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INDIAS FASTEST GROWING SELF PUBLISHING HOUSE
For Emerging Indian Authors to publish their book professionally. We can provide all the professional services, guidance, and support needed to produce your book to a high standard. The publishing process with us simplifies your publishing requirements. You just need a manuscript for submission. After receiving it, we

will guide you throughout the publishing process to transform your manuscript into a masterpiece book. Following is the flowchart of Book Publishing your book. We are very author-centric in our dealings and are determined to do the best to help the writers tell their stories to the world. We understand that your manuscript is your most prized possession, and that how important it is for you to see it get published and out in the market. Here’s a quick list that entails this determination and understanding that makes us stand out in the crowd. EASY PUBLISHING PROCESS

1> REGISTRATION TO START
Firstly, you have to register on our website and provide us 5-10 pages sample of your manuscript. We will review it and will forward you a publishing proposal. Thereafter, you have to accept the same to start publishing and choose any publishing package.

2> BOOK DESIGNING
Once you accept the proposal, we will ask you to submit the manuscript and other inputs through Publishing Input Form (PIF). After receiving inputs, the publishing process gets started. You will be updated about interior and cover designing.

3> BOOK LAUNCH & DISTRIBUTION
After confirming from you, the book will be forwarded for printing and distribution to worldwide platforms as print and eBook. Pre-order support will also be provided for your book once it will be in the distribution stage.

4> SUPPORT & ROYALTY
Once your book is completely published and live, you will be granted access to the author dashboard. You will get an update and payment of Royalty on Monthly Cycle. For any support or information, you will have an option to reach author support by your dashboard or phone call. HERE IS WHY AUTHORS LOVE US

We are very author–centric in our dealings and are determined to do the best to help the writers tell their stories to the world. We understand that your manuscript is your most prized possession, and that how important it is for you to see it get published and out in the market.Here’s a quick list that entails this determination and understanding that makes us stand out in the crowd.

24/10/2023
उपलब्धिहमारे बुक्स क्लिनिक के लेखक श्री अशोक व्यास की 9 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। आपको यह बताते हुए मुझे बेहद खुशी ...
24/10/2023

उपलब्धि

हमारे बुक्स क्लिनिक के लेखक श्री अशोक व्यास की 9 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। आपको यह बताते हुए मुझे बेहद खुशी हो रही है कि फ्लिपकार्ट ने श्री अशोक व्यास जी की धार्मिक पुस्तक ' समस्त व्रत पूजा विधान ' को 7 star की श्रेणी में रखा है।
यह पुस्तक लगातार बिक्री के नए आयामों को छू रही है।
अशोक व्यास जी को बधाई

By, Shobha Tripathi Shaivya"मै शोभा त्रिपाठी  लेखिका, कवित्रि, समाज सेविका, अपने भाव को शब्दों मे सजा कर आपके समक्ष, रखा...
19/10/2023

By, Shobha Tripathi Shaivya
"मै शोभा त्रिपाठी लेखिका, कवित्रि, समाज सेविका, अपने भाव को शब्दों मे सजा कर आपके समक्ष, रखा है।।
बचपन से ही, शब्दों को जोड़ कुछ, लिखती, बड़े भाई कवि थे, सदा मुझे प्रेरित करते, उस समय कविता साहित्य क्या है, समझ से परे था।
समय के साथ जब भी हृदय द्रवित होता, या प्रकृति देख मन प्रफुल्लित होता, लेखनी चल पड़ती।।
और कविता, सृजित होती गई।।
सरल अंदाज मे अपने भावनाओं को शब्दों मे पिरोया है, कुछ कविताएं छंद बद्ध है, अधिकतर छंद मुक्त है, आशा है आप इसे पसंद कर, मुझे प्रोत्साहित करेगें।।"

By, Dr. Shahrukh Moinहर व्यक्ति के अपने विचार, अपने अनुभव और अपनी कल्पना होती है कोई उन्हें अपने तक ही सिमित रखता है तो ...
19/10/2023

By, Dr. Shahrukh Moin
हर व्यक्ति के अपने विचार, अपने अनुभव और अपनी कल्पना होती है कोई उन्हें अपने तक ही सिमित रखता है तो कोई उन्हें कागज़ पर उतारकर सभी के साथ बांटता है, जो एक बुक का रूप ले लेती है. मेरे द्वारा लिखी फासला किताब है."

By, Nalini Vangale"या संग्रहात रेखाटलेल्या ९० कविता अगदी जसे आपले अवकाश चंद्र तारकांनी सुशोभित झालेले आहे, अगदी तसाच हा ...
19/10/2023

By, Nalini Vangale
"या संग्रहात रेखाटलेल्या ९० कविता अगदी जसे आपले अवकाश चंद्र तारकांनी सुशोभित झालेले आहे, अगदी तसाच हा ""पुस्तकातली शब्दपाखरे"" हा काव्य संग्रह सुंदर-सुंदर शब्दांनी कवियित्री सौ. नलिनी किशोर वनगले यांनी सुशोभित केलेला आहे..
अगदी बालमनाच्या त्या गोड गोंडस गोडव्यांपासून तर तारूण्यातील विरह यातनेच्या उसळणाऱ्या लाटेंपर्यंत कवयित्रीने शब्द सुमने विणली आहेत. विविध रूपांनी नटलेल्या या हिरवा शालू पांघरून सजलेल्या धरणी माते पासून ते ऊन सावल्यांच्या झळया सोसून बोडखे झालेल्या ओबड धोबड डोंगर माथ्यांपर्यंतचा तिचा प्रवास अतिशय सुंदर अशा शब्दांत गुंफलेला आहे
मी सौ. नलिनी किशोर वनगले मी एक गृहिणी आहे. मला लिखाणाची फारच आवड. मला कविता चारोळ्या करायला फारच आवडतात आणि माझी ही आवड माझ्या आई वडीलांनी जाणली ते नेहमीच मला प्रोत्साहित करत असतात. आज त्यांच्याच आशिर्वादाने मी आज हा “पुस्तकातील शब्दपाखरे” काव्यसंग्रह प्रकाशित करत आहे. काव्यसंग्रह प्रकाशित करण्याचा हा माझा पहिलाच प्रयत्न, मला शब्दांमध्ये रमायला खूप आवडतं. या शब्दांमध्येच खूप काही सामावलेले असतं, खूप काही दडलेलं असतं. हेच दडलेलं सर्व मी आपल्यासमोर “पुस्तकातली शब्दपाखरे” या काव्यसंग्रहातून मांडायचा प्रयत्न करत आहे. खरचं मनातले भाव पानावर उमटले की किती हलकं हलकं वाटतं आणि त्या कोऱ्या कागदाला रंगीत झालेले पाहून मन पाखरा सारखं उडूनी बागडतं, अशीच मनातील शब्द पाखरे आज काव्यरुपाने आपणा समोर पुस्तकात विराजमान होत आहेत ते ही नवीन नाव घेऊनी ""पुस्तकातली शब्दपाखरे"" ही शब्दपाखरे आपल्या मनावर काव्यरुपाची छाप उमटवतील व त्यांच्या शब्दांना तुम्ही तुमचेच शब्द म्हणून वाचतील."

By, Dr. Vinay Kumar Pathak"""श्री अंजनीकुमार सुधाकर द्वारा राष्ट्र कवि रामधारी सिंह की काव्य कृतियाँ कुरूक्षेत्र(१९४६), ...
18/10/2023

By, Dr. Vinay Kumar Pathak
"""श्री अंजनीकुमार सुधाकर द्वारा राष्ट्र कवि रामधारी सिंह की काव्य कृतियाँ कुरूक्षेत्र(१९४६), रश्मिरथी(१९५२) की कविताओं का आज की पृष्ठ भूमि में काव्यात्मक समीक्षा कर समीक्षा के क्षेत्र में एक नव प्रयोग किया गया है तथा द्वापर कालीन पात्रों व घटनाओं के साथ आज के कलयुग कालीन विचार के मध्य सामंजस्य स्थापित करते हुये नैय्यायिक व मनोवैज्ञानिक विमर्श प्रस्तुत किया है जो उनकी कृति दिनकर प्रकाश में देखने को मिलता है।""
-डा विनय कुमार पाठक
(पी एचडी(हिंदी भाषा एवं भाषा विज्ञान) -डी लिट(हिंदी भाषा एवं भाषा विज्ञान)
पूर्व अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग"

By, Sunil Dutt Atray"भारत देश की दो ही प्रतिष्ठाएं है- संस्कृत और संस्कृति और भारतीय संस्कृति संस्कृत भाषा के आश्रय में ...
18/10/2023

By, Sunil Dutt Atray
"भारत देश की दो ही प्रतिष्ठाएं है- संस्कृत और संस्कृति और भारतीय संस्कृति संस्कृत भाषा के आश्रय में है। वही भारतीय संस्कृति श्रीमद्भगवदगीता में समाहित है। इसलिए तो श्रीमद्भगवद्गीता भारतीय संस्कृति की आधारशिला है। ऋग्वेद आदि हिन्दु धर्म शास्त्रों में गीता को प्रथम स्थान प्राप्त है। यदि विश्व स्तर पर भी देखा जाए तो इस ग्रन्थ से बढ़कर कोई अन्य ग्रन्थ नही है। विश्व में धार्मिक सहिष्णुता की भावना को प्रभावशाली ढ़ग से प्रस्तुत करने वाला ओर कोई ग्रन्थ नही है बल्कि श्रीमद्भगवद्गीता है। जो भारतीय संस्कृति की एक खूबसूरत विशेषता है।
लगभग 5 हजार साल पहले धर्मक्षेत्र कुरूक्षेत्र की युद्धभूमि पर भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया था, वही उपदेश श्रीमद्भगवद्गीता कहलाता है। युद्ध भूमि पर अपने सगे- सम्बन्धियों, दादा-परदादा, भाई-भतीजों और रिश्तेदारों को देखकर युद्ध से विमुख हुए शोकग्रस्त अर्जुन को मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि और रविवार के दिन केवल 45 मिनट में निष्काम भाव से कर्म करने के लिए जो उपदेश दिया, वही उपदेश आज समस्त मानव जाति के लिए उपयोगी और प्रेरणीय हैं।
श्रीमद्भगवद्गीता महर्षि वेदव्यास विरचित विशालकाय महाकाव्य महाभारत के भीष्म पर्व से चयनित है। इस ग्रन्थ के 18 अध्यायों में 18 योगों का वर्णन हैं। ग्रन्थ में केवल 700 श्लोक हैं । इन श्लोकों में से 574 श्लोक भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन का मार्गदर्शन करते हुए बोलें और 85 श्लोक विषादग्रस्त अर्जुन द्वारा प्रश्न रूप में बोले गए। 40 श्लोक इस दिव्य ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने वाले दिव्यचक्षुधारी संजय द्वारा बोले गए। भाई-भाई में विरोध भाव पैदा करने वाले, पुत्र-मोही धृतराष्ट्र द्वारा केवल एक श्लोक ही बोला गया।
भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया कि ज्ञान, भक्ति और कर्मयोग के मार्ग पर चलने से ही मनुष्य को सफलता मिलती है। मनुष्य को किसी भी परिस्थिति में अपने कर्त्तव्य पथ से विचलित नही होना चाहिए। जो व्यक्ति सच्चे मन से कर्त्तव्य पथ पर चलता है। अंत में उसी की जीत होती है।
भारतवर्ष में प्रतिवर्ष गीता जयन्ती बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। स्थान-स्थान पर गीता पाठ और श्रीमद्भगवद्गीता कथाएं की जाती हैं। जन-जन तक गीता ज्ञान पहुंचाने के लिए और छात्रों को कर्म के मार्ग पर अग्रसर करने के लिए विद्यालय स्तर पर भी गीता- ज्ञान संबंधी प्रतियोगिताएं करवाई जाती है। निबन्ध लेखन, गीता श्लोकोच्चारण, भाषण, संवाद, पेन्टिग और गीता प्रश्नोत्तरी आदि प्रतियोगिताएं विद्यालय स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक करवाई जाती है।
गीत

By, P. K. Mathurमेरी इस पुस्तक “एहसास” में मैंने अपनी रचनाओं में रोज़ की ज़िंदगी में होने वाली घटनाओं पर अपने विचार प्रक...
18/10/2023

By, P. K. Mathur
मेरी इस पुस्तक “एहसास” में मैंने अपनी रचनाओं में रोज़ की ज़िंदगी में होने वाली घटनाओं पर अपने विचार प्रकट किए हैं। इसके अतिरिक्त भिन्न भिन्न विषयों पर जैसे दुनियाँ में पर्यावरण दूषित वातावरण, होने वाली जंगों के विषयों में तथा भक्तिगीत, रूमानी गीत लगभग सभी विषयों पर लिखा है।आशा है पाठक पसंद करेंगे और अपने विचारों से अवगत करेंगे।

By, Anurag Tiwari ‘Prem’प्रस्तुत पुस्तक आज के रोचक तथ्यों पर आधारित है। जैसे राजनीति , बचपन,भक्ति, समाजिक कुढंग, हास्यरस...
18/10/2023

By, Anurag Tiwari ‘Prem’
प्रस्तुत पुस्तक आज के रोचक तथ्यों पर आधारित है। जैसे राजनीति , बचपन,भक्ति, समाजिक कुढंग, हास्यरस, वीर रस,करूण रस‌ आदि से युक्त कविताओं कहानियों और दोहों का पूर्ण प्रयास है।इसमें वर्तमान राजनीतिक पौराणिक कथाओं का कवित रूप और वर्तमान समय को देखकर लिखे गये नाटक हैं। इस पुस्तक में भक्ति पद भी हैं। कुछ कहानी सच्ची घटना पर आधारित है। 'दुनिया के बाहर भी कुछ' एक गहरा प्रयास और अद्भुत रचना है।

By, Kailash Nath Gupta दर्शन शिक्षा को वैश्विक शिक्षा प्रदान करने का काम करता है अतः शिक्षा का मूल समझने हेतु शिक्षा शास...
18/10/2023

By, Kailash Nath Gupta
दर्शन शिक्षा को वैश्विक शिक्षा प्रदान करने का काम करता है अतः शिक्षा का मूल समझने हेतु शिक्षा शास्त्रियों का अध्ययन करना अत्यन्त आवश्यक है पूर्वी दर्शन के आधार में भारतीय दर्शन जहाँ स्थित है वहीं पश्चिमी दर्शन के आधार में पाश्चात्य दर्शनशास्त्री इसमें एक इहलौकिकता का आधार है तो दूसरा पारलौकिकता को प्राश्रय देता हुआ मानव जीवन को समृद्ध करता है। भारतीय दर्शन के आधार में जो शिक्षाशास्त्री अपना विशेष स्थान रखते हैं उसमें गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर जिनका सम्पूर्ण जीवन ही शिक्षा है जब कि गाँधी की सर्वहारा दर्शन भी भारतीय समाज में अपना विशेष स्थान बनाता है वहीं पर भारतीय धर्म दर्शन को वैश्विक शिक्षा देने का कार्य मुख्य रुप से स्वामी विवेकानन्द द्वारा किया जाता है। स्वामी विवेकानन्द जी ने भारतीय दर्शन की तुलना विश्व के कई सारे दर्शनों से किया हे। जिसमें यह देखा गया है कि भारतीय दर्शन ज्यादा तार्किक अपितु वैज्ञानिकता को भी समेटे है। वहीं विनोवाभावे जी का दर्शन भी सर्व सामान्य की प्रगति को समेटे है।

By, Chandramohan Nillayभारत वर्ष के पंजाब प्रांत में जिला कपूरथला के, फगवाड़ा शहर में 8 अक्तूबर 1953 को पिता श्री श्याम ...
18/10/2023

By, Chandramohan Nillay
भारत वर्ष के पंजाब प्रांत में जिला कपूरथला के, फगवाड़ा शहर में 8 अक्तूबर 1953 को पिता श्री श्याम लाल नीले और माता श्रीमती रतन देवी के परिवार में मेरा जन्म हुआ! सात भाई बहनों में मैं सबसे छोटा था! समय के साथ कई मौसम बदले, नये साथी मिले पुराने बिछुड़े, सब कुछ बदलता गया! ग्रैजुएशन करने के बाद, मेरा दाना पानी अपनी जन्म स्थली से कर्मस्थली मुम्बई में ले आया,बड़े भाई श्री चमन नीले जी के पास! वो फिल्म उद्योग में निर्देशक थे! उनके साथ बतौर सहायक जुड़ने पर मेरे सपनों और सोच को सही दिशा मिल गई! जीवनसंगिनी बनी राज रानी! एक पुत्री ममता और एक पुत्र प्रनय का पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ! परिवार का प्रेम और सहयोग मिला! मुझे अगर जीवन का संघर्ष मिला तो ईश्वर ने साहस की सीढ़ी भी दी सपनों को पूरा करने के लिये! मुझे लिखने का शौक़ स्कूल कालेज से ही था! कविता, गीत, गज़ल, लघु कथा! मैनें महसूस किया कि मेरा वो शौक़ अब जुनून बन गया है! जीवन की राह पे चलते चलते मुझे जो अनुभव हुये,जो कुछ मैनें उन पलों में महसूस किया, बस उन्हें लिखता गया! जो भी ख़्याल मन में आये उन्हें शब्दों में पिरोकर गीत बना के रखता गया ! मेरे उन्ही अनुभवों का संग्रह हैं ""गीतों का उपहार"" ""गीतों का गुलदस्ता"" ""भावनायें "" गीतों की गंगा "" ""गीत ज़िन्दगी के""! हर इन्सान को ज़िन्दगी में मिले सुख दुःख का दर्पण और मेरी आत्मा की आवाज़ हैं कुछ गीत, भजन! जिन्हे ""गीतों की माला"" के रूप में लेकर आया हूं जो आपके अन्तर्मन को अवश्य छूकर जायेगी!

चंद्रमोहन नीले

By, AnjaniKumar'Sudhakar'"रत्नावली अभिज्ञानम् गोस्वामी तुलसीदास रामचरित मानस के आभामडल की प्रदीप्तक स्रोत को यवनिका से ब...
18/10/2023

By, AnjaniKumar'Sudhakar'
"रत्नावली अभिज्ञानम्
गोस्वामी तुलसीदास रामचरित मानस के आभामडल की प्रदीप्तक स्रोत को यवनिका से बाहर लाने का काव्यमय प्रयास है। जिसके माध्यम से नेपथ्य में तपस्विनी सूत्रधारिका रत्नावली का दर्शक,श्रोत्ता से साक्षात्कार कराने का अभिनव प्रयास किया गया है।"

By, Jay Prakash ‘Prakash’धम्म दूत' सामाजिक और धाम्मिक चेतना के निमित्त जय प्रकाश 'प्रकाश' रचित साहित्य शृंखला 'सामाजिक च...
18/10/2023

By, Jay Prakash ‘Prakash’
धम्म दूत' सामाजिक और धाम्मिक चेतना के निमित्त जय प्रकाश 'प्रकाश' रचित साहित्य शृंखला 'सामाजिक चेतना के फूल और 'धम्म चेतना के स्वर' के बाद तीसरा पुस्तक हैं ,जो मानवीय चित्त मलो को परिष्कृत कर उनमें सामाजिक और धाम्मिक चेतना उत्पन्न करती हैं। इस पुस्तक में उन महापुरुषों के व्यक्तित्त्व, कृतित्व और आदर्शों को उपस्थापित करते हुए पाठकों में मानवीय सम्वेदना को जागृत करने का प्रयास किया गया हैं। ताकि व्यक्ति अपने समाज में व्याप्त ढ़ोंग-पाखण्ड, विकृतिया और विविध विषमताओं को मिटाकर एक निर्मल, समतामूलक समाज की ओर अग्रसर हों सके, इस जीवन में प्रेम सौहार्द, समानता, स्वतंत्रता, भाईचारा एवं शान्ति के साथ विकास कर जीवन का सर्वोत्तम सुख निर्वाण प्राप्त करें । जो बुद्ध के धम्म मार्ग पञ्चशील,अष्टांगिक मध्यम मार्ग, मानवता को लक्ष्यित कर उनमें सद्गुणों को अंकुरित, पल्लवित और पुष्पित करने का एक नया आयाम कायम किया गया हैं, जिस पर स्वयं धम्म दूत अपने संदेशो से समाज को संवेदित करने सफल प्रतीत होता हैं। पुस्तक की भाषा शैली, तारतम्यता, बुद्ध, कबीर रविदास और बाबा साहेब की उक्तियों से उत्पन्न, धम्म चेतना के तार से संगीत के स्वर बज उठते हैं और धम्मदूत कालजयी बन जाता हैं। जो व्यक्ति और समाज के लिए पठनीय एवं अनुकरणीय हैं।

By, Chatur Singh Rajpurohitवीरवर श्री पाबूजी राठौड़ के "मारवाड़ी ख्याल" कुचामन शैली के रचयिता श्री चतुर सिंह जी का जन्म ...
18/10/2023

By, Chatur Singh Rajpurohit
वीरवर श्री पाबूजी राठौड़ के "मारवाड़ी ख्याल" कुचामन शैली के रचयिता श्री चतुर सिंह जी का जन्म राजपुरोहित कुल के वशिष्ठ गौत्र में जागरवाल परिवार में श्री पाबूदान सिंह जी राजपुरोहित निवासी रियांबड़ी के यहां दिनांक 1 अप्रैल 1958 को हुआ। आप ने माध्यमिक शिक्षा पूर्ण कर वन विभाग राजस्थान सरकार में 27 फरवरी 1981 से 31 मार्च 2018 तक अपनी सेवाएं दी। विभागीय कार्यों के अतिरिक्त आपने साक्षरता और प्रौढ़ शिक्षा के क्षेत्र काफी कार्य किया कला के क्षेत्र में अपने गुरु श्रदेय जादूगर रॉय से विधिवत जादू की शिक्षा प्राप्त की और जादूगर सिंहराज के नाम से जादू जगत में ख्याति अर्जित की। आपने प्रौढ़ शिक्षा साक्षरता एवं पर्यावरण में राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भाग लिया। मारवाड़ी ख्याल में बचपन से ही आपको बहुत रुचि रही है। कला प्रेमी एवं राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भाग लेकर आप जिला एवं राज्य स्तर पर अब तक 47 बार सम्मानित हो चुके हैं।

By, Shripati Prasad Chowdhary "Shri""छठी शताब्दी ई० पू० में जम्बूदीप (भारत) में सौलह महाजनपद थे जिसमे ‘वस्त‘ एक महत्वपूर...
18/10/2023

By, Shripati Prasad Chowdhary "Shri"
"छठी शताब्दी ई० पू० में जम्बूदीप (भारत) में सौलह महाजनपद थे जिसमे ‘वस्त‘ एक महत्वपूर्ण महाजनपद था। वस्त राज्य की राजधानी कौशाम्बी थी जो एक विशाल, व भव्य नगरी थी। यह बुद्धःकाल में यहां का शासक राजा उदयन था जो शाक्यमुनि बुद्ध का परम अनुयायी था। वत्स राज्य पर अनेक प्रतापी सम्राट अशोक कनिष्क, समुन्द्रगुप्त, हर्षवर्धन जैसे शासको ने शासन किया था। कौशाम्बी के निकट प्रयाग का कुम्भ मेला प्राचीन राजा हर्षवर्धन ने प्रारम्भ किया था। वर्तमान मे यहां प्रत्येक छठे वर्ष में अर्धकुम्भ तथा बारहवें वर्ष मे कुम्भ-मेला लगता है। प्राचीन काल में राजा हर्षवर्धन. द्वारा गठित महादान परिषद की सभा प्रत्येक पांचवे वर्ष में माघ मेले के अवसर आयोजित की जाती थी जिसमें विद्वान आचार्य ब्राह्मण, श्रवण व श्रद्धा लगन सम्मिलित होते थे। महिनो तक दान कार्यक्रम चलता था। राजा हर्षवर्धन अपने राज्य की रक्षा से सम्बन्धित सामग्री व धन को छोड़ करके शेष पांच वर्ष का संचित धन को दान में दे देता है। बौद्ध चीनी यात्री हवेनसांग ने राजा हर्षवर्धन को महादानी कहा है। "

By, J. Vasudevan"I am J. Vasudevan . having 73 years Old .  Resident  of  Chennai. I am very much interest in TamIl. Lit...
14/10/2023

By, J. Vasudevan
"I am J. Vasudevan . having 73 years Old . Resident of Chennai. I am very much interest in TamIl. Literature .
I am very much fond of Kaviyarasu Kannadasan. Fortunately Happen to meet him in our function Before eighties , at Calcutta such a great poet .
How much simple I cannot believe My eyes . While approach him with my friend , I have showed him my writings including one I have written One kavitha on him. After reading He encouraged , and appreciate that You have the opportunity to come upIn the future .. My best wishes to you he added. I think that is my award.
About JV THOGHTS it is TAMIL LANGUAGE a Book have different thoughts , you will find Creative , Awareness , Motivation ,Devotional Kavithas and as well as in many topic .To keep tension at bayVery intetest to reading . Besides there is many useful messages and rare slokas while rendering you will get peace of mind. And you will have satisfaction , apart from above I have include my experiences too all those years. I had in this book.
It is my Dream come True. Project.. I am very much proud to announce that one of the leading publishers Book Clinic publishing company Published my book.
Please read and enjoy. Your opinion And your valuable comments also Expecting from you.
Thank you one and all.
J. Vasudevan. Author. -. JV THOUGTS.
"

By, Dr. Neeraj Kumarपुस्‍तक ज्ञान ग्रंथ सााधारण लोगों के साथ ज्ञानी पुरूषों के लिए भी लाभदायक है। इस पुस्‍तक में तारों, ...
14/10/2023

By, Dr. Neeraj Kumar
पुस्‍तक ज्ञान ग्रंथ सााधारण लोगों के साथ ज्ञानी पुरूषों के लिए भी लाभदायक है। इस पुस्‍तक में तारों, ग्रहों, पृथ्‍वी और जीवन के शुरूआत के साथ निर्माण में मदद करने वाले तत्‍वों एवं परिस्थिति की जानकारी दी गयी है। ज्ञान ग्रंथ यह बताता है कि धरती की बनावट एवं मनुष्‍य के शरीर की बनावट का प्रभाव मानसिक स्थिति पर पड़ता है और मानसिक स्थिति का प्रभाव आर्थिक जीवन पर पड़ता है। ज्ञान ग्रंथ को लिखने में तीस वर्ष का समय लगा। ज्ञान ग्रं‍थ में कोशिश की गई है कि मनुष्‍य को बहुत से विषयों जो उनके जीवन को प्रभावित करती है कि जानकारी दी जाय। जिस वजह से वे सच्‍चाई को समझने का प्रयास करें। ज्ञान ग्रंथ में मनुष्‍य के जीवन पर मौसम का प्रभाव और उस प्रभाव से जीवन में होने वाले उल्‍लास एवं पर्व-त्‍योहार की जानकारी दी गयी है। ज्ञान ग्रंथ अर्थ व्‍यवस्‍था में भुगोल एवं विज्ञान के महत्‍व को साबित करने का प्रयास करता है ।इस पुस्‍तक में विज्ञान एवं भूगोल के तथ्‍यों को साधारण भाषा और साधारण शैली में व्‍यक्‍त करने का प्रयास किया गया है ताकि सभी लोग तथ्‍यों को आसानी से समझ सकें और व्‍यक्ति के ज्ञान में इजाफा हो सके।

By, Acharya Niranjan Sinha, Divya Aditya"इस पुस्तक की आवश्यकता क्यों है? बाजार में अन्य उपलब्ध पुस्तकें प्रायः इतिहास की...
14/10/2023

By, Acharya Niranjan Sinha, Divya Aditya
"इस पुस्तक की आवश्यकता क्यों है?
बाजार में अन्य उपलब्ध पुस्तकें प्रायः इतिहास की वैज्ञानिक व्याख्या नहीं करती हैं, जिससे समाज में संशय और समस्या बनी रहती है।
दुनिया को बदलने यानि रूपांतरित करने के साधन के रूप में सबसे प्रमुख इतिहास की वैज्ञानिक व्याख्या ही है| किसी भी समाज एवं व्यवस्था का सॉफ्टवेयर उसकी ‘संस्कृति’ ही होती है, जो उसे संचालित एवं नियंत्रित करती है। इस संस्कृति का निर्माण उसके ‘इतिहास बोध’ से होता है। स्पष्ट है कि किसी भी समाज एवं राष्ट्र के निर्माण, विकास एवं समृद्धि में सबसे प्रमुख भूमिका इतिहास की ही है| इसीलिए इतिहास की सम्यक व्याख्या समाज और मानवता के व्यापक हित में की जाती है, और यह वैज्ञानिक व्याख्या ही इस उद्देश्य की वास्तविक पूर्ति करती है।
इतिहास की बेहतर एवं वैज्ञानिक समझ के लिए इतिहास की वैज्ञानिक व्याख्या की ही जानी चाहिए| इतिहास को तत्कालीन ‘बाजार की शक्तियां’ ही संचालित करती हैं, जो ऐतिहासिक काल में ‘ऐतिहासिक शक्तियां’ कहलाती हैं| अधिकतर इतिहासकार वैचारिक स्तर पर अपनी ‘सांस्कृतिक जड़ता’ (Cultural Inertia) का शिकार हैं।इसलिए इतिहास को बदलने के लिए इतिहास में “पैरेड़ाईम शिफ्ट” (Paradigm Shift) करना होता है।
आइए, इतिहास की वैज्ञानिक व्याख्या को सरल, साधारण, सहज एवं तार्किक तरीके से समझा जाय।

By, Babasaheb Landge 'Sarthi'"सुखद आश्चर्य है कि मेरा प्रथम काव्य संग्रह ‘पंछी उड़ना सीख ले’ प्रकाशित होने जा रहा है। इस ...
14/10/2023

By, Babasaheb Landge 'Sarthi'
"सुखद आश्चर्य है कि मेरा प्रथम काव्य संग्रह ‘पंछी उड़ना सीख ले’ प्रकाशित होने जा रहा है। इस काव्य संग्रह को पाठकों तक पहुँचाने की आतुरता बहुत समय से थी, जो आज पूरी हो रही है । मेरा काव्य जीवन तब आरंभ हुआ जब कविता के माध्यम से अनायास ही मैं अपने मन की बात व्यक्त करने लगा । उस समय मुझे कविता के संबंध में अधिक जानकारी नहीं थी । लिहाजा प्रथम काव्य-संग्रह होने के कारण इसमें त्रुटियाँ स्वाभाविक हैं । पाठकों की आलोचना और सुझावों का हृदय तल से स्वागत है । छायावादी कवि विशेषकर प्रसाद और निराला की काव्य साधना ने मेरे लिए साहित्यिक आदर्श की छवि का निर्माण किया । उनकी रचना शैली से प्रभावित होकर मुझमें अनायास काव्य लेखन की प्रेरणा जगी । ‘आँसू’ काव्य ने मेरी रचनाधर्मिता पर ऐसी छाप छोड़ी, जिससे मैं ‘वेदना’ और ‘विरह’ जैसी लंबी कविताएँ लिख पाया । इस संग्रह में छंदबद्ध और छंदमुक्त दोनों प्रकार की कविताएँ पढ़ने को मिलेंगी। छंद के प्रति न तो मुझे अधिक लगाव था, न ही उदासीनता । छंदों में रचना करना अच्छा लगता था, परंतु छंदों की सांगोपांग नियमावली को न अपनाते हुए मैंने स्वेच्छा से नए प्रयोग करने का प्रयास किया है, जो प्रबुद्धजनों को शायद पसंद न आएँ, परंतु उम्मीद है कि पाठक अवश्य पसंद करेंगे । संभवतः काव्य साधकों के काव्य का प्रारंभिक विषय अमूमन प्रेम ही होता है । इस संग्रह में भी प्रेम के संयोग और वियोग दोनों पक्षों से जुड़ी भावनाएँ दृष्टिगोचर होंगी । प्रकृति और प्रेम का संबंध अन्योन्याश्रित है । प्रकृति, प्रेम, समकालीन सामाजिक समस्याओं पर इन कविताओं के माध्यम से दृष्टिपात किया गया है ।

Current book is about the fundamentals of plant biotechnology. This book covers all basic concepts of plant biotechnolog...
09/10/2023

Current book is about the fundamentals of plant biotechnology. This book covers all basic concepts of plant biotechnology. Present book covers all aspects of plant biotechnology in lucid and simple language. This book is specially designed for U.G. students of all Indian Universities.

This is an autobiography written by just to aware you that sometimes some people without doing any wrong deed dying just...
09/10/2023

This is an autobiography written by just to aware you that sometimes some people without doing any wrong deed dying just because they think before acting ..they think about the outcomes ..they try to understand the other side of the coins which generally many peoples avoid and said love is no more exits on this earth but why the forget to think on that particular aspect ..we have one heart ..only for one but in today's time .. people are running one after another ..and that's why true love is dying and the few who actually do are suffering in this dilemma.This is an autobiography written by just to aware you that sometimes some people without doing any wrong deed dying just because they think before acting ..they think about the outcomes ..they try to understand the other side of the coins which generally many peoples avoid and said love is no more exits on this earth but why the forget to think on that particular aspect ..we have one heart ..only for one but in today's time .. people are running one after another ..and that's why true love is dying and the few who actually do are suffering in this dilemma.

बालसाहित्यकार डॉ. श्री रामभरोसे गुप्त राकेश जी का श्राद्ध दिवस अंकित काव्य संग्रह राकेशजी का काव्य संग्रह प्रकाशन हेतु ह...
09/10/2023

बालसाहित्यकार डॉ. श्री रामभरोसे गुप्त राकेश जी का श्राद्ध दिवस अंकित काव्य संग्रह राकेशजी का काव्य संग्रह प्रकाशन हेतु है जल्दी आएगा

ऐमज़ान पर आपकी किताब को बेस्ट सेलर बनने पर बहुत बहुत बधाई Binny Shrivastava जी। और भी हैं राहें पाठकों को बहुत ही ज्यादा ...
03/10/2023

ऐमज़ान पर आपकी किताब को बेस्ट सेलर बनने पर बहुत बहुत बधाई Binny Shrivastava जी। और भी हैं राहें पाठकों को बहुत ही ज्यादा पसंद आ रही है और इस किताब की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। आपने कोटा मे बिताए अपने समय और संघर्ष को बहुत अच्छे तरीके से इस किताब मे उतारा है।

किताब के बारे मे- रात के ठीक 1 बज कर 44 मिनट में जब हम चारो ने कोटा राजस्थान की सरज़मीं पर अपना पहला कदम रखा मेरी नथुने गांजे की तेज महक से भर गई, उस Locality से हमारा मन बड़ा खट्टा हो गया जब Broker (ब्रोकर) ने हमारी मजबूरी का फायदा उठा कर हमसे ज्यादा पैसे ऐंठे, Hostel में गुजारे उन दस दिनों ने कैसे हमारे जीवन में अपना महत्वपूर्ण योग्यदान दिया ये तो जैसे-जैसे आप कहानी और पात्रो से जुड़ते चले जाएंगे आपको पता चलता जाएगा, इतनी जद्दोजहद से हमे बार-बार लग रहा था कि काश हम पहले आ कर घर Book कर लेते तो कितना अच्छा होता जैसा लगभग सभी करते है, पर ऊपर वाले की Planning तो कुछ और ही थी हमारे लिए तो राहे हमारे लिए इतनी आसान कैसे होती, 18 April 2018 को क्या हमारा Hostel से Final good Bye था ? कि ये आगे भी हमारी कोटा Life का हिस्सा होने वाली थी Pandemic (महामारी) में हमने क्या सिखा और क्या झेला ? जब अंत में सारी उठा पटक को झेलते हुए वो 16 वर्ष का किशोर, कोटा से निकला तो कितना परिपक्व हो कर निकला, तो चलिए जुड़ते है इस कहानी से जिसे लेखक ने पिरोया है दिल से।
लिंक - https://amzn.eu/d/9g0meqs

30/09/2023

"मानसिक अंतर्द्वंद जो सामान्यतः सैद्धांतिकता और व्यावहारिकता के मध्य होता है एकांत पाकर अपनी पराकाष्ठा पर पहुंच जाता है। अंतर्द्वंद के दोनों योद्धा अनेक वाद-प्रतिवादों को अपने हथकंडे बनाते तर्क और वितंडा के अंतर को विस्तृत करते, अनुकूल और प्रतिकूल दोनों प्रकार के शस्त्रों का प्रयोग करते हुए हमारे मानसिक प्रक्षेत्र को कुरुक्षेत्र बना देते हैं। मेरी अंतरात्मा रह जाती है मात्र एक तटस्थ साक्षी बन कर...! बस यही उसकी भूमिका होती है जो उसे अनचाहे ही निभानी पड़ती है.......!"

क्या आप भी हमारी बताओ से सहमत है तो आज ही अपने समूह और पहचान के लेखकों की किताबे जरूर खरीदे।
28/09/2023

क्या आप भी हमारी बताओ से सहमत है तो आज ही अपने समूह और पहचान के लेखकों की किताबे जरूर खरीदे।

"संभवम् नारी सृष्टि की संपूर्णता की  अकथ कथा है... जिससे प्रारंभ होती है प्रत्येक संभावनाएं...!नारी आरंभ है, निश्छल प्रे...
27/09/2023

"संभवम् नारी सृष्टि की संपूर्णता की अकथ कथा है... जिससे प्रारंभ होती है प्रत्येक संभावनाएं...!
नारी आरंभ है, निश्छल प्रेम की, स्नेह की, तो कहीं जिजीविषा जगाती है अथाह स्याह पलों में...!
मेरे जीवन में मुझे ऊर्जा से ओतप्रोत धरणिया भी मिली, तो कहीं जीवन से खिन्न लेकिन बुलंद हौसले से पूरित स्त्रियां भी दिखीं...!
मन के ताने बाने में कैद कुछ स्मृतियां भी मचल पड़ी...और जन्म हुआ संभवम् का...!
आशा है कि आप सब इसमें खुद को देखेंगे...और मेरी प्रथम स्वकृति को अपना आशीष देंगे..!"

Happy Ganesh Chaturthi Social Media Family.Regards Booksclinic Publishing
19/09/2023

Happy Ganesh Chaturthi Social Media Family.

Regards
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संस्कृति एक ऐसी चीज है जिसे देखा नहीं जा सकता लेकिन महसूस किया जा सकता है। महाराष्ट्र की संस्कृति और परंपरा बहुत पुरानी ...
18/08/2023

संस्कृति एक ऐसी चीज है जिसे देखा नहीं जा सकता लेकिन महसूस किया जा सकता है। महाराष्ट्र की संस्कृति और परंपरा बहुत पुरानी है, इसका इतिहास है, कारण है, महत्व है, लेकिन हम इसे अपने त्योहार मनाने के लिए करते हैं, वे वास्तव में इसे क्यों मनाते हैं? इसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं या अगर है तो गलत या अधूरा है। हमारे त्योहार केवल परंपराएं ही नहीं हैं, बल्कि उनके पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं, लेकिन हमें हमेशा आस्था के नाम पर गलत जानकारी या अंधविश्वास दिया जाता रहा है। इस पुस्तक के माध्यम से आप त्योहारों के महत्व को समझ सकेंगे।

🇮🇳स्वतंत्रता दिवस की आपको बधाई एवं शुभकामनाएं🇮🇳   🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳     🇮🇳जय हिंद/जय भारत 🇮🇳
15/08/2023

🇮🇳स्वतंत्रता दिवस की आपको बधाई एवं शुभकामनाएं🇮🇳
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
🇮🇳जय हिंद/जय भारत 🇮🇳

जो भी लेखक 35 की उम्र से कम के है और इस युवा पुरस्कार में भाग लेना चाहते है सारी जानकारी के लिए हमसे संपर्क करें। कॉल और...
13/08/2023

जो भी लेखक 35 की उम्र से कम के है और इस युवा पुरस्कार में भाग लेना चाहते है सारी जानकारी के लिए हमसे संपर्क करें। कॉल और वॉटसप नंबर
9589133777
8965949968

Dear Rashmi Rameshwar Gupta,I'm thrilled to hear that your book has become an Amazon bestseller! You have earned this su...
13/08/2023

Dear Rashmi Rameshwar Gupta,

I'm thrilled to hear that your book has become an Amazon bestseller! You have earned this success through your perseverance, dedication, and creativity.

This outstanding achievement is the result of your exceptional storytelling abilities and the impact your words have on readers. This is truly an impressive ability of yours to capture emotions, create immersive worlds, and engage your audience on a deep level.

May your success continue to soar and inspire others in the literary world. Your journey as an author is an inspiration to aspiring writers everywhere, proving that dreams can indeed become a reality through hard work and determination.

Wishing you endless success, unforgettable adventures in your writing career, and the fulfilment of all your literary aspirations. Here's to many more bestsellers in the future!

Warmest congratulations once again. You deserve all the accolades coming your way.

Best regards,

Booksclinic Publishing

"जीवन परिचय नाम फरहीन खान, मध्य प्रदेश तहसील बेगमगंज जिला रायसेन पिन कोड नंबर 464881, जन्म की तारीख 10 जुलाई 1998 पिता. ...
01/08/2023

"जीवन परिचय नाम फरहीन खान, मध्य प्रदेश तहसील बेगमगंज जिला रायसेन पिन कोड नंबर 464881, जन्म की तारीख 10 जुलाई 1998 पिता. स्वर्गवास इदरीस. खान माता स्वर्गवास मजहर खान। हम 6 बहने हैं और 4 भाई हैं और मैं फरहीन खान इन सब भाई और बहनों में सबसे छोटी हूं । इनमें से चार बहनों की और तीन भाइयों की शादीया हो चुकी है और सब अपनी जिंदगी में खुश है। लेकिन हम तीन भाई बहन एक दूसरे के साथ है और कुछ उलझन में गिरफ्तार हैं मेरे भाई के ऊपर हम दोनों बहनों की जिम्मेदारी है और मेरी एक बहन तो विकलांग है। इसलिए मुझे शादी अभी नही कर बानी है मुझे अपनी बहन के लिए बहुत कुछ करना है। हालात कुछ ऐसे हुए कि मैं आगे पढ़ाई नही कर पाई. लेकिन अब मैं आगे पढ़ना भी चाहती हूं और आगे बढ़ना भी चाहती हूं। मम्मी के गुज़र जाने के बाद जिंदगी एकदम बदल गई। लेकिन अब मुझे कुछ उम्मीद दिखाई देती है मेरी पहली किताब दर्द दिल की गहराई से शायद इस पहली किताब के जरिए से ही मैं अपनी फैमिली खासतौर से अपनी बहन के लिए कुछ कर पाऊं। उस दिन मैं अपने आप को खुशनसीब समझूंगी जिस दिन मैं उन लोगों के लिए भी कुछ कर पाऊं जो हालात और जिंदगी के सताए हुए लोग रहते हैं। इसलिए मुझे आप लोगों के प्यार और सपोर्ट की बहुत जरूरत है मेरी पहली किताब दर्दे दिल की गहराई को बहुत आगे तक लेकर जाएं ताकि मैं और अच्छी-अच्छी नई कहानियां शेरो शायरियां आप लोगों के सामने लेकर आओ शुक्रिया खुदा हाफ़िज़। आपकी नई राइटर फरहीन खान । "

मैं 43 साल पोस्टग्रेजुएट कालेज में प्रोफ़ेसर एवं प्रिंसिपल रहने के बाद 65 साल की उम्र में जनवरी 2015 को अपने कार्यस्थल स...
22/07/2023

मैं 43 साल पोस्टग्रेजुएट कालेज में प्रोफ़ेसर एवं प्रिंसिपल रहने के बाद 65 साल की उम्र में जनवरी 2015 को अपने कार्यस्थल से सेवानिवृत्त हुआ। बहुत प्रसन्नता की बात है कि 50 साल व्यतीत हो जाने के बाद भी 1972 से आजतक के बहुत से छात्र – छात्राएं अभी भी मेरे सम्पर्क में हैं। एक दिन मेरे मन में विचार आया कि अपने स्कूल, कालेज जहां मैंने शिक्षा ग्रहण की, अपने गांव, मित्रों तथा अन्य प्रकार के संस्मरण लिखूं। इसके लिए मेरी जीवन संगिनी डा.मंजु तिवारी जो पिछले 46 सालों से मेरे साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं, ने भी प्रोत्साहित किया। अंग्रेजी साहित्य की प्रोफेसर होने के साथ-साथ उनकी हिंदी भाषा पर भी अच्छी पकड़ है, उन्होंने मेरे लेखों की भाषा में भी काफी सुधार किया। इसके लिए मैंने Facebook प्लेटफार्म का चुनाव किया। Facebook पर “”Unforgettable Memories (अविस्मरणीय यादें)”” नामक एक श्रृंखला बनाई,जिस पर अभी तक लगभग 370 संस्मरण लिख चुका हूं , जिसमें अपने छात्र- छात्राओं, ऐतिहासिक स्थलों,जीव-जंतुओं तथा प्रोफेसर एवं प्रिंसिपल काल के संस्मरण हैं । इसमें मैंने बहुत से चित्रों को गूगल से लिया है। कुछ संस्मरण गूगल पर भी मिले। कुछ संस्मरण अज्ञात लेखकों के भी हैं ।सभी के प्रति आभार। इसके लिए प्रकाशक से सम्पर्क किया।प्रकाशक ने सहर्ष प्रकाशित करने लिए सूचना दी। उनके प्रति भी आभार। मुझे कम्प्यूटर की बहुत अधिक जानकारी नहीं है। इसके लिए मेरी बेटी नयन प्रिया तिवारी,Voice Over And Dubbing Artist ने पूरी तरह सहयोग किया है। मैं उन सभी शुभचिंतकों के प्रति आभारी हूं जिन्होंने इसके लिए मुझे प्रोत्साहित किया।”

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Bestselling Author National Awardee Jyoti Jha book is available in her city college’s liberary.
Great moment for the whole team of Literia Insight and for the Author.

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https://theliterarymirror.in/hr-turned-author-jyoti-jhas-book-aanandi-to-be-made-into-audiobook-by-zankar-studios/

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Vinita Dawra Nangia
Pushpdeep Bhardwaj
PILF

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मेरी चार प्रेम कहानियों का गैर फिल्मी अंत
प्रेम एक ऐसा अनोखा रोग है जिसकी पीड़ा भी सुखदायी होती है । यहां रोगी मरता नहीं जी जाता है । कबीर ने कहा है -
प्रेम न बाड़ी उपजै प्रेम न हाट बिकाय
राजा प्रजा जिहि रुचै सीस दिये लै जाय ।।
आज़ का दौर कमिर्शियल है । बाजा़र पर पैसा हावी है । आज़ कबीर साहब होते तो कुछ इस तरह कहते -
प्रेम तो गली - गली उपजै प्रेम तो हाट बिकाय
राजा प्रजा जिहि रुचै माल दिये लै जाय ।।
आज़कल सच्चा व शु़द्ध प्रेम कॅालेजों व स्कूलों में उपजता है । यह प्रेम की होल सेल मार्किट है । विश्वविद्यालय का प्रेम ‘प्रोढ़‘ कहलाता है । उसमें मार्मिकता नहीं होती ।
कालेज़ के दिनों में मुझे भी तीन लड़कियों और एक आंटी से प्रेम हो गया । दरअसल , बात यह है थी कि कालेज़ में जिसकी कोई प्रेमिका नहीं होती उसे एक अलग ही नज़र से देखा जाता है । विवाह योग्य कुंवारों का समाज में कोई स्थान नहीं है । मैं पढ़ाकू तो था ही , बस नंबर ज़रा कम आते थे । कारण , मैं लड़कियों के लिये नोटस बनाता था ।
मेरी पहली प्रेमिका , रंजना नोटस से ही मेरे जाल में फंसी । वह इंग्लैंड से आई थी । हिंदी ठीक तरह से नहीं जानती थी । और काॅलेज़ में हिंदी अनिवार्य थी ।
एक दिन वह ‘काव्य - संकलन‘ लिये मेरे पास आई । कहने लगी - आर यू शुक्ला ?
मैंने कहा - यस । कहिये , मैं आपके लिये क्या कर सकता हूॅं ? हिंदी में अंग्रेज़ी के वर्ड मिलाने से बात सशक्त हो जाती है । और जल्दी समझ आती है । कबीर साहब भी ‘खिचड़ी भाषा ‘ का प्रयोग करते थे ।
वह मेरे बगल में बैठती हुई बोली - यू नो टुलसी ?
मैं उसकी झील सी आंखों में खोया हुआ था । अब होश कहां ।
उसने मेरा हाथ पकड़ कर आग्रह किया -कैन यू अरेंज नोटस आफ टुलसी ?
मैं हड़बड़ा कर यथार्थ में आ गिरा - टुलसी . . । टुलसी क्या ?
वह बोली - वू हैव रिटन राम चरिट मानस ।
मैंने कहा - - अच्छा । वह तुलसी । वह तो बेहद टफ लिखता था । उसके चक्कर में पड़ना ठीक नहीं । तुम बिहारी , केशव या फिर चिंतामणि क्यों नहीं करतीं । ये सभी इज़ी हैं ।
मैंने उसे प्रेम मैदान में आने का खुला निमंत्रण दिया ।
वह बोली - मोनिका सेज़ , दे आर नाट गुड फार गलर्स ।
मैनें उसे समझाते हुये कहा - मोेनिका फेंकती है । एक्चूयली , जब से उसका ब्वाय फ्रेंड ‘डेज़ी‘ के साथ भागा है तब से उसे सारे कवि बेकार लगते हैं । पहले वह खुद कहती थी कि अगर बिहारी जीवित होते तो निश्चित रुप से वह उनकी राधा होती । यकीन न हो तो ‘बोटैनिकल गार्डन ‘ जाकर देख लो । पत्ते - पत्ते पर ‘मोनिका लवस बिहारी ‘ लिखा है ।
रंजना को यकीन नहीं हुआ । उस पर मोनिका सवार थी । वह आज़कल की फिल्मी नायिकाओं की तरह अपने कोमल नाज़ुक होंठों को आपस में जोड़ते हुये बोली - प्लीज़ शुक्ला , पहले आप मुझे टुलसी के ही नोटस दे दो ।
मैं बुझे मन से बोला - ठीक है । जैसी तुम्हारी मर्ज़ी । मैंने उसे नोटस लाकर दे दिये ।
नोटस लेने के बाद वह कई दिन तक कालेज़ नहीं आई । बाद में मालूम हुआ कि वह काॅलेज़ छोड़ कर भाग गई है । दरअसल , गलती से मैंने उसे तुलसी की जगह ‘बिहारी‘ दे दिया था ।
बी. ए . लास्ट इयर में एक और मिली । नाम था - वंदना । थोड़ी मोटी तथा नाटी थी । लेकिन , मेरे लिये ‘‘विपाशा‘ से कम नहीं थी ।
प्रेम में रुप - रंग नहीं देखा जाता । वंदना अक्सर मुझे कालेज़़ की कैंटीन में मिलती । आंखें नचाकर कहती - हाय शुक्ला । अकेले - अकेले काफी पी रहे हो ?
मैं शर्मिंदा होता हुआ कहता - नहीं । नहीं । तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा था । दरअसल , क्या बताउं , इक्नामिक्स के पीरियड से ही मेरा सिर दर्द कर रहा है वह सिर दबाते हुये पूछती - क्यों । कैसे ?
मैं कहता - वही रिकार्डो की रैंट थ्योरी । पता नहीं क्यो घुमाई है पटठे ने । समझ ही नहीं आती । भई , सीधी सी बात है । रैंट लेने वाले ने रैंट लेना हैै । देने वाले ने देना है । अगर नहीं दोगे तो वह गली के मुस्टंडे बुलाकर तुम्हारे हाथ - पैर तुड़वा देगा । इसमें इतना विचार करने की क्या आवश्यकता है ?
वह मेरा हाथ अपने हाथ में लेते हुये कहती - छोड़ो यार रिकार्डो को । हमें क्या लिखने दो । तुम्हे क्या चिंता । तुम्हारे अंकल तो हैं ही युनिवर्सिटी में । जैसे ही मैं आश्वस्त होता , वह बीवी द्वारा मायके जाने वाली अदा में कहती - समोसे मंगवाओ न । आज़ सुबह से ही चूहे पेट में कुश्ती कर रहे हैं । जब तक मैं समोसे मंगवाता । वह रस - मलाई व कोल्ड - ड्रिंक का आर्डर दे देती ।
एक दिन वह अप्सरा बनी कैन्टीन आई । आते ही उसने चार समोसों और चार पैप्सी का आर्डर दिया । मैंनेे उसका हाथ अपने हाथ में लेते हुये कहा - यार वंदना , आज़ तो बड़ी सुंदर दिख रही हो । पर , इतने पैप्सी और समोसों का क्या करोगी ? उसकी सुंदरता से अधिक मुझे अपनी जेब की चिंता थी । फीस का यह आखिरी पांच सो का नोट था ।
वह मुस्करा कर हाथ छुड़ाते हुये बोली - वो एक्चूयिली , आज़ मेरा मंगेतर अपनी बहन के साथ मुझे देखने आ रहा है ।
मैं चैंका - पर , तुमने तो कभी ज़िक्र्र नहीं किया ।
उसने बड़ी मासुमियत से उत्तर दिया - तुमने कभी पूछा ही नहीं ।
मैं दोनों हाथ सिर पर रखकर बुदबुदाया - आह । जानम खड़े - खड़े ठोक दिया ।
तीसरी , पड़ोस की आंटी थी । गज़ब की खूबसूरत । चलती जो ‘माधुरी ‘ लगती । मुस्कराती तो मोहल्ले में दंगा हो जाने के आसार हो जाते ।
लगभग बीस दिनों की घोर तपस्या के बाद एक दिन उसने मुझे डिनर पर बुलाया । मैनें सोफे पर बैठते हुआ पूछा - मिस्टर रमन नहीं हैं क्या ?
वह पास आती हुये बोली - अरजेंट काम से बाहर गये हैं । कल आयेंगे ।
मैंने पूछा - आपको अकेले डर नहीं लगता ?
वह मेरे गले में बांहें डालते हुये बोली - तुम्हारे होते हुये किसका डर । आज़ रात यहीं बिताओ न । केवल पाॅच सो लेती हूं ।
उसकी मुस्कराहट का राज़ ,मैं आज़ समझ पाया । मैं उसे आज़ की नायिकाओं कह तरह ‘बोल्ड‘ समझता था । लेकिन , वह ‘सुपरबोल्ड ‘ निकली ।
मैं उसका हाथ झटक कर कमरे से भागता हुआ बोला - आंटी फिर कभी । अभी अरजेंट काम से जाना है ।
उसने ‘किस‘ उछालते हुये पूछा -रात तक आ जाओगे न ? प्लीज़ मुझे अकेले में डर लगता है ।
मैं कुछ न बोला । सरपट भागता हुआ अपने कमरे में आकर लेट गया ।
चैथी प्रेमललता । मुझसे सचमुच प्रेम करती थी । प्रेम करने वाली औरत बड़ी खतरनाक होती है । न जाने कब किससे प्रेम करने लगें और तुम्हें पिटवा दे ।
खैर , प्रेमलता मेरा बड़ा ख्याल रखती । अपने हाथों से आलू के परांठे बना कर खिलाती और कहती - प्रिय , मैं तुम्हारे प्यार में पागल हॅूं । तुम्हारे बिना एक पल भी नहीं रह सकती । तुम मेरे ख्वा़बों में बसे हो । नस - नस में समायेे हुये हो ।
उसकी बातें सुनकर , मुझे मेरे मित्र ‘सुनील‘ की याद आ जाती । जो इन्हीं डायलाॅगों से दर्ज़नों लड़कियों का फाॅंस चुका है ।
मैं भावुक हो , उसके करीब सरकता हुआ अपना फेेवरेट डायलाॅग फेंकता - डार्लिंग मेरा भी यही हाल है । तुम मेरे ख्वा़बों से निकल न जाओ , इसलिये मैं सोता ही नहीं हूं। वह अपने कोमल हाथ मेरे हाथ पर रख देती । मैं उसे गले से लगा लेता ।
एक दिन प्रेमलता बड़े उदास मन से मेरे पास आई । वह रोये जा रही थी । मैंने उसे अपने पास बैठाते हुये पूछा - लता , घर में काई प्राॅब्लम है क्या ?
वह जा़र - जो़र से रोने लगी । मैंने झटपट उसे सीने से लगा दिया । सच्चा प्रेमी ऐसा मौका हाथ से नहीं जाने देता ।
मेरे सीने की गर्माहट पाकर वह सिसकी - प्रिय , पिता जी बीमार हैं । दोनों किडनियां फेल हो चकी हैं । आपरेशन के लिये दो लाख चाहियें । डेढ़ लाख का इंतज़ाम हो गया है । पर , पच्चास और चाहिये। मेरा तुम्हारे सिवा है ही कोन ?
मैं उसे चुप कराता हआ बोला - तुम फिक्र न करो । ‘एम. बी. ए.‘ की एडमीशन के लिये पैसे मंगाये हैं । तुम ले लेना । । ‘एम. बी. ए.‘ क्या पापा से बढ़कर है ?
उसने मझे चूम लिया । कुंवारे जीवन का पहला चुम्मा कितना दिलकश होता है ।
यह आज़कल के मरियल प्रेमी क्या जाने ।
सुबह मैंने रुपये दे दिये ।
अगले दिन , उससे अगले दिन और कई दिन , बाद भी जब वह काॅलेज़ नहीं आई तो मैंने उसकी एक खास फ्रें्रेंड सेे उसके बारे में पूछा । वह मुस्कराते हुये बोली - वह तो दस दिन पहले अपने ब्वाय फ्रें्रेंड ‘के. पी . ‘ के साथ घर से भाग गई । उसकी मुस्कराहट में आमंत्रण था । पर , मेरे हाथ में केवल तलवार की मूठ रह गई थी । मैंने एक लंबी सांस छोड़ी - हाय री किस्मत । ये भी गई ।
अब न संगी न साथी और न ही है कोई धाम
चार - चार इश्क किये चारो नाकाम ।।
भारतीय युवा एकता IYU युवाओ की आवाज आओ युवाओ हम भी हिस्सा मांगेंगे हर हक के लिए लडेंगे हम युवा इस देश का आने वाला कल है इस देश की तकदीर है https://www.facebook.com/%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A5%80%E0%A4%AF-%E0%A4%AF%E0%A5%81%E0%A4%B5%E0%A4%BE-%E0%A4%8F%E0%A4%95%E0%A4%A4%E0%A4%BE-IYU-103496332217467/
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Congratulations to Jyoti Jha on her esteemed presence in the highly coveted Pune International Literary Festival 2021 with her latest novel आनंदी.

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