13/06/2022
🌿कबीर साहेब प्रकट दिवस🌿
कबीर परमेश्वर जी के बारे में यथार्थ जानकारी
कबीर परमेश्वर सन् 1398, ज्येष्ठ मास की पूर्णमासी को ब्रह्म मुहूर्त में अपने निज धाम सतलोक से चलकर आए और काशी के लहरतारा तालाब में, फूल पर, शिशु रूप धारण करके विराजमान हुए। जहाँ से नीरू-नीमा उनको अपने घर ले गये।
कबीर, ना मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक बन दिखलाया।
काशी नगर जल कमल पर डेरा, तहाँ जुलाहे ने पाया।।
स्वामी रामानंद जी के शिष्य अष्टानंद नामक ऋषि को लहरतारा नामक तालाब में ब्रह्म मुहूर्त में आकाश से एक आग का गोला आता दिखाई दिया वह तालाब में, एक कोने में कमल के फूल पर आकर सिमट गया जब उन्होंने अपने गुरू रामानंद जी से इस बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि जब कोई अवतारी शक्ति पृथ्वी पर लीला करने आती है तो ऐसी घटना होती है।
शिशु कबीर परमेश्वर के नामकरण के समय कुरान शरीफ के सर्व अक्षर कबीर, कबीर हो गये
गरीब, काजी गए कुरान ले,धरि लरके का नाम।
अक्षर अक्षर मैं फुरया, धन कबीर बलि जावं।।
गरीब, सकल कुरान कबीर है, हरफ लिखे जो लेख। काशी के काजी कहे गई दीन की टेक।।
कुरान शरीफ के अक्षर बदलना तो कबीर परमेश्वर के लिए बहुत छोटा चमत्कार था,
परमेश्वर कबीर जी तो प्रारब्ध के पाप कर्मों को मिटाकर, नए सिरे से विधि का विधान लिख देते हैं।
5 वर्ष की आयु में 104 वर्ष के रामानंद जी को कबीर परमेश्वर ने अपनी शरण में लिया। वास्तविकता से परिचित कराया। रामानंद जी के शब्द:-
बोलत रामानन्द जी सुन कबीर करतार।
गरीबदास सब रूप में तुमही बोलनहार।।
दोहु ठोर है एक तू, भया एक से दोय।
गरीबदास हम कारणें उतरे हो मग जोय।।
तुम साहेब तुम सन्त हो तुम सतगुरु तुम हंस। गरीबदास तुम रूप बिन और न दूजा अंस।।
तुम स्वामी, मैं बाल बुद्धि भर्म कर्म किये नाश। गरीबदास निज ब्रह्म तुम, हमरै दृढ विश्वास।।
गरीब, सेवक होय करि ऊतरे, इस पृथ्वी के मांहि।
जीव उधारण जगतगुरु, बार बार बलि जाँहि।।
वाणी से स्पष्ट है कि कबीर परमेश्वर सेवक बनकर इस पृथ्वी पर प्रकट होते हैं, फिर जीवों का उद्धार करके जगत गुरु की पदवी को प्राप्त होते हैं।
अनंत ब्रह्मांड के स्वामी कबीर परमेश्वर सशरीर प्रकट होते हैं।
ग़रीब, अनंत कोटि ब्रह्मांड में, बन्दीछोड कहाय।
सो तो एक कबीर है, जननी जन्या न माय।।
अर्थात, अनंत करोड़ ब्रह्मांडो में कबीर परमेश्वर ही हैं जिन्हें बन्दीछोड़ कहा जाता है क्योंकि केवल कबीर परमात्मा ही जीवों को काल निरंजन की बंदीगृह से छुड़वा सकते हैं। केवल कबीर परमेश्वर ही हैं जिनका जन्म माता के गर्भ से नही होता, वो सशरीर प्रकट होते हैं।
वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज के रूप में स्वयं कबीर परमेश्वर पृथ्वी पर आए हुए हैं। उनकी शरण में आकर सत भक्ति करके काल के जाल से खुद को मुक्त करवाना ही मानव जीवन का प्रथम कर्तव्य है।
आओ संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा ग्रहण करके अपना कल्याण करवाईये।
अधिक जानकारी के लिए अवश्य download करें
पवित्र पुस्तक "कबीर परमेश्वर"
https://bit.ly/KabirParmeshwarBook