रमक झमक बीकानेरी

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जय मां आवड़ माता काली डूंगरी 🙏🏻🚩आवड़ माता का यह मन्दिर जैसलमेर से 25 कि.मी. दूर हाढा के पास काले रंग की पहाड़ी पर बना हुआ...
07/09/2025

जय मां आवड़ माता काली डूंगरी 🙏🏻🚩
आवड़ माता का यह मन्दिर जैसलमेर से 25 कि.मी. दूर हाढा के पास काले रंग की पहाड़ी पर बना हुआ है। मांड प्रदेश की भाषा में पहाड़ी को डूंगर कहते हैं इसलिए यहाँ मंदिर काला डूंगरराय का मंदिर कहलाता है और आवड़ आदि देवियां डूंगरेचियां कहलाई। सिंध प्रदेश नष्ट होने के बाद आवड़ आदि देवियां अपने माता पिता के साथ पुनः अपने राज्य लौट आई। जिस गांव में वे रुकी वहाँ के लोगों ने उनका स्वागत कर गांव का नाम आइता रखा। तथा देवी भगवती ने गांव के पास स्थित काले डूंगर को अपना निवास बनाया जो काले डूंगरराय के नाम से प्रसिद्ध हुआ। यहां इनके चमत्कारों की प्रसिद्धि हुई। संवत् 1998 में महारावल जवाहरसिंह ने यहाँ मंदिर का निर्माण करवाया। यहां माघ, भाद्रपद व नवरात्रि में विशाल मेला भरता है।

06/09/2025

चंद्र ग्रहण 2025

ग्रहण के समय ग्रहण की किरणों से बचना चाहिए। इस समय का सबसे अच्छा सदुपयोग नामजप, भजन और भक्ति करना चाहिए।


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जय श्री भैरूनाथ 🙏🏻🚩कोडमदेसर भैरव मेले की आपको शुभकामनाएं...           #भैरवनाथ                  #भैरूनाथ  #रमकझमक
06/09/2025

जय श्री भैरूनाथ 🙏🏻🚩
कोडमदेसर भैरव मेले की आपको शुभकामनाएं...

#भैरवनाथ #भैरूनाथ #रमकझमक

जय श्री भैरवनाथ 🙏🏻🚩कोडमदेसर भैरव       #रमकझमक  #भैरूनाथ  #भैरवनाथ
04/09/2025

जय श्री भैरवनाथ 🙏🏻🚩
कोडमदेसर भैरव

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भगवान वामन जयंती 🚩श्रीमद्भागवत में प्राप्त वर्णन के अनुसार कालान्तर में एक समय राजा बलि, इन्द्र को युद्ध में परास्त करके...
04/09/2025

भगवान वामन जयंती 🚩

श्रीमद्भागवत में प्राप्त वर्णन के अनुसार कालान्तर में एक समय राजा बलि, इन्द्र को युद्ध में परास्त करके देवलोक पर शासन करने लगे। राजा बलि के पिता विरोचन थे तथा वे विष्णु भक्त प्रह्लाद के पौत्र थे। राजा बलि को एक दयावान असुर एवं राजा के रूप में जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार अपने तपोबल एवं पराक्रम के द्वारा राजा बलि ने त्रिलोक पर आधिपत्य कर लिया था, जिसके कारण उन्हें अपने बाहुबल का अहङ्कार हो गया था।

एक समय राजा बलि भूलोक पर अपने चक्रवर्ती साम्राज्य की घोषणा हेतु अश्वमेध यज्ञ का आयोजन कर रहे थे। उस आयोजन के विषय में ज्ञात होने पर इन्द्रादि देवतागण चिन्तित हो उठे तथा माता अदिति के समक्ष उपस्थित होकर अपनी व्याकुलता व्यक्त करने लगे। माता अदिति ने जब अपने पुत्रों को इस प्रकार चिन्तित देखा, तो उन्होंने भगवान विष्णु के निमित्त कठिन आराधना की। भगवान विष्णु उनकी उपासना से प्रसन्न हुये तथा माता अदिति को दर्शन प्रदान किये। माता अदिति ने भगवान विष्णु को अपने पुत्र के रूप में प्राप्त करने की मनोकामना व्यक्त की, जिसके उत्तर में विष्णु जी तथास्तु कहकर अन्तर्धान हो गये। उचित समय आने पर भगवान विष्णु, देवी अदिति के गर्भ से श्री वामन देव के रूप में प्रकट हुये।

भगवान विष्णु के इस बटुक वामन रूप का दर्शन करके समस्त देवतागण, मुनिगण एवं प्राणियों में हर्ष का सञ्चार हो गया एवं चहुँओर उनकी जय-जयकार होने लगी। भगवान वामन एक बटुक बालक के रूप में कमण्डलु, जप माला एवं लकड़ी का छत्र धारण किये थे।

भगवान वामन एक बटुक ब्राह्मण के रूप में राजा बलि के समीप पहुँचे। राजा बलि अपनी दानशीलता के कारण समस्त लोकों में प्रसिद्ध थे। अतः कोई भी याचक उनकी सभा से रिक्तहस्त नहीं लौटता था। भगवान वामन के दर्शन कर राजा बलि ने उन्हें प्रणाम किया एवं उनके पधारने का प्रयोजन पूछा।"

वामन देव ने राजा बलि से तीन पग भूमि दान करने का आग्रह किया। राजा बलि केवल तीन पग भूमि की याचना पर आश्चर्यचकित होते हुये वामन देव से कुछ अन्य भी याचना करने का निवेदन करने लगे। किन्तु दैत्यगुरु शुक्राचार्य भगवान वामन की योजना समझ गये एवं राजा बलि से दान करने का सङ्कल्प न करने का आग्रह किया, किन्तु राजा बलि ने शुक्राचार्य जी का कथन अस्वीकार कर दिया। अन्ततः राजा बलि को दान का सङ्कल्प करने से रोकने के लिये शुक्राचार्य जी गङ्गासागर (एक प्रकार का पात्र) की नाल में सूक्ष्म रूप धारण करके बैठ गये, जिससे जल का मार्ग अवरुद्ध हो गया।

भगवान वामन भी शुक्राचार्य जी के साथ लीला करने लगे और उन्होंने एक तृण लेकर गङ्गासागर की नाल में डाला, जिसके फलस्वरूप दैत्यगुरु शुक्राचार्य जी का एक नेत्र क्षत-विक्षत हो गया। उसी समय से गुरु शुक्राचार्य एक नेत्र वाले हो गये। तत्पश्चात् गुरु शुक्राचार्य के अनेक प्रयत्नों के उपरान्त भी राजा बलि ने भगवान वामन को तीन पग भूमि दान करने का सङ्कल्प ग्रहण कर लिया। सङ्कल्प ग्रहण करते ही भगवान वामन ने अपने आकार में अप्रत्याशित वृद्धि कर ली और देखते ही देखते भगवान बटुक वामन से विराट वामन के रूप में परिवर्तित हो गये।

वामन से विराट हुये भगवान विष्णु ने अपने पहले ही पग में सम्पूर्ण भूलोक, अर्थात् पृथ्वी को नाप लिया तथा दूसरे पग में सम्पूर्ण देवलोक नाप लिया। ज्यों ही भगवान वामन का चरण देवलोक में पहुँचा, उसी समय ब्रह्मा जी ने अपने कमण्डलु के जल से वामन भगवान के चरणों का प्रक्षालन किया। भगवान वामन के चरणामृत से देवी गङ्गा का प्रादुर्भाव हुआ। दो ही पग में सम्पूर्ण सृष्टि को नाप लेने के उपरान्त तीसरे पग हेतु कोई स्थान ही शेष न रहा। तब भगवान वामन ने बलि से उनके सङ्कल्प की पूर्ति करने को कहा।

राजा बलि अपनी दानशीलता के लिये प्रसिद्ध थे तथा अपने वचन का दृढ़ता से पालन करने वाले थे। अन्ततः कोई अन्य उपाय न होने पर राजा बलि ने वामन भगवान से तीसरा पग अपने मस्तक पर रखने का निवेदन किया। वामन देव बलि की वचनबद्धता एवं दानशीलता से अत्यन्त प्रसन्न हुये। यतः राजा बलि के पितामह प्रह्लाद भी भगवान विष्णु के परम भक्त थे, जो समस्त लोकों में भक्त प्रह्लाद के नाम से विख्यात हैं। भगवान वामन ने बलि के मस्तक पर चरण रखकर तीन पग भूमि का सङ्कल्प पूर्ण किया।

कथानुसार भगवान वामन द्वारा तीसरा पग राजा बलि के मस्तक पर रखते ही, राजा बलि पाताल लोक अथवा सुतल लोक में पहुँच गये।

एक अन्य कथा के अनुसार भगवान वामन ने बलि के मस्तक पर अपना चरण रखते हुये उनको अमरत्व प्रदान कर दिया तथा उन्हें अपने विराट रूप के दर्शन दिये। भगवान विष्णु ने राजा बलि की धर्मपरायणता से प्रसन्न होकर उनको महाबलि की उपाधि प्रदान की। तदुपरान्त भगवान विष्णु ने महाबलि को दिव्य अन्तरिक्ष लोक में प्रतिष्ठित किया, जहाँ प्रह्लाद तथा अन्य दिव्य आत्माओं से उनकी भेंट हुयी।

भगवान वामन कुटुम्ब वर्णन
भगवान वामन के पिता ऋषि कश्यप एवं उनकी माता देवी अदिति हैं। धर्मग्रन्थों में प्राप्त वर्णन के अनुसार विवस्वान्, इन्द्र, वरुण, पूषा, अर्यमा, भग, धाता, पर्जन्य, अंशुमान, त्वष्टा एवं मित्र भगवान वामन के ज्येष्ठ भ्राता हैं। वामन देव पूर्णतः ब्रह्मचारी हैं, अतः उनकी कोई अर्धांगिनी नहीं हैं।

भगवान वामन स्वरूप वर्णन
भगवान वामन को एक बटुक ब्राह्मण के रूप में दर्शाया जाता है। वे छोटे से बालक के रूप में एक हाथ में लकड़ी का छत्र एवं लकुटी तथा दूसरे हाथ में कमण्डलु लिये रहते हैं। भगवान वामन के त्रिविक्रम स्वरूप में उन्हें तीन पगों वाला एवं चतुर्भुज रूप में दर्शाया जाता है। इस स्वरूप में वे अपनी चार भुजाओं में शङ्ख, चक्र, गदा एवं पद्म धारण करते हैं।

त्रिविक्रम स्वरूप में भगवान विष्णु का एक पग भूलोक में दूसरा स्वर्गलोक में तथा तीसरा पग राजा बलि के मस्तक पर होता है। इस रूप में भगवान ब्रह्मा को वामन देव के चरण प्रक्षालन करते हुये चित्रित किया जाता है।

जैसलमेर का लक्ष्मीनारायण मंदिर 🙏🏻🚩
03/09/2025

जैसलमेर का लक्ष्मीनारायण मंदिर 🙏🏻🚩

जय मां आशापुरा 🙏🏻🚩 #आशापुरा
02/09/2025

जय मां आशापुरा 🙏🏻🚩

#आशापुरा

श्रद्धा एवं विश्वास के प्रतीक परम् आराध्य लोकदेवता बाबा रामदेव जी की दशमी पर आप सभी को हार्दिकशुभकामनाएं।सामाजिक समरसता ...
02/09/2025

श्रद्धा एवं विश्वास के प्रतीक परम् आराध्य लोकदेवता बाबा रामदेव जी की दशमी पर आप सभी को हार्दिक
शुभकामनाएं।

सामाजिक समरसता के पक्षधर एवं गौ रक्षक वीर तेजा जी महाराज के बलिदान दिवस तेजा दशमी पर उनके चरणों में कोटिशः नमन

प्रकृति रक्षक खेजड़ली के 363 वीर वीरांगनाओं के खेजडली बलिदान दिवस पर उनकी पुण्य स्मृतियों को बारंबार नमन ।

#राजस्थान #मारवाड़ #रामदेवजी #तेजाजी #खेजड़ली

02/09/2025

रामदेव बाबा के आज दशम के दर्शन
जय बाबे री 🙏🏻🚩

श्रद्धा एवं विश्वास के प्रतीक परम् आराध्य लोकदेवता बाबा रामदेवजी की दशमी पर आप सभी प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं।प...
02/09/2025

श्रद्धा एवं विश्वास के प्रतीक परम् आराध्य लोकदेवता बाबा रामदेवजी की दशमी पर आप सभी प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं।

प्रकृति रक्षक खेजड़ली के 363 वीर वीरांगनाओं के बलिदान दिवस पर उनको श्रद्धापूर्वक नमन।

सामाजिक समरसता के पक्षधर एवं गौ रक्षक परम् आराध्य वीर तेजा जी महाराज के बलिदान दिवस तेजा दशमी के अवसर पर उनके चरणों में मेरा कोटिशः नमन।

#बाबा_रामदेव_जी
#खेजड़ली
#तेजा_दशमी

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