काश उनको पहले मिलने दिया होता?

अगर माफी मांगने से ही रिश्ते टूटने से बच जाए, तो माफ़ी मांग लेनी चाहिए.

  गहराई से सोचो !आपकी ज़िंदगी का कोच कौन है ??  #अनीता_अल्वारेज, अमेरिका की एक पेशेवर तैराक हैं जो वर्ल्ड चैंपियनशिप के ...
16/05/2024


गहराई से सोचो !
आपकी ज़िंदगी का कोच कौन है ??

#अनीता_अल्वारेज,
अमेरिका की एक पेशेवर तैराक हैं जो वर्ल्ड चैंपियनशिप के दौरान परफॉर्म करने के लिए स्विमिंग पूल में जैसे ही छलांग लगाई , वो छलांग लगाते ही पानी के अंदर बेहोश हो गई ,

जहाँ पूरी भीड़ सिर्फ़ जीत और हार के बारे में सोच रही थी वहीं उसकी कोच एंड्रिया ने जब देखा कि अनीता एक नियत समय से ज़्यादा देर तक पानी के अंदर है ,

एंड्रिया पल भर के लिए सब कुछ भूल गई कि वर्ल्ड चैंपियनशिप प्रतियोगिता चल रही है , एक पल भी व्यर्थ ना करते हुए एंड्रिया चलती प्रतियोगिता के बीच में ही स्विमिंग पूल में छलांग लगा दी ,

वहाँ मौजूद हज़ारों लोग कुछ समझ पाते तब तक एंड्रिया पानी के अंदर अनीता के पास थी ,
एंड्रिया ने देखा कि अनीता स्विमिंग पूल में पानी के अंदर बेहोश पड़ी है ,

ऐसी हालत में ना हाथ पैर चला सकती ना मदद माँग सकती ,

एंड्रिया ने अनीता को जैसे बाहर निकाला मौजूद हज़ारों लोग सन्न रह गए , एंड्रिया ने अनीता को तो बचा लिया ,

लेकिन हम सबकी ज़िंदगी में बहुत बड़ा सवाल छोड़ गई !

इस दुनियाँ में ना जाने कितने लोग हम सबकी ज़िंदगी से जुड़े हैं कितनों से रोज़ मिलते भी होंगे ,

जो इंसान हर किसी से अपने मन की बात नहीं कह पाता कि असल ज़िंदगी में वह भी कहीं डूब रहा है , वह भी किसी तकलीफ़ से गुज़र रहा है , वह भी किसी बात को लेक़र ज़िंदगी से परेशान हो रहा है , लेकिन बता नहीं पा रहा है

जब इंसान किसी को अपने मन की व्यथा , अपनी परेशानी नहीं बता पाता तो मानसिक तनाव इतना बढ़ जाता है कि वह ख़ुद को पूरी दुनियाँ से अलग़ कर लेता है , सबकी नज़रों से दूर एकांत में ख़ुद को चारदीवारी में क़ैद कर लेता है ,

ये वक़्त ऐसा होता है कि तब इंसान डूब रहा होता है , उसका मोह ख़त्म हो चुका होता है , ना किसी से बात चीत ना किसी से मिलना जुलना ,

ये स्थिति इंसान के लिए सबसे ख़तरनाक होती है ,

जब इंसान अपने डूबने के दौर से गुज़र रहा होता है , तब बाक़ी सब दर्शकों की भाँति अपनी ज़िंदगी में व्यस्त होते हैं किसी को ख़्याल ना होता कि एक इंसान किसी बड़ी परेशानी में है ,

अगर इंसान कुछ दिन के लिए ग़ायब हो जाए तो पहले तो लोगों को ख़्याल नहीं आएगा , अगर कुछ को आ भी जाए तो लोग यही सोचेंगे , पहले कितनी बात होती थी अब वो बदल गया है या फिर उसे घमंड हो गया है या अब तो बड़ा आदमी बन गया है इसलिए बात नहीं करता , जब वो बात नहीं करता तो हम कियूँ करें !

या फिर ये सोच लेते हैं कि अब दिखाई ना देता तो वो अपनी ज़िंदगी में मस्त है इसलिए नहीं दिखाई देता ,

अनीता पेशेवर तैराक होते हुए डूब सकती है तो कोई भी अपनी ज़िंदगी में बुरे दौर से गुज़र सकता है , ये समझना ज़रूरी है

लेकिन उन लोगों से हट कर कोई एक इंसान ऐसा भी होगा जो आपकी मनोस्थिति तुरंत भाँप लेगा , उसे बिना कुछ बताये सब पता चल जाएगा , आपकी ज़िंदगी के हर पहलू पर हमेशा नज़र रखेगा , थोड़ा सा भी परेशान हुए वो आपकी परेशानी आकर पूछने लगेगा ,

आपके बेहवियर को पहचान लेगा , आपको हौसला देगा आपको सकारात्मक बनायेगा और एंड्रिया की तरह कोच बन कर आपकी ज़िंदगी को बचा लेगा ,

हम सबको ऐसे कोच की ज़रूरत पड़ती है…

ऐसा कोच कोई भी हो सकता है , आपका भाई , बहन , माँ , पापा ,
आपका कोई दोस्त , आपका कोई हितैषी , आपका कोई रिश्तेदार , कोई भी , जो बिना बताये आपके भावों को पढ़ ले और तुरंत एक्शन ले।

गहराई से सोचो आपकी ज़िंदगी का कोच कौन है ??

She is a Dreamer, She is a Believer, She is a Doer, She is an achiever, and that she is You! Wishing a very Happy Women'...
08/03/2024

She is a Dreamer, She is a Believer, She is a Doer, She is an achiever, and that she is You! Wishing a very Happy Women's Day!

Address


Telephone

+918534096299

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Ankit Kumar Advocate posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to Ankit Kumar Advocate:

Shortcuts

  • Address
  • Telephone
  • Alerts
  • Contact The Business
  • Claim ownership or report listing
  • Want your business to be the top-listed Media Company?

Share