16/10/2024
#बस्तर काहे पड़े हो चक्कर में कोई नहीं हैं टक्कर में इसलिए कहते हैं भैया बस्तर नहीं देखा तो दुनिया नहीं देखी
#बस्तर का नाम जब आम भारतीय लोग सुनते हैं तो सबसे पहले उनकी ज़ुबान पर नक्सलवाद आता है लेकिन उससे अलग प्रकृति दिया उपहार है बस्तर के पास शायद इसलिए हमारे छत्तीसगढ़ में बस्तर को छोटा कश्मीर बोला जाता है घने जंगलों से घिरे आदिवासी बाहुल्य बस्तर की खूबसूरती को रचने में प्रकृति ने कोई भी कसर नहीं छोड़ी है प्रकृति ने बस्तर में इतने मनमोहक स्थल रचे हैं जिन्हें देखकर आपका मन हमेशा वहीं बसने को चाहेगा. मानसून के दिनों और ठंड के समय में बस्तर की खूबसूरती और भी मनमोहन हो जाती है
ज़्यादा बात न करते हुए हम आपको रुबरू करते हैं अपने बस्तर से
1) एशिया का नियाग्रा चित्रकोट जलप्रपात: चित्रकोट जलप्रपात को छत्तीसगढ़ और एशिया का नियाग्रा कहा जाता है देश में मिनी नियाग्रा के नाम से मशहूर चित्रकोट जलप्रपात बस्तर जिले के लोहंडीगुड़ा ब्लॉक में स्थित है. करीब 30-40 फिट की चौड़ाई से गिरता यह जलप्रपात बेहद ही खूबसूरत नजर आता है. यहां करीब 90 फीट की ऊंचाई से नीचे गिरती इंद्रावती नदी की जलधारा पर्यटकों का मन मोह लेती है. मानसून के बादलों और जलप्रपात के नीचे नांव से पर्यटक जब यह नजारा देखते हैं, तो एक पल के लिए उसी दृष्य में खो जाते हैं
2) तीरथगढ़ जलप्रपात : कांगेर वैली नेशनल पार्क में बस्तर जिले का दूसरा बड़ा तीरथगढ़ जलप्रपात है. इस जलप्रपात को बस्तर की जान भी कहा जाता है. इस जलप्रपात में मुनगा बहार नदी का पानी गिरता है. यह जलप्रपात 3 स्टेप में होकर नीचे गिरता है. इस जलप्रपात की ऊंचाई 100 फिट से भी अधिक है. इसे करीब से देखने के लिए पर्यटकों को करीब 300-400 सीढ़ी नीचे उतरना पड़ता है. जिसके बाद लोग इसकी सुंदरता का पूरा आनंद लेते हैं
3) कोटमसर गुफ़ा : कांगेर वैली नेशनल पार्क में ही विशालकाय गुफा भी मौजूद है. जिसे कोटमसर गुफा कहा जाता है. जो काफी बड़ी है. 50 फिट के करीब चौड़ी है. गुफा के अंदर अलग-अलग प्रकार की आकृतियां बनी हुई है. गुफा के अंदर अंधी मछली भी पाई जाती है. संगमरमर की सी स्टोन भी पानी की बूंदे गिरने के कारण बनी हुई है. जो काफी चमकीला है. इसके अलावा कांगेर वैली में दंडक गुफ़ा, कैलाश गुफा, हरि गुफा, मादरकोंटा गुफा मौजूद है.
4) दलपत सागर का है जुदा अंदाज: यह धरोहर करीब 400 हेक्टेयर में फैला हुआ है, जिसे रियासत काल में बस्तर के राजा दलपतदेव ने बनवाया था. इसकी खूबसूरती देखते ही बनती है. दलपत सागर के बीच में जिला प्रशासन ने आइलैंड का भी निर्माण कराया है, जो काफी खूबसूरत है. यहां पर्यटकों के साथ ही स्थानीय नागरिक रोजाना सुबह शाम अपना समय बिताते हैं. रात्रि के समय लाइटिंग की वजह से यह धरोहर और भी खूबरसूरत हो जाता है. हर साल इस धरोहर के नजदीक दीपोत्सव मनाया जाता है. साल 2022 में इस धरोहर के किनारे शहरवासियों ने करीब 1 लाख दिए जलाए थे, जिसके चलते गिनीज बुक में इसका नाम दर्ज हुआ था
5) स्टेशन मिचनार हिल्स स्टेशन : जगदलपुर में बेहद ही खूबसूरत हिल्स स्टेशन भी मौजूद है जिसे मिचनार हिल्स स्टेशन भी कहा जाता है. मिचनार गांव में मौजूद होने के कारण इसका नाम मिचनार हिल्स स्टेशन पड़ा यह लोहंडीगुड़ा और तोकापाल ब्लॉक के बॉर्डर में मौजूद मौजूद है. इसकी ऊंचाई करीब 100 फिट है पर्यटकों को 100 फिट ऊंची पहाड़ पर पहुंच ने के लिए पैदल खड़ी चढ़ाई कर ना पड़ता है ऊपर चढ़ते ही वो खूबसूरत दृश्य पर्यटकों के सामने होता है जिसकी खूबसूरती पर्यटकों का मंत्रमुग्ध कर देती है यह हिल्स स्टेशन आपको ऊंटी और बड़े बड़े हिल्स स्टेशनों की अनुभूति कराता है
रुकने के लिए हमारे आदिवासी समुदाय के लोगों ने होम स्टे शुरू कर रखा 800₹ में एक टाईम का खाना चाय सहित बाक़ी आपको कई होटल और लॉज भी मिल जायेगा आपके बजट के हिसाब से 1 Star ⭐️ से लेकर 5 Star ⭐️ तक
- निष्कर्ष कुमार